पैरोल क्या है पैरोल के गुण दोषों का वर्णन कीजिए - pairol kya hai pairol ke gun doshon ka varnan keejie

पैरोल क्या होती है?

पैरोल का अर्थ है, किसी अपराधी द्वारा खुद के द्वारा किये गए किसी गुनाह की सजा का जेल में एक बड़ा भाग काटने के बाद, अच्छे आचरण की वजह उसे जेल से अस्थायी रूप से लिए मुक्त किया जाना। यह समय एक निश्चित अवधि के लिए होता है, जिसे कुछ समय के लिए कोर्ट में एक एप्लीकेशन दे कर इसकी अवधि को आगे और लम्बा भी किया जा सकता है, पैरोल किसी भी तरह के अपराधी को मिल सकती है, अगर कोर्ट में केस चल रहा है, तो सिर्फ वह कोर्ट में अपील करने पर ऊपर की कोर्ट ही पैरोल दे सकती है, लेकिन अगर अभियुकत को सजा मिल चुकि है, तो प्रशासन व जेल अध्यछ भी पेरोल दे सकते हैं। पैरोल मिलन जितना कठिन है, उससे कहीं ज्यादा कठिन है, पैरोल और इसके नियम व शर्तों का पालन करना।

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पैरोल कितने प्रकार की होती है?

भारत की न्याय व्यवस्था में मुख्य रूप से दो प्रकार की पैरोल का वर्णन किया गया है

  1. कस्टडी पैरोल

  2. रेगुलर पैरोल
     

कस्टडी पैरोल क्या होती है?

कस्टडी पैरोल वह होती है, जिसके अंतर्गत दोषी अथवा अपराधी को किसी विशेष स्थिति में जेल से बाहर लाया जाता है, और उस समय वह पुलिस कस्टडी में ही रहता है। पुलिस का सुरक्षा घेरा उसके साथ होता है, जिससे कि वह फरार ना हो सकेI इस प्रकार की पैरोल अपराधी को तब दी जाती है, जब किसी ख़ास रिश्तेदार की उसके परिवार में मौत हो जाती है, या फिर उसके परिवार में किसी विशेष व्यक्ति की शादी होती है। उसके परिवार में यदि कोई बीमार होता है, या फिर कोई भी ऐसी परिस्थिति जो कि अपराधी के लिए बहुत आवश्यक है, तो उस अपराधी को पैरोल पर कुछ घंटों के लिए बाहर लाया जाता हैI कस्टडी पैरोल अधिकतम 6 घंटों के लिए होती हैI कस्टडी पैरोल के लिए जेल सुपरिंटेंडेंट के पास आवेदन किया जा सकता है, और यदि कस्टडी पैरोल को जेल सुपरिंटेंडेंट के द्वारा रिजेक्ट कर दिया जाता है, तो कोर्ट के माध्यम से पैरोल के आदेश प्राप्त किये जा सकते हैंI

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रेगुलर पैरोल क्या होती है?

रेगुलर पैरोल की स्थिति में वह अपराधी जिसे सजा सुनाई जा चुकी होती है, तो वह रेगुलर पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है I इसके लिए आवश्यक है, कि वह अपराधी कम से कम एक साल की सजा जेल में काट चुका हो, और जेल में उस अपराधी का व्यव्हार अच्छा हो, पहले यदि वह जमानत पर रिहा हो चुका है, और उसने रिहा होने पर कोई भी अन्य अपराध ना किया हो I रेगुलर पैरोल एक साल में कम से कम एक महीने के लिए दी जा सकती है I पैरोल कुछ विशेष परिस्थितियों में दी जा सकती है, जैसे कि यदि उस अपराधी के परिवार में कोई बीमार हो, किसी विशेष व्यक्ति का परिवार में विवाह हो या फिर किसी परिस्थिति में मकान की मरम्मत करानी बहुत जरुरी हो, यदि परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गयी हो, यदि पत्नी गर्भवती हो और डिलीवरी होनी हो और घर में कोई और व्यक्ति देख रेख के लिए ना हो और इसके अलावा किसी और प्रकार का ऐसा काम हो जिसे पूरा किया जाना अपराधी के लिए बहुत जरुरी हो।
 

