सेकंड क्लास के डिब्बे में लेखक के अचानक आ जाने से नवाब साहब के एकांत चिंतन में विघ्न पड़ गया? उनके चिंतन के बारे में लेखक ने क्या अनुमान लगाया? Show Solutionसेकंड क्लास के जिस डिब्बे में नवाब साहब अब तक अकेले बैठे थे वहाँ अचानक लेखक के आ जाने से उनके एकांत चिंतन में विघ्न पड़ गया। उसके बारे में लेखक ने यह अनुमान लगाया कि ये भी शायद किसी कहानी के लिए नई सूझ में होंगे या खीरे जैसी साधारण वस्तु खाने के संकोच में पड़ गए होंगे। Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? APPEARS INनिम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
178 Views लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं? लेखक ने डिब्बे में प्रवेश किया तो वहाँ पहले से ही एक सज्जन पुरुष पालथी लगाए सीट पर बैठे थे। उनके सामने खीरे रखे थे। लेखक को देखते ही उनके चेहरे के भाव ऐसे हो गए जैसे लेखक का आना अच्छा नहीं लगा। ऐसा लग रहा था जैसे लेखक ने उनके एकांत चिंतन में विघ्न डाल दिया था। इसीलिए वे परेशान हो जाते हैं। परेशानी की स्थिति में कभी खिड़की के बाहर देखते हैं और कभी खीरों को देखते हैं। उनकी असुविधा और संकोच वाली स्थिति से लेखक को लगा कि नवाब उनसे बातचीत करने में उत्सुक नहीं है। 700 Views नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंतत: सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है? नवाब साहब ने बहुत नजाकत और सलीके से खीरा काटा, उन पर नमक-मिर्च लगाया। उन नमक-मिर्च लगी खीरे की फाँकों को खाया नहीं अपितु सूँघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया था। उनकी इस हरकत का यह कारण होगा कि वे एक नवाब थे, जो दूसरों के सामने खीरे जैसी आम खाद्य वस्तु खाने में शर्म भव करते थे। लेखक को अपने डिब्बे में देखकर नवाब को अपनी रईसी याद आने लगी। इसीलिए उन्होंने खीरे को मात्र सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। नवाब साहब के ऐसा करने से ऐसा लगता है कि वे दिखावे की जिंदगी जी रहे हैं। वे दिखावा पसंद इंसान थे। उनके इसी प्रकार के स्वभाव ने लेखक को देखकर खीरा खाना अपमान समझा। गुड -शक्कर, मूँगफली, तिल, चाय, कॉफी आदि का प्रयोग किया जाता है। बरसात में कई लोग कढ़ी खाना अच्छा नहीं समझते। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी को चावल नहीं खाने चाहिए। 633 Views निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
77 Views ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के लेखक यशपाल हैं। लेखक इस पाठ के माध्यम से यह बताना चाहता है कि बिना पात्रों, घटना और विचार के भी स्वतंत्र रूप से रचना लिखी जा सकती है। इस रचना के माध्यम से लेखक ने दिखावा पसंद लोगों की जीवन शैली का वर्णन किया है। लेखक को रेलगाड़ी के डिब्बे में एक नवाब मिलता है। नवाब बड़े सलीके से खीरे को खाने की तैयारी करता है लेकिन उसे लेखक के सामने खीरा खाने में संकोच होता है इसलिए अपने नवाबी अंदाज में लजीज रूप से तैयार खीरे को केवल सूँघकर खिड़की के बाहर फेंक देता है। नवाब के इस व्यवहार से लगता है कि वे लोग आम लोगों जैसे कार्य एकांत में करना पसंद करते हैं उन्हें लगता है कि कहीं किसी के देख लेने से उनकी शान में फर्क न आ जाए। आज का समाज भी ऐसी ही दिखावा पसंद संस्कृति का आदी हो गया है। 3450 Views निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
123 Views रेल के डिब्बे के बारे में लेखक का क्या अनुमान था?उनके सामने की बर्थ पर एक तौलिया बिछा था। उस पर दो ताजे-चिकने खीरे रखे थे। <br> (घ) जैसे ही लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में चढ़ा, लखनवी नवाब-से सज्जन असुविधा महसूस करने लगे। ऐसे लगा मानो उनके एकांत में बाधा पड़ गई हो ।
रेल के डिब्बे में चढ़ते ही लेखक के अनुमान के प्रतिकूल क्या हो गया लखनवी अंदाज पाठ के आधार पर बताइए?(च) नवाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक-मिर्च के संयोग से चमकती खीरों की फाँकों की ओर देखा । (क) एक सफेदपोश सज्जन बहुत सुविधा से पालथी मारे बैठे क्रियाभेद - संयुक्त क्रिया ।
ट्रेन में चढ़ते समय लेखक ने क्या अनुमान लगाया था?उत्तरः लेखक ने नवाब साहब के असुविधा और संकोच के कारणों का यह अनुमान लगाया कि नवाब साहब ने अकेले यात्रा करने के उद्देश्य से सेकंड क्लास का टिकट खरीदा होगा। प्रश्न (ग). डिब्बे में चढ़ने पर लेखक ने नवाब साहब के मूड को देखकर क्या किया?
लेखक के अनुमान के प्रतिकूल क्या है?Solution : लेखक का अनुमान था, कि डिब्बे में कोई यात्री नहीं होगा, परंतु उनके अनुमान के विपरीत एक नवाबी स्वभाव वाले सफेदपोश सज्जन डिब्बे में, बर्थ पर पालथी मारे बैठे थे।
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