श्री यंत्र घर में रखने से क्या होता है? - shree yantr ghar mein rakhane se kya hota hai?

अगर घर में स्थापित है श्री यंत्र तो इन बातों का रखें ध्यान, तभी मिलेगा फायदा

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला Published by: Shashi Shashi Updated Thu, 15 Apr 2021 08:03 AM IST

धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रीयंत्र की पूजा बहुत प्रभावशाली मानी गई है। कहा जाता है कि श्रीयंत्र की पूजा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है इसलिए लोग अपने घर में श्रीयंत्र की स्थापना करके पूजा और अराधना करते हैं। यदि विधि-विधान के साथ श्रीयंत्र की पूजा की जाती है वहां सदैव सुख-संपत्ति, सौभाग्य और ऐश्वर्य बना रहता है। यदि आपने अपने घर में श्रीयंत्र की स्थापना की है या करने जा रहे हैं तो इससे संबंधित नियमों का पालन करना भी कुछ बेहद जरूरी है। यदि इन बातों को ध्यान में न रखा जाए तो श्रीयंत्र पूजा करने का उचित फल प्राप्त नहीं होता है। जानते हैं वे बातें जिन्हें श्रीयंत्र की स्थापना करने से पहले ध्यान रखना चाहिए।

सनातन धर्म में शुभ मुहूर्त का बहुत महत्व होता है। शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य से शुभ फल की प्राप्ति होती है, इसलिए कोई भी कार्य करने से पहले मुहूर्त अवश्य देखा जाता है। यदि आप अपने घर में श्री यंत्र स्थापित कर रहे हैं तो किसी योग्य ज्योतिषी से शुभ मुहुर्त की जानकारी अवश्य ले लें।

अगर घर में श्रीयंत्र रख रहे हैं तो उसे भी पूजा स्थान में रखें और देव समान ही नियमित रूप से पूजा करें। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के साथ श्री यंत्र की पूजा अवश्य करें। इस बात का ध्यान रखें कि एक बार श्री यंत्र को स्थापित करने के बाद रोजाना उसकी पूजा जरूर करनी चाहिए। इसकी पूजा न करने से आपको कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है इसके अलावा इसके नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं।

कोई भी यंत्र आकृतियों, चिन्हों और अंको को उकेरकर बनाया जाता है, किसी भी यंत्र का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए उसका सही तरह से बना हुआ होना आवश्यक है। यदि आप श्रीयंत्र को घर में स्थापित कर रहे हैं तो भलभांति जांच लें कि श्रीयंत्र सही बना हो, गलत श्रीयंत्र की पूजा करने से कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है।

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क्यों घर में रखा जाता है श्रीयंत्र, क्या इसको रखने के हैं कुछ खास नियम

जीवन मंत्र डेस्क. कई घरों में मुख्य दरवाजे के ऊपर या घर के मंदिर में श्रीयंत्र रखा जाता है। शास्त्रों ने इसे लक्ष्मी का रुप माना है। लेकिन, श्रीयंत्र रखने के कुछ और कारण भी हैं। आमतौर पर ये दो तरह का होता है, एक पिरामिड के आकार का, दूसरा पिरामिड जैसी डिजाइन का तांबे की प्लेट पर बना यंत्र। इसके धार्मिक कारण के साथ, इसकी आकृति के कारण इसका महत्व ज्यादा है। कई त्रिकोणों से मिलकर बनी इसकी आकृति पिरामिड जैसी ही होती है। जो अपने आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करके सकारात्मकता फैलाती है।

मिस्र में बनाए गए पिरामिड भी श्रीयंत्र से प्रेरित माने जाते हैं। वास्तु विज्ञान मानता है कि इनका तिकोना आकार आकाशिय सकारात्मक ऊर्जा को अपने अंदर खिंचता है। इससे इसके आसपास काफी अच्छा वातावरण होता है। अक्सर घरों में लोग धन-प्राप्ति के लिए श्रीयंत्र की स्थापना करते हैं लेकिन उनको उससे जुड़ा कोई फायदा नहीं होता।

इसका अर्थ ये नहीं है कि श्रीयंत्र में कोई दोष है, संभव है कि इसको रखने के नियम के बारे में जानकारी नहीं होने से लोग इसका फायदा नहीं ले पाते। हमारे ग्रंथों ने श्रीयंत्र को साक्षात लक्ष्मी ही माना है। श्रीयंत्र बहुत प्रभावी माना गया है अगर पूरी विधि-विधान से उसकी स्थापना ना की जाए और उससे जुड़े नियम ना रखे जाएं तो कभी उसका लाभ नहीं मिलता है।

