प्रस्तुत लेख में आप जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित कविता देवसेना का गीत पर विस्तृत रूप से अध्ययन प्राप्त करेंगे, साथ ही कविता की व्याख्या भी आप यहां पढ़ सकते हैं यह लेख विद्यार्थियों के लिए बेहद लाभदायक है। Show देवसेना का गीतदेवसेना का गीत छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद जी के नाटक ‘स्कंदगुप्त’ से लिया गया है , इसमें देवसेना की वेदना का मार्मिक चित्रण किया गया है। देवसेना जो मालवा की राजकुमारी है उसका पूरा परिवार हूणों के हमले में वीरगति को प्राप्त होता है। वह रूपवती / सुंदर थी लोग उसे तृष्णा भरी नजरों से देखते थे , लोग उससे विवाह करना चाहते थे , किंतु वह स्कंदगुप्त से प्यार करती थी , किंतु स्कंदगुप्त धन कुबेर की कन्या विजया से प्रेम करता था। जिसके कारण वह देवसेना के प्रणय – निवेदन को ठुकरा देता है। परिवार सभी सदस्यों के मारे जाने के उपरांत उसका कोई सहारा नहीं रहता , जिसके कारण वह इस जीवन में अकेली हो जाती है। जीवन – यापन के लिए जीवन की संध्या बेला में भीख मांगकर जीवनयापन करती है और अपने जीवन में व्यतीत क्षणों को याद कर कर दुखी होती है। देवसेना का गीत पंक्ति 1आह ! वेदना मिली विदाई ! छलछल थे संध्या के श्रमकण शब्दार्थ : प्रसंग : व्याख्या : मेरी दर्द भरी शामें आंसू में भरी हुई और मेरा जीवन गहरे वीरान जंगल में रहा। देवसेना अपने बीते हुए जीवन पर दृष्टि डालते हुए अपने अनुभवों और पीड़ा के पलों को याद कर रही है जिसमें उसकी जिंदगी के इस मोड़ पर अर्थात जीवन की आखिरी क्षणों में वह अपने जवानी में किए गए कार्यों को याद करते हुए अपना दुख प्रकट कर रही है। अपनी जवानी में किए गए प्यार , त्याग ,तपस्या को वह गलती से किए गए कार्यों की श्रेणी में बताकर उस समय की गई अपनी नादानियों पर पछतावा कर रही है। जिसके कारण उसकी आंखों से आंसू बह निकले हैं। विशेष : देवसेना का गीत पंक्ति 2श्रमित स्वप्न की मधुमाया में, लगी सतृष्ण दीठ थी सबकी, शब्दार्थ : व्याख्या : देवसेना कहती है कि परिश्रम से थके हुए सपने के मधुर सम्मोहन में घने वन के बीच पेड़ की छाया में विश्राम करते हुए यात्री की नींद से भरी हुई सुनने की अलसाई क्रिया में यह किसने राग बिहाग की स्वर लहरी छेड़ दी है। भाव यह है कि जीवन भर संघर्ष रत रहती हुई देवसेना दिल से नासिक सुख की आकांक्षा लिए मीठे सपने देखती रही। जब उसके सपने पूरे ना हो सके तो वह थक कर निराश होकर सुख की आकांक्षा से विदाई लेती हुई उससे मुक्त होना चाहती है। ऐसी स्थिति में भी करुणा भरे गीत की तरह वियोग का दुख उसके हृदय को कचोट रहा है। देवसेना कहती है की युवावस्था में तो सब की तृष्णा भरी अर्थात प्यासी नजरें मेरे ऊपर फिरती रहती थी। परंतु यह मेरी आशा पगली तूने मेरी सारी कमाई हुई पूंजी ही खो दी। देवसेना के कहने का तात्पर्य यह है कि जब अपने आसपास उसके सब की प्यासी नजरें दिखती थी तब वह स्कंदगुप्त प्रेम में पड़ी हुई स्वयं को उस से बचाने की कोशिश करती रहती थी। परंतु अपनी पागल आशा के कारण वह अपने जीवन की पूंजी अपनी सारी कमाई को बचा न सकी