ठाली बैठे कल्पना करते रहने की पुरानी आदत किसकी थी? - thaalee baithe kalpana karate rahane kee puraanee aadat kisakee thee?


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वार्षिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्न उनके आदर्श उतर

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ठाली बैठे, कल्पना करते रहने क...

ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है। नवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान करने लगे । संभव है, नवाब साहब ने बिलकुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में किफायत के विचार से सेकंड क्लास का टिकट खरीद लिया हो और अब गवारा न हो कि शहर का कोई सफेदपोश उन्हे मँझले दर्जे में सफर करता देखे। अकेले सफर का वक्त काटने के लिए ही खीरे खरीदे होंगे और अब किसी सफेदपोश के सामने खीरा कैसे खाएँ ? हम कनखियों से नवाब साहब की ओर देख रहे थे। नवाब साहब कुछ देर . गाड़ी की खिड़की से बाहर देखकर स्थिति पर गौर करते रहे । <br> 'ओह', नवाब साहब ने सहसा हमें संबोधन किया, 'आदाब-अर्ज', जनाब, खीरे का शौक फरमाएंगे? <br> नवाब साहब का सहसा भाव-परिवर्तन अच्छा नहीं लगा। भाँप लिया, आप शराफत का गुमान बनाए रखने के लिए हमें भी मामूली लोगों की हरकत में लथेड़ लेना चाहते हैं। जवाब दिया, 'शुक्रिया, किबला शौक फरमाएँ ।' <br> (क) इस गद्यांश में लेखकों के स्वभाव पर क्या टिप्पणी है ? <br> (ख) लेखक ने नवाब साहब के बारे में क्या सोचा ? <br> (ग) लेखक नवाबों के बारे में किस धारणा से ग्रस्त है? <br> (घ) लेखक ने भी नवाब की तरह सेकंड क्लास में यात्रा की, फिर भी उसने नवाब के चरित्र में कमियाँ क्यों निकाली?

लिखित उत्तर

Solution : (क) इस गद्यांश में लेखकों के स्वभाव पर टिप्पणी करते हुए कहा गया है कि वे कल्पनाशील होते हैं । वे आसपास के जीवन में गहरी रुचि रखते हैं। वे घट रही घटनाओं और मिलने वाले मनुष्यों का सूक्ष्मता से अध्ययन करते हैं। वे सामने वाले की एक-एक मनोभावना पर गहरी नजर रखते हैं। <br> (ख) लेखक ने नवाब साहब के बारे में सोचा कि वे शायद इस डिब्बे में अकेले यात्रा करना चाहते थे। उन्होंने सोचा होगा कि सेकंड क्लास का डिब्बा खाली मिलेगा। इसीलिए उन्होंने किराया बचाने के लिए इस दर्जे का टिकट खरीद लिया होगा। परन्तु अब वे नहीं चाहते कि कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे। इसे वे अपनी शान में कमी मानते होंगे। <br> (ग) लेखक के मन में नवाबों के बारे में एक धारणा बन चुकी है। वह सोचता है कि ये नवाब अपनी आन-बान-शान बघारने में लगे रहते हैं। ये स्वयं को ऊँचे दर्जे का प्राणी मानते हैं। इसलिए ऊँचे दर्जे में यात्रा करते हैं । यदि कभी मँझले दर्जे में यात्रा करते देख लिए जाएँ तो वे इसे अपनी शान में कमी मानते हैं। इसलिए वे लोगों से नजर चुराते फिरते हैं। <br> (घ) लेखक ने भी नवाब की तरह सेकंड क्लास में यात्रा की। उसने स्वयं को यह कहकर उचित माना कि वह खाली बैठकर कुछ सोचेगा और प्राकृतिक दृश्य देखेगा। परन्तु नवाब को शान बघारने का दोषी माना । वास्तव में लेखक की पूर्वध रणा में खोट है।

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MCQ Online Test 2 for पाठ -12 लखनवी अंदाज़ – यशपाल (Lakhnavi Andaz) Class 10th Hindi Kshitij-II

