सम्राट व्यवस्था से जापानी विद्वानों का क्या अभिप्राय था? - samraat vyavastha se jaapaanee vidvaanon ka kya abhipraay tha?

These comprehensive RBSE Class 11 History Notes Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते will give a brief overview of all the concepts.

RBSE Class 11 History Chapter 11 Notes आधुनिकीकरण के रास्ते

→ परिचय

  • 19वीं शताब्दी की शुरुआत में चीन का पूर्वी एशिया पर प्रभुत्व था जबकि छोटा-सा द्वीपीय देश जापान अलग-थलग प्रतीत होता था।
  • कुछ ही दशकों में चीन अशान्ति का शिकार हो गया। चीन औपनिवेशिक चुनौती का सामना नहीं कर पाया और शीघ्र ही गृहयुद्ध की चपेट में आ गया।
  • दूसरी ओर जापान एक आधुनिक राष्ट्र-राज्य के निर्माण में, औद्योगिक अर्थतंत्र की रचना में और यहाँ तक कि ताईवान (1895 ई.) तथा कोरिया (1910 ई.) को अपने में मिलाते हुए एक औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित करने में सफल रहा।
  • जापान ने अपनी संस्कृति और अपने आदर्शों की स्रोत-भूमि चीन को 1894 ई. में हराया और 1905 ई. में रूस जैसी शक्तिशाली यूरोपीय शक्ति को भी परास्त कर दिया।
  • चीनियों की प्रतिक्रिया धीमी रही और उनके सामने कई कठिनाइयाँ आयीं। आधुनिक दुनिया का सामना करने के लिए उन्होंने अपनी परंपराओं को पुनः परिभाषित करने का प्रयास किया।
  • 1949 ई. में चीनी साम्यवादी पार्टी ने गृहयुद्ध में विजय प्राप्त की किन्तु 1970 के दशक तक चीनी नेताओं ने पाया कि
  • उनकी विचारधारात्मक व्यवस्था उनकी आर्थिक वृद्धि और विकास में अवरोधक है। इसलिए उन्होंने अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार किए। यद्यपि इससे पूँजीवाद और मुक्त बाज़ार की वापसी हुई, तथापि चीन में साम्यवादी दल का राजनीतिक नियंत्रण अब भी बरकरार है। 
  • जापान उन्नत औद्योगिक राष्ट्र बन गया, लेकिन साम्राज्य को बढ़ाने की इच्छा ने, उसे युद्धों में झोंक दिया।
  • 1945 ई. में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आंग्ल-अमरीकी सैन्य शक्ति के सामने उसे हार माननी पड़ी।
  • अमरीकी आधिपत्य के साथ अधिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की शुरुआत हुई और 1970 ई. के दशक तक जापान अपनी अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण करके एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बनकर उभरा।
  • जापान का आधुनिकीकरण का सफर पूँजीवाद के सिद्धान्तों पर आधारित था।
  • जापान में जिस तीव्र गति से विकास हुआ, वह जापानी संस्थाओं और समाज में परम्पराओं की सुदृढ़ता, उनकी सीखने की इच्छा और राष्ट्रवाद की ताकत को प्रदर्शित करता है।
  • चीन और जापान में इतिहास लेखन की लम्बी परम्परा रही है।
  • सिमा छियन (145-90 ई. पू.) को प्राचीन चीन का महानतम इतिहासकार माना जाता है।
  • जापान में मेजी सरकार ने 1869 ई. में अभिलेखों को एकत्रित करने के लिए एक ब्यूरो की स्थापना की।
  • अंग्रेजी में चीनी-जापानी इतिहास पर पाण्डुलिपियों का विशाल भण्डार उपलब्ध है।
  • चीनी सभ्यता में विज्ञान पर जोज़फ नीडहम ने महत्वपूर्ण कार्य किया, जबकि जापानी इतिहास और संस्कृति पर जार्ज सैन्सम ने महत्वपूर्ण कार्य किया।
  • 1980 ई. से कई चीनी विद्वान जापान में भी काम करते और लिखते रहे थे।
  • नाइतो कोनन चीन पर कार्य करने वाले प्रमुख जापानी विद्वान थे, जिनके लेखन ने अन्य जापानी लेखकों को भी प्रभावित किया। उन्होंने 1907 ई. में क्योतो विश्वविद्यालय में प्राच्य अध्ययन के विभाग की स्थापना करवायी।

सम्राट व्यवस्था से जापानी विद्वानों का क्या अभिप्राय था? - samraat vyavastha se jaapaanee vidvaanon ka kya abhipraay tha?
 

