तुलसी की माला कब धारण करना चाहिए? - tulasee kee maala kab dhaaran karana chaahie?

विषयसूची

  • 1 तुलसी की माला कब पहने?
  • 2 तुलसी की माला क्यों पहनी चाहिए?
  • 3 तुलसी की माला कितने प्रकार की होती है?
  • 4 कंठी पहनने से क्या होता है?
  • 5 कंठी कैसे पहने?

तुलसी की माला कब पहने?

इसे सुनेंरोकेंआपको बता दें कि तुलसी की माला पहनने से अपका लिविंग स्टैंडर्ड भी बढ़ता है। अगर आप रामा तुलसी की माला पहनती हैं तो आपको यह सोमवार, गुरूवार, या बुद्धवार को ही धारण करनी चाहिए। आपको पहले इसे गंगाजल ( गंगाजल छूने के नियम जानें) से शुद्ध करना चाहिए उसके बाद आप इसे पहन सकती हैं।

तुलसी की माला क्यों पहनी चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंऐसा कहा जाता है कि तुलसी की माला पहनने से ना केवल शरीर बल्कि मन और आत्मा भी पवित्र होते हैं। यह भी माना जाता है कि इसके औषधीय गुण भी तुलसी की माला पहनने से शरीर को प्राप्त होते हैं। तुलसी की माला पहनने से कई प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है। तुलसी की माला से कई मंत्रों का जाप भी किया जा सकता है।

असली तुलसी माला की पहचान कैसे करें?

इसे सुनेंरोकेंअसली तुलसी माला की पहचान कैसे करें? ( Asli Tulsi Mala ki pehchan kaise kare? ) असली तुलसी माला की पहचान ( tulsi mala ki pahchan ) करने के लिए उसे करीब 30 मिनट तक पानी में रख दें। यदि वह माला अपना रंग न छोड़े तो वह माला असली है।

तुलसी की माला कितने प्रकार की होती है?

इसे सुनेंरोकेंमानसिक शांति मिलती है तुलसी की माला पहनने से मन शांत रहता है और आत्मा पवित्र होती है. तुलसी के बीजों की माला पहनना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है. तुलसी मुख्य रूप से श्यामा तुलसी और रामा तुलसी दो प्रकार की होती है. श्यामा तुलसी की माला को धारण करने से मानसिक शांति मिलती है और मन में पॉजिटिविटी आती है.

कंठी पहनने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंकंठी माला को लेकर मान्यता है कि जो इसे पहनता हैं उन्हें नरक की यातना नहीं झेलनी पड़ती है. साथ ही तुलसी की माला धारण करने वालों को स्वर्ग में स्थान मिलता है. इसके अलावा जन्म-मरण के चक्कर से मुक्ति मिलती है. नई दिल्ली: हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत पवित्र माना गया है.

तुलसी माला कौन पहन सकता है?

तुलसी की माला को पहनने से पहले गंगाजल से धो लेना चाहिए और सूखने के बाद धारण करना चाहिए.

  • इस माला को धारण करने वाले लोग रोजाना जाप करना होता हैं. इससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती हैं.
  • तुलसी माला पहनने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन करना चाहिए.
  • किसी भी स्थिति परिस्थिति में तुलसी की माला को शरीर से अलग नहीं करना चाहिए
  • कंठी कैसे पहने?

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    1. तुलसी की माला को पहनने से पहले गंगाजल से धो लेना चाहिए और सूखने के बाद धारण करना चाहिए.
    2. इस माला को धारण करने वाले लोग रोजाना जाप करना होता हैं.
    3. तुलसी माला पहनने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन करना चाहिए.
    4. किसी भी स्थिति परिस्थिति में तुलसी की माला को शरीर से अलग नहीं करना चाहिए

    तुलसी की माला कब धारण करना चाहिए? - tulasee kee maala kab dhaaran karana chaahie?

    तुलसी की माला कब धारण करना चाहिए? - tulasee kee maala kab dhaaran karana chaahie?

