हम जानते हैं कि ‘जल्दी सो जाना और जल्दी उठना’ जैसी थ्योरी फॉलो करना कितना मुश्किल है। हम में से ज्यादातर लोग ठीक इसका उल्टा करते हैं। कई बार हम देर रात तक जागे होते हैं।.कारण चाहे कुछ भी हो, सोशल मीडिया पर समय बिताना, किसी से बात करना, रात में पढ़ाई करना या किसी प्रोजेक्ट पर काम करना, या फिर केवल नींद ना आने के कारण ही जगे होते हैं। परिणाम यही होता है कि नींद पूरी नहीं कर पाते और सुबह उठकर फिर से काम में लग जाते हैं और इसके बाद पूरे दिन सुस्ती महसूस होती रहती है। Show
अब जब पूरा दिन थका-थका और बीमार महसूस कर रहे होते हैं तो काम कैसे होगा। आलस के कारण आप ना तो काम कर सकते हैं और ना ही वापस घर जा सकते हैं। फिर हम प्लानिंग करते हैं वापस सोने की। सोचते हैं कि रात को समय से सो जाएंगे ताकि नींद पूरी हो जाए और अगले दिन फिर से ऐसा ना हो। दिनभर सुस्ती महसूस होना कोई मजे की बात तो नहीं है और हम यह अच्छे से समझते हैं, क्योंकि हम सभी कभी न कभी इस स्थिति से गुजर चुके हैं। फोन पर करिए ये 5 काम और पाइए बेहतर नींद यही हर रोज होता है जिसके कारण हम सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है। क्यों हम रात में ठीक से सो नहीं पा रहे हैं। क्या हम ठीक से खा नहीं रहे हैं, क्या ज्यादा सोचने के कारण ऐसा हो रहा है। हालांकि किसी सही कारण जाने बगैर आप इस समस्या का सॉल्यूशन भी नहीं कर सकते। इसलिए जरूरी है ये जानना कि क्यों आप रात में करवटें बदल रहे हैं और फिर दिनभर इसके प्रभावों का सामना कर रहे हैं। नींद ना आने के पीछे कई छोटी या गंभीर समस्याएं हो सकती हैं जिन्हें अनदेखा किया जाना उचित नहीं है। Table of Contents
नींद ना आने का कारणअगर रात को नींद ना आने (raat ko neend na aana) की समस्या है और आप अपनी रातें केवल करवटें बदल कर गुजार रही हैं तो इसके पीछे ये कारण हो सकते हैं :- तनाव (stress)नींद ना आने के पीछे सबसे आम वजह तनाव हो सकती है। तनाव होने पर शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है जो कि एक स्ट्रेस हार्मोन है। इसके कारण शरीर आराम की स्थिति में नहीं रह पाता और ब्रेन एक्टिव रहता है जिससे नींद आना मुश्किल हो जाता है। रिसर्च भी बताती हैं कि तनाव को नींद ना आने का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि जिस चीज से आपका तनाव बढ़ रहा है उसकी भूमिका भी आपकी नींद को बाधित करने में काफी अहम है। स्लीप एप्निया (Sleep Apnea)स्लीप एप्निया एक स्लीप डिसऑर्डर (नींद विकार) है जिसके कारण या तो नींद पूरी नहीं होती या पूरी नींद के बाद भी आप थका-थका महसूस करते हैं। रात में सोते वक्त बार-बार सांस लेने में परेशानी होने के कारण बार-बार नींद खुल जाती है जिससे आप क्वालिटी स्लीप (बढ़िया नींद) नहीं ले पाते हैं और अधिक समय सोने के बाद भी अगले दिन आलस महसूस होता है। 5 योगासन जो अच्छी नींद पाने में कर सकते हैं मदद डिहाइड्रेशन (Dehydration)अपने बिजी शेड्यूल के कारण हम दिनभर उचित मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करना अक्सर भूल जाते हैं। पानी पीने में हमारी लापरवाही भी हमारी थकान बढ़ा देती है, और ऐसे में सिरदर्द की आशंका बढ़ जाती है। यही कारण है कि आपका दिन भर का काम प्रभावित होता है। रिसर्च बताते हैं कि क्रॉनिक डिहाइड्रेशन भी नींद ना आने की वजह बन सकती है। इन्सोम्निया (insomnia)अगर आपको रात में नींद ना आने, बार-बार नींद खुल जाने, रात में नींद ना खुलने के बाद दोबारा सो पाने में दिक्कत और सुबह भी जल्दी नींद खुल जाने जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो यह इन्सोम्निया हो सकता है। इन्सोम्निया एक ऐसा स्लीप डिसऑर्डर है जो आपको रात में नींद ना आने और दिनभर थका हुआ महसूस करने का कारण हो सकता है। बहुत अधिक मात्रा में कैफीन का सेवनखासतौर पर ऑफिस में काम करते समय जब हमारी एनर्जी खत्म होने लगती