→ चीन और जापान का भूगोल

  • चीन एक विशालकाय महाद्वीपीय देश है, जिसमें तीन नदियाँ बहती हैं
    • पीली नदी (हुआंग हे),
    • यांग्त्सी नदी (छांग जिआंग),
    • पर्ल नदी।
  • चीन का सबसे प्रमुख जातीय समूह हान है तथा पुतोंगहुआ (चीनी) प्रमुख भाषा है।
  • उइघुर, हुई, मांचू और तिब्बती जैसी अन्य राष्ट्रीयताएँ भी हैं।
  • चीनी भोजनों में क्षेत्रीय विविधता की झलक मिलती है।
  • विदेशों में रहने वाले अधिकांश चीनी लोग 'कैंटन' प्रांत से आते हैं। कैंटन का खाना 'डिम सम' जिसका शाब्दिक अर्थ दिल को छूना है, यह गुंथे हुए आटे में सब्जी आदि भरकर व उबालकर बनाया जाता है।
  • पूर्वी चीन में चावल और गेहूँ दोनों भोज्य सामग्री के रूप में उपयोग में लिए जाते हैं।
  • जापान, चीन के विपरीत एक द्वीपीय देश है, जिसके चार सबसे बड़े द्वीप हैं
    • होंशू,
    • क्यूशू,
    • शिकोकू,
    • होकाइदो।
  • ओकिनावा द्वीपों की श्रृंखला सबसे दक्षिण में है।
  • जापान में मुख्य द्वीपों की 50 प्रतिशत से ज्यादा ज़मीन पहाड़ी है। जापान बहुत ही सक्रिय भूकम्प वाले क्षेत्र में स्थित है।
  • जापान में अधिकतर जनसंख्या जापानियों की है। लेकिन कुछ आयनू अल्पसंख्यक भी यहाँ रहते हैं। इनके अलावा कुछ कोरिया के लोग भी यहाँ रहते हैं जिन्हें श्रमिक मजदूर के रूप में कोरिया से लाया गया था।
  • जापान में पशुपालन की परम्परा नहीं है।
  • जापान के लोगों का मुख्य भोजन चावल है तथा मछली प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है। 

→ जापान राजनीतिक व्यवस्था

  • जापान में क्योतो में रहने वाले सम्राट का शासन होता था किन्तु 12वीं शताब्दी के आते-आते वास्तविक सत्ता 'शोगुनों' के हाथ में आ गई, जो सैद्धांतिक रूप से राजा के नाम पर शासन का संचालन करते थे।
  • 1603 ई. से 1867 ई. तक तोकुगावा परिवार के लोग शोगुन पद पर आसीन रहे।
  • तोकुगावा परिवार के शासनकाल में जापान 250 भागों में विभाजित था, जिसका शासन दैम्यो नामक अधिकारी चलाते थे।
  • 'शोगुन' दैम्यो पर नियंत्रण रखते थे।
  • 'शोगुन' दैम्यो को लम्बे समय तक राजधानी एदो (आधुनिक तोक्यो) में रहने का आदेश देते थे ताकि उनकी ओर से कोई खतरा न रहे।
  • शोगुन प्रमुख नगरों और खदानों पर भी नियंत्रण रखते थे।
  • सामुराई (योद्धा वर्ग) शासन करने वाले कुलीन थे और वे शोगुन तथा दैम्यों की सेवा में रहते थे।
  • 16 वीं शताब्दी के अंत में तीन प्रमुख प्रशासनिक परिवर्तन होने से जापान का विकास होने लगा।
  • पहला परिवर्तन था- किसानों से हथियार लेना, इससे शांति एवं व्यवस्था बनाने में सहायता मिली।
  • दूसरा परिवर्तन था- दैम्यों को अपने क्षेत्रों की राजधानियों में रहने के आदेश दिये गये।
  • तीसरा परिवर्तन था- उत्पादकता के आधार पर भूमि का वर्गीकरण।
  • सत्रहवीं शताब्दी के मध्य तक जापान का ऐदो नगर (वर्तमान तोक्यो) विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला नगर बन गया। ओसाका व क्योतो भी बड़े शहरों के रूप में उभरे।
  • विश्व स्तर पर जापान को एक समृद्ध देश माना जाता था क्योंकि वह चीन से रेशम व भारत से कपड़ा जैसी वस्तुएँ आयात करता था तथा अपने आयातों का मूल्य सोने में चुकाता था।
  • जापानी लोगों का विश्वास था कि उनके द्वीपों को भगवान ने बनाया है और उनके सम्राट सूर्य देव के उत्तराधिकारी थे। 