पैरोल मिलने के लिए कानूनी नियम व शर्तें

  1. पूर्ण और असाध्य अंधापन

  2. यदि कोई कैदी जेल में गंभीर रूप से बीमार है, और जेल से बाहर आने पर ही उसकी सेहत में सुधार संभव हो सकता है

  3. यही फेफड़े के गंभीर क्षयरोग से पीड़ित रोगी को भी पैरोल प्रदान की जाती है, तो यह रोग कैदी को उसके द्वारा किए अपराध को आगे कर पाने के लिए अक्षम बना देता है, इस रोग से पीड़ित वह कैदी उस तरह का अपराध दोबारा नहीं कर सकता, जिसके लिए उसे सजा मिली है

  4. यदि कैदी मानसिक रूप से अस्थिर है, और उसे अस्पताल में इलाज की बहुत जरूरत है
     

किन स्तिथियों में पैरोल के आवेदन को अस्वीकार कर दिया जा सकता है?

पैरोल पर किसी अपराधी को उस परिस्थिति में नहीं छोड़ा जा सकता है, जब यदि अपराधी का व्यव्हार जेल में संतोषजनक ना हो। यदि अपराधी पहले कभी पैरोल पर बाहर आया हो और उसने पैरोल की शर्तों का पालन ना किया होI यदि अपराधी ने बलात्कार के बाद हत्या का अपराध किया हो या फिर देश द्रोह जैसे मामले में उसे सजा हुई हो या फिर अपराधी को किसी प्रकार की आंतकवादी गतिविधि, जैसे अपराध के लिए सजा हुई हो तो पैरोल नहीं दी जाती है। और इसके अलावा यदि अन्य किसी किस्म के देश की सुरक्षा से जुड़े हुए किसी मामले में सजा सुनाई गयी है तो अपराधी को पैरोल पर नहीं छोड़ा जा सकता है।

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पैरोल के मामले में एक वकील कैसे आपकी मदद कर सकता है?

पहले और सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक जो आपको शुरू करना चाहिए, वह एक अच्छा वकील को नियुक्त करना है, क्योंकि वह कानूनी प्रक्रियाओं की नीट - ग्रिट्टी और पैरोल के मामले में शामिल आवश्यक आवश्यकताओं से अवगत होता है। एक वकील के पास दस्तावेजों को संभालने और ड्राफ्ट करने के लिए आवश्यक कानूनी ज्ञान और अनुभव होता है। वह आपको मार्गदर्शन करने में सक्षम होंगे और आपकी विशेष परिस्थिति तथ्य, परिस्थितियाँ, व्यावसायिक जोखिम, और इसमें शामिल होने की आवश्यकता के अनुसार आपके लिए पैरोल का मसौदा तैयार करेंगे। एक वकील को अच्छी क़ानूनी तकनीकों के बारे में पता होता है। एक वकील को काम पर रखने से आपको एक से अधिक तरीकों से मदद मिलेगी।

पैरोल के गुण क्या है?

पैरोल एक कैदी को सजा के निलंबन के साथ रिहा करने की एक प्रणाली है। रिहाई सशर्त है, आमतौर पर व्यवहार के अधीन है, और इसके लिए समय-समय पर अधिकारियों को रिपोर्टिंग की आवश्यकता होती है। पैरोल को एक सुधार प्रक्रिया माना जाता है, और प्रावधान (furlough के साथ) को कारागार प्रणाली को मानवीय बनाने की दृष्टि से पेश किया गया था।

भारत में प्रोबेशन प्रणाली का उद्भव कब हुआ?

1937, उत्तर प्रदेश 1938, बम्बई 1938, हैदराबाद 1953 एवं बंगाल 1954 में अपने यहाँ प्रथम प्रोबेशन अधिनियम पारित हुआ