राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कौन करता है? - raashtreey aapaatakaal kee ghoshana kaun karata hai?

National Emergency Definition, Introduction, Types: Article 352 : एक आपातकाल एक अस्थायी स्थिति होती है, जो किसी राज्य की क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर घोषित की जाती है, जिसके दौरान उसके नागरिकों की कुछ मौलिक अधिकार निलंबित रहती हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, ऐसे राष्ट्र में यह केवल वैध तरीकों से लागु हो, और कुछ मुख्य मानवाधिकारों जैसे कि जीवन का अधिकार, यातना न सहने का अधिकार, और जबरन श्रम का निषेध आपातकाल की स्थिति में भी लागू रहते है। इस लेख में, हम आपातकाल से संबंधित महत्वपूर्ण नोट्स और बिंदु प्रदान कर रहे हैं। यह सभी सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए सामान्य ज्ञान का एक महत्वपूर्ण विषय है।

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आपातकाल के नोट्स : परिचय

भारत के राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं यदि उन्हें यह आश्वासन दिया जाता है कि यह उचित है और किसी भी राज्य के प्रशासन के डायरेक्ट चार्ज के अंतर्गत लिया गया है। राष्ट्रपति को आपातकाल घोषित करने से पहले कैबिनेट से लिखित सिफारिश लेनी होती है।

  • संविधान के भाग XVIII में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकाल के प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। ये सभी प्रावधान केंद्र सरकार को किसी भी असामान्य स्थिति से निपटने में सक्षम बनाता हैं।
  • आपातकाल के समय, केंद्र सरकार शक्तिशाली हो जाती है और राज्य केंद्र के कुल नियंत्रण में चले जाते हैं। यह संविधान के किसी भी औपचारिक संशोधन के बिना लोकतंत्र के संघीय ढांचे को एकात्मक में परिवर्तित करता है। सामान्य समय के संघीय व्यवस्था से आपातकाल के दौरान एकात्मक राजनीतिक व्यवस्था में इस तरह का परिवर्तन भारतीय संविधान की एक अनूठी विशेषता है।

आपातकाल के प्रकार(National Emergency Notes: Types)

देश के संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए भारत के संविधान में आपातकालीन प्रावधान लिखे गए हैं। संविधान में उल्लिखित 3 आपातकाल हैं।

  1. राष्ट्रीय आपातकाल: भारत के राष्ट्रपति युद्ध, बाहरी आक्रमण या किसी सशस्त्र विद्रोह के मामले में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। खतरे की घटना से पहले ही राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं यदि राष्ट्रपति को लगता है कि आसन्न नजदीक है। राष्ट्रीय आपातकाल को युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर घोषित किया जाता है, इसे ‘बाह्य आपातकाल’ कहा जाता है। 44 वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा ‘आंतरिक गड़बड़ी’ के स्थान पर ‘सशस्त्र विद्रोह’ शब्द किया गया।

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उत्तर-पूर्व सीमा एजेंसी पर चीनी आक्रमण के दौरान 1962 में भारत में पहली बार राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया गया था। दूसरा राष्ट्रीय आपातकाल 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के दौरान घोषित किया गया थाआंतरिक अव्यवस्था के कारण जून 1975 में तीसरा आपातकाल घोषित किया गया था।

2. राज्य आपातकाल: अनुच्छेद 355 के तहत, यह सुनिश्चित करना केंद्र की ड्यूटी है कि हर राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार चलती है। नतीजतन, अगर किसी राज्य में संवैधानिक ढांचे की विफलता है, तो केंद्र राज्य सरकार, अनुच्छेद 356 के अंतर्गत उसे अपने नियंत्रण में ले सकती है। इसे राज्य आपातकाल/राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है। 1951 में पहली बार पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।

3. वित्तीय आपातकाल: अनुच्छेद 360 के तहत भारत के राष्ट्रपति के पास वित्तीय आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति होती है। यदि राष्ट्रपति को यकीन है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि भारत की वित्तीय स्थिरता और भारत का ऋण या इसके किसी भी हिस्से में संकट है, तो वे उस समय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। ऐसे सभी उद्घोषणाएं राष्ट्रपति द्वारा लगाई या निरस्त की जा सकती हैं। उद्घोषणा के बाद 1 महीने के भीतर वित्तीय आपातकाल को संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक होता है। एक बार जब यह मंजूर हो जाता है, तो यह तब तक रहेगा जब तक कि राष्ट्रपति इसे वापस नहीं लेते।

