उदारीकरण का क्या अर्थ है लिखिए? - udaareekaran ka kya arth hai likhie?

सामान्य अध्ययन पेपर 1 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामान्य अध्ययन पेपर 3 सामान्य अध्ययन पेपर 4 रिवीज़न टेस्ट्स निबंध लेखन

  • फ़िल्टर करें :
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान-प्रौद्योगिकी
  • पर्यावरण
  • आंतरिक सुरक्षा
  • आपदा प्रबंधन

  • प्रश्न :

    उदारीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये जहाँ अनेक अवसर खोले हैं, वहीं कुछ चुनौतियाँ भी उत्पन्न की हैं। भारत अभी भी उदारीकरण का उपयुक्त लाभ नहीं उठा पाया है। समालोचनात्मक परीक्षण करें।

    26 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • उदारीकरण का अर्थ स्पष्ट करें।
    • उदारीकरण का विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव।
    • भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष उदारीकरण के कारण उत्पन्न चुनौतियाँ।

    भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत 1984 एवं 1985 की औद्योगिक नीति से प्रारंभ हो चुकी थी, लेकिन इस दौर में इसे पूरे तरीके से नहीं अपनाया गया। भारत में आर्थिक सुधारों की प्रथम एवं व्यापक स्तर पर पाई जाने वाली नीति 1991 की औद्योगिक नीति थी। इस नीति में आर्थिक सुधारों की तीन प्रक्रियाओं का उल्लेख किया गया था- उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण।

    उदारीकरण आर्थिक सुधार की दिशा में उठाया गया एक प्रमुख कदम है। मूलतः इसका अर्थ अर्थव्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप को कम कर बाज़ार प्रणाली पर निर्भरता बढ़ाना है। उदारीकरण का कृषि, उद्योग तथा सेवा तीनों क्षेत्रों पर अच्छा प्रभाव दिखता है। कृषि क्षेत्र में उदारीकरण से बाज़ार का विस्तार हुआ है, उत्पादकों को आकर्षक मूल्य तथा उपभोक्ताओं को सस्ती कीमत पर कृषि वस्तुओं की प्राप्ति सुलभ हुई। कृषि क्षेत्र में तकनीकी स्तर पर वृद्धि होने से उत्पादकता में भी वृद्धि हुई है। साथ ही इस क्षेत्र में अनुसंधान तथा विकास पर बल दिया गया है।

    उदारीकरण के बाद उद्योगों की स्थिति भी सुधरी है। औद्योगिक उत्पादन में विविधता आई है, भारतीय औद्योगिक क्षेत्र को विदेशों से उच्च तकनीक प्राप्त होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि हुई है।

    उदारीकरण का सबसे ज़्यादा सकारात्मक प्रभाव सेवा क्षेत्र पर दिखाई देता है। वर्तमान में जीडीपी का अधिकांश हिस्सा इसी क्षेत्र से आता है। भारत सॉफ्टवेयर सेवा, पर्यटन सेवा, चिकित्सा सेवा इत्यादि के लिये आदर्श स्थल बन चुका है। बी.पी.ओ. के क्षेत्र में भी भारत अग्रणी है।

    परंतु इन सकारात्मक प्रभावों के साथ ही उदारीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष कुछ चुनौतियाँ भी उत्पन्न की हैं। उदारीकरण की प्रक्रिया को अपनाने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का हिस्सा लगातार घट रहा है। पूरे देश में हर किसान के पास उदारीकरण का लाभ उठाने की क्षमता नहीं है, क्योंकि भारत में अधिकांश किसान सीमांत हैं। हमारे उद्योग बहुराष्ट्रीय निगमों से प्रतिस्पर्द्धा करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं तथा देशी उद्योग धंधे नष्ट हो रहे हैं। सेवा क्षेत्र में भी पर्यटन क्षेत्र के सामने कई समस्याएँ हैं, जो कि विकसित देशों की तुलना में कम सुविधायुक्त हैं। ऐतिहासिक सांस्कृतिक क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण स्थलों में अपार संभावना होते हुए भी इनका विकास नहीं हो पा रहा है। साथ ही हमारी अर्थव्यवस्था बाह्य कारकों से बहुत ज्यादा प्रभावित होती दिखती है। अतः भारत अभी तक उदारीकरण का उचित लाभ नहीं उठा पाया है।

