दूध को गाढ़ा करने के लिए उसमें क्या मिलाया जाता है? - doodh ko gaadha karane ke lie usamen kya milaaya jaata hai?

दूध को गाढ़ा करने के लिए उसमें क्या मिलाया जाता है? - doodh ko gaadha karane ke lie usamen kya milaaya jaata hai?

दूध को गाढ़ा करने के लिए इन पांच चीजों से की जाती है मिलावट, ऐसे करें पहचान

श्रीनारद मीडिया, सेन्ट्रल डेस्क :

दूध को संपूर्ण आहार कहा जाता है लेकिन यह संपूर्ण आहार उस वक्त खतरनाक हो जाता है जब इसमें मिलावट करके इसकी शुद्धता कम कर दी जाती है। कई बार ऐसा होता है कि दूध में सिर्फ पानी ही नहीं मिलाया जाता बल्कि इसकी मात्रा बढ़ाने के लिए इसमें कई केमिकल्स भी मिला दिए जाते हैं, जो न सिर्फ आपको बीमार बना सकते हैं बल्कि बढ़ते बच्चों के विकास में भी बाधक बन सकते हैं। आइए, जानते हैं कैसे करें दूध में मिलावट की पहचान-
इस तरह करें जांच :
पानी 
ढलान वाली सतह पर दूध की एक बूंद डालें। शुद्ध दूध की बूंद धीरे-धीरे सफेद लकीर छोड़ते हुए जाएगी, जबकि पानी की मिलवाट वाली बूंद बिना कोई निशान छोड़े बह जाएगी।

स्टार्च 
लोडीन का टिंर और लोडीन सॉल्यूशन में कुछ बूंदे डालें, अगर वह नीली हो जाएं, तो समझें कि वह स्टार्च है।

यूरिया
एक चम्मच दूध को टेस्ट ट्यूब में डालें। उसमें आधा चम्मच सोयाबीन या अरहर का पाउडर डालें। अच्छी तरह से मिला लें। पांच मिनट बाद, एक लाल लिटमस पेपर डालें, आधे मिनट बाद अगर रंग लाल से नीला हो जाए, तो दूध में यूरिया है।

डिटर्जेंट
5 से 10 एमएल दूध को उतने ही पानी में मिला के हिलाएं। अगर झाग बनती है, तो डिटर्जेंट है।

सिन्थेटिक दूध 
सिन्थेटिक दूध का स्वाद कड़वा होता है, उंगलियों के बीच रगड़ने से साबुन जैसा लगता है और गर्म करने पर पीला हो जाता है।सिन्थेटिक दूध में प्रोटीन की मात्रा है या नहीं, इसकी जांच दवा की दुकान पर मिलने वाली यूरीज स्ट्रिप से की जा सकती है। इसके साथ मिली रंगों की सूची दूध में यूरिया की मात्रा बता देगी।

Back to top button

Detection of Adulterated Milk:  दूध को संपूर्ण आहार कहा जाता है लेकिन यह संपूर्ण भोजन उस वक्त खतरनाक हो जाता है. जब इसमें मिलावट करके इसकी शुध्दता कम कर दी जाती है. वहीं कई बार ऐसा होता है कि दूध में सिर्फ पानी ही नहीं मिलाया जाता है बल्कि इसकी मात्रा बढ़ाने के लिए इसमें कई केमिकल्स भी मिला दिए जाते हैं. जो न सिर्फ आपको बीमार बना सकते हैं बल्कि आपको कई बीमारियों का शिकार भी कर सकते हैं. ऐसे में आइये जानते हैं कि कैसे करें दूध में मिलावट की पहचान. 

मिलावट दूध की इस तरह करें पहचान-

पानी- ढलान वाली सतह पर दूध की एक बूंद डालें. इसके बाद दूध की बूंद अगर धीरे-धीरे लकीर छोड़ते हुए जाएं तो समझ जाइये कि दूध में कोई मिलावट नहीं है. वहीं इसके अलावा अगर दूध की बूंध कोई लकीर न छोड़े तो समझ जाइये इसमें मिलावट की गई हैं.

सिन्थेटिक दूध-सिन्थेटिक दूध का स्वाद थोड़ा कड़वा होता है.यह उंगलियों के बीच रगड़ने से साहुन जैसा लगता है और गर्म करने पर पीला हो जाता है. वहीं सिन्थेटिक दूध में प्रोटीन की मात्रा है या नहीं इसकी जांच करने के लिए दवा की दुकान पर मिलने वाली यूरीज स्ट्रिप से की जा सकती है. ये आपको दूध में यूरिया की मात्रा बता देगी.

News Reels

यूरिया- एक चम्मच दूध को टेस्ट ट्यूब में डालें, उसमें आधा चम्मच सोयाबीन या अरहर का पाउडर डालें. इसके बाद इसे अच्छी तरह मिला लें. इसके बाद पांच मिनट बाद एक लाल लिटमस पेपर डालें. आधे मिनट बाद अगर रंग लाल से नीला हो जाए तो दूध में यूरिया है. अगर इसका रंग ना बदले तो समझ जाइये इसमें कोई मिलावट नहीं है.

डिटर्जेंट- 5 ये 10 एमएल दूध को उतने ही पानी में मिलाएं. अगर इसमें झाग बनता है तो समझ जाइये इसमें डिटर्जेंट की मिलावट की गई है.

