संक्रमण रोग क्या है उदाहरण दीजिए? - sankraman rog kya hai udaaharan deejie?

लक्षण – कैंसर ग्रस्त रोगी के शरीर में गाँठे पड़ जाती हैं जो बढ़ती रहती हैं। रोकथाम के उपाय – कैंसरों के उपचार के लिए शल्यक्रिया, विकिरण चिकित्सा और प्रतिरक्षा चिकित्सा का प्रयोग किया जाता है। आजकल कीमोथैरेपी का प्रचलन बढ़ गया है क्योंकि इससे रोग के समाप्त होने की संभावना अधिक होती है।

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दोस्तों आपके द्वारा पूछा गया प्रश्न की संक्रमण रोग क्या है तो देखिए दोस्तों मैं आपको बता दूंगी संक्रमण लोगों में कुछ लोग तो ऐसे हैं जो पीड़ित व्यक्तियों के प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क या उनके लोगों उत्पादक विशिष्ट तत्वों से दूषित पदार्थों के सेवन एवं निकट संपर्क से एक दूसरे से व्यक्तियों पर संक्रमित हो जाते हैं इसी प्रक्रिया को संक्रमण यानी इन्फेक्शन कहते हैं धन्यवाद

doston aapke dwara poocha gaya prashna ki sankraman rog kya hai toh dekhiye doston main aapko bata dungi sankraman logo me kuch log toh aise hain jo peedit vyaktiyon ke pratyaksh athva apratyaksh sampark ya unke logo utpadak vishisht tatvon se dushit padarthon ke seven evam nikat sampark se ek dusre se vyaktiyon par sankrameet ho jaate hain isi prakriya ko sankraman yani infection kehte hain dhanyavad

दोस्तों आपके द्वारा पूछा गया प्रश्न की संक्रमण रोग क्या है तो देखिए दोस्तों मैं आपको बता द

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संक्रमण रोग क्या है उदाहरण दीजिए? - sankraman rog kya hai udaaharan deejie?

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 यात्रा करते समय संक्रामक रोग आसानी से हो सकते है विशेष रूप से अगर आप अविकसित देशों में यात्रा करते हैं । यदि आप ऐसे स्थानपर जा रहे है, जहां पीने के पानी की गुणवत्ता संदिग्ध है , तो आप पीने के लिए और जब अपने दांतों की सफाई के लिए बोतलबंद पानी का उपयोग करना न भूले। हर सिफारिशी टीकाकरण या आप अपनी यात्रा के लिए की आवश्यकता है वह करवा लें हैं और कहने की जरूरत नहीं कि आप अपने साथ अपने बुनियादी दवाओं को भी पैक कर लें!

संक्रामक रोग, रोग जो किसी ना किसी रोगजनित कारको (रोगाणुओं) जैसे प्रोटोज़ोआ, कवक, जीवाणु, वाइरस इत्यादि के कारण होते है। संक्रामक रोगों में एक शरीर से अन्य शरीर में फैलने की क्षमता होती है। मलेरिया, टायफायड, चेचक, इन्फ्लुएन्जा इत्यादि संक्रामक रोगों के उदाहरण हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की दृष्टि[संपादित करें]

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया भर में संक्रामक रोग पहले से कहीं ज्यादा तेजी से फैल रहे हैं और उनका इलाज करना ज्यादा मुश्किल हो गया है। अपनी वार्षिक विश्व स्वास्थ्य रिपोर्ट २००८ में राष्ट्र संघ एजेंसी ने कहा है कि 1970 के दशक से हर साल एक या ज्यादा नए रोगों का पता चल रहा है, जो अभूतपूर्व है। एजेंसी ने कहा है कि तपेदिक जैसी जानी-मानी बीमारियों को नियंत्रित करने के प्रयास भी सीमित हो रहे हैं, क्योंकि वे ज्यादा ताकतवर और दवाइयों की प्रतिरोधी किस्मों में विकसित होती जा रही हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि संक्रामक रोगों के प्रसार का कारण पिछले 50 वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय हवाई यातायात में वृद्धि है। उसने पिछले 5 वर्षों में ही 1,100 से ज्यादा विभिन्न बीमारियां फैलने की पुष्टि की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने 193 सदस्यों को बीमारियों के फैलने के बारे में जानकारी देने और टीके विकसित करने में मदद देने के लिए विषाणुओं के नमूनों का आदान-प्रदान करने में एक-दूसरे के साथ ज्यादा सहयोग करने का अनुरोध किया है।

