दुर्गा सप्तशती–शाप मुक्ति विधि Show दुर्गा सप्तशतीभगवान शिव के अनुसार जो व्यक्ति मां दुर्गा के रूप मंत्रों को किसी अच्छे कार्य के लिए जाग्रत करना चाहता है, उसे पहले दुर्गा सप्तशती को शाप मुक्त करना होता है और दुर्गा सप्तशती को शापमुक्त करने के लिए सबसे पहले निम्न मंत्र का सात बार जप करना होता है- ऊँ ह्रीं क्लीं श्रीं क्रां क्रीं चण्डिकादेव्यै शापनाशानुग्रहं कुरू कुरू स्वाहा फिर इसके पश्चात निम्न मंत्र का 21 बार जप करना हाेता है- ऊँ श्रीं क्लीं ह्रीं सप्तशति चण्डिके उत्कीलनं कुरू कुरू स्वाहा और अंत में निम्न मंत्र का 21 बार जप करना हाेता है- ऊँ ह्रीं ह्रीं वं वं ऐं ऐं मृतसंजीवनि विधे मृतमूत्थापयोत्थापय क्रीं ह्रीं ह्रीं वं स्वाहा इसके बाद निम्न मंत्र का 108 बार जप करना होता है- ऊँ श्रीं श्रीं क्लीं हूं ऊँ ऐं क्षाेंभय मोहय उत्कीलय उत्कीलय उत्कीलय ठं ठं इतनी विधि करने के बाद मां दुर्गा का दुर्गा-सप्तशती ग्रंथ भगवान शंकर के शाप से मुक्त हो जाता है। इस प्रक्रिया को हम दुर्गा पाठ की कुंजी भी कह सकते हैं और जब तक इस कुंजी का उपयोग नहीं किया जाता, तब तक दुर्गा-सप्तशती के पाठ का उतना फल प्राप्त नहीं होता, जितना होना चाहिए क्योंकि दुर्गा सप्तशती ग्रंथ को शापमुक्त करने के बाद ही उसका पाठ पूर्ण फल प्रदान करता है। कैसे करें दुर्गा-सप्तशती का पाठदेवी स्थापना – कलश स्थापनादुर्गा सप्तशती एक महान तंत्र ग्रंथ के रूप में उपल्बध जाग्रत शास्त्र है। इसलिए दुर्गा सप्तशती के पाठ को बहुत ही सावधानीपूर्वक सभी जरूरी नियमों व विधि का पालन करते हुए ही करना चाहिए क्योंकि यदि इस पाठ को सही विधि से व बिल्कुल सही तरीके से किया जाए, तो मनचाही इच्छा भी नवरात्रि के नौ दिनों में ही जरूर पूरी हो जाती है, लेकिन यदि नियमों व विधि का उल्लंघन किया जाए, तो दुर्घटनाओं के रूप में भयंकर परिणाम भी भोगने पडते हैं और ये दुर्घटनाऐं भी नवरात्रि के नौ दिनों में ही घटित होती हैं। इसलिए किसी अन्य देवी-देवता की पूजा-आराधना में भले ही आप विधि व नियमों पर अधिक ध्यान न देते हों, लेकिन यदि आप नवरात्रि में दुर्गा पाठ कर रहे हैं, तो पूर्ण सावधानी बरतना व विधि का पूर्णरूपेण पालन करना जरूरी है। विधि व नियम
दुर्गा-सप्तशती पाठ विधिविभन्न भारतीय धर्म-शास्त्रों के अनुसार दुर्गा सप्तशती का पाठ करने की कई विधियां बताई गर्इ हैं, जिनमें से दो सर्वाधिक प्रचलित विधियाें का वर्णन निम्नानुसार है: इस विधि में नौ ब्राह्मण साधारण विधि द्वारा पाठ करते हैं। यानी इस विधि में केवल पाठ किया जाता है, पाठ करने के बाद उसकी समाप्ति पर हवन आदि नहीं किया जाता। इस विधि में एक ब्राह्मण सप्तशती का आधा पाठ करता है। (जिसका अर्थ है- एक से चार अध्याय का संपूर्ण पाठ, पांचवे अध्याय में‘देवा उचुः- नमो दैव्ये महादेव्यै’ से आरंभ कर ऋषिरुवाच तक, एकादश अध्याय का नारायण स्तुति, बारहवां तथा तेरहवां अध्याय संपूर्ण) इस आधे पाठ को करने से ही संपूर्ण पाठ की पूर्णता मानी जाती है। जबकि एक अन्य ब्राह्मण द्वारा षडंग रुद्राष्टाध्यायी का पाठ किया जाता है। पाठ करने की दूसरी विधि अत्यंत सरल मानी गई है।