टेलीग्राफ का जनक किसे कहते हैं - teleegraaph ka janak kise kahate hain

टेलीग्राफ का जनक किसे कहते हैं - teleegraaph ka janak kise kahate hain

१८६१ में निर्मित एक टेलीग्राफ मशीन

किसी भौतिक वस्तु के विनिमय के बिना ही संदेश को दूर तक संप्रेषित करना टेलीग्राफी (Telegraphy) कहलाता है। विद्युत्‌ धारा की सहायता से, पूर्व निर्धारित संकेतों द्वारा, संवाद एवं समाचारों को एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजनेवाला तथा प्राप्त करनेवाला यंत्र तारयंत्र (telegraph) कहलाता है। वर्तमान में यह प्रौद्योगिकी अप्रचलित (obsolete/आब्सोलीट) हो गयी है।

परिचय[संपादित करें]

टेलीग्राफ का जनक किसे कहते हैं - teleegraaph ka janak kise kahate hain

सैमुएल मोर्स जिन्होने मोर्स कोड बनाकर १८४४ में वाशिंगटन और बॉल्टिमोर के बीच तार द्वारा खबरें भेजकर तारयन्त्र का सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया।

सैमुएल मोर्स के मस्तिष्क में यह विचार आया कि विद्युत्‌ की शक्ति से भी समाचार भेजे जा सकते हैं। इस दिशा में सर्वप्रथम प्रयोग स्कॉटलैंड भी समाचार भेजे जा सकते हैं। इस दिशा में सर्वप्रथम प्रयोग स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक डॉ॰ माडीसन से सन्‌ 1753 में किया। इसको मूर्त रूप देने में ब्रिटिश वैज्ञानिक रोनाल्ड का हाथ था, जिन्होने सन्‌ 1838 में तार द्वारा खबरें भेजने की व्यावहारिकता का प्रतिपादन सार्वजनिक रूप से किया। यद्यपि रोनाल्ड ने तार से खबरें भेजना संभव कर दिखाया, किन्तु आजकल के तारयंत्र के आविष्कार का अधिकाश श्रेय अमरीकी वैज्ञानिक, सैमुएल एफ॰ बी॰ मॉर्स, को है, जिन्होने सन्‌ 1844 में वाशिंगटन और बॉल्टिमोर के बीच तार द्वारा खबरें भेजकर इसका सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया।

टेलिग्राफ युनानी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है दूर से लिखना। आजकल विद्युतद्वारा संदेश भेजने की इस पद्धति को तार प्रणाली तथा इस प्रकार समाचार भेजने को तार (telegram) करना या भेजना कहते है।

टेलीग्राफ का जनक किसे कहते हैं - teleegraaph ka janak kise kahate hain

टेलीग्राफी की क्रियाविधि को स्पष्ट करने वाला योजनामूलक चित्र

साधारणतया यह सभी को ज्ञात है कि सूचनाओं या संदेशों को विविध शब्दों द्वारा व्यक्त किया जाता है। ये शब्द स्वयं विभिन्न अक्षरों या वर्णो से बनते हैं। तार प्रणाली में इन विभिन्न अक्षरों या वर्णो को हम संकेतों (signal elements) के नाना प्रकार के संयोजनों से प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार अक्षरों का संकेतों द्वारा निरूपण तारकूट (telegraph code) कहा जाता है। समाचार भेजने के स्थान से तारकूट की सहायता से संदेश के विभिन्न शब्दों के अक्षरों को संकेत में परिवर्तित कर लिया जाता है। इस प्रकार विद्युत धारा के अंशों (current elements) को, जिनका निर्माण संकेतों पर आधृत रहता है, तार की लाइनों (lines) में भेजा जाता है। जिन स्थानों पर समाचार भेजना होता है उन स्थानों पर इस धारा के अंशों को पुन: संकेतों में बदल लिया जाता है। इन संकेतों को तारकूट की सहायता से अक्षरों में परिवर्तित कर पूरा समाचार प्राप्त कर लिया जाता है। इस प्रकार समाचार भेजने में तारकूट व्यवस्था अपना विशिष्ट स्थान रखती है। मूलत: तार प्रणाली में एक प्रेषित्र (Transmitter), एक ग्राही यंत्र (Receiver or Sounder), विद्युद्वारा के लिये एक बैटरी तथा तार की एक लाइन की आवश्यकता होती है। तार की लाइन या तो ऊपर हवा में रहती है, या धरती के अंदर है। इसी का मूल तार परिपथ (basic telegraph circuit) सामने के चित्र में दिया गया है। तार की पद्धति में कई सुधार भी किए गए हैं, जिससे अब एक साथ ही अनेक समाचार दोनों दिशाओं में भेजे जाते हैं।

