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Register now for special offers +91 Home > Hindi > कक्षा 10 > Hindi > Chapter > वार्षिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्न उनके आदर्श उतर > तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान <b... तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान <br> मृतक में भी डाल देगी जान धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात......। <br> छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात <br> परस पाकर तुम्हारा ही प्राण, <br> पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण ,<br> छू गया तुमसे कि झरने लग पड़ शेफालिका के फूल <br> बाँस था कि बबूल? <br> 'दंतुरित मुसकान' किसे कहा गया है? मृतक में जान डालने की शक्ति किसमें है? आशय स्पष्ट करें।लिखित उत्तर Solution : किसी नन्हें शिशु के नये दाँत भरे मुसकान को .चतुरित मुसकान. कहा गया है। उस शिशु की मुस्कान बड़ी मनमोहक होती है। उसकी मुसकान में मृतक में भी जान डालने की शक्ति है। कवि के कहने का आशय यह है कि उस प्रकार के शिशु की मुस्कान में वह शक्ति छिपी है जो किसी भी प्रकार के मनुष्य को सरस बना सकती है। Add a public comment... Follow Us: Popular Chapters by Class:
यह दंतुरित मुसकान कविता की व्याख्यायह दंतुरित मुसकान मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात परस पाकर तुम्हारा ही प्राण, पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण प्रसंग: प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक 'क्षितिज (भाग 2)' में संकलित कविता ‘यह दंतुरित मुस्कान’ से ली गई है। इन पंक्तियों के रचयिता हिंदी के जनवादी कवि ‘नागार्जुन’ है। इस कविता में कवि ने एक छोटे बच्चे की मनोहारी मुस्कान को देख कर मन में उमड़े अपने भावों को प्रकट किया है।
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल?
तुम मुझे पाए नहीं पहचान? देखते ही रहोगे अनिमेष! थक गए हो? आँख लूँ मैं फेर? प्रसंग: प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक 'क्षितिज (भाग 2)' में संकलित कविता ‘यह दंतुरित मुस्कान’ से ली गई है। इन पंक्तियों के रचयिता हिंदी के जनवादी कवि ‘नागार्जुन’ है। इस कविता में कवि ने एक छोटे
बच्चे की मनोहारी मुस्कान को देख कर मन में उमड़े अपने भावों को प्रकट किया है। क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार?
यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज मैं न पाता जान धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य! चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य! इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क Yah danturit muskaan kavita ki vyakhyaप्रसंग: प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक 'क्षितिज (भाग 2)' में संकलित कविता ‘यह दंतुरित मुस्कान’ से ली गई है। इन पंक्तियों के रचयिता हिंदी
के जनवादी कवि ‘नागार्जुन’ है। इस कविता में कवि ने एक छोटे बच्चे की मनोहारी मुस्कान को देख कर मन में उमड़े अपने भावों को प्रकट किया है। उँगलियाँ माँ की कराती रही हैं मधुपर्क देखते तुम इधर कनखी मार
और होतीं जब कि आँखें चार तब तुम्हारी दंतुरित मुसकान मुझे लगती बड़ी ही छविमान! प्रसंग: प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक 'क्षितिज (भाग 2)' में संकलित कविता ‘यह दंतुरित मुस्कान’ से ली गई है। इन पंक्तियों
के रचयिता हिंदी के जनवादी कवि ‘नागार्जुन’ है। इस कविता में कवि ने एक छोटे बच्चे की मनोहारी मुस्कान को देख कर मन में उमड़े अपने भावों को प्रकट किया है। यह दंतुरित मुसकान कविता के अभ्यास के प्रश्नअभ्यास प्रश्न : बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर: कवि उस बच्चे की दंतुरित मुसकान से अंदर तक आह्लादित हो जाता है। उसे लगता है उस मुसकान ने कवि में एक नए जीवन का संचार कर दिया है। उसे लगता है कि वह उस बच्चे की सुंदरता को देखकर धन्य हो गया है। प्रश्न : बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है? उत्तर: बच्चे की मुसकान हमेशा निश्छल होती है। बड़ों की मुसकान में कई अर्थ छिपे हो सकते हैं। कभी-कभी यह मुसकान कुटिल हो सकती है, तो कभी किसी उम्मीद से भरी हो सकती है। ऐसा बहुत कम होता है कि किसी वयस्क की मुसकान उतनी निश्छल हो जितनी कि किसी बच्चे की। प्रश्न : कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? उत्तर: कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को व्यक्त करने के लिए प्राणदायी, कमल के फूल, इत्यादि बिंबों का प्रयोग किया है। प्रश्न : भाव स्पष्ट कीजिए: a. छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात। उत्तर: बच्चे के धूल धूसरित गालों को देखकर कवि को लगता है कि तालाब को छोड़कर कमल का फूल उस झोंपड़ी में खिल गया हो। b.
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल उत्तर: कवि को ऐसा लगता है कि उस बच्चे के निश्छल चेहरे में वह जादू है कि उसको छू लेने से बाँस या बबूल से भी शेफालिका के फूल झरने लगते हैं। Yah danturit muskaan Question Answerदंतुरित मुस्कान से आप क्या समझते हैं?कहने का आशय यह है कि बच्चे की मधुर मुस्कान देख कर पत्थर जैसे कठोर हृदय वाले मनुष्य का मन भी पिघलाकर अति कोमल हो जाता है। भावार्थ – इस कविता में कवि एक ऐसे बच्चे की मधुर मुस्कराहट की सुंदरता का बखान करता है जिसके अभी एक – दो दाँत ही निकले हैं , अर्थात बच्चा छ: से आठ महीने का है।
यह दंतुरित मुस्कान कविता में कवि ने क्या संदेश दिया?उत्तर: कवि उस बच्चे की दंतुरित मुसकान से अंदर तक आह्लादित हो जाता है। उसे लगता है उस मुसकान ने कवि में एक नए जीवन का संचार कर दिया है। उसे लगता है कि वह उस बच्चे की सुंदरता को देखकर धन्य हो गया है।
दंतुरित मुस्कान का आप पर क्या प्रभाव पड़ा स्पष्ट कीजिए?बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा था। वह उसके सुंदर और मोहक मुख पर छाई मनोहारी मुसकान से प्रसन्नता में भर उठा था। उसे ऐसा लगा था कि वह धूल-धूसरित चेहरा किसी तालाब में खिले सुंदर कमल के फूल के समान था जो उसकी झोपड़ी में आ गया था। कवि उसे एकटक देखता ही रह गया था।
यह दंतुरित मुस्कान किसकी है?यह दंतुरित मुसकान / नागार्जुन
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