यदि ऑर्थोपेडिक्स जरूरत न समझे तो वह बिना सर्जरी किए भी प्लास्टर लगाकर मरीज को स्थिर रख सकता है। टूटी हुई हड्डी अपने आप समय लेकर प्राकृतिक रूप से जुड़ती है। जरूरत सिर्फ टूटे हुए अग को स्थिर रखने की होती है। यह काम प्लास्टर करता है। आमतौर पर प्लास्टर 3सप्ताह से 6 सप्ताह के लिए हड्डी टूटने वाले स्थान पर लगाए जाते हैं। प्लास्टर काटने के बाद क्या करे, फ्रैक्चर के बाद भौतिक चिकित्सा, Fracture physiotherapy in Hindi, पैर का प्लास्टर कटने के बाद क्या करें, प्लास्टर काटने के बाद Show दुर्भाग्य से कई बार दुर्घटना का शिकार होकर कई लोगों की हड्डियां टूट (Bone Fracture) हो जाती है। ऐसे में लोगों के दिमाग में सवाल आता है कि हड्डी टूटने के बाद क्या करें। तो इसका सबसे आसान जवाब है कि जैसे ही आपको लगे की हड्डी टूट गई है, सबसे पहले हड्डी के विशेषज्ञ के पास जाए। उसके बाद डॉक्टर मरीज की स्थिति को देखते हुए इलाज तय करते हैं। फिर प्लास्टर या ज़रूरत के हिसाब से सर्जरी करते हैं। हड्डी टूटने की स्थिति में एक डॉक्टर के साथ-साथ एक फिजियोथेरेपिस्ट की भी भूमिका काफी अहम हो जाती है। हड्डी टूटने के बाद मरीज को सर्जरी या प्लास्टर करवानी पड़ती है। प्लास्टर या सर्जरी की वजह से मरीज की बहुत सारी एक्टिविटी बंद हो जाती है। इसका सीधा प्रभाव उसके शरीर पर पड़ने लगता है तथा नुकसान होने के खतरे बढ़ जाते हैं। इसी को कम करने तथा व्यक्ति को स्वस्थ रखने के लिए हड्डी टूटने के बाद फिजियोथेरेपी (Physiotherapy after fracture in hindi) बहुत अहम हो जाती है। हड्डी टूटने के बाद तथा प्लास्टर होने के बाद एक फिजियोथेरेपिस्ट कई तरीके से मरीज की मदद करता है। आमतौर से फिजियोथैरेपिस्ट का काम यह होता है कि वह मरीज के नॉर्मल रेंज ऑफ मोशन को बनाए रखें। फंक्शनल मोबिलिटी को बनाए रखें। इसके लिए विगत फिजियोथेरेपिस्ट अलग अलग तरीके के एक्सरसाइज मरीज को देते हैं। हड्डी टूटने के बाद फिजियोथेरेपी के कई अलग-अलग चरण होते हैं। फिजियोथेरेपी की भूमिका हड्डी टूटने के बाद हॉस्पिटल से ही शुरू हो जाती है तथा यह प्लास्टर कटने के बाद तक चलता है। फ्रैक्चर के बाद फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका – Starting Physical Therapy after Fractureहड्डी टूटने के बाद अस्पताल में फिजियोथेरेपी – Physiotherapy after Fracture In the Hospital हड्डी टूटने के केस में फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका अस्पताल से ही शुरू हो जाती है। सबसे पहले वह मरीज की स्थिति को देखते हुए मरीज को यह बताते हैं कि अब आगे कैसे रहना है। उदाहरण के तौर पर अगर मरीज का पैर या Ankle Fracture हुआ है। तो ऐसी स्थिति में अस्पताल में ही फिजियोथैरेपिस्ट यह सिखाते हैं कि assistive device की मदद से बिना प्लास्टर या टूटे हड्डी को नुकसान पहुंचाए कैसे चल सकते हैं। तथा अपने जरूरी काम कैसे कर सकते हैं। साथ ही इस समय कई बारी चीजें समझाई जाती है जैसे की हड्डी टूटने के बाद प्रभावित पैर के जॉइंट को कैसे सुरक्षित रखना है। उस पर कब भार देना है तथा बाकी जरूरी काम कैसे करना है, यह सब बातें बताई जाती है। अगर मरीज को किसी ऐसे फ्रैक्चर से गुजर ना पड़ रहा है जिससे कि उसका चलना फिरना अब पूरी तरीके से खत्म हो गया है, तो ऐसी स्थिति में फिजियो थेरेपी की शुरुआत अस्पताल से ही हो जाती है। तथा यहां मरीज के सभी जॉइंट को एक्टिव रखने की कोशिश की जाती है। इसके लिए अलग-अलग