त्रयोदशी व्रत विधि इन हिंदी 2022 - trayodashee vrat vidhi in hindee 2022

Updated: Oct 17, 2022 12:09 PM | बारें में | संबंधित जानकारियाँ | यह भी जानें

Pradosh Vrat Date: Kartika Shukla: Saturday, 5 November 2022

त्रयोदशी व्रत विधि इन हिंदी 2022 - trayodashee vrat vidhi in hindee 2022

माह की त्रयोदशी तिथि का प्रदोष काल मे होना, प्रदोष व्रत होने का सही कारण है। प्रदोष काल सूर्यास्त से 45 मिनट पहिले प्रारम्भ होकर सूर्यास्त के बाद 45 मिनट होता है।
प्रदोष का दिन जब साप्ताहिक दिवस सोमवार को होता है उसे सोम प्रदोष कहते हैं, मंगलवार को होने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष तथा शनिवार के दिन प्रदोष को शनि प्रदोष कहते हैं।
कार्तिक कृष्ण प्रदोष व्रत: शनिवार, 22 अक्टूबर 2022 [दिल्ली]

वैसे तो त्रयोदशी तिथि ही भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। परंतु प्रदोष के समय शिवजी की पूजा करना और भी लाभदायक है।

ध्यान देने योग्य तथ्य: प्रदोष व्रत एक ही देश के दो अलग-अलग शहरों के लिए अलग हो सकते हैं। चूँकि प्रदोष व्रत सूर्यास्त के समय, त्रयोदशी के प्रबल होने पर निर्भर करता है। तथा दो शहरों का सूर्यास्त का समय अलग-अलग हो सकता है, इस प्रकार उन दोनो शहरों के प्रदोष व्रत का समय भी अलग-अलग हो सकता है।

इसीलिए कभी-कभी ऐसा भी देखने को मिलता है कि, प्रदोष व्रत त्रयोदशी से एक दिन पूर्व अर्थात द्वादशी तिथि के दिन ही हो जाता है।

सूर्यास्त होने का समय सभी शहरों के लिए अलग-अलग होता है अतः प्रदोष व्रत करने से पूर्व अपने शहर का सूर्यास्त समय अवश्य जाँच लें प्रदोष व्रत चन्द्र मास की शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है।

सुरुआत तिथि त्रयोदशी
कारण भगवान शिव का पसंदीदा दिन।
उत्सव विधि व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन, गौरी-शंकर मंदिर में पूजा, रुद्राभिषेक

यह भी जानें
  • शिव चालीसा
  • शिव आरती
  • शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र
  • महामृत्युंजय मंत्र
  • श्री रुद्राष्टकम्
  • द्वादश(12) शिव ज्योतिर्लिंग
  • दिल्ली के प्रसिद्ध शिव मंदिर
  • शिव भजन
  • मासिक शिवरात्रि
  • सिंघाड़े का हलवा बनाने की विधि
  • शिव अमृतवाणी
  • सोमवार व्रत कथा

Pradosh Vrat in English

Trayodashi tithi of the any month in Pradosha period(Kaal) is the right reason for Pradosha Vrat.

प्रदोष व्रत की पूजा कब करनी चाहिए?

प्रदोष व्रत की पूजा अपने शहर के सूर्यास्त होने के समय के अनुसार प्रदोष काल मे करनी चाहिए।

प्रदोष में क्या न करें?

भगवान शिव की प्रदोष काल में पूजा किए बिना भोजन ग्रहण न करें. व्रत के समय में अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करें।

प्रदोष व्रत मे पूजा की थाली में क्या-क्या रखें?

पूजा की थाली में अबीर, गुलाल, चंदन, काले तिल, फूल, धतूरा, बिल्वपत्र, शमी पत्र, जनेऊ, कलावा, दीपक, कपूर, अगरबत्ती एवं फल के साथ पूजा करें।

प्रदोष व्रत की विधि

प्रदोष व्रत करने के लिए मनुष्य को त्रयोदशी के दिन प्रात: सूर्य उदय से पूर्व उठना चाहिए।
नित्यकर्मों से निवृ्त होकर, भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें।
इस व्रत में आहार नहीं लिया जाता है।
पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले, स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण किए जाते है।
पूजन स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार किया जाता है।
अब इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाई जाती है।
प्रदोष व्रत कि आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता है।
इस प्रकार पूजन की तैयारियां करके उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए।
पूजन में भगवान शिव के मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करते हुए शिव को जल चढ़ाना चाहिए।

प्रदोष व्रत की महिमा

प्रदोष व्रत को रखने से दो गायों को दान देने के समान पुन्य फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत को लेकर एक पौराणिक तथ्य सामने आता है कि एक दिन जब चारों और अधर्म की स्थिति होगी, अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा, मनुष्य में स्वार्थ भाव अधिक होगी। व्यक्ति सत्कर्म करने के स्थान पर नीच कार्यों को अधिक करेगा। उस समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रख, शिव आराधना करेगा, उस पर शिव कृ्पा होगी। इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढता है. उसे उतम लोक की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत का महत्व