ये भी पढे़ं

Health Care Tips: Fruits और Vegetables के छिल्के में छिपा है कई बीमारियों का इलाज, जानें

Health Care Tips: Cholesterol कम करने के लिए डाइट में शामिल करें हरी पत्तेदार सब्जियां, जानें इसके फायदें

How To Make Condensed Milk At Home: जब भी हम कोई स्वादिष्ट मिठाई बनाते हैं.  तो मावा या कंडेंस्ड मिल्क जरुर चाहिए होता है. तीज त्यौहार में जब तक मिठाईयों से मूंह मीठा न करो तब तक त्यौहार अधूरे से लगते हैं. अगर आप घर पर ही मिठाई (Sweets) बनाना चाहते हों लेकिन अगर कंडेंस्ड मिल्क (Homemade Condensed Milk) नहीं मिल पा रहा है तो इसे आप घर पर भी आसानी से तैयार कर सकते हैं. आईये जानते हैं  होममेड कंडेस्ड मिल्क बनाने का आसान तरीका.

घर पर ही कंडेंस्ड मिल्क बनाने के लिए सामग्री

1 लीटर दूध

1 कप शक्कर

News Reels

1/2 बैकिंग सोडा

कंडेंस्ड मिल्क बनाने का आसान तरीका

सबसे पहले आप एक बर्तन में एक लीटर गाय या भैंस का दूध डाल दें. फिर गैस पर उसे कम से कम 15 से 20 मिनट तक उबलते रहनें दें. जब तक दूध एक लीटर से आधा लीटर न हो जाए. उसके बाद दूध में चीनी डालें. और हल्की आंच पर उबलते रहने दें.  और बीच बीच में दूध पर आ रही मलाई को निकालते रहें क्योंकि हमे रबड़ी नहीं बनानी हैं अब इसमें 1/2 बेकिंग सोडा डालें. सोडा डालते ही दूध में उफान आएगा. दूध का रंग बदल जाएगा. अब इसे हल्की आँच पर उबालते रहेंगे. इसे लगातर चलाते रहेंगे अब इसे ठण्डा होने के लिए फ्रिज में रख दें.

इस तरह हमारा कंडेस्ंड मिल्क बन कर तैयार हो जाएगा अब इसे ठण्डा होने के लिए फ्रिज में रख दें इसे आप एक हफ्ते तक स्टोर करके भी रख सकते हैं.

दूसरे आसान तरीके

दूध को गाढ़ा करने के और भी आसान तरीके हैं. हालांकि इसमें स्वाद प्योर गाढ़े दूध जैसा मिल पाना मुश्किल होता है.

आप ब्रेड का चूरा मिलाकर दूध गाढ़ा कर सकते हैं. दूध को ओटाते रहें. बीच बीच में थोड़ा थोड़ा ब्रेड का चूरा मिलाते जाएं. और दूध चलाते जाएं.

मखाने का पेस्ट मिलाकर भी दूध गाढ़ा किया जा सकता है. आपको बस मखाने सेंक कर उबले दूध में मिक्स करने हैं. इसके बाद दूध को चलाते जाएं. दूध गाढ़ा होता जाएगा.

मिल्क पाउडर मिलाकर दूध गाढ़ा करने के लिए आप दूध में मिल्क पाउडर मिक्स करें. जितना गाढ़ा दूध चाहिए उतना मिल्क पाउडर मिक्स करें.

घर पर बनाएं ओमेगा-3 से भरपूर हेल्दी अलसी बार, शरीर को मिलेगी एनर्जी

पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में होती है सीक्रेट्स छुपाने की आदत, पार्टनर से भी नहीं शेयर करतीं ये बात

दूध को गाढ़ा करने के लिए कौन सा पाउडर मिलाया जाता है?

सूत्रों के अनुसार दूध में पानी मिलाकर उसे गाढ़ा भी बना दिया जाता है। इसके लिए सिंघाडे़ का आटा अथवा अरारोट आदि का इस्तेमाल होता है। दूध में ये पदार्थ डालने से गाढ़ापन आ जाता है।

दूध में क्या डालने से फैट बढ़ता है?

दूध में फैट का प्रतिशत बढ़ाने के लिए पशुओं को 60 प्रतिशत हरा चारा और 40 प्रतिशत सूखा चारा देना चाहिए।

दूध को गाढ़ा बनाने के लिए क्या करें?

दुग्ध संघ का तर्क है कि उसके पास कई समितियों से 8.5 फीसदी सॉलिड नॉट फेट (एसएनएफ) की जगह 8.3 फीसदी एसएनएफ का दूध आ रहा है। ऐसे में गाढ़ापन बढ़ाने के लिए पाउडर मिलाना पड़ रहा है। रोज 3000 किलो मिल्क पाउडर मिलाया जा रहा है।

दूध बनाने वाला केमिकल का क्या नाम है?

इसमें दूध के दो, केमिकल के पांच है। केमिकल में हाइड्रोजन परआक्साइड, अपमिश्रण घोल, आयल अपद्रव्य, माल्टोडेक्सट्रिन पाउडर, रिफाइंड आयल आदि हैं। दूध में मिलाया जाने वाला केमिकल इतना खतरनाक है कि नमूना लेने के दौरान टीम के सदस्यों के हाथों में फफोले पड़ गए हैं।