किसी सूचना या जानकारी की प्राप्ति के लिये या किसी शंका के समाधान के लिये प्रयुक्त भाषायी अभिव्यक्ति को प्रश्न (question) कहते हैं। प्रश्न पूछने के लिये प्रत्येक भाषा में एक अलग प्रकार के वाक्य प्रयुक्त होते हैं जिन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं। सूचना या जानकारी प्रदान करने या जिज्ञासा के समाधान के लिये जो कुछ भी कहा या लिखा जाता है उसे उस प्रश्न का उत्तर कहते हैं। Show भारतीय संस्कृति में प्रश्न परम्परा[संपादित करें]सभ्यता के विकास में प्रश्नों का बहुत महत्व है। कुछ विचारक तो यहाँ तक कहते हैं कि भाषा का आविष्कार ही प्रश्न करने के लिये हुआ है। कुछ अन्य लोगों का विचार है कि उत्तर की अपेक्षा प्रश्न करना अधिक महत्व रखता है। भारतीय संस्कृति में प्रश्नोत्तर परम्परा का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इसे सत्य की खोज के प्रमुख उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाता था। प्रमुख उपनिषदों में प्रश्नोपनिषद् भी एक है। इसमें दोनों ही बात अपने अपने स्थान पर उपयुक्त हे। कि भाषा का अविष्कार प्रश्न करने के लिए हुवा हे और उत्तर की अपेक्षा प्रश्न करना आत्यधिक सरल हे। प्रश्न शंका के समाधान के लिए भी हो सकता हे। या किसी समस्या को लेकर भी हो सकता हे। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
प्रश्नों के प्रकार अल्पसूचित प्रश्न अल्पसूचित प्रश्न का तात्पर्य ऐसे प्रश्न से है जो अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय से सम्बन्धित हो। इसका विभेद दो तारांक लगाकर किया जाता है। दिये हुए उत्तर से उत्पन्न अनुपूरक प्रश्न उसके बारे में माननीय अध्यक्ष, विधान सभा की अनुज्ञा से किये जा सकते हैं। जब कोई सदस्य अल्पसूचित प्रश्न पूछना चाहते है तो वह ऐसे
प्रश्न की पूरे तीन दिन की सूचना लिखित रूप में सचिव को देते हैं। सचिव साधारणतया प्रश्न की, अल्पसूचित प्रश्न के रूप में, ग्राह्यता पर उसकी प्राप्ति के 24 घंटे के भीतर माननीय अध्यक्ष की आज्ञा प्राप्त करते हैं। यदि मंत्री अल्पसूचना पर उत्तर देने के लिय
सहमत हांे तो वह प्रश्न तत्काल तारांकित प्रश्न तारांकित प्रश्न का तात्पर्य ऐसे प्रश्न से है जिस पर दिये हूए उत्तर से उत्पन्न अनुपूरक प्रश्न अध्यक्ष की अनुज्ञा से किये जा सकते हैं। एक ताराँक लगाकर उसका विभेद किया जाता है। ऐसे प्रश्नों की लिखित सूचना सदस्य द्वारा कम से कम पूरे 20 दिन पूर्व दी जाती है और विधान सभा सचिवालय द्वारा प्रश्न शासन को साधारणतया 5 दिन के भीतर भेज दिये जाते हैं, परन्तु जब तक अध्यक्ष अन्यथा विनिश्चय न करें, कोई प्रश्न उत्तर के लिये प्रश्नसूची में तब तक नही रखा जाता है जब तक कि मंत्री या संबंधित विभाग को ऐसे प्रश्न की सूचना देने के दिनांक से 15 दिन समाप्त न हो जाये। यदि अध्यक्ष की यह राय है कि प्रश्न की ग्राह्यता अथवा अग्राह्यता का विनिश्चय करने के लिये अधिक समय की आवश्यकता है तो वह प्रश्न उत्तर के लिये कार्यसूची में उस दिन के बाद किसी दिन रखा जा सकता है जिस दिन वह नियमों के अधीन नियत किया जाता। अतारांकित प्रश्न अतारांकित प्रश्न से उस प्रश्न का तात्पर्य है जिसका लिखित उत्तर संबंधित सदस्य को दिया जाये और जिस पर अनुपूरक प्रश्न करने की अनुज्ञा न हो। इन प्रश्नों के विषय में भी वही प्रक्रिया अपनाई जाती है जो तारांकित प्रश्नों कि लिये निर्धारित है। प्रष्नों के मौखिक उत्तरों के लिए दिन नियत करना प्रष्नों के उत्तर देने हेतु संबंधित विभागों के मंत्रियों के लिए अलग-अलग वारों का आवंटन अध्यक्ष, विधान सभा के अनुमोदन से चक्रानुक्रम में किया जाता है। जब तक अध्यक्ष अन्यथा