अर्थात उसे अपने प्रेम के बदले और सुख नहीं मिल सका। देवसेना का गीत पंक्ति 3चढ़कर मेरे जीवन – रथ पर, लौटा लो यह अपनी थाती , शब्दार्थ : व्याख्या : देवसेना कहती है कि यह संसार तुम अपने धरोहर को अमानत को वापस ले लो , मेरी करुणा हाहाकार कर रही है , यह मुझसे नहीं समझ पाएगा इसी कारण मैंने अपने मन की लज्जा को गवा दिया था। आज यह है कि देवसेना जीवन के लिए संघर्ष कर रही है। पहले स्वयं देवसेना के जीवन रथ पर सवार है अब तो वह अपने दुर्बल शरीर से हारने की अनिश्चितता के बावजूद प्रलय से लोहा लेते रहती है। उसका पूरा जीवन ही दुख में है वह करुणा के स्वर में कहती है कि अंतिम समय में हृदय की वेदना अब उससे संभल नहीं पाएगी इसी कारण उसे मन की लाज गवानी पड़ रही है। विशेष : अन्य सहायक सामग्री –सूर का दर्शन | दार्शनिक कवि | सगुण साकार रूप का वर्णन | जीव | जगत और संसार | सूरदास जी की सृष्टि | माया | मोक्ष सूर के पदों का संक्षिप्त परिचय। भ्रमरगीत। उद्धव पर गोपियों का व्यंग। संवदिया फणीश्वर नाथ रेणु। sawadiya kahani in hindi | fanishwar nath renu ki kahani आधार कहानी | प्रेमचंद की कहानी आधार | aadhar | premchand ki kahani in hindi | परशुराम की प्रतीक्षा | रामधारी सिंह दिनकर | परसुराम की प्रतीक्षा full hindi notes | राम – परशुराम – लक्ष्मण संवाद। सीता स्वयम्बर।ram , laxman ,parsuram samwaad | कवीर का चरित्र चित्रण।कबीर की कुछ चारित्रिक विशेषता| kabir character analysis | भ्रमर गीत। उद्धव का गोपियों को संदेश।कृपया अपने सुझावों को लिखिए हम आपके मार्गदर्शन के अभिलाषी है | | facebook page hindi vibhag YouTUBE निष्कर्ष –देवसेना का गीत जयशंकर प्रसाद के महत्वपूर्ण नाटक से लिया गया है। जयशंकर प्रसाद प्रमुख नाटककार माने गए हैं। उनके नाटकों की विशेषता यह थी कि उन्होंने ऐतिहासिक पात्रों का चयन करते हुए अपने नाटक के माध्यम से नवजागरण के लिए जनमानस तक एक मजबूत संदेश प्रेषित किया। देवसेना का गीत उन्हीं नाटकों में से एक कविता रूप में अंश है। देवसेना कौन थी वह किस से प्रेम करती थी?जैसे देवसेना ने स्कंदगुप्त के प्रेम की आशा में उसके साथ अपने जीवन के स्वर्णिम स्वप्न देखे थे । प्रेम की आशा में वह इतना डूब चुकी थी की उसे वास्तविकता का ज्ञान ही नहीं था । कवि ने इसीलिए आशा को बावली कहा है। उत्तर : 'दुर्बल पद बल' में निहित व्यंजना देवसेना के बल की क्षमता को प्रदर्शित करता है।
देवसेना कौन थी और वह किसे चाहती थी?देवसेना को अक्सर इंद्र की बेटी, देवताओं के राजा के रूप में वर्णित किया जाता है। वह इंद्र के द्वारा कार्तिकेय के साथ विवाह कर लेते है।
देवसेना किस से प्रेम करती थी और उसके प्रेम का क्या परिणाम रहा?देवसेना--पवित्रता की माप है मलिनता, सुख का आलोचक है दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप। विजया!
देवसेना कौन है?1. देवसेना कौन थी और वह किससे प्रेम करती थी? उत्तर:- देवसेना मालवा के राजा बन्धुवर्मा की बहन थी देवसेना स्कंदगुप्त से प्रेम करती थी ।
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