सामान्य गणित: विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए सम एवं विषम संख्याओं के औसत की गणना के लिए महत्वपूर्ण नियम नियम: (a) प्रथम n विषम संख्याओं का औसत = n नियम: (b) प्रथम n सम संख्याओं का औसत = n + 1 प्रश्न संख्या (1) प्रथम 5 विषम संख़्याओं का औसत क्या है ? हल : हम जानते हैं कि संख्याएँ जो 2 से विभाजित नहीं होती हैं विषम संख्याएँ
कहलाती हैं अत: प्रथम 5 विषम संख्याएँ हैं 1, 3, 5, 7, 9 हम जानते हैं कि दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या अत: प्रथम 5 विषम संख्याओं का औसत = 1 + 3 + 5 + 7 + 9 ⁄5 = 25⁄5 = 5 अत: प्रथम 5 विषम संख्याओं का औसत = 5 उत्तर प्रथम
2 विषम संख्याओं का औसत = 1 + 3⁄2 = 2 प्रथम 3 विषम संख्याओं का औसत = 1 + 3 + 5⁄3 = 3 अत: प्रथम 5 विषम संख्याओं का औसत = 5 उत्तर प्रश्न संख्या (2) प्रथम 11 विषम संख्याओं का औसत निकालें। हल हम जानते हैं कि संख्याएँ जो 2 से विभाजित नहीं होती हैं विषम संख्याएँ कहलाती हैं अत: प्रथम 11 विषम संख्याओं की सूची है 1, 3, 5, 7, 9,
11, 13, 15, 17, 19, 21 प्रथम 11 विषम संख्याओं का योग = 1 + 3 + 5 + 7 + 9 + 11 + 13 + 15 + 17 + 19 + 21 = 121 अत: प्रथम 11 विषम संख्याओं का औसत = 121⁄11 = 11 वैकल्पिक विधिप्रथम 11 विषम संख्याओं की सूची है 1, 3, 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17, 19, 21 [दिये गये संख्याओं को साधारण तरीके से जोड़ कर योगफल निकाला जा सकता है। लेकिन यदि दी गई संख्याएँ एक सूची में है तथा यदि एक श्रेणी बनाती है, तो उन्हें सूत्र की सहायता से आसानी से जोड़ा जा सकता है।] हम जानते हैं कि समांतर श्रेणी के n पदों का योग (Sn) = n⁄2 (a+ ℓ ) जहाँ, n = पदों की संख्या, a = प्रथम पद तथा ℓ = अंतिम पद यहाँ हमें दिया गया है, n = 11 a = 1 और ℓ = 21 अत: प्रथम 11 विषम संख्याओं का योग = 11⁄2 (1+21) = 11⁄22 × 22 = 11 × 11 = 121 हम जानते हैं कि दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या अत: दी गई प्रथम 11 विषम संख्याओं का औसत = 121⁄11 = 11 अत: प्रथम 11 विषम संख्याओं का औसत = 11 उत्तर लघु विधि (शॉर्ट कट मेथड)प्रथम 2 विषम संख्याओं का औसत = 1 + 3⁄2 = 2 प्रथम 3 विषम संख्याओं का औसत = 1 + 3 + 5⁄3 = 3 अत: प्रथम 11 विषम संख्याओं का औसत = 11 उत्तर प्रश्न संख्या (3) प्रथम 50 विषम संख्याओं का औसत निकालें। हल श्रेणी जिसमें क्रमागत पदों का अंतर बराबर होता है समांतर श्रेणी कहलाती है समांतर श्रेणी के n पदों का योग (Sn) = n⁄2 [2a + (n – 1) d ] जहाँ, n = पदों की संख्या, a = प्रथम पद तथा d = दो क्रमागत पदों का अंतर अर्थात कॉमन डिफरेंस दी गई संख्याओं का औसत निकालने के लिए उनका योगफल निकालना आवश्यक होता है। हम जानते हैं कि संख्याएँ जो 2 से विभाजित नहीं होती हैं विषम संख्याएँ कहलाती हैं प्रथम 50 विषम एक श्रेणी बनाती हैं, जो है 1, 3, 5, 7, . . . . . . . 