है और हमें नींद आ रही होती है तो हमें कॉफी बहुत लुभाती है। लेकिन इसकी अधिक मात्रा हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव भी डाल सकती है। जब हम इसका सेवन करते हैं तो कैफीन का प्रभाव हमारे शरीर में लंबे समय तक बना रहता है। यह हमारे शरीर में एड्रिनल हॉरमोन को बढ़ाता है जिससे हम दोबारा एक्टिव और एनर्जेटिक हो जाते हैं। जैसे ही हमारे शरीर से इसका प्रभाव कम होने लगता है तो हम अचानक फिर से थकावट महसूस करने लगते हैं। इसलिए चाय-कॉफी का सेवन कम करें। सोने से पहले फोन इस्तेमाल करनासिम्पल दिखने वाली इस आदत को छोड़ पाना बेहद मुश्किल है। फोन से निकलने वाली आर्टिफिशियल लाइट, ब्रेन को यह संकेत देती है कि उसे जागते रहना है क्योंकि यह दिन के प्रकाश जैसी लगती है। यह धोखा हमारी प्राकृतिक लय (circadian rhythm) को बिगाड़ देता है। जिससे रात में नींद कम आती है और फिर सारा दिन थका-थका महसूस होता है। वीकेंड पर देर से सोना और देर से उठनाहम सभी वीकेंड पर खुद को ये गिफ्ट देते हैं। हम शक्रवार और शनिवार की रात को देर तक जागते और टीवी, वेब सीरीज देखते रहते हैं जिसके चलते हम अगले दिन देर से उठते हैं। इस कारण हमारा स्लीप साइकल खराब हो जाता है। इसे बायोलॉजिकल क्लॉक (biological clock) भी कहा जाता है। इसका मतलब है कि हमारे शरीर को एक ही समय सोने की आदत होती है जिसे आप वीकेंड पर खराब कर लेती है और इससे नींद नहीं आती। गतिहीन लाइफस्टाइलअगर आप दिनभर बैठे रहकर काम करती हैं या किसी डेस्क जॉब में हैं तो यह एक कारण भी आपकी नींद को प्रभावित करता है। जब आप दिनभर निष्क्रिय रहती हैं या बहुत कम मूवमेंट करती हैं तो इससे आपको रात में बेहतर नींद नहीं मिल पाती, जिसके कारण आप दिनभर सुस्त और थकान महसूस करती हैं। अगर आप एक्सरसाइज करती हैं तो आप ख़ुद महसूस करेंगी कि वर्कआउट सेशन के बाद आपको रात में बेहतर नींद आती है। हम आशा करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अगर आप किसी विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहती हैं तो हमें आपके सवालों के जवाब देने में खुशी होगी। आप हमें सवाल कमेंट बॉक्स में लिख सकती हैं। Read iDiva for the latest in Bollywood, fashion looks, beauty and lifestyle news. नींद ना आने से कौन सी बीमारी हो सकती है?अनिद्रा या उन्निद्र रोग (इनसॉम्निया) में रोगी को पर्याप्त और अटूट नींद नहीं आती, जिससे रोगी को आवश्यकतानुसार विश्राम नहीं मिल पाता और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बहुधा थोड़ी सी अनिद्रा से रोगी के मन में चिंता उत्पन्न हो जाती है, जिससे रोग और भी बढ़ जाता है।
नींद ना आने का मुख्य कारण क्या है?रात में सोने से पहले खाने की आदत
क्योंकि चाय और कॉफी में कैफीन होता है, जो एक उत्तेजक पदार्थ है. ये आपको जगाए रखता है. इसके अलावा सोने से कुछ घंटे पहले खाने से भी एसिड रिफ्लक्स होता है और इससे भी आपकी नींद प्रभावित होती है. साथ ही, शराब के सेवन से डिहाइड्रेशन होता है और आपकी नींद उड़ जाती है.
तुरंत नींद आने के लिए क्या करें?1- गुनगुने पानी से नहाएं- अगर आपको रात में नींद नहीं आती या फिर गहरी नींद नहीं सोते हैं तो सोने से पहले गुनगुने पानी से नहा लें. इससे आपकी तंत्रिकाओं और मांसपेशियों को आराम मिलेगा. आप काफी रिलेक्स महसूस करेंगे और इससे आपको अच्छी नींद आएगी. रात को नहाने से बॉडी टेपंरेचर कम हो जाका है जिससे नींद जल्दी आती है.
रात में नींद न आये तो क्या करना चाहिए?सोने से पहले गर्म पानी से शॉवर लें
रात के समय हमारे शरीर का तापमान थोड़ा ठंडा हो जाता है जो मस्तिष्क को बताता है कि यह मेलाटोनिन केमिकल को बनाने का समय है जो नींद में मदद करता है। शरीर का तापमान सुबह के समय सबसे कम होता है जो शरीर को नींद से जगाने के लिए तैयार करता है।
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