    अगर आप उदारीकरण क्या है? उदारीकरण के लाभ हानि विशेषता और उद्देश्य के बारे में विस्तार से जानकारी आप जानना चाहते है तो आपको इस आर्टिकल में पूरी विस्तार के साथ सरल वा किताबी शब्दो में उदारीकरण के बारे में समस्त जानकारी प्राप्त होगी भारत में उदारीकरण की आवश्यकता क्यों महसूस की गयी? हम आपको ये भी बताए आपको Liberalization यानि उदारीकरण से अच्छी तरह से अवगत कराएंगे। उदारीकरण क्या है? उदारीकरण की विशेषता। उदारीकरण का अर्थ। उदारीकरण का क्या अर्थ है। उदारीकरण के नकारात्मक प्रभाव उदारीकरण पर निबंध इन सभी सवालों के जवाब आपको इस आर्टिकल में मिलेगे

    उदारीकरण का क्या अर्थ है लिखिए? - udaareekaran ka kya arth hai likhie?

    उदारीकरण को इंग्लिश में Liberalization कहा जाता है। उदारीकरण की परिभाषा को हम ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे अगर आप स्टूडेंट हो या आप कोई एग्जाम की तैयारी कर रहे हो तो आपको Liberalization यानि उदारीकरण के बारे में पूरी जानकारी रखनी चहिए क्योकी ये टॉपिक आपको हर एग्जाम में देखने को मिल सकता है भारत में उदारीकरण का व्यापार के लिए बहुत अधिक महत्व रहा है भारत की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए आर्थिक उदारीकरण बहुत ही प्रोगशाली साबित हुआ था। भारत में आर्थिक उदारीकरण 24 जुलाई 1991 के बाद से शुरू हुआ जो की उस समय के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा किया गया था तो आप उदारीकरण को विस्तार से समझने के लिए इस लेख को पूरा पड़े।

    Table of Contents

    [Open][Close]

    • उदारीकरण क्या है? (Liberalization in Hindi)
    • आर्थिक उदारीकरण को समझाइए ।
    • उदारीकरण की विशेषताएँ
    • उदारीकरण के क्या लाभ हैं? समझाइए।
    • उदारीकरण से क्या हानियाँ हैं? समझाइए
    • भारत में उदारीकरण की आवश्यकता क्यों महसूस की गयी?
    • निष्कर्ष

    उदारीकरण क्या है? (Liberalization in Hindi)

    उदारीकरण व्यवस्था से अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाकर उसे उदारवादी बनाने की प्रक्रिया उदारीकरण कहलाती है। आर्थिक उदारीकरण की बात करें तो इसका अर्थ व्यापार को अनावश्यक प्रतिबंधों से मुक्त करना है। नियम कानूनों को सरल बनाना है ताकि स्वतंत्र बाजार व्यवस्था का निर्माण किया जा सके।

    आसान भाषा में समझे तो उदारीकरण वहा व्यवस्था है जो किसी देश द्वारा लागू की जा सकती है जो व्यापार और निवेश को सभी के लिए खोल कर व्यापार को सभी व्यापारियों के लिए आसान वा सरल बना देता है जिससे व्यापार में वृद्धि होती है बड़े बड़े व्यपारो को सरकार सहारा लगती है वा इनके बीच में आने से बचती है उदारीकरण व्यवस्था द्वारा विदेशी निवेश के भी दुवार खोल दिए जाते है।

    READ MORE :

    • ऑरोविल कहां है क्या है – ऑरोविल कैसे जाए
    • Exoskeleton Suit क्या है -What is Exoskeleton Suit in Hindi
    • Top 5 Best Video Color grading Application for Mobail | हिंदी में