50 वां पद यहाँ प्रथम पद, a = 1 दो क्रमागत पदों का अंतर अर्थात सार्व अंतर, d = 2 पदों की संख्या, n = 50 अत: 50वें पद का योग = 50⁄2 [ 2 × 1 + (50 – 1) 2 ] = 25 × [ 2 + 49 × 2 ] = 25 × [ 2 + 98 ] = 25 × 100 अत: प्रथम 50 विषम संख्याओं का योग = 2500 हम जानते हैं कि दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या प्रथम 50 विषम संख्याओं का योग = 2500 तथा संख्याओं की कुल संख्या = 50 अत: औसत = 2500⁄50 = 50 अत: प्रथम 50 विषम संख्याओं का औसत = 50 उत्तर लघु विधि (शॉर्ट कट मेथड)प्रथम 2 विषम संख्याओं का औसत = 1 + 3⁄2 = 2 प्रथम 3 विषम संख्याओं का औसत = 1 + 3 + 5⁄3 = 3 अत: प्रथम 50 विषम संख्याओं का औसत = 50 उत्तर प्रश्न संख्या (4) प्रथम 100 विषम संख्याओं का औसत निकालें। हल हम जानते हैं कि संख्याएँ जो 2 से विभाजित नहीं होती हैं विषम संख्याएँ कहलाती हैं प्रथम 100 विषम संख्याएँ = 1, 3, 5, 7, . . . . . 100वां पद तक यहाँ विषम संख्याओं की सूची समांतर श्रेणी में हैं। इस श्रेणी में प्रथम पद (a) = 1 सार्व अंतर (d) = 2 तथा पदों की संख्या (n) = 100 हम जानते हैं कि समांतर श्रेणी में प्रथम n पदों का योग (Sn) = n⁄2 [ 2 a + ( n – 1 ) d ] = 100⁄2 [ 2 × 1 + ( 100 – 1 ) 2 ] = 50 [2 + (99 × 2)] = 50 (2 + 198) = 50 × 200 ⇒ अत: 100 पदों का योग (S100) = 10000 हम जानते हैं कि दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या अत: प्रथम 100 विषम संख्याओं का औसत = 10000⁄100 = 100 ∴ अत: प्रथम 100 विषम संख्याओं का औसत = 100 उत्तर लघु विधि (शॉर्ट कट मेथड)प्रथम 2 विषम संख्याओं का औसत = 1 + 3⁄2 = 2 प्रथम 3 विषम संख्याओं का औसत = 1 + 3 + 5⁄3 = 3 अत: प्रथम 100 विषम संख्याओं का औसत = 100 उत्तर प्रश्न संख्या (5) प्रथम 1000 विषम संख्याओं का औसत ज्ञात करें। हल हम जानते हैं कि संख्याएँ जो 2 से विभाजित नहीं होती हैं विषम संख्याएँ कहलाती हैं प्रथम 1000 विषम संख्याएँ = 1, 3, 5, 7, . . . . . 1000वां पद तक यहाँ विषम संख्याओं की सूची समांतर श्रेणी में हैं। इस श्रेणी में प्रथम पद (a) = 1 सार्व अंतर (d) = 2 तथा पदों की संख्या (n) = 1000 हम जानते हैं कि समांतर श्रेणी में प्रथम n पदों का योग (Sn) = n⁄2 [ 2 a + ( n – 1 ) d ] = 1000⁄2 [ 2 × 1 + ( 1000 – 1 ) 2 ] = 500 [ 2 + ( 999 × 2 ) ] = 500 (2 + 1998) = 500 × 2000 ⇒ अत: 1000 पदों का योग (S1000) = 1000000 हम जानते हैं कि दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या अत: प्रथम 1000 विषम संख्याओं का औसत = 1000000⁄1000 = 1000 ∴ अत: प्रथम 1000 विषम संख्याओं का औसत = 1000 उत्तर लघु विधि (शॉर्ट कट मेथड)प्रथम 2 विषम संख्याओं का औसत = 1 + 3⁄2 = 2 प्रथम 3 विषम संख्याओं का औसत = 1 + 3 + 5⁄3 = 3 अत: प्रथम 1000 विषम संख्याओं का औसत = 1000 उत्तर MCQs Test सामान्य गणित होम पृष्ठ Reference: प्रथम 10 विषम संख्याओं का औसत कितना है?प्रथम 10 विषम संख्याओं का औसत है 10.
प्रथम लगातार 10 सम संख्याओं का औसत क्या होगा?माना दो धनात्मक संख्याओं के हरात्मक माध्य और गुणोत्तर माध्य का अनुपात 4:5 है।
पहली 9 विषम संख्याओं का औसत क्या है?इस त्रुटी के कारण, कक्षा का औसत प्राप्तांक वास्तविक प्राप्तांक से 2.25 अधिक था।
प्रथम 50 विषम संख्याओं का औसत कितना होगा?UPLOAD PHOTO AND GET THE ANSWER NOW! Step by step solution by experts to help you in doubt clearance & scoring excellent marks in exams.
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