अभ्यास - प्रश्नोतर: Show प्रश्न: अतीत में ‘विदेशी’ किसे कहा जाता था ? उत्तर: (i) मध्य कल में ‘विदेशी’ उस व्यक्ति को माना जाता था, जो उस समाज या संस्कृति का हिस्सा नहीं होता था और एक अजनबी होता था | (ii) लेकिन एक ही गाँव में रहने वाले दो मजदूर परस्पर विदेशी नहीं होते थे, चाहे उनके धर्म या जाती अलग-अलग हो | प्रश्न: नीचे उल्लिखित बाते सही है या गलत - (क) सन 700 के बाद के काल के संबंध में अभिलेख नहीं मिलते है | (ख) इस काल के दौरान मराठो ने अपने राजनीतिक महत्त्व की स्थापना की | (ग) कृषि-केन्द्रित बस्तियों के विस्तार के साथ कभी-कभी वनवासी अपनी जमीन से उखाड़ बाहर कर दिए जाते थे | (घ) सुल्तान गयासुद्दीन बलबन असम,मणिपुर तथा कश्मीर का शासक था | उत्तर: (क) गलत (ख) सही (ग) सही (घ) गलत| प्रश्न: रिक्त स्थानों को भरें - (क) अभिलेखागारों में...................रखे जाते हैं | (ख) ....................चौदहवीं सदी का एक इतिहासकार था | (ग) ........, ........., ........., ......... और ......... इस उपमहादीप में इस कल के दौरान लाई गई कुछ नई फसलें हैं | उत्तर: (क) दस्तावेज़, पांडुलिपियाँ, पुराना कार्यालयी रिकार्ड और लें-दें के ब्यौरे (ख) जियाउद्दीन बर्नी, (ग) आलू, मक्का, मिर्च, चाय, कॉफी | प्रश्न: इस काल के दौरान हुए कुछ प्रोधोगिकीय परिवर्तनों की तालिका दे | उत्तर: इस कल के दौरान हुए कुछ प्रोधोगिकीय परिवर्तन है - (i) सिंचाई में राहत, (ii) कताई में चरखा, (iii) युद्ध में आग्नेयास्त्र | प्रश्न: इस कल के दौरान हुए कुछ मुख्य धार्मिक परिवर्तनो की जानकारी दे | उत्तर: इस कल के दौरान हुए कुछ मुख्य धार्मिक परिवर्तन थे - (i) हिन्दू धर्म में नए-नए देवताओं की पूजा आरम्भ हुई और राजाओ द्वारा मंदिरों का निर्माण करवाया गया | (ii) समाज में पुरोहितो के रूप में ब्राह्मणों का महत्त्व बढता गया | (iii) ब्राह्मणों और उनके संरक्षकों के बिच नया ओजपूर्ण संबद्ध कायम हुआ – नए शासको प्रतिष्ठा की चाह में थे | (iv) भक्ति की आव्धारना का उद्भव हुआ | (v) उपमहाद्वीप में कुरान की शिक्षा और मुस्लिम धर्म का आगमन हुआ| प्रश्न: पिछली कई शताब्दियों में ‘हिंदुस्तान’ शब्द का अर्थ कैसे बदला है ? उत्तर: समय के साथ ‘हिंदुस्तान’शब्द का अर्थ निम्न प्रकार से परिवर्तित हुआ- (i)वर्तमान में ‘हिंदुस्तान’ शब्द का अर्थ ‘भारत’ आधुनिक राष्ट्र-राज्य समझा जाता है| (ii) लेकिन 13वीं सदी के इतिहासकार मिन्हाज-ए-सिराज ने ‘हिंदुस्तान’ शब्द का प्रयोग किया था| तो उसका आशय पंजाब, हरियाणा और गंगा-यमुना के बीच में स्थित इलाको में था | उसने इस शब्द का राजनीती संदर्भ में प्रयोग किया था | (iii) सोलहवीं सदी के आरम्भ में बाबर ने ‘हिंदुस्तान’ शब्द का प्रयोग इस उपमहाद्दीप के भूगोल, पशु-पक्षियों और यहाँ के निवासियोकी संस्कृति का वर्णन करने के लिए किया था | (iv) यह प्रयोग चौदहवी सदी के कवि अमीर खुसरो द्वारा प्रयुक्त हिंद के ही कुछ-कुछ समानं था | प्रश्न: जातीयो के मामले कैसे नियंत्रित किये जाते थे | उत्तर: (i) जातियां स्वयं अपने – अपने नियम बनाती थी | (ii) इन नियमो का पालन जाति के बड़े-बुजुर्गो