एक्सरसाइज दिए जाते हैं। साथ ही यह देखा जाता है कि फ्रैक्चर किस हिस्से का हुआ है तथा उसी आधार पर मरीज को आवश्यक सुझाव दिए जाते हैं। हड्डी टूटने के बाद घर पर फिजियोथेरेपी – Physiotherapy after Fracture at Home in HindiPost bone fracture physiotherapy in Hindiहड्डी टूटने के बाद घर पर भी फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका लगभग वही होती है जो अस्पताल में होती है। लेकिन यहां मरीज की स्थिति को देखते हुए एक्सरसाइज बताए जाते हैं। साथ ही इस बात पर भी ध्यान दिया जाता है कि मरीज का जॉइंट कितनी तेजी से जुड़ रहा है तथा मरीज कोई ऐसा काम तो नहीं कर रहा है जिससे कि हीलिंग पर कोई असर पड़े। कुल मिलाकर शुरुआती स्टेज में यानी हड्डी टूटने के बाद अस्पताल में तथा घर पर फिजियोथैरेपिस्ट की भूमिका तभी बहुत ज्यादा है जब मरीज पूरी तरीके से बिस्तर पर है। अन्य मामलों में फिजियोथेरेपिस्ट मरीज को उसकी स्थिति के हिसाब से सलाह दे देता है। तथा उसी हिसाब से मरीज बाकी चीजें करने की कोशिश करता है। ● प्लास्टर कटने तथा फ्रैक्चर के बाद भौतिक चिकित्सा – Physiotherapy after fracture in Hindiअक्सर लोगों के जेहन में सवाल आता है कि प्लास्टर कटने के बाद क्या करना चाहिए, या प्लास्टर काटने के बाद क्या करे (Plaster Katne ke baad kya kren). प्लास्टर काटने के बाद क्या करना चाहिए इसका जवाब ये है कि तुरंत फिर अच्छे फिजियोथेरेपिस्ट से संपर्क करना चाहिए। प्लास्टर काटने के बाद क्या करें या पैर का प्लास्टर कटने के बाद क्या करें, यह आपको आगे विस्तार स बता रहे हैं। अगर फ्रैक्चर के बाद मरीज का प्लास्टर कट गया है, तब इसके बाद फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका काफी अहम हो जाती है। प्लास्टर कटने के बाद आमतौर से मरीज कई तरह की समस्याओं से गुजरता है। प्लास्टर कटने के बाद सूजन हो जाना, दर्द रहना, उस हिस्से में कमजोरी महसूस होना, जॉइंट में अकड़न यानी है कड़ापन आ जाना, यह सब आम बात है। और यह अक्सर मामले में होता ही है। अब यहां से फिजियोथैरेपिस्ट की भूमिका शुरू होती है। प्लास्टर कटने के बाद फिजियोथेरेपिस्ट मुख्य रूप से निम्नलिखित चीज़ों के लिए इलाज करते हैं –रेंज ऑफ मोशन सामान्य करने के लिए लंबे समय तक प्लास्टर लगे होने की वजह से ज्वाइंट रेंज ऑफ मोशन कम हो जाता है। साथ ही अक्सर जॉइंट बिल्कुल कड़े हो जाते हैं। उदाहरण के लिए अगर व्यक्ति के कोहनी का फ्रैक्चर हुआ है तथा वह प्लास्टर लगाया था प्लास्टर कटने के बाद कोहनी के पास से हाथ को पूरी तरीके से मोड़ना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसा ऐसा लगातार प्लास्टर लगे होने की वजह से जॉइंट मोमेंट ना होने की वजह से होता है। फिजियोथैरेपिस्ट विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हुए मांसपेशियों के करापन को कम करते हैं। तथा मरीज को फिर से सामान्य बनाते हैं। इसी तरह अगर मरीज के घुटने के आसपास फ्रैक्चर हुआ है तो इस स्थिति में भी लगातार प्लास्टर होने की वजह से प्लास्टर कटने के बाद मरीज पैर नहीं पूड पाता है। ऐसे में उसका जन जीवन बुरी तरीके से प्रभावित होता है। इस केस में भी फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका काफी अहम हो जाती है। लगातार एक्सरसाइज तथा विभिन्न तकनीक का उपयोग करते हुए फिजियोथेरेपिस्ट मरीज के जॉइंट को ठीक करता है। ताकि मरीज सामान्य जीवन जी सके। कुल मिलाकर शुरुआती दौर में फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका बहुत ज्यादा नहीं है। लेकिन प्लास्टर कटने के बाद फिजियोथैरेपिस्ट की भूमिका बहुत ज्यादा हो जाती है। बेहतर फिजियोथेरेपी कराए बिना हड्डी टूटने तथा प्लास्टर कटने के बाद मरीज का सामान्य जीवन में वापस आना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि अगर इलाज नहीं करवाया जाए तो कुछ समय बाद ज्वाइंट डिफॉरमेटी हो जाती है। जिससे मरीज आम जीवन नहीं जी पाता है। इसलिए हड्डी टूटने के बाद फिजियोथेरेपी का महत्व काफी अधिक है। अगर किसी व्यक्ति का हड्डी कुछ ऐसे तरीके से टूट गया है जहां उसे प्लास्टर की बजाय सर्जरी की जरूरत है, तो ऐसी स्थिति में भी फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका फिर अस्पताल से ही काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। अस्पताल से ही कुछ दिनों बाद से फिजियोथेरेपी शुरू कर देता है ताकि मरीज को आगे दिक्कत ना हो। ● फ्रैक्चर के बाद भौतिक चिकित्सा कितने दिन करवाने पड़ सकते हैं – Physiotherapy Duration after Fractureफ्रैक्चर के बाद भौतिक चिकित्सा कितने दिनों तक करवाना पड़ सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस जॉइंट की हड्डी टूटी है। तथा प्लास्टर की वजह से कौन सा जॉइन प्रभावित हुआ है। उसी आधार पर Physiotherapy Treatment Duration कम या ज्यादा हो सकता है। अलग-अलग मरीजों में रिकवरी अलग-अलग होती है। ऐसे में एक सटीक समय देना काफी मुश्किल होता है। आमतौर से अगर किसी व्यक्ति के हाथ में फ्रैक्चर हुआ है तथा तो ऐसी स्थिति में हाथ के जॉइंट रेंज ऑफ़ मोशन को ठीक करने में Elbow Joint Contracture को कम करने के लिए 1 से 2 महीने का समय लग सकता है। इसी तरह घुटने में या जांग की हड्डी टूटने के बाद Joint Range of Motion लाने में 3 से 4 महीने तक का भी समय लग सकता है। तो आर्टिकल में हमने बताया है कि हड्डी टूटने के बाद क्या किया जाता है तथा हिंदी में फ्रैक्चर के बाद भौतिक चिकित्सा यानी हड्डी टूटने के बाद फिजियोथेरेपी किस तरीके से की जाती है। इस बारे में आपके कोई सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। पैर का प्लास्टर उतरने के बाद क्या करें?प्लास्टर उतरने के बाद की सावधानियां. प्लास्टर उतरने के कुछ दिन बाद भी हाथ को ऊँचा रखना चाहिए. हाथ की अंगुलियां चलाते रहें. कोसे पानी में हाथ डालकर व्यायाम करें. नरम गेंद या बच्चों द्वारा खिलौने बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विशेष प्रकार की मिट्टी से हाथों का व्यायाम करें. प्लास्टर कटने के बाद कौन सा तेल लगाएं?यदि फैक्चर हो गया है तो प्लास्टर हटने के बाद कुछ असेंशियल ऑयल्स की मसाज से आराम मिल सकता है। जाती है। लेवेंडर ऑयल - फैक्चर की स्थिति में इस तेल का उपयोग करना भी कारगर है। इस तेल में भी एंटी इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं।
पैर का प्लास्टर कितने दिन में खुलता है?कच्चा पट्टा 15 दिनों के लिए चढ़ाया जाता है। 15 दिन बाद स्थिति देखकर पक्का पट्टा 45 दिन के लिए चढ़ाते हैं।
हड्डी टूटने के बाद सूजन कब तक रहती है?हड्डी टूटने के बाद सूजन तब तक रहता है जब तक उसके बनने की क्रिया प्रारम्भ नहीं हो जाती है। हड्डी को जोड़ने के लिए शरीर टिशू, बोनमैरो और स्टेम सेल्स को फ्रैक्चर वाली जगह भेजता है। यह क्रिया तब तक चलती है जब तक हड्डी जुड़ नहीं जाती है।
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