टीकों के जरिये रोगों का समय पूर्व मुकाबला करना और उन्हें नियंत्र में रखना मानव द्वारा रोगों के इलाज में प्राप्त प्रशंसनीय प्रगति है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अभी भी विश्व में हर साल लाखों बच्चे संक्रामक रोगों के शिकार हो रहे हैं, लेकिन उन में से बीस लाख को टीकों के जरिये बचाया जा सकता था। हमें सर्वप्रथम यह जानना चाहिये कि टीका क्या है। चीन के राजधानी शहर पेइचिंग के रोग निरोध केंद्र के विशेषज्ञ श्री वू च्यांग के अनुसार टीका वास्तव में किसी विषाणु की प्रोसेसिंग के आधार पर विकसित किया गया उत्पाद होता है। इसे खाने या सुई के जरिये मानव शरीर में प्रविष्ट कराने से मानव शरीर में असली विषाणुओं का मुकाबला करने की शक्ति पैदा की जाती है। टीका विषाणु से बिल्कुल अलग है, क्योंकि विषाणु लगने से रोग पैदा होता है, पर टीके के जरिये शरीर में रोग का मुकाबला करने की शक्ति पैदा होती है।

वर्ष 1796 में एक ब्रिटिश डाक्टर मानव शरीर में गाय में होने वाले एक रोग के चेचक जैसे विषाणु कौबौक्स को प्रविष्ट कराने के जरिये चेचक का इलाज करने में सफल रहा था। इस तरह मानव ने चेचक के टीके का आविष्कार किया। वर्ष 1980 में विश्व चिकित्सा संगठन ने चेचक की समाप्ति की घोषणा की, जो रोग प्रतिरक्षण क्षमता के जरिये खत्म किया जाने वाला प्रथम रोग था। उस के बाद मानव ने लम्बे अरसे के प्रयासों से अनेक रोगों, जैसे चेचक, प्लेग, काली खांसी, रोहिणी, हनुस्तंभ, खसरे और पागल कुत्ते के रोग के टीकों का उत्पादन करने की क्षमता हासिल की। संक्रामक रोगों के मुकाबले में टीकों की विशेष भूमिका की वजह से विभिन्न देशों में टीका लगाने को बहुत महत्व दिया जाता है। चीन में भी यह कार्य बहुत पहले शुरू हो गया था। इधर तेजी से सामाजिक व आर्थिक विकास करते चीन में टीका लगाने को अधिकाधिक महत्व दिया जा रहा है और बच्चों को टीका लगाने के कार्य को विशेष महत्व प्राप्त है।

चीन में रोग प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ाने का काम योजनानुसार किया जाता है। चीन में सात वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों को पोलियो, खसरे, पीलिया, तपेदिक, काली खांसी और रोहिणी आदि रोगों के टीके लगाये जाते हैं। इसका मुख्य खर्च सरकार उठाती है। बच्चों के मां-बाप का इस पर बहुत कम खर्च आता है। 1970 के दशक से चीन में यह काम शुरू होने के बाद से भारी प्रगति हुई है। इससे चीनी बच्चों की रोग प्रतिरक्षण क्षमता बहुत उन्नत हो गयी। चीनी बालरोग विशेषज्ञ डाक्टर हू यामेई के अनुसार वर्ष 2003 में जब चीन सार्स से ग्रस्त हुआ, तब भी चीन में कोई भी बच्चा इस रोग का शिकार नहीं बना। विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी बच्चों को खसरे का टीका लगाये जाने से उनमें सार्स का मुकाबला करने की शक्ति पैदा हुई। इसीलिए बहुत कम चीनी बच्चे 2003 में सार्स के शिकार हुए। सार्स की वजह से किसी किसी बच्चे की मृत्यु भी नहीं हुई।

