गौतमबुद्ध नगर: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में ग्रेटर नोएडा से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर बिसरख गांव है. इसे रावण का गांव माना जाता है. कहा जाता है कि यहीं पर लंकेश का जन्म हुआ था. इसलिए बिसरख में न रामलीला का आयोजन होता है और न ही रावण का दहन किया जाता है. क्योंकि ग्रामीणों के लिए रावण कोई राक्षस नहीं, बल्कि उनके बेटे जैसा है. जानकारी के मुताबिक, रावण के पिता विश्रवा ब्राह्मण ही थे. लेकिन, उन्होंने राक्षसों की राजकुमारी कैकसी से विवाह किया था. Show Dussehra 2021: बुराई पर विजय का पर्व दशहरा आज, पीएम मोदी, सीएम योगी ने दी देशवासियों को दी शुभकामनाएं देश खुशियां मनाता है और बिसरख मातम रामलीला आयोजित हुई, तो गांव में होने लगीं मौतें बिसरख में ही प्राप्त की रावण ने शिक्षा इन शिवलिंग की स्थापना रावण ने ही की WATCH LIVE TV आखिर रावण की श्रीलंका कहां थी? इस बारे में खोजकर्ता अपने-अपने मत रखते हैं जिनमें वे उन ऐतिहासिक तथ्यों को नजरअंदाज कर देते हैं, जो कि रामायण में बताए गए हैं या कि देशभर में बिखरे हुए हैं। एक शोधकर्ता लंका की स्थिति को आंध्रप्रदेश में गोदावरी के मुहाने पर बताते हैं तो दूसरे उसे मध्यप्रदेश के अमरकंटक के पास। हालांकि इनका सराहनीय शोधकार्य आने वाले शोधार्थियों को प्रेरणा दे सकता है। जरूरी है कि भारतीय इतिहास पर समय-समय पर शोधकार्य होते रहे और हम किसी एक निर्णय पर निष्पक्ष रूप में पहुंचे। अमरकंटक में थी लंका : लंका की स्थिति अमरकंटक में बताने वाले विद्वान हैं इंदौर निवासी सरदार एमबी किबे। इन्होंने सन् 1914 में 'इंडियन रिव्यू' में रावण की लंका पर शोधपूर्ण निबंध में प्रतिपादित किया था कि रावण की लंका बिलासपुर जिले में पेंड्रा जमींदार की पहाड़ी में स्थित है। बाद में उन्होंने अपने इस दावे में संशोधन किया और कहा कि लंका पेंड्रा में नहीं, अमरकंटक में थी। इस दावे को लेकर उन्होंने सन् 1919 में पुणे में प्रथम ऑल इंडियन ओरियंटल कांग्रेस के समक्ष एक लेख पढ़ा। जिसमें उन्होंने बताया कि लंका विंध्य पर्वतमाला के दुरूह शिखर में शहडोल जिले में अमरकंटक के पास थी। किबे ने अपना ये लेख ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में संपन्न इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ ओरियंटलिस्ट्स के 17वें अधिवेशन और प्राच्यविदों की रोम-सभा में भी पढ़ा था। हालांकि उनके दावे में कितनी सचाई है यह तो कोई शोधार्थी ही बता सकता है। किबे के दावे को दो लोगों ने स्वीकार किया। पहले हरमन जैकोबी और दूसरे गौतम कौल। पुलिस अधिकारी गौतम कौल पहले रावण की लंका को बस्तर जिले में जगदलपुर से 139 किलोमीटर पूर्व में स्थित मानते थे। कौल सतना को सुतीक्ष्ण का आश्रम बताते हैं और केंजुआ पहाड़ी को क्रौंचवन, लेकिन बाद में उन्होंने रावण की लंका की स्थिति को अमरकंटक की पहाड़ी स्वीकार किया। इसी तरह हरमन जैकोबी ने पहले लंका को असम में माना, पर बाद में किबे की अमरकंटक विषयक धारणा को उन्होंने स्वीकार कर लिया। इसी तरह रायबहादुर हीरालाल और हंसमुख सांकलिया ने लंका को जबलपुर के समीप माना, पर रायबहादुर भी बाद में किबे की धारणा के पक्ष में हो गए जबकि सांकलियाजी हीरालाल शुक्ल के पक्ष में हो गए। अन्य विद्वानों का मत : सन् 1921 में एनएस अधिकारी ने इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप को लंका सिद्ध करने के 20 साल बाद सीएम मेहता ने कहा कि श्री हनुमान ने विमान से समुद्र पार किया था और लंका की खोज ऑस्ट्रेलिया में करनी चाहिए। सन् 1904 में अयप्पा शास्त्री राशि वडेकर ने मत व्यक्त किया कि लंका सम्प्रति उज्जयिनी के समानांतर समुद्र तट से 800 मील दूर कहीं समुद्र में जलमग्न है। लंका की स्थिति भूमध्य रेखा पर मानने के कारण वाडेर ने आधुनिक मालदीव या मलय को लंका माना जबकि टी. परमाशिव अय्यर ने सिंगापुर से लेकर इन्द्रगिरि रिवेरियन सुमात्रा तक व्याप्त भूमध्यरेखीय सिंगापुर को लंका घोषित किया। 14वीं सदी में ज्योतिर्विद भास्कराचार्य ने लंका को उज्जयिनी की ही अक्षांश रेखा पर भूमध्य रेखा में स्थित माना था। एक विद्वान विष्णु पंत करंदीकर ने लंका को इंदौर जिले में महेश्वर के पास नर्मदा तट पर स्थित माना है। रावण कौन से जिले का था?उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में ग्रेटर नोएडा से करीबन 15 किमी दूर बसा बिसरख गांव है, जिसे रावण के गांव के रूप में जाना जाता है।
रावण कौन से राज्य का था?रावण लंका का राजा था। रावण श्री राम का परम शत्रु था अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिसके कारण उसका नाम दशानन (दश = दस + आनन = मुख) भी था परंतु आदिवासी सभ्यता के अनुसार रावण मतलब राजा।
रावण का जन्म स्थान कौन सा है?यहां है वो जगह...
- डॉ यदु के मुताबिक रावण की जन्मभूमि मनेंद्रगढ़ (छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में) है।
रावण का जन्म कौन से गांव में हुआ था?वैसे आपको बता दे की ग्रेटर नोएडा से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिसरख गांव का जिक्र शिवपुराण में भी किया गया है। ऐसा बताया जाता है की त्रेता युग में इस गांव में ऋषि विश्रवा का जन्म हुआ था। इसी गांव में उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी। उन्हीं के घर रावण का जन्म हुआ था।
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