सजीव शरीर के लिए कौन सा मापदंड होता है? - sajeev shareer ke lie kaun sa maapadand hota hai?

हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है?


बहुकोशी जीवों में उनकी केवल बहरी त्वचा की कोशिकाएँ और रंध्र ही आस-पास के वातावरण से सीधे संबंधित होते हैं। बहुकोशीय जिव जैसे मनुष्य में शरीर का आकार बहुत बड़ा होता है तथा शरीर की संरचना जटिल होती है। बहुकोशीय जीवों में सभी कोशिकाएँ सीधे ही पर्यावरण के संपर्क में नहीं होती। अत: साधारण विसरण सभी कोशिकाओं की ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने के लिए अपर्याप्त है।

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कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे?


सभी जीवित वस्तुएँ सजीव कहलाती हैं। वे रूप-रंग, आकार आदि में समान भी होते हैं तथा भिन्न भी। अत: कोई वस्तु सजीव है, इसके निर्धारण के लिए निम्नलिखित मापदंड हैं:
(i) सजीवों की संरचना सुसंगठित होती है।
(ii) उनमें कोशिकाएँ और ऊतक होते हैं।
(iii) सजीवों में वृद्धि तथा विकास होता है।
(iv) साँस लेना तथा श्वसन।
(v) सजीवों की निश्चित रूप से मृत्यु होती है।
(vi) पौधों की कोपल तथा हरे नए पत्तों की वृद्धि आदि।
(vii) उनके शरीर में रासायनिक क्रियाओं की श्रृंखला चलती है। उनमें उपचय-अपचय अभिक्रियाएँ होती हैं।

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श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जिव की अपेक्षा स्थलीय जिव किस प्रकार लाभप्रद हैं?


जलीय जिव जल में घुली हुई ऑक्सीजन का श्वसन के लिए उपयोग करते हैं। जल में घुली ऑक्सीजन की मात्रा वायु में उपस्थित ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम है। इसलिए जलीय जीवों के श्वसन की दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा अधिक तेज़ होती है मछलियाँ अपने मुहँ के द्वारा जल लेती हैं और बल-पूर्वक इसे क्लोम तक पहुँचती हैं। वहाँ जल में घुली हुई ऑक्सीजन को रुधिर प्राप्त कर लेता है।
दूसरी ओर स्थलीय जिव ऑक्सीजन (O2) के लिए वायु पर निर्भर करते हैं। वायु में O2 की मात्रा 12% होती है। उन जीवों में साँस लेने के लिए फुफ्फुस (फेफड़े) होते हैं, जिनकी क्षमता क्लोम की अपेक्षा बहुत अधिक होती है। इसलिए स्थलीय जीवों को ऑक्सीजन की पर्याप्त मिलती रहती है।

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जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे?


जीवन के अनुरक्षण के लिए जो प्रक्रम आवश्यक मने जाने चाहिए, वे हैं-
(i) पोषण, (ii) श्वसन, (iii) परिवहन, (iv) उत्सर्जन, (v) वृद्धि तथा विकास, (vi) जनन, (vii) गति, (viii) अनुकूलन, (xi) उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया।

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किसी जिव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?


बाहर से जीवों को कच्ची सामग्री की आवश्यकता निम्नलिखित उदेश्यों की पूर्ति के लिए होती है-
(i) भोजन- ऊर्जा प्राप्ति के के लिए उचित पोषण।
(ii) ऑक्सीजन- श्वसन के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन।
(iii) जल- शरीर को भोजन को पचने और शारीरिक क्रियाओं को पूरा करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है।
(iv) टीन, एंजाइम, न्यूक्लिक अम्लों के संश्लेषण के लिए।
(v) कोशिकाओं, ऊतकों के बनने व रख-रखाव के लिए।

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Solution : सभी जीवित वस्तुएँ सजीव कहलाती हैं। वे रूप-आकार, रंग आदि की दृष्टि से समान भी होते हैं तथा भिन्न भी। पशु गति करते हैं, बोलते हैं, साँस लेते हैं, खाते हैं, वंश वृद्धि करते हैं और उत्सर्जन करते हैं। पेड़-पौधे बोलते नहीं हैं, भागते-दौड़ते नहीं हैं पर फिर भी वे सजीव हैं। अति सूक्ष्म स्केल पर होने वाली उनकी गतियाँ दिखाई नहीं देतीं। अणुओं की गतियाँ न होने की अवस्था में वस्तु को निर्जीव माना जाता है। यदि वस्तु में अणुओं में गति हो तो वस्तु सजीव मानी जाती है। सामान्यत: सजीवों में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं - <br> 1. सजीवों की संरचना सुसंगठित होती है। <br> 2 उनमें कोशिकाएँ और ऊतक होते हैं। <br> 3. उनकी संगठित और सुव्यवस्थित संरचना समय के साथ पर्यावरण के प्रभाव से विघटित होने लगती है। <br> 4. सजीवों की निश्चित रूप से मृत्यु होती है। <br> 5. सजीव अपने शरीर की मरम्मत और अनुरक्षण करते हैं। उनकी संरचना अणुओं से हुई है और उन्हें अणुओं को लगातार गतिशील बनाए रखना चाहिए। <br> 6. सजीवों में विशेष सीमा में वृद्धि होती है। <br> 7. उनके शरीर में रासायनिक क्रियाओं की श्रृंखला चलती है। उनमें उपचय-अपचय अभिक्रियाएँ होती हैं।