हस्तचालित तार पद्धति (manual telegraphy) में हाथ से ही तार कुंजी (telegraph key) चलाकर, एक प्रेषित्र की सहायता से विद्युद्वारा के उन अंशों को, जो विभिन्न अक्षरों को व्यक्त करते हैं, उत्पन्न किया जाता है। किंतु उच्च गति तारप्रणाली (high speed telegraphy) में पहले तारकूट के अनुसार, संदेश के छिद्रण (perforations) एक कागज के फीते पर लिए जाते हैं। तदनंतर यही फीता प्रेषित्र की सहायता से संकेत धाराओं (signal currents) को उत्पन्न करने के लिये प्रयोग में लाया जाता है। प्राप्त धाराओं (received currents) को ध्वनि संकेत (sound signals) अक्षरों के व्यक्त करते हैं, अथवा इन्हीं प्राप्त धाराओं को कागज में प्रयुक्त किया जा सकता है। मुख्यतया तार प्रणाली की निम्नलिखित दो शाखाएँ :

  • 1. लाइन तारप्रणाली (Line telegraphy),
  • 2. समुद्री तार प्रणाली (Submarine telegraphy)

टेलीग्राफ का जनक किसे कहते हैं - teleegraaph ka janak kise kahate hain

क्लाड चैप (Claude Chappe) के प्रकाशीय टेलीग्राफ की प्रतिकृति (जर्मनी में)

टेलीग्राफी के विकास के पहले लन्दन से भेजे गये पत्र को विभिन्न स्थानों पर पहुँचने में लगा समय
दिनकहाँ [1]
12 न्यूयॉर्क (यूएसए)
13 अलेक्जैण्ड्रिया (मिस्र)
19 कांस्टैंटिनोपुल (तुर्की)
33 मुम्बई
44 कोलकाता
45 सिंगापुर
57 संघाई
73 सिडनी

लाइन तारप्रणाली[संपादित करें]

मुख्यत: दो प्रकार के तारकूट इस प्रणाली में प्रयुक्त होते हैं:

  • 1. मॉर्स तारकूट तथा
  • 2. पंच ईकाई तारकूट (Five unit code)।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • दूरसंचार (Telecommunications)
  • दूरभाष (टेलीफोन)
  • बेतारी टेलीग्राफी
  • मोर्स कोड

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • The Porthcurno Telegraph Museum The biggest Telegraph station in the world, now a museum
  • History of the U.S. Telegraphic Industry from Economic History.net
  • Distant Writing — The History of the Telegraph Companies in Britain between 1838 and 1868
  • Royal Engineers Museum — Telegraph Services
  • Anglo-American Telegraph Company, Ltd. Records, 1866–1947 Archives Center, National Museum of American History, Smithsonian Institution.
  • Western Union Telegraph Company Records, 1820–1995 Archives Center, National Museum of American History, Smithsonian Institution.
  • Early telegraphy and fax engineering, still operable in a German computer museum
  • "Telegram Falls Silent Stop Era Ends Stop", The New York Times, February 6, 2006
  1. "A History of the Telegraph Companies in Britain between 1838-1868 by Steven Roberts". मूल से 26 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 फ़रवरी 2017.

भारत में टेलीग्राफ का जनक कौन है?

लॉर्ड डलहौजी रेलवे और टेलीग्राफ को भारत लाए और उन्हें आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में जाना जाता है

टेलीग्राफ की स्थापना कब हुई?

यद्यपि रोनाल्ड ने तार से खबरें भेजना संभव कर दिखाया, किन्तु आजकल के तारयंत्र के आविष्कार का अधिकाश श्रेय अमरीकी वैज्ञानिक, सैमुएल एफ॰ बी॰ मॉर्स, को है, जिन्होने सन्‌ 1844 में वाशिंगटन और बॉल्टिमोर के बीच तार द्वारा खबरें भेजकर इसका सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया।

टेलीग्राफ का आविष्कार कब और किसने किया?

टेलीग्राफ प्रणाली द्वारा संदेश भेजने की विधि का आविष्कार अमेरीका के एक वेज्ञानिक, चित्रकार सैम्युएल फिन्ले ब्रीस मोर्स ने सन्‌ 1837 में किया

भारत में टेलीग्राम की शुरुआत कब हुई?

टेलीग्राम एक निशुल्क, क्रॉस-प्लेटफॉर्म, क्लाउड-आधारित त्वरित मैसेजिंग, वीडियो कॉलिंग और वीओआईपी सेवा है। इसे आरम्भ में 14 अगस्त 2013 को आइओएस के लिए और अक्टूबर 2013 में एण्डरॉइड के लिए लॉञ्च किया गया था।