मान्यता और श्रध्दा के अनुसार स्त्री-पुरुष दोनों यह व्रत करते हैं। कहा जाता है कि इस व्रत से कई दोषों की मुक्ति तथा संकटों का निवारण होता है. यह व्रत साप्ताहिक महत्त्व भी रखता है।
रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत से आयु वृद्धि तथा अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
सोमवार के दिन त्रयोदशी पड़ने पर किया जाने वाला व्रत आरोग्य प्रदान करता है और इंसान की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
मंगलवार के दिन त्रयोदशी का प्रदोष व्रत हो तो उस दिन के व्रत को करने से रोगों से मुक्ति व स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।
बुधवार के दिन प्रदोष व्रत हो तो, उपासक की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत पड़े तो इस दिन के व्रत के फल से शत्रुओं का विनाश होता है।
शुक्रवार के दिन होने वाला प्रदोष व्रत सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति के लिए किया जाता है।
संतान प्राप्ति की कामना हो तो शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत करना चाहिए।
अपने उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए जब प्रदोष व्रत किए जाते हैं तो व्रत से मिलने वाले फलों में वृ्द्धि होती है।

प्रदोष व्रत का उद्यापन

इस व्रत को ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करना चाहिए।
उद्यापन से एक दिन पूर्व श्री गणेश का पूजन किया जाता है. पूर्व रात्रि में कीर्तन करते हुए जागरण किया जाता है।
प्रात: जल्दी उठकर मंडप बनाकर, मंडप को वस्त्रों और रंगोली से सजाकर तैयार किया जाता है।
'ऊँ उमा सहित शिवाय नम:' मंत्र का एक माला यानी 108 बार जाप करते हुए हवन किया जाता है।
हवन में आहूति के लिए खीर का प्रयोग किया जाता है।
हवन समाप्त होने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती की जाती है और शान्ति पाठ किया जाता है।
अंत: में दो ब्रह्माणों को भोजन कराया जाता है और अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

संबंधित जानकारियाँ

आगे के त्यौहार(2022)

Kartika Shukla: 5 November 2022Margashirsha Krishna: 21 November 2022Margashirsha Shukla: 5 December 2022Paush Krishna: 21 December 2022

मंत्र

ॐ नमः शिवायः, बोल बम, बम बम, बम बम भोले, हर हर महादेव

कारण

भगवान शिव का पसंदीदा दिन।

उत्सव विधि

व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन, गौरी-शंकर मंदिर में पूजा, रुद्राभिषेक

महत्वपूर्ण जगह

सभी ज्योतिर्लिंग, ऋषिकेश, पशुपतिनाथ, श्री शिव मंदिर, घर

पिछले त्यौहार

Kartika Krishna: 22 October 2022, Ashwina Shukla: 7 October 2022, Ashwina Krishna: 23 September 2022, Bhadrapad Shukla: 8 September 2022, Bhadrapad Krishna: 24 August 2022, Shravan Shukla: 9 August 2022, Shravan Krishna: 25 July 2022, Ashadha Shukla: 11 July 2022, Ashadha Krishna: 26 June 2022, Jyeshtha Shukla: 12 June 2022, Jyeshtha Krishna: 27 May 2022, Vaishakha Shukla: 13 May 2022, Vaishakha Krishna: 28 April 2022, Chaitra Shukla: 14 April 2022, Chaitra Krishna: 29 March 2022, Phalguna Shukla: 15 March 2022, Phalguna Krishna: 28 February 2022, Magha Shukla: 14 February 2022, Magha Krishna: 30 January 2022, Pausha Shukla: 15 January 2022, Paush Krishna: 31 December 2021

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Pradosh Vrat 2022 तिथियाँ

FestivalDate
Kartika Shukla 5 November 2022
Margashirsha Krishna 21 November 2022
Margashirsha Shukla 5 December 2022
Paush Krishna 21 December 2022

त्रयोदशी का व्रत कब से शुरू करें?

कब से प्रारंभ करें प्रदोष-व्रत शास्त्रानुसार प्रदोष-व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से प्रारंभ किया जा सकता है।

त्रयोदशी का व्रत कैसे किया जाता है?

- प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले आप त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं. - स्नान आदि करने के बाद आप साफ़ वस्त्र पहन लें. - उसके बाद आप बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें. - इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है.

त्रयोदशी के व्रत में क्या खाना चाहिए?

प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्‍वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है। प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए। हालांकि आप पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं।

त्रयोदशी व्रत करने से क्या फल मिलता है?

इस दिन व्रत रखने से रोगों से मुक्ति मिलती है. - बुधवार के दिन प्रदोष व्रत को करने से हर तरह की कामना सिद्ध होती है. - बृहस्पतिवार के दिन प्रदोष व्रत से शत्रुओं का नाश होता है. - शुक्रवार के दिन जो लोग प्रदोष व्रत रखते हैं, उनके जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है और दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है.