सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए क्या प्रयास किए जाने चाहिए? - sadak durghatanaon ko kam karane ke lie kya prayaas kie jaane chaahie?

सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए क्या प्रयास किए जाने चाहिए? - sadak durghatanaon ko kam karane ke lie kya prayaas kie jaane chaahie?

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मेनहेटन में एक प्रकार का चिन्ह जो वाहनों को सुरक्षित चलाने हेतु कह रहा है।

सड़क यातायात सुरक्षा एक प्रकार का विधि या उपाय है जिससे सड़क दुर्घटना में लोगों को चोट लगने और उससे मौत होने आदि घटनाओं को कम करने का प्रयास किया जाता है। सड़क का उपयोग करने वाले सभी लोग जिसमें पैदल चलने वाले, साइकल, गाड़ी चालक या सार्वजनिक यातायात साधनों का उपयोग करने वाले शामिल हैं। सड़क यातायात सुरक्षा हेतु घटनाओं को देख कर रणनीति बनाई जाती है। वर्तमान में सड़क के आस पास के माहौल को देख कर वाहन की गति आदि तय किया जाता है।[1]

कारण[संपादित करें]

सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए क्या प्रयास किए जाने चाहिए? - sadak durghatanaon ko kam karane ke lie kya prayaas kie jaane chaahie?

एक पर्वत चोटी पर वर्ष 1920 में वाहनों को गिरने से बचाने हेतु किए इंतेजाम

विश्व में सड़क यातायात में मौत या जख्मी होना कुछ बहुत बड़ी परेशानियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर वर्ष 10 लाख से अधिक लोग सड़क हादसों के शिकार व्यक्ति की मौत हो जाती है। इस संगठन के द्वारा एक जानकारी वर्ष 2004 में प्रकाशित की गई। जिसके अनुसार लगभग 12 लाख लोगों की मृत्यु और 5 करोड़ लोग इसके कारण इस वर्ष घायल हुए हैं। इसमें से सबसे अधिक मौतें 10 से 19 वर्ष के लोगों के हुए हैं। इस जानकारी के अनुसार अधिक विकासशील देशों में यह समस्या और भी अधिक खतरनाक है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. International Transport Forum (2008). "Towards Zero, Ambitious Road Safety Targets and the Safe System Approach". OECD. मूल से 15 मई 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 January 2012. It recognises that prevention efforts notwithstanding, road users will remain fallible and crashes will occur.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए क्या प्रयास किए जाने चाहिए? - sadak durghatanaon ko kam karane ke lie kya prayaas kie jaane chaahie?


भारत में सड़क दुर्घटनाएँ: एक अवलोकन- यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस परीक्षाओं के लिए समसामयिकी


चर्चा का करण

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) ने वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह (6-12 मई) के दौरान एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर सड़क दुर्घटनाओं में प्रति वर्ष 1.35 मिलियन से अधिक मौतें होती हैं एवं 50 मिलियन से अधिक लोगों को गंभीर शारीरिक चोटें आती हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि विश्व में प्रत्येक 23 सेकेंड में सड़क दुर्घटना के कारण एक मौत होती है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट के पिछले संस्करण के बाद से दुनिया के तीन क्षेत्रें- अमेरिका, यूरोप और पश्चिमी प्रशांत में सड़क यातायात की मौत दरों में गिरावट आई है।
  • अफ्रीका में सड़क यातायात से होने वाली मृत्यु की दर सबसे अधिक (प्रति 100,000 की जनसंख्या पर 26.6%) है, जबकि यूरोप में सबसे कम (प्रति 100,000 की आबादी पर 9.3) है।
  • सड़क यातायात से होने वाली कुल मौतों में मोटरसाइकिल सवार और यात्रियों की हिस्सेदारी 28% है, लेकिन कुछ क्षेत्रें में यह अनुपात अधिक है। उदाहरण के लिये दक्षिण-पूर्व एशिया में यह 43% और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में 36% है।
  • डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार भारत में सड़क दुर्घटना में मरने वालों की दर प्रति 100,000 पर 22.6 है।
  • भारत ने लोगों की सुरक्षा के लिये आवश्यक नियमों को स्थापित किया है, लेकिन ये नियम सड़कों पर होने वाली मौतों के आँकड़ों को कम करने में असफल रहे हैं।
  • रिपोर्ट में पाया गया कि सतत् विकास लक्ष्यों 2030 की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये सरकारों को अपने सड़क सुरक्षा प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता है।