राष्ट्रीय आपातकालीन नोट्स: अनुच्छेद 352(National Emergency Notes: Article 352):

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अनुसार, यदि भारत के राष्ट्रपति को लगता है कि बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण भारत की सुरक्षा को खतरा है तो राष्ट्रपति पूरे भारत या किसी एक हिस्से में आपातकाल की घोषणा जारी कर सकते हैं। आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा बाद में रद्द की जा सकती है। अनुच्छेद 352 के तहत बनाए गए आपातकाल की उद्घोषणा न्यायिक समीक्षा के अधीन की जा सकती है और इसे अदालत में मलफाइड के आधार पर संविधान के अनुसार चुनौती दी जा सकती है। घोषणा को एक महीने के भीतर संसद (राज्यसभा और लोकसभा) के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
इसके कार्यान्वयन के दौरान, राज्य कार्यपालिका और विधायिका संविधान के तहत उन्हें सौंपी गई शक्तियों और अभ्यास जारी रखती हैं। केंद्र सरकार को राज्य के समवर्ती प्रशासन और विधायी शक्तियां प्राप्त हैं।

आपातकाल के नोट्स: FAQs

Q. राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने के लिए संविधान में “सशस्त्र विद्रोह” शब्द कब जोड़ा गया था?

Ans.44 वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा ‘आंतरिक गड़बड़ी’ के स्थान पर ‘सशस्त्र विद्रोह’ शब्द किया गया ।

Q. राष्ट्रीय आपातकाल को संसद द्वारा कितने दिन के अंदर मंजूर किया जाना चाहिए?

Ans.आपातकाल की घोषणा के बाद 1 महीने के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।

Q. युद्ध, बाहरी आक्रमण और सशस्त्र विद्रोह के मामले में किस तरह का आपातकाल लगाया जाएगा?

Ans.युद्ध, बाहरी हमले और सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में राष्ट्रीय आपातकाल लगाया जाता है।

Q. आपातकाल की घोषणा कौन करता है?

Ans. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति,आपातकाल की घोषणा करते  हैं।

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राष्ट्रपति किसकी सलाह पर आपातकाल की घोषणा करता है?

प्रतियोगी परिक्षाओं में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण तथ्य: 1976 के 42वें संशोधन अधिनियम के अनुसार राष्ट्रपति, राष्ट्रीय आपातकाल को देश के किसी विशिष्ट भाग तक सीमित कर सकते हैं। राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा मंत्रिपरिषद से लिखित अनुशंसा प्राप्त करने के बाद ही की जा सकती है।

राज्य में आपात स्थिति की घोषणा कौन करता है?

भारत के राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं यदि उन्हें यह आश्वासन दिया जाता है कि यह उचित है और किसी भी राज्य के प्रशासन के डायरेक्ट चार्ज के अंतर्गत लिया गया है। राष्ट्रपति को आपातकाल घोषित करने से पहले कैबिनेट से लिखित सिफारिश लेनी होती है।

राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कब सकता है?

आपातकाल तीन तरह के होते हैं. पहला है राष्ट्रीय आपातकाल अनुच्छेद 352 में इसका जिक्र मिलता है. नेशनल इमरजेंसी तब लागू की जा सकती है जब युद्ध, बाहरी आक्रमण और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो, इसमें आम नागरिकों के सारे अधिकार छीन लिए जाते हैं. नेशनल इमरजेंसी को कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा लागू कर सकते हैं.

राष्ट्रपति को कितने प्रकार के आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार है?

– भारत में राष्ट्रीय आपातकाल अब तक 3 बार घोषित किया जा चुका है – पहला आपातकाल 1962 में (चीन युद्ध के कारण), दूसरा आपातकाल 1971 में (पाकिस्तान युद्ध के कारण), और तीसरा आपातकाल 1975 में (आंतरिक अशांति के कारण) लगाया जा चुका है।