दुनिया का सबसे महान प्रधानमंत्री कौन है? - duniya ka sabase mahaan pradhaanamantree kaun hai?

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सबसे बेवकूफ पीएम सर्च करने मोदी की फोटो दिखा रहा गूगल

दुनिया का सबसे महान प्रधानमंत्री कौन है? - duniya ka sabase mahaan pradhaanamantree kaun hai?

नई दिल्ली\\न्यूयॉर्क। सर्च इंजन गूगल ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान किया है। मोदी भले ही देश के सबसे लोकप्रिय नेता हों लेकिन गूगल में ‘दुनिया का सबसे बेवकूफ प्रधानमंत्री’ सर्च करने पर उनकी तस्वीर सामने आ रही है।

सिर्फ नरेंद्र मोदी ही नहीं कई अन्य देशों के प्रमुखों की तस्वीरें भी इस सर्च (most stupid prime minister) के बाद दिखाई देती हैं। इनमें ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट और थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री अभिसित वेज्जाजीवा शामिल हैं। गूगल ऐसी गफलत पहले भी कर चुका है। इसी साल चार जून को ‘टॉप 10 क्रिमिनल्स’ सर्च करने पर नरेंद्र मोदी का नाम आ रहा था। तब भारत सरकार ने गूगल को चेतावनी दी थी। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि गूगल ने ऐसा जानबूझकर किया है।

सर्च इंजन तय नहीं करता

सर्च इंजन तय नहीं करता कि कौन-सी तस्वीर किस जगह पर आएगी। ये फोटो आर्टिकल, की-वर्ड या अन्य आधार पर दिखाई देती हैं।

श्री जवाहर लाल नेहरू

15 अगस्‍त, 1947 –27 मई, 1964 | कॉन्‍ग्रेस

दुनिया का सबसे महान प्रधानमंत्री कौन है? - duniya ka sabase mahaan pradhaanamantree kaun hai?

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की। पंद्रह साल की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1912 में भारत लौटने के बाद वे सीधे राजनीति से जुड़ गए। यहाँ तक कि छात्र जीवन के दौरान भी वे विदेशी हुकूमत के अधीन देशों के स्वतंत्रता संघर्ष में रुचि रखते थे। उन्होंने आयरलैंड में हुए सिनफेन आंदोलन में गहरी रुचि ली थी। उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनिवार्य रूप से शामिल होना पड़ा।

1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने। 1916 में वे महात्मा गांधी से पहली बार मिले जिनसे वे काफी प्रेरित हुए। उन्होंने 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया। 1920-22 के असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।

पंडित नेहरू सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। उन्होंने 1926 में इटली, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड, बेल्जियम, जर्मनी एवं रूस का दौरा किया। बेल्जियम में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में ब्रुसेल्स में दीन देशों के सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने 1927 में मास्को में अक्तूबर समाजवादी क्रांति की दसवीं वर्षगांठ समारोह में भाग लिया। इससे पहले 1926 में, मद्रास कांग्रेस में कांग्रेस को आजादी के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध करने में नेहरू की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के खिलाफ एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए उन पर लाठी चार्ज किया गया था। 29 अगस्त 1928 को उन्होंने सर्वदलीय सम्मेलन में भाग लिया एवं वे उनलोगों में से एक थे जिन्होंने भारतीय संवैधानिक सुधार की नेहरू रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर किये थे। इस रिपोर्ट का नाम उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया था। उसी वर्ष उन्होंने ‘भारतीय स्वतंत्रता लीग’ की स्थापना की एवं इसके महासचिव बने। इस लीग का मूल उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्णतः अलग करना था।

1929 में पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के लाहौर सत्र के अध्यक्ष चुने गए जिसका मुख्य लक्ष्य देश के लिए पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था। उन्हें 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कांग्रेस के अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। उन्होंने 14 फ़रवरी 1935 को अल्मोड़ा जेल में अपनी ‘आत्मकथा’ का लेखन कार्य पूर्ण किया। रिहाई के बाद वे अपनी बीमार पत्नी को देखने के लिए स्विट्जरलैंड गए एवं उन्होंने फरवरी-मार्च, 1936 में लंदन का दौरा किया। उन्होंने जुलाई 1938 में स्पेन का भी दौरा किया जब वहां गृह युद्ध चल रहा था। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने से कुछ समय पहले वे चीन के दौरे पर भी गए।

पंडित नेहरू ने भारत को युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर करने का विरोध करते हुए व्यक्तिगत सत्याग्रह किया, जिसके कारण 31 अक्टूबर 1940 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें दिसंबर 1941 में अन्य नेताओं के साथ जेल से मुक्त कर दिया गया। 7 अगस्त 1942 को मुंबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में पंडित नेहरू ने ऐतिहासिक संकल्प ‘भारत छोड़ो’ को कार्यान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया। 8 अगस्त 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर अहमदनगर किला ले जाया गया। यह अंतिम मौका था जब उन्हें जेल जाना पड़ा एवं इसी बार उन्हें सबसे लंबे समय तक जेल में समय बिताना पड़ा। अपने पूर्ण जीवन में वे नौ बार जेल गए। जनवरी 1945 में अपनी रिहाई के बाद उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेल रहे आईएनए के अधिकारियों एवं व्यक्तियों का कानूनी बचाव किया। मार्च 1946 में पंडित नेहरू ने दक्षिण-पूर्व एशिया का दौरा किया। 6 जुलाई 1946 को वे चौथी बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए एवं फिर 1951 से 1954 तक तीन और बार वे इस पद के लिए चुने गए।

भारत के सबसे महान प्रधानमंत्री कौन थे?

इस अंतिम सर्वेक्षण में कुल वोट ८०,९७,२४३ प्राप्त हुए थे, जिसमें विदेश के ५८,६७५ वोट थे। इन १० महान भारतीयों में से भी सबसे अधिक वोट बोधिसत्व डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी को प्राप्त हुए और करोड़ो लोगों एवं ज्यूरी द्वारा सबसे महान भारतीय घोषित हुए।

देश के पहले प्रधानमंत्री कौन थे?

भारत के पहले प्रधानमन्त्री, जवाहरलाल नेहरू थे, जिन्होंने १५ अगस्त १९४७ में, भारत के स्वाधीनता समारोह के साथ, अपने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।

सबसे अधिक उम्र के प्रधानमंत्री कौन थे?

(सबसे कम उम्र से लेकर सबसे कम उम्र तक) जीवित प्रधान मंत्री की सूची:.
मनमोहन सिंह (2004–2014) जन्म: २६ सितम्बर १९३२ (उम्र:90 वर्ष, 14 दिन).
ऍच॰ डी॰ देवगौड़ा (1996–1997) जन्म: १८ मई १९३३ (उम्र:89 वर्ष, 145 दिन).
नरेन्द्र मोदी (2014–उपस्थित) जन्म: १७ सितम्बर १९५० (उम्र:72 वर्ष, 23 दिन).

सन 1971 में भारत का प्रधानमंत्री कौन था?

श्री मोरारजी देसाई | भारत के प्रधानमंत्री