अगर आप भी घर में श्रीयंत्र रखते हैं या रखने का विचार कर रहे हैं तो आपको कुछ नियमों को जान लेना चाहिए। ज्योतिषग्रंथ यंत्रम् में इसे लेकर कई नियम और सावधानियां बताई गई हैं। बिना इन नियमों के कभी भी श्रीयंत्र से हमें वो फायदा नहीं मिल पाएगा, जिसके लिए घर में उसकी स्थापना की होगी। श्रीयंत्र को लेकर कई तरह के भ्रम भी हैं, लोग घरों में कई तरह के यंत्र श्रीयंत्र के नाम पर रख लेते हैं।

Shri Yantra Ka Mahatva: हिंदू धर्म (Hiduism) में हर देवी-देवता को अलग-अलग दिन पूजा जाता है. शुक्रवार (Friday) का दिन माता लक्ष्मी को समर्पित किया गया है. इसी क्रम में माता लक्ष्मी (Mata Laxmi) को प्रसन्न करने का सबसे उत्तम उपाय है मां लक्ष्मी का श्री यंत्र, मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इस यंत्र की पूजा करने का विधान काफी प्राचीन है. मान्यता के अनुसार माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए स्फटिक का श्री यंत्र (Shri Yantra) सबसे उत्तम होता है. ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति को धन से संबंधित परेशानियां होती हैं उन्हें श्रीयंत्र की पूजा करनी चाहिए. विधि विधान से श्री यंत्र की पूजा करने से जहां यह श्री यंत्र रखा होता है वहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि क्यों श्री यंत्र घर में स्थापित करना चाहिए और क्या है इसके फायदे और महत्व.

क्या है श्रीयंत्र
दुर्गा सप्तशती में कहा गया है “आराधिता सैव नृणां भोगस्वर्गापवर्गदा” अर्थात आराधना किए जाने पर आदि शक्ति देवी मनुष्यों को सुख, भोग, स्वर्ग अपवर्ग देने वाली होती है. उपासना सिद्ध होने पर सभी प्रकार की “श्री” मतलब चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति हो सकती है. इसीलिए इस यंत्र को श्री यंत्र कहा जाता है. इस यंत्र की अधिष्ठात्री देवी त्रिपुर सुंदरी हैं, इसे शास्त्रों में विद्या, महाविद्या, परम विद्या के नाम से भी जाना जाता है.

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कैसे बना श्रीयंत्र-
श्री यंत्र की उत्पत्ति को लेकर धार्मिक पुराणों में उल्लेख मिलता है कि एक बार महालक्ष्मी अप्रसन्न होकर पृथ्वी से बैकुंठ चली गईं. माता के रुष्ट हो जाने से पृथ्वी पर बहुत सी समस्याएं पैदा होने लगी. ब्राम्हण और महाजन बिना लक्ष्मी के निर्धन हो गए, तब ब्राह्मणों में श्रेष्ठ वशिष्ठ मुनि ने निश्चय किया कि लक्ष्मी को प्रसन्न कर पृथ्वी पर वापस ले आऊंगा.

जब मुनि वशिष्ठ बैकुंठ में जाकर माता लक्ष्मी से मिले तो उन्हें पता चला कि माता लक्ष्मी अप्रसन्न हैं वह किसी भी स्थिति में पृथ्वी पर आने को तैयार नहीं हुई. तब वशिष्ठ ने वहीं पर बैठकर भगवान विष्णु की आराधना शुरू की, नारायण ने प्रसन्न होकर मुनि वशिष्ठ को अपने दर्शन दिए. वशिष्ट ने श्री हरि विष्णु से कहा कि हम पृथ्वी पर बिना लक्ष्मी के बहुत दुखी हैं हमारे सारे आश्रम उजड़ गए हैं और धरती का वैभव खत्म होने वाला है. यह सुनकर भगवान विष्णु वशिष्ठ को साथ लेकर माता लक्ष्मी के पास गए और उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन महालक्ष्मी नहीं मानी और उन्होंने कहा कि मैं किसी भी स्थिति में पृथ्वी पर वापस जाने को तैयार नहीं हूं.