    आर्थिक उदारीकरण को समझाइए ।

    Explain economic liberalization in Hindi

    आर्थिक उदारीकरण- आर्थिक उदारीकरण प्रक्रिया के अन्तर्गत व्यापार का सरलीकरण किया जाता है। व्यापारियों को एक स्वतंत्र वातावरण प्रदान किया जाता है जिसमें वे बाजार कारकों के अनुसार नीतिगत फैसले कर सकें और उत्पादों के दाम तय कर सकें। उदारीकरण प्रक्रिया के अन्तर्गत सरकार अर्थव्यवस्था की गतिविधियों में अपने हस्तक्षेप को कम कर देती है। अर्थव्यवस्था को सभी के लिए खोल दिया जाता है और बाजार पूरी तरह से मांग और पूर्ति पर आधारित रहते हैं।

    विगत कुछ दशकों में आर्थिक उदारीकरण नीति के कारण अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अत्यधिक वृद्धि देखने को मिली है। वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला और विदेशी मुद्रा भंडार में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। उदारीकरण नीति ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को भूमंडलीकरण की ओर प्रोत्साहित किया है।

    उदारीकरण की विशेषताएँ

    उदारीकरण की विशेषताएँ- ये निम्नवत् हैं

    Features of Liberalization In Hindi

    (1) व्यापारिक प्रतिबंधों का उन्मूलन – उदारीकरण नीति के तहत व्यापारिक प्रतिबंधों का उन्मूलन किया जाता है। ऐसे नियमों और कानूनों को समाप्त किया जाता है जो अर्थव्यवस्था के विकास में रूकावटें उत्पन्न करते हैं।

    (2) निजीकरण को बढ़ावा- अर्थव्यवस्था पर सरकारी नियंत्रण को धीरे-धीरे कम किया जाता है। निजीकरण प्रक्रिया के द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, उद्यमों और संस्थानों में सरकारी स्वामित्व को निजी क्षेत्र में परिवर्तित किया जाता है।

    (3) करों में रियायत – व्यापारिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार व्यापारिक करों में रियायत प्रदान करती है। टैक्स, रिबेट, टैक्स पर छूट, टैक्स डिडक्शन जैसी रियायतों द्वारा सरकार बाजार में व्यापार के लिए सकारात्मक माहौल बनाने का प्रयास करती है।

    (4) सीमा शुल्क में कटौती- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने हेतु सरकार आयात और निर्यात के सीमा शुल्क में कटौती करती है। निर्यात उद्योगों से जुड़ी इकाइयों को निर्यात सहायता राशि देकर प्रोत्साहित किया जाता है। श्रेष्ठ गुणवत्ता और उत्तम तकनीकी आयात करने के लिए आयात शुल्क में कमी की जाती है।

    (5) मुक्त बाजार व्यवस्था- उदारीकरण प्रक्रिया के अन्तर्गत मुक्त बाजार व्यवस्था का निर्माण होता है। मुक्त बाजार व्यवस्था ऐसी व्यवस्था है जिसमें वस्तुओं की कीमत पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहता है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें उत्पादों और सेवाओं की कीमत बाजार की माँग और पूर्ति पर निर्भर करती है।

    उदारीकरण के क्या लाभ हैं? समझाइए।

    What are the benefits of liberalization?  explain in Hindi.