→ मेज़ी पुनर्स्थापना

  • 1867-68 ई. में मेज़ी वंश के नेतृत्व में तोकुगावा वंश का शासन समाप्त कर दिया गया।
  • 1853 ई. में अमेरिकी कामोडार मैथ्यू पेरी जापान आया और एक सन्धि पर हस्ताक्षर हुए, जिससे जापान और अमरीका के मध्य राजनयिक और व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित हुए। 1868 ई. में एक आन्दोलन द्वारा शोगुन को बलपूर्वक सत्ता से हटा दिया गया और सम्राट मेजी को एदो लाया गया।
  • एदो का नाम तोक्यो (टोक्यो) रखा गया जिसका अर्थ होता है 'पूर्वी राजधानी'। 
  • आधुनिकीकरण और यूरोपीय औपनिवेशवाद के समय सरकार ने फुकोकु क्योहे (समृद्ध देश, मजबूत सेना) के नारे के साथ नयी नीति की घोषणा की। साथ ही नयी सरकार ने 'सम्राट-व्यवस्था' के पुनर्निर्माण का काम शुरू किया।
  • 'सम्राट व्यवस्था' से जापानी विद्वानों का अभिप्राय एक ऐसी व्यवस्था से था, जिसमें सम्राट, नौकरशाही तथा सेना इकट्ठे मिलकर सत्ता चलाते थे। नौकरशाही व सेना सम्राट के प्रति उत्तरदायी होते थे।
  • 1890 ई. में शिक्षा सम्बन्धी राजाज्ञा ने लोगों को पढ़ने एवं जनता को सार्वजनिक तथा साझे हितों को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया। इसका परिणाम यह हुआ कि 1910 ई. तक विद्यालय जाने से कोई वंचित नहीं रहा। राष्ट्र के एकीकरण के लिए मेजी सरकार ने पुराने गाँवों और क्षेत्रीय सीमाओं को बदलकर नया प्रशासनिक ढाँचा तैयार किया।
  • प्रत्येक प्रशासनिक इकाई में पर्याप्त राजस्व एकत्रित करना आवश्यक था जिससे स्थानीय विद्यालय और स्वास्थ्य सेवाएँ जारी रखी जा सकें।
  • 20 वर्ष से अधिक उम्र के युवकों हेतु कुछ समय के लिए सैनिक सेवा अनिवार्य की गई और एक आधुनिक सैन्य बल तैयार किया गया। 

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→ अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण

  • मेज़ी सरकार के अन्तर्गत अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण करने के लिए कृषि पर 'कर' लगाकर धन एकत्रित किया गया।
  • जापान में पहली रेल लाइन 1870-72 ई. में तोक्यो और योकोहामा बन्दरगाहों के बीच बिछाई गई, जो कि मेजी सुधारों का एक हिस्सा थी।
  • जापान में वस्त्र उद्योग के लिए मशीनें यूरोप से मँगाई गयीं। मजदूरों के प्रशिक्षण के लिए विदेशी कारीगरों को बुलाया गया।
  • 1872 ई. में जापान में आधुनिक बैंकिंग संस्थाओं का प्रारंभ हुआ।
  • 1872 ई. में जापान में जनसंख्या 3.5 करोड़ से बढ़कर 1920 ई. में 5.5 करोड़ हो गई। 1925 ई. में जापान की 21 प्रतिशत जनता शहरों में रहती थी, जो बढ़कर 1935 ई. में 32 प्रतिशत हो गई। 

→ औद्योगिक मजदूर

  • जापान के औद्योगीकरण से वहाँ औद्योगिक मजदूरों की संख्या में वृद्धि हुई। औद्योगिक मजदूरों की संख्या 1870 ई. में 7 लाख थी जो 1913 ई. में 40 लाख हो गयी। अधिकांश मज़दूर ऐसे उद्योगों में काम करते थे, जिनमें 5 से कम लोग थे और जिनमें मशीनों और विद्युत से काम नहीं होता था। इन कारखानों में आधी से अधिक महिलाएँ थीं।
  • 1886 ई. में जापान में पहली आधुनिक हड़ताल का आयोजन महिलाओं द्वारा किया गया।
  • 1900 के बाद कारखानों में पुरुषों की संख्या बढ़ने लगी जो 1930 के दशक में आकर ही पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक हुई।
  • कारखानों में मजदूरों की संख्या भी बढ़ने लगी। 100 से अधिक मज़दूर वाले कारखानों की संख्या 1909 में 1000 थी जो 1909 के दशक में 4000 तक पहुँच गई।
  • 1940 ई. तक 5,50,00 कारखानों में 5 से कम मजदूर काम करते थे। इससे परिवार केन्द्रित विचारधारा बनी रही।

→ आक्रामक राष्ट्रवाद

  • मेजी संविधान सीमित मताधिकार पर आधारित था और उसने 'डायट' (जापानी संसद) के अधिकार का निर्माण किया, जिसके अधिकार सीमित थे।
  • 1918 ई. और 1931 ई. के दौरान जापान में जनमत से चुने गए प्रधानमंत्रियों ने मंत्रिपरिषदों का निर्माण किया।
  • सम्राट सैन्यबलों का कमाण्डर था और 1890 ई. से माना जाने लगा था कि थल सेना और नौ सेना का नियन्त्रण स्वतंत्र है।

→ पश्चिमीकरण और परम्परा

  • कुछ जापानी बुद्धिजीवी जापान का 'पश्चिमीकरण' करना चाहते थे। कुछ विद्वान पश्चिमी उदारवाद की ओर आकर्षित थे। कुछ लोग उदारवादी शिक्षा के समर्थक थे।
  • मेज़ी काल के प्रमुख बुद्धिजीवी फुकुज़ावा यूकिची का मत था कि जापान को अपने अन्दर से एशियाई लक्षणों को निकाल देना चाहिए तथा पश्चिम को अपना लेना चाहिए।
  • दर्शनशास्त्री मियाके सेत्सुरे ने तर्क दिया था कि विश्व सभ्यता के हित में प्रत्येक राष्ट्र को अपनी विशेष दक्षता का विकास करना चाहिए।
  • जापान में संवैधानिक सरकार की माँग करने वाले जनवादी अधिकारों के आन्दोलन के नेता उएकी ऐमोरी फ्रांसीसी क्रान्ति में मानवों के प्राकृतिक अधिकार और जन प्रभुसत्ता के सिद्धान्तों के प्रशंसक थे। 