की एक सभा करवाती थी | जिसे कुछ इलाको में जिसे पंचायत कहा जाता था | (iii) जातियों को अपने निवास के गाँवो के रिवाजो का पालन करना पड़ता था | प्रश्न: सर्वक्षेत्रिय साम्राज्य से आप क्या समझते है ? उत्तर: जो साम्राज्य ऐसे प्रतिकूल क्षेत्रो को नियंत्रित या शासित करते है सर्वक्षेत्रिय साम्राज्य कहलाते है | जैसे – चोल, तुगलक | (i) मध्य युग के दौरान उपमहाद्वीप के विशिष्ट क्षेत्रो के बीच बेहद विविधता थी | (ii) प्रत्येक क्षेत्र की अपनी भौगोलिक विशेषता, अपनी भाषा और सांस्कृतिक विशेषताएँ थी | (iii) ये क्षेत्र विशिष्ट शासित राजवंशो से संबंध थे | (iv) इन राज्यों के बीच गहरे संघर्ष थे | प्रश्न: पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने कौन-कौन सी समस्याएँ आती है? उत्तर: समस्याएँ निम्न है – (i) पांडुलिपियाँ को समझना कठिन होता है | (ii) जब लेखक पांडुलिपियों की नक़ल करते है तो वे उसमे कुछ बदलाव भी करते है जो बाद में बढ़ते चले जाते है | (iii)इतिहासकारों को नकलों पर ही निर्भर रहना पड़ता है क्योकि मूल पांडुलिपियाँ मुश्किल से मिलती हैं | प्रश्न: इतिहासकार अतीत को कालो या युगों में कैसे विभाजित करते है ? क्या इस कार्य में उनके सामने कोई कठिनाई आती है? उत्तर: (i) अधिकतर इतिहासकार आर्थिक तथा सामाजिक कारको के आधार पर अतीत के विभिन्न काल-खंडो की विशेषताएं तय करते हैं | (ii) अतीत को काल-खंडो में बाँटने के दौरान इतिहासकारों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योकि, मध्यकाल में बड़े प्रोधोगिकीय विकास हुए जिन्हें समकालीन संदर्भ में आधुनिक कहा जा सकता हैं | लेकिन तब भी इस काल को ‘मध्यकाल’ कहा जाता हैं आधुनिक नहीं | दूसरी ओर मध्यकाल का अतीत आधुनिक अतीत का अनुसरण करता हैं| पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहास के सामने कौन कौन सी समस्याएं आती है?पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने निम्न समस्याएँ आती हैं:. कई बार पांडुलिपियों की लिखावट को समझने में दिक्कत आती है।. आज हमें लेखक की मूल पांडुलिपि शायद ही कहीं मिलती है।. मूल पांडुलिपि की नई प्रतिलिपि बनाते समय लिपिक छोटे-मोटे फेर-बदल करते चलते थे, कहीं कोई शब्द, कहीं कोई वाक्य।. प्रश्न 11 पाण्डुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने कौन कौनसी समस्याएं आई?Solution : पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के समक्ष निम्न प्रमुख समस्यायें आती हैं <br> (i) मूल पांडुलिपि की लिखावट को समझने में समस्या हो सकती है। <br> (ii) मध्य काल में लिपिक या नकलनवीस हाथ से ही पांडुलिपियों की प्रतिलिपि बनाते थे। प्रतिलिपियाँ बनाते हुए लिपिक छोटे-मोटे फेर-बदल करते चलते थे।
2 पांडुलिपियों का प्रचार सीमित क्यों रहा?भारत में पांडुलिपियों के संरक्षण का काम शुरू किया गया है, लेकिन इसकी रफ़्तार बहुत धीमी है.
पांडुलिपियों के पन्नों को चमकाता कौन था?अज्ञात भाषा में लिखा यह लेख चार पन्नों का है और इसे इसे लाइब्रेरी के 'डिस्प्ले सेक्शन' में रखा गया है.
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