Show ध्वनि का अर्थ, परिभाषा, लक्षण, महत्व || ध्वनि शिक्षण के उद्देश्य || भाषायी ध्वनियाँ
पूर्व के लेखों में हमने जाना की 'भाषा का आदि इतिहास' क्या था? भाषा के विभिन्न रूप के साथ-साथ 'मानक भाषा' किसे कहते हैं, यह समझा। इस लेख में 'ध्वनि' के बारे में विस्तृत जानकारी पढ़ेंगे। हिन्दी भाषा के इतिहास से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। ध्वनि का अर्थ'ध्वनि' बहुत व्यापक अर्थ वाला शब्द है इसके अन्तर्गत सभी प्रकार की ध्वनियों समाहित हैं। जैसे- घण्टा बजाने की ध्वनि, पक्षियों के चहचहाने की ध्वनि, हवा के चलने की ध्वनि, पशुओं की आवाज, मधुमक्खियों की भिनभिनाहट, बर्तनों की आवाज, वाहनों की आवाज, हँसना आदि अनेक प्रकार की ध्वनियाँ हैं। यद्यपि इनका सम्बन्ध भाषा विज्ञान से नहीं है, क्योंकि भाषा विज्ञान की दृष्टि से ये निरर्थक ध्वनियाँ हैं। मनुष्य के मुख से निकलने वाली ध्वनियाँ सार्थक और निरर्थक हो सकती है। ध्वनि भाषा का प्राण है। भाषा सम्प्रेषण में ध्वनि की अहम भूमिका है। 'ध्वनि' शब्द संस्कृत से लिया गया है।
संस्कृत में "ध्वनि शब्दे" एक धातु है, जिससे 'ध्वनि शब्द' बना है। वैज्ञानिक दृष्टि से वायु को दबाव और विदलन से वायुमण्डलीय दबाव में आने वाले परिवर्तन या उतार-चढ़ाव का नाम ध्वनि है। ध्वनि की परिभाषाउच्चारण तथा श्रवण की दृष्टि से स्वतन्त्र व्यक्तित्व रखने वाली भाषा में
प्रयुक्त ध्वनि की लघुतम इकाई का नाम ही भाषा ध्वनि है। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। ध्वनि व्यवस्थामानव मुख से जो ध्वनियाँ निःसृत (निकलने वाली) होती है, उनमें एक निश्चित नियम, क्रम तथा व्यवस्था होती है। सार्थक ध्वनियों से सार्थक बात संप्रेषित होती है। ध्वनि का महत्वप्राचीन व्याकरणाचार्यों और भाषा वैज्ञानिकों ने ध्वनि उच्चारण को महत्व देते हुए कहा है कि व्याकरण की शिक्षा और उच्चारण की शिक्षा
(अर्थात ध्वनि शिक्षा) का ज्ञान प्रत्येक मनुष्य को अवश्य ही होना चाहिए। विद्वानों यह श्लोक कहा है– हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। ध्वनि शिक्षण के उद्देश्य राष्ट्रभाषा हिन्दी की समृद्धि करना हम भारत वासियों का दायित्व है। हिन्दी भाषा के स्तरोन्नयन के लिए ध्वनि शिक्षण का अपना महत्व है। हिन्दी भाषा के लेखन और उच्चारण में त्रुटि न हो
और हम सब (शिक्षक और छात्र) प्रभावपूर्ण पद्धति से अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर सके। इस दृष्टि से अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर सके। ध्वनि शिक्षण के निम्नलिखित उद्देश्य हैं। भाषाई ध्वनियों का महत्वभाषा की संरचना में भाषायी ध्वनियों का विशेष महत्व है, क्योंकि भाषायी ध्वनियाँ (वर्ण, अक्षर, शब्द आदि) ही भाषा की संरचना करती हैं। बिना भाषा के स्वरूप की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। ध्वनि के लक्षणपूर्व में ध्वनि का अर्थ प्रतिपादित करते हुए स्पष्ट किया जा चुका है, कि में तीन आधार प्रमुख है- हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। भाषायी ध्वनियाँध्वनि के लिखित
रूप 'वर्ण' हैं। यह वर्ण हमारी उच्चारित भाषा की सबसे छोटी इकाई है। इन्हीं इकाईयों से मिलाकर शब्द समूह और वाक्यों की रचना होती है। अतः वर्ण और उच्चारण का घनिष्ठ सम्बन्ध है उन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है। इस तरह भाषा का आधार 'ध्वनि' ही है और ध्वनि ज्ञान के बगैर अपने भावों की अभिव्यक्ति स्पष्ट नहीं हो पाती है। दूसरी ओर ध्वनियों का ज्ञान शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं साहित्यकारों के लिए परम आवश्यक है। यदि बारीकी से अध्ययन की आवश्यकता हो तो सर्वप्रथम ध्वनि ज्ञान सभी के लिए जरूरी है। इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। I Hope the above information will be useful and important. Watch video for related information
Dhvani का अर्थ क्या होता है?ध्वनि (Sound) एक प्रकार का कम्पन या विक्षोभ है जो किसी ठोस, द्रव या गैस से होकर संचारित होती है। किन्तु मुख्य रूप से उन कम्पनों को ही ध्वनि कहते हैं जो मानव के कान (Ear) से सुनायी पडती हैं।
ध्वनि का क्या महत्व है?Answer: शोर और ध्वनियाँ हमें जीवन की अनुभूति और अनुभूति देती हैं जो हमें घेर लेती है और हमें अपने कानों के माध्यम से हमारे परिवेश का अनुभव कराती है। यह हमें विभिन्न ध्वनि प्रभावों के साथ विभिन्न प्रकार की भावनाओं और भावनाओं को प्रदान करता है।
ध्वनि की उत्पत्ति कैसे हुई?जब दो वस्तुओं के आपस में टकराने से वायु में कंपन हो और कर्ण-पटह तक पहुँचने से इसका अनुभव हो, तो उसे ध्वनि कहते हैं। प्रत्येक ध्वनि में कंपन होती है और प्रत्येक कंपन में ध्वनि होती है। कभी-कभी हाथ, पैर, डाली या पत्ती हिलने पर ध्वनि का आभास नहीं होता है।
हिंदी ध्वनि के आधार क्या है?इस प्रकार की ध्वनियाँ अलिजिह्वीय (uvular) कहलाती है। इनके उच्चारण में कौवा या तो जिह्वापश्च (या जिह्वामूल) से स्पर्श करके (हिन्दी-उर्दू 'क', या उसी का घोष रूप जो फ़ारसी में है) स्पर्श-ध्वनि उत्पन्न करता है, या एस्किमो भाषा का अनुनासिक स्पर्श (ङ) उत्पन्न करता है, या उसके समीप होकर संघर्षी ध्वनि (हिन्दी, अरबी ख.
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