→ रोज़मर्रा की ज़िन्दगी

  • जापान का आधुनिक समाज में रूपान्तरण दैनिक जीवन की जिन्दगी के बदलावों में भी देखा जा सकता था।
  • जापान में नया घर (हेमु) का सम्बध मूल परिवार से था, जहाँ पति-पत्नी साथ रहकर कमाते थे एवं घर बसाते थे। 

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→ आधुनिकता पर विजय

  • सत्ता केन्द्रित राष्ट्रवाद को 1930 से 1940 ई. के दौरान बढ़ावा मिला, जब जापान ने चीन और एशिया में अपने उपनिवेश बढ़ाने के लिए लड़ाइयाँ छेड़ी तथा ये लड़ाइयाँ दूसरे विश्व युद्ध में जाकर शामिल हो गयीं, जब जापान ने अमरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया।
  • 1943 ई. में जापान में एक संगोष्ठी हुई, जिसका विषय था-'आधुनिकता पर विजय'। इस संगोष्ठी में आधुनिक रहते हुए पश्चिम पर विजय प्राप्त करने के तरीकों पर चर्चा की गई।

→ हार के बाद-एक वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में वापसी

  • द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान को पराजय का मुंह देखना पड़ा। जापान की औपनिवेशिक साम्राज्यवादी कोशिशों को परास्त कर दिया गया। इस युद्ध में जापानी नगरों हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम गिराये गए।
  • 1945 से 1947 ई. के मध्य अमेरिकी नियंत्रण के दौरान जापान का विसैन्यीकरण कर दिया गया एवं एक नया संविधान लागू किया गया।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात जापानी राजनीतिक पाटियों को पुनर्जीवित किया गया तथा युद्ध के बाद पहले चुनाव सन् 1946 में हुए। जापान में पहली बार महिलाओं ने भी मतदान किया।
  • अपनी भयंकर हार के बावजूद जापानी अर्थव्यवस्था का जिस तीव्र गति से पुनर्निर्माण हुआ, उसे एक 'युद्धोत्तर चमत्कार' कहा गया है।
  • जापान में 1964 ई. में तेज गति से चलने वाली बुलेट ट्रेन 'शिंकांसेन' प्रारम्भ हुई। तब इसकी गति 200 मील प्रति घण्टा थी जो आज बढ़कर 300 मील प्रति घण्टा हो गयी है।
  • 1964 ई. में हुए तोक्यो ओलम्पिक खेल जापानी अर्थव्यवस्था की परिपक्वता के प्रतीक बनकर हमारे समक्ष आए। 

→ चीन

  • चीन का आधुनिक इतिहास सम्प्रभुता की पुनर्णाप्ति, विदेशी नियन्त्रण के अपमान का अन्त और समानता तथा विकास को सम्भव करने के सवालों के चारों ओर घूमता है।
  • कांग योवेल (1858-1927) एवं लियांग किचाउ (1873-1929) जैसे आरंभिक चीनी सुधारकों ने पश्चिम की चुनौतियों का सामना करने के लिए पारंपरिक विचारों को नये तथा अलग तरीके से प्रयोग करने की कोशिश की।
  • चीनी गणतन्त्र के पहले राष्ट्राध्यक्ष सन् यात-सेन जापान तथा पश्चिम के विचारों से प्रभावित थे।
  • आधुनिक चीन की शुरुआत 16वीं शताब्दी में पश्चिम के साथ उसका पहला सामना होने के समय से मानी जा सकती है, जबकि जेसुइट मिशनरियों ने खगोलविद्या और गणित विज्ञानों को वहाँ पहुँचाया।
  • 'कन्फयूशियसवाद' चीन की प्रमुख विचारधारा रही है। यह विचारधारा कन्फयूशियस (551-479 ई. पू.) और उसके अनुयायियों द्वारा विकसित की गयी थी। इसका सम्बन्ध अच्छे व्यवहार, व्यावहारिक समझदारी व उचित सामाजिक सम्बन्धों से था।
  • 1890 ई. के दशक में नए विषयों में प्रशिक्षित होने के लिए बड़ी संख्या में चीनी विद्यार्थी जापान पढ़ने के लिए गए।
  • 1905 ई. में रूस-जापान युद्धों के बाद सदियों पुरानी चीनी परीक्षा-प्रणाली समाप्त कर दी गई, जो प्रत्याशियों को अभिजात सत्ताधारी वर्ग में प्रवेश दिलवाने का कार्य करती थी। 