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति

आज हमारे देश में सबसे ज्यादा लोगों की मौतें किसी बीमारी के बजाय, सड़क हादसों में हो रही है। आधुनिक युग में सड़क दुर्घटना एक आम-सी बात हो गयी है। वास्तव में वाहनों की बढ़ती संख्या और सड़क सुरक्षा आज भारत के लिए एक बड़ी समस्या है। सड़क परिवहन मंत्रलय द्वारा हाल ही में सड़क हादसों से सम्बंधित रिपोर्ट जारी की गई। इस रिपोर्ट में देश में सड़क हादसों के बारे में जानकारी दी गई जो निम्नलिखित हैं-

  • सड़क परिवहन मंत्रलय की इस रिपोर्ट के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में पिछले साल एक लाऽ 47 हजार 913 लोग मारे गए और चार लाऽ 70 हजार 975 लोग घायल हुए हैं।
  • उल्लेखनीय है कि देश में पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं और इनसे मरने वालों की संख्या लगातार दूसरे साल घटी है जो पहले साल के मुकाबले क्रमशः 3.3 और 1.9 प्रतिशत कम है।
  • इन आँकड़ों के अनुसार हर दिन 1273 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें प्रति दिन 405 लोगों की मौतें हुईं।
  • इस हिसाब से देश में हर घंटे 17 लोगों को सड़क हादसों में जान गँवानी पड़ रही है।
  • आँकड़ों के अनुसार देश में 15 राज्यों में से सबसे ज्यादा 65 हजार 562 सड़क दुर्घटनाएँ तमिलनाडु में हुई किन्तु मरने वालों में सबसे ज्यादा 20 हजार 174 लोग उत्तर प्रदेश से हैं।
  • जबकि तमिलनाडु में मरने वालों की संख्या 16 हजार 157 रही और वह इस मामले में दूसरे स्थान पर रहा।
  • इस दौरान उत्तर प्रदेश में कुल 38 हजार 783 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं।

सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण

सड़क यातायात से होने वाली अवांछनीय घटना एवं उनसे होने वाली हानि सड़क दुर्घटना कहलाती है। सड़क पर होने वाली दुर्घटनाएँ ऐसे ही नहीं होती हैं बल्कि उसके मूल में कोई न कोई कारण होता है। इन कारणों को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत समझा जा सकता हैं-

  • विश्व में तीव्र गति के वाहनों की वजह से 48% सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं। तेज गति से वाहन चलाने पर प्रतिक्रिया के लिए कम समय ही मिल पाता है नतीजतन वाहन को रोकना मुश्किल हो जाता है।
  • खराब सड़कें दुर्घटनाओं का एक महत्वपूर्ण कारण हैं। कई बार सड़कों का डिजाइन इस प्रकार होता है कि उस पर सुरक्षित वाहन चलाना कठिन हो जाता है।
  • विकासशील देशों में सड़कों पर सभी तरह के वाहनों का एक साथ चलना, गलत ट्रैक पर वाहन चलाना, वाहन को ओवरटेक करना आदि दुर्घटना का प्रमुख कारण माना जाता है।
  • वाहन चलाते समय ध्यानपूर्वक न चलाना भी सड़क दुर्घटना का एक अन्य कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के अनुसार विश्व में होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 77.8 प्रतिशत दुर्घटना वाहन चालकों की गलती से होती हैं।
  • बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में शहरीकरण की नियमों को लागू करने में विलंब, भारी वाहनों में ओवरलोडिंग तथा यात्री वाहनों में क्षमता से अधिक सवारियाँ भरना आदि शामिल हैं।
  • शराब तथा अन्य नशीले पदार्थों का सेवन कर वाहन चलाना बेहद खतरनाक होता है, इससे दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।
  • सुरक्षा साधनों का उपयोग नहीं करना दुर्घटना के जोखिम को बढ़ाता है। उदाहरण के लिए दुपहिया वाहन चालकों के लिए उच्च गुणवत्ता वाला आइएसआइ मार्क (ISI Mark) का हेलमेट 70% तक जान बचाने में मदद करता है। वहीं चार पहिया वाहनों में सीट बेल्ट का उपयोग गंभीर चोट से बचाने में मददगार होता है इसके बावजूद इसकी अनदेखी की जाती है।

सरकारी प्रयास

सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्याओं को लेकर सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को निम्नलिखित बिन्दुओं के अंतर्गत देखा जा सकता है-