    धार्मिक क्रियाओं में तुलसी पौधे, तुलसी के पत्तों एवं तुलसी माला का व्यापक प्रयोग होता है। न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से तुलसी का बहुत महत्त्व है। यह एक उत्कृष्ट रसायन है। यह गर्म और त्रिदोष शामक है। रक्तविकार, ज्वर, वायु, खांसी एवं कृमि निवारक है तथा हृदय के लिए हितकारी है। सफेद तुलसी के सेवन से त्वचा, मांस और हड्डियों के रोग दूर होते हैं। काली तुलसी के सेवन से सफेद दाग दूर होते हैं। तुलसी की जड़ और पत्ते ज्वर में उपयोगी हैं। वीर्यदोष में इसके बीज उत्तम हैं। तुलसी की चाय पीने से ज्वर, आलस्य, सुस्ती तथा वातपित्त विकार दूर होते हैं, भूख बढ़ती है। तुलसी की महिमा बताते हुए भगवान शिव नारदजी से कहते हैं-

    ‘पत्रं पुष्पं फलं मूलं शाखा त्वक् स्कन्धसंज्ञितम।

    तुलसीसंभवं सर्वं पावनं मृत्तिकादिकम।।’

    तुलसी का पत्ता, फूल, फल, मूल, शाखा, छाल, तना और मिट्टी आदि सभी पावन हैं।

    क्यों भक्तों को प्रिय है तुलसी माला?

    मालाएं कई प्रकार की होती हैं। जैसे फूलों की माला, रत्न जड़ित, बीजों और धातुओं की माला आदि। कुछ मालाओं का इस्तेमाल आभूषण के रूप में किया जाता है तो कुछ को मन व एकाग्रता के लिए गले में और हाथों से जाप करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। ऐसे में अधिकांश लोग तुलसी की माला का प्रयोग करते हैं। तुलसी की माला को उपयोग में लाने के कई कारण हैं, क्योंकि तुलसी वैष्णव धर्म का प्रतीक है। श्रीकृष्ण और विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तुलसी की माला को जपा व धारण किया जाता है। कहते हैं श्रीकृष्ण की सोलह हजार पटरानियां और आठ पत्नियां थीं। उन आठ पत्नियों में से एक पत्नी तुलसी भी थी। वह श्रीकृष्ण को प्रिय थी, इसलिए उपासक, साधक या वैष्णव धर्मप्रेमी तुलसी की माला का प्रयोग करते हैं। 

    तुलसी माला धारण करने से लाभ

    तुलसी की माला धारण करने के कई लाभ हैं।  तुलसी की माला धारण करने के पीछे भी वैज्ञानिक मान्यता है। वैज्ञानिकों का कथन है कि होंठ और जीभ का प्रयोग कर निरन्तर जप करने से साधक की कंठ-धमनियां को अधिक कार्य करना पड़ता है जिसके फलस्वरूप कंठमाला, गलगंड आदि रोग होने की आशंका होती है। इसके बचाव के लिए तुलसी की माला पहनी जाती है। तुलसी अपने गुणों से कंठ को दुरुस्त रखती है और इसका स्पर्श व दबाव गले, गर्दन और सीने में एक्यूप्रेशर का काम करता है।

    हिन्दू-संस्कृति में तुलसी का बहुत बड़ा महत्त्व है। यह सब रोगों का नाश करती है इसलिए इससे अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु प्राप्त होती है। इसकी माला पहनने वाले के चारों ओर चुम्बकीय शक्ति विद्यमान होने के कारण आकर्षण और वशीकरण शक्ति आ जाती है तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

    तुलसी की माला धारण करने के संबंध में शालिग्राम पुराण में कहा गया है- भोजन करते समय तुलसी की माला का गले में होने से अनेक यज्ञों का पुण्य प्राप्त होता है। जो कोई तुलसी की माला धारण करके स्नान करता है उसे गंगा स्नान जैसे सारी नदियों के स्नान का फल प्राप्त होता है।

    तुलसी की माला कब धारण करना चाहिए? - tulasee kee maala kab dhaaran karana chaahie?