जब चारों दिशाओं में माता लक्ष्मी के पृथ्वी पर वापस ना आने की बात फैल गई तब देवताओं के गुरु बृहस्पति ने एक युक्ति सुझाई उन्होंने कहा कि अब श्री यंत्र साधना ही एकमात्र उपाय बचा है जिससे माता लक्ष्मी को धरती पर आना ही पड़ेगा. गुरु बृहस्पति के निर्देशों से विष्णु ने धातु पर श्री यंत्र का निर्माण किया और उसे मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त करते हुए दीपावली के 2 दिन पूर्व धन त्रयोदशी पर श्री यंत्र को स्थापित कर विधि-विधान से उसका पूजन किया. पूजन समाप्त होते-होते माता लक्ष्मी को वहां आना ही पड़ा और वे बोलीं – ‘मैं किसी भी स्थिति में यहां आने के लिए तैयार नहीं थी, यह मेरा प्रण था, परन्तु बृहस्पति की युक्ति से मुझे आना ही पड़ा. श्री यंत्र मेरा आधार है और इसी में मेरी आत्मा निहित है.‘

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घर में श्री यंत्र स्थापित करने के फायदे और इसका महत्व-
– यदि आप भी अपने घर में श्री यंत्र की स्थापना करना चाहते हैं तो किसी जानकार ज्योतिष शास्त्री से इसको स्थापित करने का शुभ मुहूर्त अवश्य देख लें. शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इसलिए कोई भी शुभ कार्य करने से पहले मुहूर्त अवश्य देखा जाता है.

– श्री यंत्र में साक्षात महालक्ष्मी का वास होता है. इसके अलावा श्री यंत्र जिस जगह होता है वहां चारों तरफ का वातावरण शुद्ध और पवित्र हो जाता है. इससे माता लक्ष्मी के आगमन पर बाधाएं नहीं आती है.

– श्री यंत्र की स्थापना से अष्ट लक्ष्मी की प्राप्ति भी होती है. इससे बिजनेस में सफलता, सुखी जीवन, आर्थिक मजबूती और पारिवारिक सुख समृद्धि प्राप्त होती है. साथ ही जिन लोगों के व्यापार और जॉब में लंबे समय से रुकावट है या फिर उनकी तरक्की नहीं हो रही उन्हें श्री यंत्र की स्थापना जरूर करनी चाहिए. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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Tags: Dharma Aastha, Religion

FIRST PUBLISHED : April 08, 2022, 07:12 IST

घर में कौन सा श्रीयंत्र रखना चाहिए?

स्फटिक श्री यंत्र स्फटिक से बना श्री यंत्र, दक्षिणावर्ती शंख, गोमती चक्र एवं तुलसी पत्र जिस घर में हों वहां धन और ऐशवर्य की कोई कमी नहीं होती है। स्फटिक के श्रीयंत्र को समस्त प्रकार के श्रीयंत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। वास्तु निवारण के लिए स्फटिक श्री यंत्र श्रेष्ठतम माना जाता है।

श्री यंत्र क्या काम आता है?

कहा जाता है कि श्रीयंत्र की पूजा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है इसलिए लोग अपने घर में श्रीयंत्र की स्थापना करके पूजा और अराधना करते हैं। यदि विधि-विधान के साथ श्रीयंत्र की पूजा की जाती है वहां सदैव सुख-संपत्ति, सौभाग्य और ऐश्वर्य बना रहता है।

श्री यंत्र को घर में कैसे स्थापित करें?

प्रात: काला स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर श्रीयंत्र पूजा की तैयारी करनी चाहिए. श्रीयंत्र को लाल कपड़े पर स्थापित करके इसे गंगाजल और दूध द्वारा पूजना चाहिए. श्री यंत्र को पूजा स्थान या व्यापारिक स्थान तथा अलमारी में शुद्ध स्थान पर रखा जा सकता है. श्रीयंत्र का पंचामृत, दुग्ध, दही, शहद, घी और गंगाजल से स्नान करा कराएं.

श्री यंत्र की स्थापना कब करनी चाहिए?

श्रीयंत्र की स्‍थापना के दिन सुबह उठकर स्‍नान करें और साफ कपड़े पहनें। दिवाली के पर्व पर आप श्रीयंत्र की स्‍थापना लक्ष्‍मी पूजन के वक्‍त ही आप कर सकती हैं। श्रीयंत्र को महालक्ष्‍मी के साथ कभी भी स्‍थापित न करें।