  • सरकार ने एक ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति’ मंजूर की है, जिसके तहत विभिन्न उपायों में जागरूकता बढ़ाना, सड़क सुरक्षा सूचना पर आँकड़ें एकत्रित करना, सड़क सुरक्षा की बुनियादी संरचना के अंतर्गत कुशल परिवहन अनुप्रयोग को प्रोत्साहित करना तथा सुरक्षा कानूनों को लागू करना शामिल है।
  • सड़क सुरक्षा के मामलों में नीतिगत निर्णय लेने के लिए भारत सरकार ने शीर्ष संस्था के रूप में ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद’ का गठन किया है।
  • मंत्रलय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से राज्य तथा जिला स्तर पर ‘सड़क सुरक्षा परिषद’ और समितियों की स्थापना करने का अनुरोध भी किया है।
  • मंत्रलय ने सड़क सुरक्षा पर चार स्तरों- शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग (सड़क और वाहनों) और आपात देखभाल के स्तर पर सुदृढ़ नीति अपनाई है।
  • विभिन्न चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्ग, एक्सप्रेस-वे (राज्य राजमार्ग) मार्गों पर सुरक्षा लेखा/ आँकड़े भी एकत्रित किये जा रहे हैं।
  • वाहन चालकों को प्रशिक्षण देने के लिए संस्थान स्थापित किए गए हैं।
  • वाहन चलाते समय सुरक्षा उपायों, जैसे- हेलमेट, सीट बेल्ट, पॉवर स्टेयरिंग, रियर व्यू मिरर और सड़क सुरक्षा जागरूकता से संबंधित अभियान पर जोर दिया जा रहा है।
  • ‘सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रलय’, सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नवीन उपायों के तहत ‘सड़क सुरक्षा सप्ताह’, दूरदर्शन और रेडियो नेटवर्क से प्रचार, सड़क सुरक्षा पर सामग्री का वितरण, प्रकाशन, समाचार-पत्रें में विज्ञापन तथा सड़क सुरक्षा पर सेमिनार, सम्मेलन और कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है।
  • उपरोत्तफ़ के अतिरित्तफ़ पाठड्ढ पुस्तकों में सड़क सुरक्षा पर एक अध्याय शामिल किया गया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड-सीबीएसई ने कक्षा छह से कक्षा बारह के पाठड्ढक्रम में ऐसे लेख शामिल किए हैं। राज्य सरकारों को राज्य शिक्षा बोर्ड के स्कूलों के पाठड्ढक्रम में भी सड़क सुरक्षा से संबंधित लेख शामिल करने की सलाह दी गई है।
  • सरकार ने मोटर वाहन संशोधन विधेयक, 2017 को लाने के लिए प्रयासरत है।

मोटर वाहन संशोधन विधेयक, 2017

मोटर वाहन संशोधन विधेयक, 2017 को 10 अप्रैल 2017 को लोकसभा में पारित किया जा चुका है लेकिन इसे राज्य सभा में पारित होना बाकि है। मोटर वाहन अधिनियम को 1988 में पहली बार बनाया गया था।

मोटर वाहन अधिनियम, 2017 की मुख्य विशेषताएँ

  • यह विधेयक सड़क सुरक्षा, मुआवजा और बीमा, टैक्सी के एग्रीगेटर्स संबंधी विनियमन तथा वाहनों के रिकॉल जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर बात करता है।
  • विधेयक वैसे खराब मोटर वाहनों को वापस लेने (Recall) की अनुमति देगा जो पर्यावरण या सड़क प्रयोग करने वाले लोगों को नुकसान पहुँचा सकती है।
  • इसमें केंद्र सरकार से मोटर वाहन दुर्घटना कोष बनाने की अपेक्षा की गई है जो भारत में सड़कों का प्रयोग करने वाले सभी लोगों को अनिवार्य बीमा कवर प्रदान करेगा।
  • शराब या ड्रग्स के नशे की हालत में वाहन चलाने पर अधिकतम दंड 2000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए कर दिया गया है।
  • हिट एंड रन जैसे मामलों में मृत्यु होने पर मुआवजा राशि 25,000 रुपए से बढ़कर 2 लाऽ रुपए या उससे अधिक करने का प्रावधान किया गया है।
  • गुड समैरिटन यानी नेक व्यत्तिफ़, जो दुर्घटना के समय पीडि़त को आपातकालीन मेडिकल या नॉन मेडिकल मदद देता है, किसी दीवानी या आपराधिक कार्यवाही के लिये उत्तरदायी नहीं होगा।
  • विधेयक में रोड डिजाइनर, कंसल्टेंट्स तथा स्टेकहोल्डर एजेंसी को डिजाइन तथा ऑपरेशन के लिये उत्तरदायी बनाया गया है।
  • यदि मोटर वाहन निर्माता मोटर वाहनों के रख-रखाव के मानदंडों का अनुपालन करने में असफल रहता है तो अधिकतम 100 करोड़ रुपए तक का दंड या एक वर्ष तक का कारावास या दोनों सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसे मामलों में किशोरों के अभिभावक या मोटर वाहन के मालिक तब तक उत्तरदायी माने जाएंगे जब तक कि वे यह साबित न कर दें कि अपराध अभिभावक की जानकारी के बिना किया गया था।

