1. शिवजी का धनुष तोड़ने वाले को परशुराम अपना क्या समझते हैं? 2. जो सेवा का काम करे वो कौन कहलाता है? 3.
किसके वश में आकर लक्ष्मण के मुँह से होशपूर्वक वचन नहीं निकल रहे हैं? 4. लक्ष्मण का यह कथन ‘एक फूँक से पहाड़ उड़ाना’ परशुराम के किस गुण को दर्शाता है? (क) योद्धा ► (क) योद्धा 5. परशुराम पृथ्वी जीतकर किसे दान कर चुके हैं? (ख) गुरू को 6. शूरवीर अपनी वीरता कहाँ दिखाते हैं? (क) घर में ► (ख) युद्ध में 7. परशुराम किस कुल के घोर शत्रु हैं? 8. परशुराम के वचन किसके समान कठोर हैं? 9. लक्ष्मण ने परशुराम के किस स्वभाव पर व्यंग्य किया है? 10. सहस्रबाहु की भुजाओं को किसने काट डाला था? 11. परशुराम शिव को क्या मानते हैं? 12. परशुराम का स्वभाव कैसा है? (क) उदार 13. किसके कहने पर परशुराम ने अपनी माता का वध कर दिया था? (क) गुरू के (ख) पिता के (ग) प्रेयसी के (घ) इनमें से कोई नहीं ► (ख) पिता के 14. परशुराम ने किसके प्रेम के कारण लक्ष्मण का वध नहीं किया? (क) शिव के (ख) राम के (ग) पिता के (घ) विश्वामित्र के ► (घ) विश्वामित्र के क्रोधित होते हुए भी परशुराम जी ने लक्ष्मण का वध क्यों नहीं किया?लक्ष्मण ने परशुराम के क्रोध को अकारण इसलिए कहा क्योंकि धनुष के टूटने में राम का कोई दोष नहीं है। वह तो उनके छूते ही टूट गया था और पुराने धनुष के टूटने पर क्रोध क्यों करना| लक्ष्मण के अनुसार उनके लिए सब धनुष एक समान हैं, यह कोई विशेष धनुष न था। … अब तक वे बालक समझकर ही लक्ष्मण का वध नहीं कर रहे हैं।
परशुराम लक्ष्मण पर क्यों क्रोधित हो गए?उनकी भाषा अत्यंत कोमल व मीठी थी और परशुराम के क्रोधित होने पर भी वह अपनी कोमलता को नहीं छोड़ते थे। इसके विपरीत लक्ष्मण परशुराम की भाँति ही क्रोधी स्वभाव के हैं। निडरता तो जैसे उनके स्वभाव में कूट-कूट कर भरी है। इसलिए परशुराम का फरसा व क्रोध उनमें भय उत्पन्न नहीं कर पाता।
लक्ष्मण ने परशुराम के क्रोध को अकारण क्यों कहा?वे परशुराम के क्रोध को न्यायपूर्ण नहीं मानते। इसलिए परशुराम के अन्याय के विरोध में खड़े हो जाते हैं। जहाँ राम विनम्र, धैर्यवान, मृदुभाषी व बुद्धिमान व्यक्ति हैं वहीं दूसरी ओर लक्ष्मण निडर, साहसी, क्रोधी तथा अन्याय विरोधी स्वभाव के हैं।
परशुराम ने लक्ष्मण का वध करने योग्य क्यों कहा है?1. लक्ष्मण को वध - योग्य बताने के लिए परशुराम क्या-क्या तर्क देते हैं? उत्तरः परशुराम लक्ष्मण को मूर्ख और स्वभाव से टेढ़ा कहते हैं। उन्हें कुल का कलंक बताते हुए यह भी कहते हैं कि इस पर किसी का नियंत्रण नहीं है।
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