राजा बलि के पूर्वज कौन थे? - raaja bali ke poorvaj kaun the?

Mahabali ke dada kaun the :- अक्सर जब आप इतिहास के बारे में पढेंगे तो आपको उसमें राजा महाबली का नाम अवश्य सुनने को मिलेगा मगर क्या आपको मालूम है कि राजा महाबली कौन थे और उनका इतिहास क्या रहा है और राजा महाबली के दादा कौन थे।

अगर आपको इन सब के बारे में तनिक भी जानकारी नहीं है तो आप हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहे क्योंकि इस लेख में हम इन्हीं सभी के बारे में जानने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को बिना देरी किए हुए।


Contents show

1 mahabali ke dada kaun the | महाबली के दादा कौन थे ?

2 राजा महाबली कौन थे ?

3 महाबली का जीवनी – (राजा महाबली का इतिहास)

4 राजा बलि व ओणम त्योहार

5 राजा बलि के पूर्वज कौन थे?

6 राजा बलि के दादा कौन थे?

7 राजा बलि का जन्म कब हुआ था?

8 ( अंतिम शब्द )

mahabali ke dada kaun the | महाबली के दादा कौन थे ?

महाबली के दादा नाम ” प्रह्लाद ” था, ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि महाबली  प्रह्लाद का वंसज है। राजा महाबली का इतिहास भी काफी रोचक रहा है इन्होंने अपने प्रजा के लिए बहुत कुछ किया और यह प्रजा के दिल में इस कदर से बस गए कि इनके आने की खुशी में प्रजा एक त्यौहार भी मन आने लगी।

केरल का प्राचीनकालीन राजा महाबली था,  ऐसा माना जाता है कि राजा महाबली जन्मसिद्ध से ही असुर था और वह असुर की तरह व्यवहार भी कर रहा था। मगर आगे चलके उसके साथ कुछ ऐसी घटना हुई कि वह एकदम से पलट गया और ऐसा माना जाता है कि वह जितना पहले खराब था उससे कई ज्यादा बढ़िया हो गया।


 राजा महाबली कौन थे ?

महाबली प्राचीन काल का एक राजा था और ऐसा माना जाता है कि यह राजा एक असुर यानी कि राक्षस था और यह जन्म सिद्ध अशूर था। राजा महाबली जानबूझकर अशूर नहीं बना था बल्कि जो अपने पूर्वजों के वजह से अशूर परिवार में जन्म लिया था और इसे अशूर कहा गया था मगर आगे चलकर इसने अपने सारे पापों को धो दिए।

इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि राजा महाबली अपने दादा प्रह्लाद के परामर्श के कारण  राजगद्दी पर बैठने में कामयाब रहा। असुरों का राजा होने के नाते उनका  प्रसाशनिक क्षमता और नीतिशस्त्र अद्वितीय थी। राजा महाबली असुर परिवार से बिलॉन्ग करने के बाद भी वह देवताओं और भगवान का सम्मान करता था और आपनी उदारता के लिए जाना जाता था।

राजा महाबली राजा के योग्य होने के साथ-साथ वह महत्वकांक्षी भी था। राजा महाबली कितना भी देवताओं का सम्मान और आदर करें मगर वह आता तो असुर परिवार से ही था और इसी के वजह से कुछ कुछ आदतें उस मे असुर जैसा भी था ।

ऐसा माना जाता है कि वह ब्रह्मांड के तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करना चाहता था और वह पृथ्वी पताल परलोक का सम्राट बनना चाहता था। इसी चाह के वजह से उसने देवताओं और भगवान के विरुद्ध जाकर उनके खिलाफ जंग छेड़ दिया और उनसे युद्ध करने का मन बनाया।

राजा महाबली अपने चाह के वजह से राजा इंद्र को हरा दिया और परलोक पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया वह तीनों लोगों पर विजय प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ता रहा मगर कुछ कारणों की वजह से उसको यह सब छोड़ना पड़ा और एक उदार व्यक्ति बनना पड़ा।


महाबली का जीवनी – (राजा महाबली का इतिहास)

हमने ऊपर के टॉपिक में जाना कि राजा महाबली का दादाजी का नाम क्या था और महाबली कौन था, अब हम इस टॉपिक में जानेंगे महाबली के जीवनी के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं इस टॉपिक को ।