    तुलसी माला तुलसी के पौधे से निर्मित की जाती है। तुलसी परम पवित्र एवं आध्यात्मिक तथा औषधीय गुणों से अपने आप में परिपूर्ण है। इस माला से भगवान विष्णु, राम, श्रीकृष्ण एवं गायत्री मंत्र का जप, अत्यंत शुभदायी होता है। वैष्णव दीक्षा से दीक्षित साधु संत, तथा गृहस्थी भक्तजन इसे कंठी के रूप में भी धारण करते हैं। जहां तुलसी का समुदाय हो, वहां किया हुआ पिंडदान आदि पितरों के लिए अक्षय होता है।

    गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है। तुलसी की माला पर भगवन्नाम जप करने से एवं गले में पहनने से आवश्यक एक्युप्रेशर बिन्दुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव में लाभ होता है, संक्रामक रोगों से रक्षा होती है तथा शरीर स्वास्थ्य में सुधार होकर दीर्घायु की प्राप्ति होती है। तुलसी माला धारण करने से शरीर निर्मल, रोगमुक्त व सात्त्विक बनता है। तुलसी शरीर की विद्युत संरचना को सीधे प्रभावित करती है। इसको धारण करने से शरीर में विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है तथा जीव-कोशों द्वारा धारण करने के सामर्थ्य में वृद्धि होती है।

    गले में माला पहनने से बिजली की लहरें निकलकर रक्त संचार में रुकावट नहीं आने देतीं। प्रबल विद्युतशक्ति के कारण धारक के चारों ओर चुम्बकीय मंडल विद्यमान रहता है।

    तुलसी की माला पहनने से आवाज सुरीली होती है, गले के रोग नहीं होते, मुखड़ा गोरा, गुलाबी रहता है। हृदय पर झूलने वाली तुलसी माला फेफड़े और हृदय के रोगों से बचाती है। इसे धारण करने वाले के स्वभाव में सात्त्विकता का संचार होता है।

    तुलसी की माला धारक के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाती है। कलाई में तुलसी का गजरा पहनने से नब्ज नहीं छूटती, हाथ सुन्न नहीं होता, भुजाओं का बल बढ़ता है। तुलसी की जड़ें कमर में बांधने से स्त्रियों को, विशेषत: गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है। प्रसव वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है। कमर में तुलसी की करधनी पहनने से पक्षाघात नहीं होता, कमर, जिगर, तिल्ली, आमाशय और यौनांग के विकार नहीं होते हैं।

    यदि तुलसी की लकड़ी से बनी हुई मालाओं से अलंकृत होकर मनुष्य देवताओं और पितरों के पूजनादि कार्य करे तो वह कोटि गुना फल देने वाला होता है। जो मनुष्य तुलसी की लकड़ी से  बनी हुई माला भगवान विष्णु को अर्पित करके पुन: प्रसाद रूप से उसे भक्तिपूर्वक धारण करता है, उसके पाप नष्ट हो जाते हैं।

    तुलसी दर्शन करने पर सारे पाप-समुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुंचाती है। तुलसी लगाने पर भगवान के समीप ले जाती है और भगवद् चरणों में चढ़ाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है। 

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    तुलसी की माला कब पहनना चाहिए?

    तुलसी की माला किस दिन पहने? ( Tulsi ki Mala kis din pahne? ) तुलसी की माला दो प्रकार की होती हैं – रामा तुलसी और श्यामा तुलसी। दोनों ही तुलसी की माला को धारण करने के लिए शुभ दिन सोमवार, बुधवार और बृहस्पतिवार माना गया है।

    तुलसी की माला कैसे धारण करें?

    तुलसी की माला को पहनने से पहले गंगाजल से धो लेना चाहिए और सूखने के बाद धारण करना चाहिए..
    इस माला को धारण करने वाले लोग रोजाना जाप करना होता हैं. इससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती हैं..
    तुलसी माला पहनने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन करना चाहिए. ... .
    किसी भी स्थिति परिस्थिति में तुलसी की माला को शरीर से अलग नहीं करना चाहिए.

    तुलसी की माला गले में धारण करने से क्या होता है?

    - तुलसी की माला पहनने से मन शांत और आत्मा पवित्र होती है. - यह माला पहनने से शरीर निर्मल होता है, जीवनशक्ति बढ़ती है. व्यक्ति को पाचन शक्ति, बुखार, जुकाम, सिरदर्द, स्किन इंफेक्शन, दिमाग की बीमारियों और गैस से संबंधित कई बीमारियों (Disease) में राहत मिलती है. यह संक्रमण से होने वाली बीमारियों से भी बचाती है.

    तुलसी की माला में कितने दाने होने चाहिए?

    माला के 108 दानों से यह पता चल जाता है कि जप कितनी संख्या में हुआ। दूसरे माला के ऊपरी भाग में एक बड़ा दाना होता है जिसे 'सुमेरु' कहते हैं। इसका विशेष महत्व माना जाता है।