स्त्री शिक्षा का क्या उद्देश्य है? - stree shiksha ka kya uddeshy hai?

  • स्त्री शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of women Education) –
    • (1) स्त्री गुण को बनाये रखने हेतु दीक्षा, शिक्षा और वातावरण की व्यवस्था –
    • (2) धार्मिकता, नैतिकता, चारित्रिकता का स्रोत बनाना-
    • (3) स्त्रियों का सर्वागीण व्यक्तित्व विकास-
    • (4) सामाजिक व सांस्कृतिक प्रसार का स्रोत बनाना –
    • (5) उत्तरदायित्व की भावना का विकास-
    • (6) जीवकोपार्जन हेतु व्यावसायिक शिक्षा देना-
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स्त्री शिक्षा का क्या उद्देश्य है? - stree shiksha ka kya uddeshy hai?

स्त्री शिक्षा के उद्देश्य

(1) स्त्री गुण को बनाये रखने हेतु दीक्षा, शिक्षा और वातावरण की व्यवस्था –

माता-पिता को बचपन से ही स्त्रीयोचित गुणों की शिक्षा देनी चाहिये, जैसे विनम्रता, सहनशीलता, लाजशीलता आदि। सरकार द्वारा बालिकाओं का सामाजिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास करने के लिये उपयोगी शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए और माध्यमिक स्तर पर अलग से महिला विद्यालयों का निर्माण करना चाहिए।

(2) धार्मिकता, नैतिकता, चारित्रिकता का स्रोत बनाना-

धार्मिक भावनाओं का प्रसार करके स्त्री, बालकों का नैतिक आचरण सुधारती है। वह दया की देवी है, क्षमाशीलता उसका धर्म है। वह सहिष्णु उदार और सहकारी है।

(3) स्त्रियों का सर्वागीण व्यक्तित्व विकास-

स्त्रियों का सर्वागीण व्यक्तित्व विकास करने के लिये, उन्हें पुरुषों के समान बिना किसी भेदभाव के सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने के अवसर देने चाहिए। सरकार द्वारा स्त्रियों के व्यक्तित्व विकास में आने वाली समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

(4) सामाजिक व सांस्कृतिक प्रसार का स्रोत बनाना –

स्त्रियाँ परिवार में तथा समाज में अपने व्यवहारों द्वारा संस्कृतिक का विकास करने में सहयोग देती हैं। धार्मिक प्रथाएँ, रीति-रिवाज, सामाजिक मान्यताएँ, रहन-सहन, पारिवारिक शिक्षा द्वारा समाजीकरण के आदर्श प्रस्तुत करके वे ही पुरुष वर्ग का मार्गदर्शन करती हैं।

(5) उत्तरदायित्व की भावना का विकास-

आधुनिक युग की महिलायें अपने भविष्य को सवारने के लिये प्रयासरत हैं। सरकार व समाज, दोनों को महिलाओं को पुरुषों के समान विकास की सुविधाएँ और अवसर देना चाहिए। सरकार को महिलाओं को प्रत्येक क्षेत्र में विकास के लिये नेतृत्व का शिक्षण देना चाहिए, जिससे वे योग्य शिक्षक, योग्य चिकित्सक, योग्य अभियन्ता, योग्य नागरिक व समाज सुधारक बनकर राष्ट्र की सेवा कार सकें।

(6) जीवकोपार्जन हेतु व्यावसायिक शिक्षा देना-

आज की नारी पुरुषों के साथ कदम-से-कदम मिलाकर परिवार को चलाने के लिए धनोपार्जन करती है। यदि सरकार स्त्रियों के लिये अलग से व्यवसायिक शिक्षा की व्यवस्था कर दे, तो महिलाओं की प्रगति में और भी तीव्रता लायी जा सकती हैं। इससे महिलायें अधिक से अधिक धनोपार्जन करके अपने परिवार की स्थिति में सुधार ला सकती हैं। जब परिवार की स्थिति सुधरेगी तब समाज की स्थिति सुधरेगी और जब समाज की स्थित सुधरेगी तो राष्ट्र की स्थिति स्वतः ही सुधर जायेगी।

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नारी शिक्षा का उद्देश्य क्या है?

नारी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है? नारी शिक्षा परिवार में विनम्रता और सहनशीलता प्रदान करती है बल्कि समाज और देश में सामाजिक और आर्थिक मजबूती को सही दिशा देती है। सरकार को महिलाओं के विकास के लिए बेहतर विद्यालय और विश्वविद्यालयों का निर्माण कराना चाहिए ताकि स्त्री शिक्षा को मजबूती मिल सके।

स्त्री शिक्षा का क्या महत्व है?

स्वरूप और महत्व अगर महिलाएँ शिक्षित हों तो वे अपने घरों की सभी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। स्त्री शिक्षा राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय विकास में मदद करता है। आर्थिक विकास और एक राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में मदद करता है। महिला शिक्षा एक अच्छे समाज के निर्माण में मदद करती है।

स्त्री शिक्षा का क्या अर्थ है?

स्त्री शिक्षा का मुख्य उद्देश्य स्त्रियों को योग्य ग्रहणी योग्य माता, योग्य पत्नी और समाज में एक योग्य नारी बनाना है। भारतीय संविधान में स्त्रियों को पुरुषों के समान सम्मान व ऐश्वर्य व अधिकार प्राप्त हैं, आज आधुनिक समाज में स्त्री को पुरुष के बराबर दर्जा देते हुए सह शिक्षा का निर्माण किया गया है।

स्त्री शिक्षा के महत्व को 8 10 वाक्यों में लिखिए?

देश की उचित सामाजिक और आर्थिक वृद्धि के लिए स्त्री शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। पुरुष और महिला दोनों सिक्के के दो पहलू की तरह हैं और समाज के दो पहियों की तरह समान रूप से चलते हैं। इसलिए दोनों देश में विकास और विकास के महत्वपूर्ण तत्व हैं और इस प्रकार शिक्षा में समान अवसर की आवश्यकता है।