राजा बलि का पूरा नाम महाबली था और वह प्राचीनकाल में केरल के राजा हुवा करता था। महाबली के पिता का नाम विरोचन था तथा उनके माता का नाम विशालाक्षी था। राजा महाबली प्रह्लाद के पोते थे और प्रह्लाद महाबली का दादा लगते थे जो भगवान विष्णु के प्रिय भक्त थे।

ऐसा माना जाता है कि राजा महाबली अपने पिता विरोचन की देवराज इंद्र के द्वारा छल और दोखे से हत्या कर देने के बाद राजा बलि तीनों लोकों के सम्राट बने थे और तीनों लोकों पर राज किये थे। राजा महाबली वास्तव में  अत्यंत पराक्रमी और शक्तिशाली  था ।

राजा महाबली इसी के बल पर उसने तीनों लोकों पर अपना राज्य स्थापित कर के उस पर राज भी किया था। राजा महाबली की राजधानी दक्षिण भारत में केरल थी।


राजा बलि व ओणम त्योहार

ऐसा माना जाता है कि राजा बलि अपने सभी चीज को दान देने के बाद पाताल में रहने चले जाते हैं और पताल में रहने से पहले वह भगवान से एक निवेदन करते हैं कि वह वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिल सके, तब भगवान उन्हें आज्ञा देते हैं।

 कि वह ओणम पर्व के दिन अपने प्रजा से मिल सकते हैं और इसीलिए ओणम त्यौहार मनाया जाता है क्योंकि केरल के लोग अपने रजा के प्रति प्रेम को दर्शाते हैं और उनके आने की खुशी में इस त्योहार को मनाते हैं।


राजा बलि के पूर्वज कौन थे?

राजा बलि के पूर्वज प्रह्लाद थे, क्योंकि इनसे ही राजा महाबली के पूर्वजों का शुरुआत हुआ था, और अगर यह ना होते तो शायद ही राजा महाबली इस दुनिया में आ पाते तो राजा महाबली का पूर्वज यह ही है।


राजा बलि के दादा कौन थे?

राजा बलि के दादा प्रह्लाद थे, और इनके माता पिता का नाम विरोचन तथा विशालाक्षी था।


राजा बलि का जन्म कब हुआ था?

राजा बलि का जन्म विरोचन तथा विशालाक्षी से हुवा था, इनके जन्म के पीछे भी एक रोचक कहानी है।


( अंतिम शब्द )

दोस्तों उम्मीद करता हूं कि आपको मेरा यह लेख बेहद पसंद आया होगा और आप इस लेख के मदद से जान चुके होंगे कि राजा महाबली का दादा कौन थे।

हमने इस लेख में सरल से सरल भाषा का उपयोग करके आपको राजा महाबली के बारे में बताने की कोशिश की है क्योंकि अक्सर इस से जुड़ा सवाल हमारे परीक्षाओं में पूछा जाता है।

और कई सारे लोग हैं जो इसके बारे में जानना चाहते हैं और वह जान नहीं पाते हैं, तो उन्ही सभी लोगो के लिए हमने इस लेख को लिखा है।

राजा बलि पिछले जन्म में कौन थे?

राजा बलि के पूर्वज प्रह्लाद थे। जो कि भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। पुराणों में वर्णित हिंदू कथाओं को मानें तो राजा बलि पूर्वजन्म में जुआरी थे

राजा बलि कौन सी जाति के थे?

पुराकाल में “बलि” (Raja Bali) नाम से एक महापराक्रमी राजा थे । उनका जन्म असुर-वंश में हुआ था और ये असुरों के ही राजा थे तथा वे बड़े न्याय-निष्ठ और दानी थे । ये महाराज प्रह्वाद के पौत्र और विरोचन के पुत्र थे

राजा बलि के वंशज कौन है?

ऐसे हुई बलि की उत्पत्ति : कश्यप ऋषि की पत्नी दिति के दो प्रमुख पुत्र हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष थे। हिरण्यकश्यप के 4 पुत्र थे- अनुहल्लाद, हल्लाद, भक्त प्रह्लाद और संहल्लाद। प्रह्लाद के कुल में विरोचन के पुत्र राजा बलि का जन्म हुआ। जब हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष का जन्म हुआ था, तब धरती पर अंधकार छा गया था।

राजा बलि की मृत्यु कैसे हुई?

वह किष्किन्धा का राजा था, इन्द्र का पुत्र बताया जाता है तथा बंदरों के रूप थे। राम रूपी विष्णु ने उसका वध किया।