अन्य प्रयास

  • वर्ष 2015 में भारत ब्रासीलिया सड़क सुरक्षा घोषणा का हस्ताक्षरकर्त्ता बन गया, जिसके अंतर्गत वर्ष 2020 तक सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों की संख्या को 50 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • सड़क दुर्घटना में घायलों को निःशुल्क इलाज करवाने की योजना लागू की गई है। 13 राज्यों में दुर्घटना के सर्वाधिक संभावित 25 स्थलों, जहां 90 प्रतिशत दुर्घटनाएँ होती रही है, की पहचान की गई है। इन स्थानों पर दुर्घटना से बचने के उपायों को लागू किया गया है। आपात देखभाल पर कार्य समिति की अनुशंसाओं के आधार पर राष्ट्रीय एंबुलेंस कोड तैयार किया गया है।
  • सड़क सुरक्षा की नीति को सुदृढ़ आधार पर लागू करने के लिए कई सरकारी विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। सड़क सुरक्षा पर सरकारी एजेंसियों में बेहतर तालमेल स्थापित करने, संबंधित राज्य में सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तथा सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या को न्यूनतम करने के लिए तकनीकी उपायों को लागू करने के लिए सभी राज्य सरकारों से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च-स्तरीय समिति गठित करने को कहा गया है। राज्यों से भी अपनी सड़कों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने की कार्यनीति तैयार करने को कहा गया है।
  • राष्ट्रीय राजमार्गों और ग्रामीण सड़कों के विकास तथा रखरखाव हेतु निधि बनाने के लिये केंद्रीय सड़क निधि अधिनियम (Central Road Fund Act) 2000 के तहत केंद्र सरकार द्वारा एक केंद्रीय सड़क निधि की स्थापना की गई है।
  • इसके तहत कोष जुटाने के लिये सेंट्रल रोड फंड एक्ट, 2000 के अंतर्गत पेट्रोल और हाई स्पीड डीजल तेल पर उपकर, आबकारी और सीमा शुल्क के रूप में लेवी जमा करने का प्रस्ताव रखा गया था। इस निधि का उपयोग मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर सड़क ओवरब्रिज और अंडरब्रिज का निर्माण तथा अन्य सुरक्षा सुविधाओं के लिये करने का प्रावधान किया गया है
  • हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रलय ने आईआईटी दिल्ली के छात्रें की मदद से सड़क सुरक्षा पर वेबसाइट www.missionroadsafety.com की शुरूआत की है। यह वेबसाइट सड़क दुर्घटनाओं और उससे संबंधित जानकारियों के बारे में आँकड़े प्रदान करती है।

संयुक्त राष्ट्र के द्वारा किया गया प्रयास

2011 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सड़क दुर्घटना के कारण चोट लगने और दुनिया भर में होने वाली मौतों की तेजी से बढ़ती संख्या को देखते हुए वर्ष 2011-2020 के लिये सड़क सुरक्षा कार्यवाही की घोषणा की जिसका उदेश्य इस अवधि के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत की कमी लाना है। इसके लिए पाँच क्षेत्रें पर ध्यान दिया गया है-

  • सड़क सुरक्षा प्रबंधन।
  • सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर।
  • सुरक्षित वाहन।
  • सड़क उपयोगकर्त्ताओं का व्यवहार।
  • दुर्घटना के बाद प्रतिक्रिया।