→ गणतंत्र की स्थापना

  • 1911 ई. में चीन में मांचू साम्राज्य समाप्त कर दिया गया और सन यात-सेन (1866-1925) के नेतृत्व में गणतन्त्र की स्थापना की गई। वे आधुनिक चीन के संस्थापक माने जाते हैं। 1912 में सन यात-सेन ने कुओमीनतांग (नेशनल पीपुल्स पार्टी) की स्थापना की।
  • सन यात-सेन का कार्यक्रम तीन सिद्धान्त (सन मिन चुई) के नाम से प्रसिद्ध है। ये तीन सिद्धान्त थे
    • राष्ट्रवाद
    • गणतंत्रवाद
    • समाजवाद।
  • 4 मई, 1919 ई. को बीजिंग में हुए युद्धोत्तर शान्ति सम्मेलन के निर्णय के विरोध में एक विशाल प्रदर्शन हुआ।
  • कुओमीनतांग (नेशनल पीपुल्स पार्टी) और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चीन को एकताबद्ध करने एवं स्थिरता लाने के लिए संघर्षरत दो महत्वपूर्ण शक्तियों रूप में उभरीं।। 
  • सन यात-सेन के विचार कुओमीनतांग के राजनीतिक दर्शन एवं विचारों का मुख्य आधार बने। उन्होंने रोटी, कपड़ा, मकान और परिवहन जैसी इन चारों बड़ी आवश्यकताओं को जनसाधारण के लिए रेखांकित किया। 
  • सन यात-सेन की मृत्यु के पश्चात चियांग काइशेक कुओमीनतांग के नेता बनकर उभरे और उन्होंने सैन्य अभियान के द्वारा 'वारलार्ड्स' को अपने नियन्त्रण में किया एवं साम्यवादियों को नष्ट कर दिया। • कुओमीनतांग (नेशनल पीपुल्स पार्टी) और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चीन को एकताबद्ध करने एवं स्थिरता लाने के लिए संघर्षरत दो महतवपूर्ण शक्तियों के रूप में उभरीं।
  • चीन में सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव के विस्तार में स्कूल और विश्वविद्यालयों ने महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया।
  • पीकिंग विश्वविद्यालय की स्थापना 1902 ई. में हुई।
  • शाओ तोआफ़ेन द्वारा सम्पादित लोकप्रिय पत्रिका 'लाइफ वीकली' एक नयी विचारधारा लेकर आयी।
  • देश को एकीकृत करने की अपनी कोशिशों के बावजूद कुओमीनतांग अपने संकीर्ण सामाजिक आधार और सीमित राजनीतिक दृष्टि के चलते असफल हो गया। 

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→ चीनी साम्यवादी दल का उदय

  • सन् 1937 में जापानी हमले के दौरान कुओमीनतांग (नेशनल पीपुल्स पार्टी) कमजोर सिद्ध हुई। इस लम्बे और थकान वाले युद्ध ने चीन को अत्यधिक कमजोर कर दिया।
  • चीन की साम्यवादी पार्टी की स्थापना 1921 ई. में रूस की क्रांति के कुछ समय पश्चात् हुई। उसमें माओ त्सेतुंग प्रमुख नेता बनकर उभरे।
  • माओ त्सेतुंग के नेतृत्व में चीनी साम्यवादी पार्टी (सी.सी.पी.) एक शक्तिशाली राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी। 

→ नए जनवाद की स्थापना (1949-1965)

  • चीन में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार 1949 ई. में स्थापित हुई। यह नए लोकतंत्र के सिद्धान्तों पर आधारित थी। इस नए लोकतंत्र में सभी सामाजिक वर्गों का मिश्रण एवं गठबन्धन था। 
  • 1958 ई. में लम्बी छलाँग वाले आन्दोलन की नीति के द्वारा चीन का तीव्र गति से औद्योगीकरण करने का प्रयास किया गया।
  • लीऊ शाओछी और तंग शीयाओफींग ने चीन में कम्यून प्रथा को बदलने की कोशिश की क्योंकि यह बहुत कुशलता से काम नहीं कर रही थी। 

→ दर्शनों का टकराव-(1965-1978)

  • 'समाजवादी व्यक्ति' की रचना के इच्छुक माओवादियों और दक्षता की अपेक्षा विचारधारा पर माओ के बल देने की आलोचना करने वालों के बीच संघर्ष चला।
  • माओ द्वारा 1965 में प्रारम्भ की गयी ‘महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति' इसी संघर्ष का नतीजा थी, जो उन्होंने अपने आलोचकों का सामना करने के लिए प्रारम्भ किया था।
  • पुरानी संस्कृति, पुराने रिवाजों और पुरानी आदतों के खिलाफ अभियान छेड़ने के लिए रेड गार्ड्स (मुख्यतः छात्रों और सेना) का उपयोग किया गया।
  • छात्रों और पेशेवर लोगों को जनता से ज्ञान हासिल करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा गया।
  • विचाराधारा (साम्यवादी होना) पेशेवर ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण थी। दोषारोपण और नारेबाजी ने तर्कसंगत बहस की जगह ले ली। इस सांस्कृतिक क्रांति से चीन में खलबली का दौर शुरू हुआ। पार्टी कमजोर हो गई और अर्थव्यवस्था व शिक्षा में भारी रुकावट आनी प्रारम्भ हो गयी।
  • 1975 में एक बार फिर साम्यवादी पार्टी ने अधिक सामाजिक अनुशासन और औद्योगिक अर्थव्यवस्था का निर्माण करने पर बल दिया। 