पता चला है कि 15 साल पहले ही चीन ने अपने 15 प्रतिशत बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य पूरा कर लिया था। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, विश्व चिकित्सा संगठन और चीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस कार्य की संयुक्त जांच की और इस का उच्च मूल्यांकन किया। टीकों से चीन में खसरे आदि संक्रामक रोगों में बहुत कमी आई है। मिसाल के लिए 1960 के दशक में इससे होने वाली मृत्यु की दर प्रति लाख 2000 से घटकर 10 तक गिर गई। चीन वर्ष 1960 में चेचक का खात्मा कर चुका था और वर्ष 2000 में उसने पोलियो का नाश करने के युद्ध में विजय पाई। चीन सरकार द्वारा बच्चों के लिए तय पांच आवश्यक टीकों के अतिरिक्त चीनी लोगों को अपने बच्चों को अस्पतालों में अपने खर्च पर फ्लू और पीलिया आदि रोगों का टीका लगवाने की सुविधा भी हासिल है। बच्चों के अलावा प्रौढ़ लोग भी विभिन्न मौसमों में उत्पन्न होने वाले संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए अस्पताल में आवश्यक टीके लगवा सकते हैं। यहां यह भी चर्चित है कि चीन में कुत्ते भी खासे ज्यादा हैं, इसलिए लोगों को पागल कुत्ते के रोग का टीका लगाने की भी जरूरत है।

नये संक्रामक रोगों का मुकाबला करने के लिए अब चीनी विशेषज्ञ नये टीकों का अनुसंधान कर रहे हैं। चीनी रोग निरोध सोसाइटी के विशेषज्ञ डाक्टर हो श्यूंग का कहना है कि चीनी विशेषज्ञ कई नये टीकों के आविष्कार में लगे हैं। टीकों के जरिये एड्स, कैंसर और कुछ पुराने गंभीर रोगों का मुकाबला करने की भी बड़ी संभावना है। इसलिए इस संदर्भ में की जा रही कोशिशों अर्थहीन नहीं रहेंगी।

संक्रामक रोग क्या है उदाहरण सहित बताओ?

संक्रामक रोग, रोग जो किसी ना किसी रोगजनित कारको (रोगाणुओं) जैसे प्रोटोज़ोआ, कवक, जीवाणु, वाइरस इत्यादि के कारण होते है। संक्रामक रोगों में एक शरीर से अन्य शरीर में फैलने की क्षमता होती है। मलेरिया, टायफायड, चेचक, इन्फ्लुएन्जा इत्यादि संक्रामक रोगों के उदाहरण हैं।

संक्रमण बीमारी कौन कौन सी है?

छोटी माता.
डेंगू ज्वर.
हेपेटाइटिस ए.
हेपेटाइटिस बी.
हेपेटाइटिस सी.

संक्रमण रोग कितने प्रकार का होता है?

चार प्रकार के संक्रमण क्या हैं?.
वायरल संक्रमण: रोगजनक वायरस के कारण होता है। उदाहरण के लिए कोविड -19, एन्सेफलाइटिस, पोलियो, आदि।.
जीवाणु संक्रमण: बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। जैसे टीबी, टाइफाइड आदि।.
फंगल संक्रमण: कवक के संक्रमण के कारण होता है। ... .
प्रियन रोग: निर्जीव प्रोटीन यानि प्रियन के कारण होता है।.

संक्रमण का मतलब क्या होता है?

संक्रामक वि॰ [सं॰ सङ्क्रामक] जो (रोग या दोष आदि) संसर्ग या छूत आदि के कारण एक से औरों में फैलता हो । जैसे,— चेचक, प्लेग, महामारी, क्षयी आदि रोग संक्रामक होते हैं ।