आगे की राह

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि बढ़ते शहरीकरण और बढ़ते सड़क यातायात के बीच आज दुनिया में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक लोग मारे जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार विश्व में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लाखों लोगों की मौतें होती हैं और मरने वालों में विशेष रूप से गरीब देशों के लोगों की संख्या अधिक है। बावजूद इसके विश्व में केवल 28 देशों में सड़क दुर्घटनाओं को लेकर समग्र कानून लागू किये गए हैं। विश्व की कुल जनसंख्या का केवल 7 प्रतिशत हिस्सा इनके दायरे में आता है। इससे स्पष्ट है कि सड़क दुर्घटनाओं और उनसे मरने वालों की संख्या को देखते हुए सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के मामले में अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। इस संदर्भ में कुछ सुझावों को अमल में लाया जा सकता है-

  • सड़क हादसों में कमी लाने के लिये बहुआयामी प्रयासों की आवश्यकता है, जैसे-वाहन सुरक्षा मानकों को सुदृढ़ करना, जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना, कार्यान्वयन को मजबूत करना तथा आकस्मिक आघात देखभाल कार्यक्रम को सुसंगत बनाना।
  • चूंकि ठेकेदार द्वारा किये गये सड़क निर्माण में गुणवत्ता का अभाव होता है। सरकार को सड़क निर्माण के दौरान सड़कों की गुणवत्ता में सुधार करने और बाद में रखरखाव के लिये अधिक निवेश सुनिश्चित करना चाहिए।
  • सरकार को अपने राजमार्ग चेकिंग के दौरान विशेष रूप से रात में शराब पीकर ड्राइविंग करने, तेज ड्राइविंग, वाहनों की ओवर लोडिंग आदि की जाँच प्रणाली में सुधार करना चाहिए।
  • मोटर वाहन संशोधन विधेयक, 2017 में ऐसे सभी कदम उठाए गए हैं, जिससे सड़क हादसों में निश्चिय ही कमी आ सकती है जरूरत है, इन उपायों को सख्ती से लागू करने की।
  • नियमित कार्यक्रमों के माध्यम से वयस्कों, ट्रक और बस चालकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
  • सड़क दुर्घटनाओं को रोकने हेतु एक मजबूत पक्ष नागरिकों का राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व को समझना और यातायात नियमों का समुचित पालन हो सकता है।
  • सरकार को यातायात उल्लंघन के लिए जुर्माने की राशि बढ़ाना चाहिए।
  • सड़क यातायात का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक विधि से यातायात प्रबंधन और निगरानी काफी कारगार हो सकती है। आधुनिक सड़क संकेतन प्रणाली वास्तविक समय में यातायात चालन में सुधार कर सकती है। साथ ही पर्याप्त कैमरा निगरानी की मदद से सड़क दुर्व्यवहारियों को आवश्यकतानुसार दण्ड दिया जा सकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3

  • बुनियादी ढांचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

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सड़क दुर्घटना को दूर करने के लिए क्या क्या उपाय हो सकते हैं?

दुर्घटनाओं से बचने के 10 आसान उपाय, आप भी आजमाएं....
हनुमान मंदिर में मिट्‍टी के दीये में चमेली के तेल का दीपक जलाएं।.
पक्षियों को लाल मसूर खिलाएं।.
हनुमान मंदिर से कलाई पर मौली बंधवाएं।.
हनुमानजी के मंदिर में गुड़-चने का प्रसाद बांटें।.
नींबू पर सिंदूर लगाकर चौराहे पर फेंक दें।.
विधवा महिलाओं की इच्छा अनुसार मिठाई बांटें।.

दुर्घटनाओं से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

घर के वास्‍तु का प्रत्‍यक्ष प्रभाव उस घर के सदस्‍यों के दैनिक जीवन पर पड़ता है। घर से बाहर निकलने पर कई बार हमारे साथ कुछ ऐसी दुर्घटनाएं हो जाती हैं, जिसमें हमारी कोई गलती नहीं होती।

सड़क दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण क्या है?

सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों में चालक की लापरवाही, यातायात नियमों का उल्लंघन या उसकी ठीक जानकारी न होना, चालक द्वारा नशा करना, पैदल चलने वालों की लापरवाही आदि का समावेश है। इसके अलावा यातायात विभाग भी इसमें समान रूप से जिम्मेदार है।

सड़क दुर्घटना के ब्यक्ति को पाने पर आपकी क्या जिम्मेदारी है?

आपके सामने सड़क दुर्घटना होने पर वहां से भागने की बजाय दुर्घटनाग्रस्‍त व्‍यक्ति की मदद करें, उससे संबंधित सभी प्रकार के दस्‍तावेज तैयार करें, प्राथमिक चिकित्‍सा देकर पुलिस को इसके बारे में सूचित करें।