→ 1978 से शुरू होने वाले सुधार

  • 1978 ई. में साम्यवादी पार्टी के आधुनिकीकरण के चार सूत्री लक्ष्यों की घोषणा की गई, जो थे-विज्ञान, उद्योग, कृषि व रक्षा का विकास करना।।
  • 5 दिसम्बर, 1978 को दीवार पर बने एक पोस्टर ने पाँचवें सूत्र या पाँचवें आधुनिकीकरण का दावा किया कि लोकतंत्र के अभाव में अन्य सूत्र या आधुनिकताएँ व्यर्थ और बेकार हैं।
  • 4 मई 1989 को बीजिंग के तियानमेन चौक पर लोकतंत्र की माँग करने वाले विद्यार्थियों के प्रदर्शन का क्रूरतापूर्वक दमन कर दिया गया।

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→ ताइवान का किस्सा

  • चीनी साम्यवादी दल द्वारा पराजित होने के पश्चात् चियांग काई-शेक 30 करोड़ से अधिक अमरीकी डॉलर और बहुमूल्य कलाकृतियाँ लेकर 1949 ई. में ताइवान भाग निकला। वहाँ उसने चीनी गणतंत्र की स्थापना की।
  • 1894-95 ई. में जापान के साथ हुए युद्ध में चीन को हार का सामना करना पड़ा, फलस्वरूप ताइवान को जापान के हाथों में सौंपना पड़ा और तभी से यह जापानी उपनिवेश था।
  • कायरो घोषणा-पत्र (1943 ई.) और पोट्सडैम उद्घोषणा (1949 ई.) के द्वारा चीन को जापान से ताइवानी सम्प्रभुत्ता वापस प्राप्त हुई थी। कोरिया की कहानी : आधुनिकीकरण की शुरुआत
  • कोरिया पर 1392 से 1910 ई. तक जोसोन वंश का शासन रहा।
  • साम्राज्यवादी जापान ने 1910 में उपनिवेश के रूप में कोरिया पर जबरन कब्जा कर लिया, जिससे 500 वर्षों से कोरिया पर शासन करने वाले जोसोन वंश का अंत हो गया।
  • जापानी शासन के दौरान कोरियाई संस्कृति और नैतिक मूल्यों का पतन होने से कोरियाई लोग नाराज थे।
  • द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के पश्चात् ही अगस्त 1945 में कोरिया को जापान के नियंत्रण से स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
  • 1948 ई. में उत्तर व दक्षिण में अलग-अलग सरकारें स्थापित होने के साथ उत्तर कोरिया व दक्षिण कोरिया अस्तित्व में आये।
  • जून 1950 में उत्तरी कोरिया और दक्षिण कोरिया के मध्य कोरियाई युद्ध शुरू हुआ, जो 1953 में तीन साल बाद, 'युद्ध विराम' समझौते के बाद समाप्त हुआ।
  • दक्षिण कोरिया के पहले राष्ट्रपति सिंगमैन री, 1948 में कोरियाई युद्ध के बाद लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के द्वारा चुने गये।
  • राष्ट्रपति सिंगमैन री ने अवैध संवैधानिक संशोधन द्वारा दो बार अपना कार्यकाल बढ़ाया। अप्रैल 1960 में नागरिकों ने इस तरह की धाँधली का विरोध किया, जिससे मजबूर होकर राष्ट्रपति 'सिंगमैन री' को इस्तीफा देना पड़ा। इस घटना को कोरिया में 'अप्रैल क्रांति' के नाम से जाना जाता है।
  • मई 1961 में जनरल ‘पार्क चुंग-ही' ने एक सैन्य तख्तापलट द्वारा लोकतांत्रिक पार्टी की सरकार को उखाड़ फेंका। तीव्र औद्योगिकीकरण एवं मज़बूत नेतृत्व
  • अक्टूबर 1963 के चुनाव में सैन्य नेता ‘पार्क चुंग-ही' दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति बने।
  • सन् 1970 में ग्रामीण जनसंख्या को प्रोत्साहन और कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए नया गाँव (सैमौल) आन्दोलन की शुरुआत हुई। इस आन्दोलन का उद्देश्य लोगों को निष्क्रिय और निराशावान जीवन से सक्रिय और आशावान बनाना था।
  • उच्चा स्तर की शिक्षा ने भी दक्षिण कोरिया के आर्थिक विकास में योगदान दिया। 

→ लोकतंत्रीकरण की माँग और निरंतर आर्थिक विकास

  • अक्टूबर 1979 में पार्क चुंग-ही की हत्या के पश्चात दक्षिण कोरिया में लोकतंत्रीकरण की इच्छा उभरकर सामने आयी लेकिन सैन्य नेता 'चुन डू-हवन' ने मई, 1980 में लोकतंत्र आन्दोलन को दबा दिया। यह 1980 में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति बने।
  • चुन प्रशासन ने अपनी सरकार को स्थिर बनाने के लिए, लोकतांत्रिक प्रभाव का मजबूती से दमन किया।
  • निरन्तर लोकतंत्र समर्थक आन्दोलनों के कारण चुन प्रशासन को संविधान में संशोधन करना पड़ा फलस्वरूप नागरिकों को सीधे चुनाव का अधिकार मिला। 

