राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ : राष्ट्र निर्माण मुख्य तौर पर तीन चुनौतियाँ थी - Show (i) तात्कालिक चुनौतियाँ : (ii) लोकतंत्र को कायम करने की : (iii) सबके भलाई के लिए विकास : भारतीय राष्ट्र की विशेषताएँ : भारतीय राष्ट्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं - (i) सामान्य मातृभूमि : भारतीय लोग अपने जन्मभूमि को मातृभूमि मानते है, एक ही स्थान में या प्रदेश में जन्म लेने वाले व्यक्ति मातृभूमि से प्यार करते है और इस प्यार के कारण सभी लोग भावनात्मक रूप से एक दुसरे से जुड़ जाते हैं और भावना में बंध जाते हैं | बहुत से विदेशों में रहने वाले भारत के लोग खुद को भारतीय राष्ट्रीयता का अंग मानते है | (ii) सामान्य इतिहास : सामान्य इतिहास भी भारतीय राष्ट्र की एक प्रमुख विशेषता है | सामान्य इतिहास होने के कारण सभी में एकता की भावना होती है | (iii) समान्य हित : भारतीय राष्ट्र के लिए समान्य हित एक महत्वपूर्ण तत्व है | यदि लोगों के समाजिक, आर्थिक, राजनितिक तथा धार्मिक हित समान हो तो उन उनमें एकता रहना स्वाभाविक बात है | (iv) भौगोलिक एकता : भारतीय राष्ट्र भौगोलिक रूप से स्वयं को एक समझता है, जिससे राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न होती है | यही राष्ट्रवाद भारत को एक सूत्र में बाँधता है | जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक और गुजरात से पूर्वोत्तर के राज्यों तक भारत एक राष्ट्र है | राष्ट्र निर्माण की तात्कालिक चुनौतियाँ : (i) एकता के सूत्र में बंधे एक ऐसे भारत को गढ़ने की जिसमें भारतीय समाज की सारी विविधताओं के लिए जगह हो | (ii) यहाँ अलग-अलग भाषा-बोली, अलग अलग संस्कृति और अलग-अलग धर्मों और मतों के अनुयायी थे जिनकों एकजुट रखना था | (iii) भारत को अखंडता को बनाये रख पाना | राष्ट्र निर्माण की लोकतान्त्रिक चुनौतियाँ : (i) देश पहली बार लोकतान्त्रिक शासन में कार्य करने जा रहा था | ऐसी स्थिति जिसका अनुभव किसी भी राष्ट्र निर्माता को नहीं था | (ii) भारत ने संसदीय शासन पर आधारित प्रतिनिधिमुलक लोकतंत्र को अपनाया जिससे यह सुनिश्चित हो गयी कि लोकतान्त्रिक ढाँचे के भीतर राजनितिक मुकाबले होंगे | (iii) इस लोकतंत्र को कायम रखने के लिए सर्वहितकारी और सभी द्वारा मान्यता प्राप्त एक लोकतांत्रिक संविधान की आवश्यकता थी | (iv) चुनौती यह भी थी कि संविधान से मेल खाते लोकतांत्रिक व्यवहार-बरताव चलन में आयें | राष्ट्र निर्माण में सबके विकास की चुनौती : (i) राष्ट्र निर्माता एक ऐसे विकास की कल्पना करते थे जिसमें समूचे समाज का भला हो न कि कुछ तबकों का | उनके समक्ष सबके विकास की चुनौती थी | (ii) इसके लिए संविधान में यह बात साफ कर दी गई थी कि सबके साथ समानता का बरताव किया जाए और समाजिक रूप से वंचित तबकों तथा धार्मिक-सांस्कृतिक अल्पसंख्यक समुदायों को विशेष सुरक्षा दी जाए | (iii) लोक-कल्याण के लिए संविधान ने "राज्य के निति-निर्देशक सिंद्धांतों" को भी स्पष्ट किया गया | इसे पूरा करने की जिम्मेवारी राजनितिक बिरादरी को दी गई | (iv) इसके बाद असली चुनौती आर्थिक विकास तथा गरीबी के खात्में के लिए कारगर नीतियों को तैयार करने की थी | द्वि-राष्ट्र सिद्धांत : इस सिद्धांत के अनुसार भारत किसी एक कौम का नहीं बल्कि 'हिन्दू' और 'मुसलमान' नाम की दो कौमों का देश था और इसी कारण मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए एक अलग देश यानि पाकिस्तान की माँग की | कांग्रेस द्वारा पाकिस्तान की माँग मानने का कारण : (i) सन 1940 के दशक में राजनितिक मोर्चे पर कई बदलाव आए | (ii) कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच राजनितिक प्रतिस्पर्धा (iii) ब्रिटिश-शासन की भूमिका जैसी कई बातों का जोर रहा नतीजन, पाकिस्तान की माँग मन ली गई | भारत विभाजन की प्रक्रिया : (i) विभाजन की प्रक्रिया में तय हुआ कि जिस भू-भाग को अबतक इंडिया के नाम से जाना जाता था उसे 'भारत' और पाकिस्तान नाम के दो देशों के बीच बाँट दिया जायेगा | (ii) यह विभाजन दर्दनाक के साथ-साथ अमल में लाना और भी कठिन भी था | (iii) यह भी तय हुआ कि धार्मिक बहुसंख्या को विभाजन का आधार बनाया जायेगा | इसका अर्थ यह था कि जिस इलाके में हिन्दू बहुसंख्यक है वह भारत में होगा और जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक है वह पाकिस्तान में होगा | भारत विभाजन में समस्यायें : (i) ब्रिटिश इंडिया में कोई एक भी इलाका ऐसा नहीं था जहाँ मुसलमान बहुसंख्यक हो | ऐसे दो इलाके थे जहाँ मुसलमानों की आबादी ज्यादा थी | एक इलाका पश्चिम में और दूसरा पूर्व में था | (ii) ऐसा कोई तरीका नहीं था इन दो अलग-अलग इलाकों को जोड़कर एक में कर दिया जाए | इस पराक्र तय हुआ कि पाकिस्तान में दो इलाके शामिल होंगे पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान | (iii) समस्या यह भी थी कि हर मुसलमान बहुल इलाका पाकिस्तान में जाने को राजी नहीं था | (iv) 'ब्रिटिश इंडिया' के मुस्लिम-बहुल प्रान्त पंजाब और बंगाल में अनेक हिस्से बहुसंख्यक गैर-मुस्लिम आबादी वाले थे | ऐसे में फैसला हुआ कि इन दोनों प्रान्तों में भी बँटवारा धार्मिक बहुसंख्यकों के आधार पर होगा और इसमें जिले अथवा इसमें निचले स्तर के प्रशासनिक हलके को आधार माना जायेगा | (v) विभाजन की सबसे अबूझ कठिनाई 'अल्पसंख्यकों' की थी | सीमा के दोनों और अल्पसंख्यक थे | भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक थे तो पाकिस्तान में हिन्दू और सिख लाखों की संख्या में थे | ये लोग अपने ही देश में विदेशी बन गए थे | (vi) विभाजन की खबर के बाद से ही हिंसा शुरू हो गई और बाद में यह हिंसा नियंत्रण से बाहर हो गयी | ATP Education ATP Education 4 राष्ट्र निर्माण से क्या आशय है?राष्ट्र निर्माण का सही वास्तविक अर्थ नागरिकों के चरित्र निर्माण व उनके व्यक्तित्व के निखार में है । नीतिगत व मूल्यों पर आधारित शिक्षा से नागरिकता के निर्माण करने में सर्वप्रथम दायित्व माँ बाप का होता है ।
राष्ट्र निर्माण की कौन कौन सी?सन् 1947 के 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को हिंदुस्तान आज़ाद हुआ । स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस रात संविधान सभा के एक विशेष सत्र को संबोधित किया था। उनका यह प्रसिद्ध भाषण 'भाग्यवधू से चिर-प्रतीक्षित भेंट' या 'ट्रिस्ट विद् डेस्टिनी' के नाम से जाना गया।
राष्ट्र निर्माण से आप क्या समझते हैं?इसलिए राष्ट्र निर्माण का अर्थ यही है वह राष्ट्र जो अपने इतिहास एवं संस्कृति के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए प्रयत्नशील हो एवम अपनी संस्कृति को मानने वाले एवं सम्मान करने वाले लोगो के द्वारा संचालित हो ऐसे राष्ट्र का निर्माण ही राष्ट्र निर्माण है।
राष्ट्र निर्माण की कौन कौन सी चुनौतियां हैं?🔹 मुख्य तौर पर भारत के सामने तीन तरह की चुनौतियाँ थी । 🔹 भारत अपने आकार और विविधता में किसी महादेश के बराबर था । यहाँ विभिन्न भाषा , संस्कृति और धर्मो के अनुयायी रहते थे , इन सभी को एकजुट करने की चुनौती थी । 🔹 भारत ने संसदीय शासन पर आधारित प्रतिनिधित्व मूलक लोकतंत्र को अपनाया है ।
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