    (1) विदेशी निवेश में वृद्धि – उदारीकरण नीति का सबसे अधिक सकारात्मक प्रभाव विदेशी निवेश पर पड़ता है। निवेशक ऐसी अर्थव्यवस्था को आकर्षक समझते हैं जो बाजार प्रणाली पर निर्भर हो और जिसमें सरकारी नियंत्रण न्यूनतम हो।

    (2) जीडीपी विकास दर में वृद्धि – सामान्यता उन राष्ट्रों की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत होती है जिन्होंने आर्थिक उदारीकरण की नीति को अपनाया है। भारत, दक्षिण अफ्रीका और चीन जैसे राष्ट्रों ने आर्थिक उदारीकरण प्रक्रिया को अपनाया। आज ये सभी देश विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं।

    (3) आधुनिकरण – उदारीकरण नीति अर्थव्यवस्था को वैश्वीकरण की ओर उन्मुख करती है। वैश्वीकरण के चलते न केवल दो राष्ट्रों के बीच व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित होते हैं बल्कि व्यापार के आधुनिक तौर-तरीकों का भी आदान-प्रदान होता है।

    (4) उच्च तकनीक और गुणवत्ता– वैश्वीकरण के इस दौर में उदारीकरण नीति में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलता है। विश्व के साधन सम्पन्न राष्ट्र व्यापारिक मार्गों से उच्च तकनीक भी साथ लाते हैं। उद्योगों में उच्च स्तर की तकनीकी वृद्धि से उत्पादों की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

    (5) मंदी पर नियंत्रण- उदारीकरण प्रक्रिया के अन्तर्गत सरकार व्यापार को प्रोत्साहन देने हेतु विभिन्न प्रकार के करों से छूट देती है जिसके कारण उत्पादन की लागत कम हो जाती है। इसलिए उत्पादों के दास भी कम होते हैं। दूसरी ओर उदारीकरण प्रक्रिया के कारण बाजार में प्रतिस्पर्धा के अवसर बढ़ते हैं जिसके परिणामस्वरूप भी उत्पादों के दामों में कमी आती है।

    उदारीकरण से क्या हानियाँ हैं? समझाइए

    उदारीकरण से हानियाँ-

    Disadvantages of liberalisation in Hindi

    (1) कुटीर और लघु उद्योगों को नुकसान – उदारीकरण नीति का सबसे अधिक दुष्प्रभाव छोटे, लघु और कुटीर उद्योगों पर पड़ता है। उदारीकरण व्यवस्था से बड़े उद्योग और बहुराष्ट्रीय उद्योगों का विकास हुआ किन्तु आर्थिक तौर पर पिछड़े छोटे और लघु उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुए।

    (2) कृषि क्षेत्र के अस्तित्व को खतरा- यदि भारत के आर्थिक उदारीकरण नीति की बात करें तो इससे निर्माण और सेवा क्षेत्र का विकास हुआ है। किन्तु आँकड़े बताते हैं। कि उदारीकरण प्रक्रिया के बाद कृषि क्षेत्र की स्थिति पहले से भी दयनीय हो गयी है। नयी व्यापार नीति के चलते उद्योग व कारखानों की संख्या में वृद्धि हो गई, परिणामतः कृषि क्षेत्र से लोग अधिक आय के लिए बड़े शहरों की ओर प्रस्थान कर गए।

    (3) पर्यावरण को नुकसान- आर्थिक उदारीकरण के चलते उद्योगों और कारखानों की संख्या में भारी वृद्धि हुई। कारखानों में बढ़ते कामकाज के चलते प्रदूषण भी पहले से अधिक तेजी से बढ़ा है। नए उद्योगों के लिए भूमि की माँग बढ़ रही है जिसके कारण पेड़ों की कटाई हो रही है। आधुनिकीरण के चलते हानिकारक उर्वरकों का उपयोग हो रहा है जिससे जमीन प्रदूषित हो रही है। उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि उदारीकरण में उपरोक्त दोषों के होते हुए भी यहां उद्योगपतियों तथा सरकारों दोनों के लिए लाभकारी है।

    भारत में उदारीकरण की आवश्यकता क्यों महसूस की गयी?

    Why was the need for liberalization in India in Hindi?