→ कोरियाई लोकतंत्र और आई.एम.एफ. संकट

  • दिसम्बर 1987 में हुए चुनाव में रोह-ताए-वू राष्ट्रपति बने। दिसम्बर 1992 में दशकों से चल रहे सैन्य शासन के बाद एक नागरिक नेता किम को राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया।
  • नए चुनावों एवं सत्तावादी सैन्य शक्ति के विघटन के फलस्वरूप, एक बार फिर लोकतंत्र की शुरुआत हुई।
  • व्यापार घाटे में वृद्धि, वित्तीय संस्थानों द्वारा खराब प्रबंधन, संगठनों द्वारा बेईमान व्यापारिक संचालन के कारण कोरिया को 1997 में विदेशी मुद्रा संकट का सामना करना पड़ा। इस संकट को अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ) द्वारा आपात वित्तीय सहायता कर सँभालने का प्रयास किया गया।
  • 2016 में नागरिकों के नेतृत्व में किए गए, कैंडललाइट विरोध में देश के लोकतांत्रिक कानून और प्रणालियों की सीमाओं के भीतर राष्ट्रपति के त्यागपत्र की माँग कर रहे नागरिकों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन, कोरियाई लोकतंत्र की परिपक्वता को दर्शाता है।

→ आधुनिकता के दो मार्ग 

  • जापान और चीन की ऐतिहासिक परिस्थितियों ने उनमें स्वतंत्र एवं आधुनिक देश बनाने के बिल्कुल अलग-अलग मार्ग बनाए।
  • जापान का आधुनिकीकरण ऐसे वातावरण में हुआ, जहाँ पश्चिमी साम्राज्यवादी ताकतों का प्रभुत्व था।
  • जापान में मेजी शिक्षा पद्धति में पढ़ाए जाने वाले विषयों का मुख्य लक्ष्य विद्यार्थियों को निष्ठावान नागरिक बनाना था।
  • चीन में साम्यवादी दल एवं उनके समर्थकों ने परम्पराओं को समाप्त करने का प्रयास किया। उनका विचार था कि परम्परा लोगों को निर्धनता में जकड़े हुए है।
  • साम्यवादी दल चीन को आर्थिक दृष्टि से शक्तिशाली बनाने में सफल रहा।

सम्राट व्यवस्था से जापानी विद्वानों का क्या अभिप्राय था? - samraat vyavastha se jaapaanee vidvaanon ka kya abhipraay tha?

→ अध्याय में दी गईं महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ

तिथि/वर्ष

 सम्बन्धित घटनाएँ

1603 ई.

 तोकुगावा लियासु द्वारा जापान में ईडो शोगुनेट की स्थापना की गई।

1630 ई.

 डचों के साथ अपने सीमित व्यापार को छोड़कर अन्य पश्चिमी देशों के लिए जापान के दरवाजे बंद किए गए।

1854 ई.

 जापान और संयुक्त राज्य अमरीका द्वारा शांति - समझौते को अंतिम रूप दिया गया।

1868 ई.

 तोकुगावा वंश के शासन की समाप्ति के पश्चात मेज़ी वंश के शासन की पुनर्स्थापना हुई।

1872 ई.

 अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था तथा तोक्यो और योकोहामा के बीच पहली रेलवे लाइन स्थापित की गई।

1889 ई.

 मेज़ी संविधान का क्रियान्वयन।

1894 - 1895 ई.

 चीन और जापान के बीच युद्ध, जापान की विजय।

1904 - 1905 ई.

जापान और रूस के बीच युद्ध, रूस की पराजय।

1910 ई.

 जापान द्वारा कोरिया पर विजय प्राप्त कर उसे अपना उपनिवेश बनाया जाना।

1914 1918 ई.

 प्रथम विश्वयुद्ध।

1925 ई.

 जापान में सभी पुरुषों को मताधिकार प्राप्त हुआ।

1931 ई.

 चीन पर जापान का हमला।

19411945 ई.

 प्रशान्त युद्ध हुआ।

1945 ई.

 अमरीका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम से हमला किया गया। अनेक लोग मारे गये।

1946 1952 ई.

 अमरीका के नेतृत्व में जापान पर नियंत्रण, जापान का लोकतंत्रीकरण और असैन्यीकरण करने के लिए सुधार किए गए।

1956 ई.

 जापान संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बना।

1964 ई.

 एशिया में प्रथम बार तोक्यो में ओलम्पिक खेलों का आयोजन किया गया।

→ चीन 

तिथि/वर्ष

 सम्बन्धित घटनाएँ

1644 1911 ई.

 छींग राजवंश का शासनकाल ।

1839 60 ई.