इस विधि में प्रथम दिन एक पाठ (प्रथम अध्याय), दूसरे दिन दो पाठ (द्वितीय व तृतीय अध्याय), तीसरे दिन एक पाठ (चतुर्थ अध्याय), चौथे दिन चार पाठ (पंचम, षष्ठ, सप्तम व अष्टम अध्याय), पांचवें दिन दो अध्यायों का पाठ (नवम व दशम अध्याय), छठे दिन ग्यारहवां अध्याय, सातवें दिन दो पाठ (द्वादश एवं त्रयोदश अध्याय) करने पर सप्तशती की एक आवृति होती है। इस विधि में आंठवे दिन हवन तथा नवें दिन पूर्णाहुति किया जाता है। अगर आप एक ही बार में पूरा पाठ नही कर सकते है, तो आप त्रिकाल संध्या के रूप में भी पाठ को तीन हिस्सों में विभाजित करके कर सकते है। चूंकि ये विधियां अपने स्तर पर पूर्ण सावधानी के साथ करने पर भी गलतियां हो जाने की सम्भावना रहती है, इसलिए बेहतर यही है कि ये काम आप किसी कुशल ब्राम्हण से करवाऐं। Chaitra Navratri 2019: Navaran Mantra Sadhna At Navratri Pujan Retrograde Saturn in Different Houses Yellow Sapphire Pukhraj 5 Carat Natural Lab Certified, Yellow sapphire ring क्या दुर्गा सप्तशती शापित है?दुर्गा सप्तशती का हर मंत्र, ब्रह्मा, वशिष्ठ और विश्वामित्र जी द्वारा शापित किया गया है। अत: शापोद्धार के बिना इसका सही प्रतिफल प्राप्त नहीं होता। 4 यदि एक दिन में पूरा पाठ न किया जा सके, तो पहले दिन केवल मध्यम चरित्र का पाठ करें और दूसरे दिन शेष 2 चरित्र का पाठ करें।
दुर्गा सप्तशती का उत्कीलन कैसे करें?इस मंत्र का आदि और अन्त में सात बार जप करें। यह शापोद्धार मंत्र कहलाता है। इसके अनन्तर उत्कीलन मन्त्र का जाप किया जाता है। 'ॐ ह्रीं ह्रीं वं वं ऐं ऐं मृतसंजीवनि विद्ये मृतमुत्थापयोत्थापय क्रीं ह्रीं ह्रीं वं स्वाहा।
दुर्गा सप्तशती का पाठ कितने दिन में खत्म करना चाहिए?धार्मिक मान्यता के अनुसार जो भक्त नवरात्रि के पूरे नौ दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि में मां अपने भक्तों के कल्याण के लिए धरती पर आती हैं।
दुर्गा सप्तशती के पाठ में क्या क्या पढ़ना चाहिए?-दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले पुस्तक को लाल कपड़े पर रखकर उस पर अक्षत और फूल चढ़ाएं. पूजा करने के बाद ही किताब पढ़ना शुरू करें. -नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र ''ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे'' का जाप करना (Mantra jaap) जरूरी होता है.
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