निदेष न दें केवल ऐसे मंत्रियों से संबंधित प्रष्न ही किसी दिन की कार्यसूची में रखे जाते है जिनके लिए वह दिन नियत हो। सदन में प्रष्न पूछने की रीति प्रष्नों के घंटे में अध्यक्ष उन सदस्यों को जिनके नाम से प्रष्न सूचीबद्ध किये गये हों, क्रमानुसार तथा प्रष्नों की प्राथमिकता का यथोचित ध्यान रखते हुए अथवा ऐसी अन्य रीति से पुकारते है जिसे अध्यक्ष स्वविवेक से विनिष्चत करें और ऐसे सदस्य पुकारे जाने पर अपनी उपस्थिति दर्षाने के लिए अपने स्थान पर खडे़ होते हैं। यदि वह सदस्य जो पुकारे गये हो अनुपस्थित हों तो अध्यक्ष आगामी प्रष्न को ले लेते हैं। प्रष्नों की सूचना देने की रीति
प्रष्न विभागीय मंत्री को सम्बोधित होने चाहिए और सचिव को उनकी लिखित सूचना दी जानी चाहिए। प्रश्नोत्तर के लिये वारों का आवंटन प्रक्रिया नियमावली के नियम 36 के अन्तर्गत प्रश्नों के उत्तर हेतु उपवेशन के दिनों को चक्रानुक्रम में आवंटित करने का अधिकार माननीय अध्यक्ष को प्राप्त है। माननीय अध्यक्ष के आदेशानुसार प्रश्नों के उत्तर हेतु आवंटित वारों की सूचना समय-समय पर विधान सभा सचिवालय द्वारा जारी की जाती है जिसकी प्रति प्रश्न अनुभाग से प्राप्त की जा सकती है। प्रशासकीय विभागों को चाहिये कि वे वार-आवंटन की अद्यावधिक सूची इस सचिवालय के प्रश्न अनुभाग से प्राप्त कर तद्नुसार ही प्रश्नों के उत्तर की तैयारी करें और अपने विभागीय मंत्री को भी अवगत करायें ताकि सदन में प्रश्नों एवं उनके अनुपूरक प्रश्नों के उत्तर देने में सम्बद्ध मंत्री को सुविधा रहे। प्रष्नों की संख्या की परिसीमा (1) एक सदस्य द्वारा एक दिन में केवल पांच प्रष्नों की ही सूचना दी जा सकती है, जिसमें अल्पसूचित तारांकित प्रष्न, तारांकित प्रष्न तथा अतारांकित प्रष्न सम्मिलित है। यदि कोई सदस्य पांच प्रष्नों से अधिक की सूचना किसी दिन देते है तो उनकी प्रथम पांच सूचनायें ली जा सकेंगी और षेश सूचना अस्वीकृत समझी जायेंगी? (1) मौखिक उत्तर के लिये किसी एक दिन की प्रष्न सूची में तारांक लगाकर विभेंद किये गये 20 से अधिक प्रष्न नहीं रखे जाते हैं तथा एक सदस्य के तीन से अधिक तारांकित प्रष्न नही रखे जाते है। परन्तु किसी एक दिन के लिए निधा्ररित अतारांकित प्रष्नों की कुल संख्या सामान्यता 100 से अधिक नही होती हैं। प्रश्न क्या है संक्षेप में समझाइए?किसी सूचना या जानकारी की प्राप्ति के लिये या किसी शंका के समाधान के लिये प्रयुक्त भाषायी अभिव्यक्ति को प्रश्न (question) कहते हैं। प्रश्न पूछने के लिये प्रत्येक भाषा में एक अलग प्रकार के वाक्य प्रयुक्त होते हैं जिन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।
प्रश्न कितने प्रकार के होते हैं?प्रश्न कितने प्रकार के होते हैं उदाहरण बताइए?. तथ्यात्मक प्रश्न. अभिसारी प्रश्न. अपसारी प्रश्न. विश्लेषणात्मक प्रश्न. प्रश्नवाचक प्रश्न. सवाल यह है कि उत्तर क्या है?उत्तर अपने आप मे कई प्रश्न को संजोए हुआ है । उतर यह है जो प्रश्न था। इस संसार में हमें हर वस्तु चाहे वो कुछ भी हो एक प्रश्न करतीं है कि ये क्या है और वो क्या है वो भी हमें किसी ना किसी से पता चलता है। जो पता चलता है वो उतर कहलाता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न क्या होता है?वस्तुनिष्ठ प्रश्न वस्तुस्थिति पर आधारित होते हैं। प्रत्येक प्रश्न का एक सही उत्तर होता हैं और छात्र को कोई स्वतंत्रता नहीं होती। यदि छात्र ने उस विशिष्ट उत्तर को नही दिया हैं तो वह गलत समझा जायेगा। अतः इस प्रकार की परीक्षा में परिक्षार्थी को अधिक उत्तरों में से किसी एक सही उत्तर का चयन करना होता हैं।
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