    उदारीकरण की आवश्यकता- विश्व अर्थव्यवस्था के साथ बेहतर तालमेल तथा अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति में वृद्धि 1991 से अपनाये गये इन आर्थिक उदारीकरण कार्यक्रमों के सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने शुरू हो गये हैं जिनमें भुगतान सन्तुलन की स्थिति में सुधार, निर्यात में वृद्धि एवं आयात में कमी, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में तीव्र वृद्धि तथा औद्योगिक क्षेत्र में गतिशीलता प्रमुख है। आर्थिक उदारीकरण के फलस्वरूप विश्व स्तर पर भारत महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है तथा विश्व के पाँच बड़े अर्थ तंत्रों में सम्मिलित हो चुका है। फिर भी अर्थव्यवस्था के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक ढांचे में अनिश्चितता एवं भय की स्थिति अभी भी बनी हुई है। यह स्थिति उदारीकरण की भावी दिशा पर गहन चिन्तन तथा उपयुक्त व्यूह रचना अपनाने की आवश्यकता बतलाती है।

    निष्कर्ष

    आज अपने इस ब्लॉग के माध्यम से उदारीकरण क्या है। उदारीकरण का अर्थ जन ही लिया होगा और इसके बारे में अपने उदारीकरण क्या है। उदारीकरण की विशेषता, उदारीकरण के लाभ हानि, उदारीकरण का क्या अर्थ है।, उदारीकरण के नकारात्मक प्रभाव 

    ये सभी अच्छी तरह समझ लिया होगा इस ब्लॉग को पड़ने के बाद आप इसमें से उदारीकरण पर निबंध भी लिख सकते है जो एक आपके एग्जाम में आपको काम आ सकता है।

    आशा है की आप जो उदारीकरण या liberalisation के बारे में जो जानकारी डूड रहे होगे आपको इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से मिल गई होगी आप और अधिक जानकारी के लिए हमारे और भी ब्लॉग आर्टिकल पड़ सकते है जो की हम रिसर्च के साथ और काफी इंट्रेस्टिंग टॉपिक पर लिखने का प्रयास किया है हमे आशा है की हमारे और भी लेख आपके लिए मददगार साबित होगे और आपको पसंद आयेगे।

    उदारीकरण क्या है अर्थ बताइए?

    उदारीकरण का अर्थ ऐसे नियंत्रण में ढील देना या उन्हें हटा लेना है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले। उदारीकरण में वे सारी क्रियाएँ सम्मिलित हैं, जिसके द्वारा किसी देश के आर्थिक विकास में बाधा पहुँचाने वाली आर्थिक नीतियों, नियमों, प्रशासनिक नियंत्रणों, प्रक्रियाओं आदि को समाप्त किया जाता है या उनमे शिथिलता दी जाती है।

    उदारीकरण क्या है UPSC?

    उदारीकरण आर्थिक सुधार की दिशा में उठाया गया एक प्रमुख कदम है। मूलतः इसका अर्थ अर्थव्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप को कम कर बाज़ार प्रणाली पर निर्भरता बढ़ाना है। उदारीकरण का कृषि, उद्योग तथा सेवा तीनों क्षेत्रों पर अच्छा प्रभाव दिखता है।

    उदारीकरण की विशेषता क्या है?

    उदारीकरण की विशेषताएं। 1- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए आरक्षित क्षेत्रों को कम करना। 2- चुनिंदा क्षेत्रों को छोड़कर सभी क्षेत्रों के लिए लाइसेंस प्रणाली को पूरी तरह से खत्म करना। 3- वाणिज्यिक बैंकों को ऋण पर ब्याज तय करने की स्वतंत्रता प्रदान करना।

    उदारीकरण क्या है दो उदाहरण दीजिए?

    शॉर्टलिस्ट को छोड़कर अधिकांश उद्योगों में लाइसेंसिंग की आवश्यकता को समाप्त करना। व्यावसायिक गतिविधियों के पैमाने तय करने की स्वतंत्रता यानी, व्यावसायिक गतिविधियों के विस्तार या संकुचन पर कोई प्रतिबंध नहीं। माल और सेवाओं की आवाजाही पर प्रतिबंध को हटाना। माल सेवाओं की कीमतों को तय करने में स्वतंत्रता।