 दो अफ़ीम युद्धों की समयावधि।

1912 ई.

सन यात सेन द्वारा कुओमीनतांग (नेशनल पीपुल्स पार्टी) की स्थापना।

1919 ई.

 चार मई को बीजिंग में आन्दोलन हुआ।

1921 ई.

 चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई।

1926 - 1949 ई.

चीन में गृहयुद्ध की समयावधि ।

1934 ई.

चीनी साम्यवादी दल द्वारा लाँग मार्च का आयोजन करना।

1949 ई.

चीन में जनवादी गणतंत्र की स्थापना, चियांग काई - शेक ने ताइवान में चीनी गणतन्त्र की स्थापना की।

1962 ई.

 सीमा - विवाद को लेकर भारत पर चीन का आक्रमण ।

1966 ई.

 माओ त्सेतुंग के नेतृत्व में चीन में सांस्कृतिक क्रांति हुई।

1976 ई.

 माओ त्सेतुंग और चाऊ एनलाई की मृत्यु हुई।

1977 ई.

 ब्रिटेन द्वारा चीन को हांगकांग की वापसी की गई।

→ डिम सम-चीनी व्यंजन जिसका शाब्दिक अर्थ है-दिल को छूना।

→ शोगुन-जापानी सम्राट के नाम पर शासन करने वाले सामन्त लोग।

सम्राट व्यवस्था से जापानी विद्वानों का क्या अभिप्राय था? - samraat vyavastha se jaapaanee vidvaanon ka kya abhipraay tha?

→ सामुराई-जापानी योद्धा।

→ मेज़ी पुनर्स्थापना-1867-1868 ई. में जापान में तोकुगावा वंश का शासन समाप्त कर दिया गया तथा उसके स्थान पर नए अधिकारी और सलाहकार सामने आए। ये लोग जापानी सम्राट के नाम पर शासन चलाते थे। इस प्रकार देश में सम्राट फिर से सर्वेसर्वा बन गया। उसने मेजी की उपाधि धारण की। जापान के इतिहास में इस घटना को मेज़ी पुनर्स्थापना कहा जाता है। 

→ तोक्यो-इसका शाब्दिक अर्थ है-पूर्वी राजधानी। वर्तमान में इसे टोक्यो के नाम से जाना जाता है। यह जापान की राजधानी है।

→ फुकोकु क्योहे-जापान में इस शब्द का आशय समृद्ध देश व मजबूत सेना से है।

→ सम्राट व्यवस्था-सम्राट व्यवस्था से जापानी विद्वानों का आशय एक ऐसी व्यवस्था से है, जिसमें सम्राट, नौकरशाही व सेना तीनों एकत्रित होकर शासन चलाते थे तथा सेना व नौकरशाही सम्राट के प्रति उत्तरदायी होते थे। 

→ जायवात्सु-विशाल जापानी व्यापारिक संस्थाएँ जिन पर विशिष्ट परिवारों का नियन्त्रण रहता था। 

→ डायट-जापान की संसद का नाम। जापानी लोगों ने अपनी संसद के लिए इस जर्मन शब्द का प्रयोग किया। 

→ मोगा-जापान में आधुनिक लड़की के लिए प्रयुक्त संक्षिप्त शब्द। 

→ कुओमीनतांग-चीन में सन यात-सेन द्वारा स्थापित नेशनल पीपुल्स पार्टी का चीनी नाम। 

→ वारलार्ड्स-चीन के स्थायी नेता (युद्ध सामंत)। इनसे चियांग काईशेक ने सत्ता छीन ली थी।

→ लाँग मार्च-1934-35 ई. के मध्य चीन में चियांग काईशेक के सैनिकों द्वारा आक्रमण करने पर माओ त्सेतुंग के नेतृत्व में साम्यवादियों द्वारा जियांग्सी से शांग्सी तक 6000 मील की यात्रा को लाँग मार्च नाम दिया गया। 

→ पीपुल्स कम्यून्स-चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक खेत। इनमें लोग सामूहिक रूप से भूमि के स्वामी होते थे तथा मिलजुलकर फसलें उगाते थे।

→ सर्वहारा सांस्कृतिक क्रान्ति-1965 ई. में चीन में माओ त्सेतुंग द्वारा की गई क्रांति। इसके तहत पुरानी संस्कृति, पुराने रीति-रिवाज व पुरानी आदतों के विरुद्ध अभियान छेड़ा गया।

→ सिमा छियन-प्राचीन चीन का महान इतिहासकार।

→ नाइतो कोनन-चीन पर कार्य करने वाले जापानी विद्वान।

→ मैथ्यू पेरी-अमरीकी जल सेनापति। इसने जापान के साथ 1854 ई. में राजनयिक व व्यापारिक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

→ तनाका शोजो-जापानी संसद के निम्न सदन के सदस्य। इन्होंने जापान में औद्योगिक प्रदूषण के विरुद्ध आन्दोलन किया।

→ फुकुज़ावा यूकिची-एक जापानी विद्वान। इन्होंने जापान को एशियाई लक्षणों को छोड़कर पश्चिम का अनुकरण करने का सुझाव दिया।