Solution : कोई वस्तु सजीव है, इसके निर्धारण के लिए मापदंड - <br> (i) शारीरिक गति <br> (ii) वृद्धि तथा विकास, <br> (iii) साँस लेना तथा श्वसन, <br> (iv) पोषण, <br> (v) कोशिकीय संगठन, <br> (vi) प्रजनन व मृत्यु।

बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता विसरण द्वारा क्यों नहीं पूरी हो पाती है जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रम को आवश्यक मानेंगे स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रकरणों को आवश्यक मानेंगे

2 Answers

सभी जीवित वस्तुएं सजीव कहलाती हैं। वे रूप-आकार, रंग आदि की दृष्टि से समान भी होते हैं तथा भिन्न भी। पशु गति करते हैं, बोलते हैं, साँस लेते हैं, खाते हैं, वंश वृद्धि करते हैं और उत्सर्जन करते हैं। पेड़-पौधे बोलते नहीं हैं, भागते-दौड़ते नहीं हैं पर फिर भी वे सजीव हैं। अति सूक्ष्म स्केल पर होने वाली उनकी गतियाँ दिखाई नहीं देतीं। अणुओं की गतियाँ न होने की अवस्था में वस्तु को निर्जीव माना जाता है। यदि वस्तु में अणुओं में गति हो तो वस्तु सजीव मानी जाती है। सामान्यत: सजीवों में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं
1. सजीवों की संरचना सुसंगठित होती है।
2. उनमें कोशिकाएँ और ऊतक होते हैं।
3. उनकी संगठित और सुव्यवस्थित संरचना समय के साथ पर्यावरण के प्रभाव से विघटित होने लगती है। 4. सजीवों की निश्चित रूप से मृत्यु होती है।
5. सजीव अपने शरीर की मरम्मत और अनुरक्षण करते हैं। उनकी संरचना अणुओं से हुई है और उन्हें अणुओं को लगातार गतिशील बनाए रखना चाहिए।
6. सजीवों में विशेष सीमा में वृद्धि होती है।
7. उनके शरीर में रासायनिक क्रियाओं की श्रृंखला चलती है। उनमें उपचय-अपचय अभिक्रियाएँ होती हैं।

सभी जीवित वस्तुएं सजीव कहलाती हैं। वे रूप-आकार, रंग आदि की दृष्टि से समान भी होते हैं तथा भिन्न भी। पशु गति करते हैं, बोलते हैं, साँस लेते हैं, खाते हैं, वंश वृद्धि करते हैं और उत्सर्जन करते हैं। पेड़-पौधे बोलते नहीं हैं, भागते-दौड़ते नहीं हैं पर फिर भी वे सजीव हैं। अति सूक्ष्म स्केल पर होने वाली उनकी गतियाँ दिखाई नहीं देतीं। अणुओं की गतियाँ न होने की अवस्था में वस्तु को निर्जीव माना जाता है। यदि वस्तु में अणुओं में गति हो तो वस्तु सजीव मानी जाती है। सामान्यत: सजीवों में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं
1. सजीवों की संरचना सुसंगठित होती है।
2. उनमें कोशिकाएँ और ऊतक होते हैं।
3. उनकी संगठित और सुव्यवस्थित संरचना समय के साथ पर्यावरण के प्रभाव से विघटित होने लगती है। 4. सजीवों की निश्चित रूप से मृत्यु होती है।
5. सजीव अपने शरीर की मरम्मत और अनुरक्षण करते हैं। उनकी संरचना अणुओं से हुई है और उन्हें अणुओं को लगातार गतिशील बनाए रखना चाहिए।
6. सजीवों में विशेष सीमा में वृद्धि होती है।
7. उनके शरीर में रासायनिक क्रियाओं की श्रृंखला चलती है। उनमें उपचय-अपचय अभिक्रियाएँ होती हैं।