प्रश्न :
1. ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत किसकी थी?
(क) नवाब साहब की
(ख) यात्री की
(ग) लेखक की
(घ) कवि की

2. वार्तालाप की शुरुआत किसने की?
(क) लेखक ने
(ख) नवाब साहब ने
(ग) दुकानदार ने
(घ) इनमें से कोई नहीं

3. नवाब साहब का सहसा क्या करना लेखक को अच्छा नहीं लगा?
(क) बात करना
(ख) खीरा खाना
(ग) भाव-परिवर्तन करना
(घ) जेब से चाकू निकालना

4. ट्रेन में किस दर्जे में सफ़र करने के अधिक पैसे लगते हैं?
(क) दूसरे दर्जे में
(ख) साधारण दर्जे में
(ग) मँझले दर्जे में
(घ) इनमें से कोई नहीं

5. लेखक कनखियों से किसकी ओर देख रहे थे?
(क) खिड़की की तरफ
(ख) घर की तरफ
(ग) स्टेशन की तरफ
(घ) नवाब साहब की तरफ

6. लखनऊ स्टेशन पर कौन खीरे के इस्तेमाल का तरीका जानते हैं?
(क) नवाब साहब
(ख) लेखक
(ग) खीरा बेचने वाले
(घ) इनमें से कोई नहीं

7. नवाब साहब ने खीरे की तैयारी के बाद उसका क्या किया?
(क) खा गए
(ख) खिड़की से बाहर फेंक दिया
(ग) नवाब साहब को दे दिया
(घ) इनमें से कोई नहीं

8. लेखक की इच्छा मात्र से क्या नहीं बन सकती?
(क) कविता
(ख) कहानी
(ग) नई कहानी
(घ) इनमें से कोई नहीं

9. लेखक के अनुमान के प्रतिकूल डिब्बा कैसा नहीं था?
(क) निर्जन
(ख) हवादार
(ग) स्वच्छ
(घ) सुरक्षित

10. लेखक के साथ यात्रा कर रहे नवाब कहाँ के जान पड़ते थे?
(क) आगरा के
(ख) कानपुर के
(ग) मैसूर के
(घ) लखनऊ के

पाठ - 12 लखनवी अंदाज Quiz - 2 | Class - 10th Hindi

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Thali बैठे कल्पना करते रहने की पुरानी आदत किसकी थी?

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ठाली बैठे कल्पना करते रहने की पुरानी आदत किसकी थी a नवाब साहब की B यात्री की C लेखक की d कवि की?

<br> (ख) लेखक ने नवाब साहब के बारे में सोचा कि वे शायद इस डिब्बे में अकेले यात्रा करना चाहते थे। उन्होंने सोचा होगा कि सेकंड क्लास का डिब्बा खाली मिलेगा। इसीलिए उन्होंने किराया बचाने के लिए इस दर्जे का टिकट खरीद लिया होगा। परन्तु अब वे नहीं चाहते कि कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे।

नवाब साहब की क्या पुरानी आदत थी वे नवाब साहब के बारे में क्या सोचने लगे?

ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है। नवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान करने लगे। संभव है, नवाब साहब ने बिल्कुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में किफ़ायत के विचार से सेकंड क्लास को टिकट खरीद लिया हो और अब गवारा न हो कि शहर का कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे। ….

नवाब साहब को खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना से संतुष्ट होने का लेखक पर क्या असर पडा?

उनकी इस हरकत का यह कारण होगा कि वे एक नवाब थे, जो दूसरों के सामने खीरे जैसी आम खाद्‌य वस्तु खाने में शर्म भव करते थे। लेखक को अपने डिब्बे में देखकर नवाब को अपनी रईसी याद आने लगी। इसीलिए उन्होंने खीरे को मात्र सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। नवाब साहब के ऐसा करने से ऐसा लगता है कि वे दिखावे की जिंदगी जी रहे हैं।