वाख कविता के माध्यम से कवयित्री मनुष्य को क्या प्ररेणा देना चाहती? - vaakh kavita ke maadhyam se kavayitree manushy ko kya prarena dena chaahatee?

वाख कविता के माध्यम से कवयित्री मनुष्य को क्या प्ररेणा देना चाहती? - vaakh kavita ke maadhyam se kavayitree manushy ko kya prarena dena chaahatee?

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Class 9 Hindi – A Chapter 10 Vaakh Important Questions. myCBSEguide has just released Chapter Wise Question Answers for class 09 Hindi – A. There chapter wise Practice Questions with complete solutions are available for download in myCBSEguide website and mobile app. These test papers with solution are prepared by our team of expert teachers who are teaching grade in CBSE schools for years. There are around 4-5 set of solved Hindi Extra questions from each and every chapter. The students will not miss any concept in these Chapter wise question that are specially designed to tackle Exam. We have taken care of every single concept given in CBSE Class 09 Hindi – A syllabus and questions are framed as per the latest marking scheme and blue print issued by CBSE for class 09.

CBSE Class 9 Hindi Ch – 10 Practice Tests

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Class 9 Hindi – A Chapter wise Question and Answers

वाख (ललद्यद)

  1. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
    थल-थल में बसता है शिव ही,
    भेद ने कर क्या हिंदू-मुसलमां।
    ज्ञानी है तो स्वयं को जान,
    वही है साहिब से पहचान।

    1. कवयित्री ने उपर्युक्त काव्यांश में शिव किसे कहा है? उनका वास कहाँ बताया गया है?
    2. कवयित्री ने काव्यांश के माध्यम से क्या संदेश दिया है?
    3. स्वयं को जानने से ईश्वर को कैसे पहचाना जा सकता है?

  2. कवयित्री ललद्यद ने ईश्वर का निवास कहाँ बताया है?

  3. कवयित्री ललद्यद किसे साहब मानती है? वह साहब को पहचानने का क्या उपाय बताती है?

  4. वाख में रस्सी किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?

  5. वाख कविता के आधार में भाव स्पष्ट कीजिए- जेब टटोली कौड़ी न पाई।

वाख (ललद्यद)

Answer

    1. उपर्युक्त काव्यांश में कवयित्री ने अपने आराध्य प्रभु को शिव कहा है। उन्होंने उनका वास प्रत्येक कण में बताया है।
    2. कवयित्री ने काव्यांश के माध्यम से यह संदेश दिया है कि मनुष्य को हिंदू-मुसलमान के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए क्योंकि ईश्वर सर्वव्यापक । वह कहती हैं कि हे मनुष्य! तुम धार्मिक भेदभाव को त्यागकर उसे अपना लो। ईश्वर को जानने से पहले तुम स्वयं को पहचानो अर्थात् आत्मज्ञान प्राप्त करो।
    3. कवयित्री के अनुसार ईश्वर सर्वव्यापक है। वह किसी सीमा में नहीं बंधा हुआ है | उसका वास तो स्वयं मनुष्य के हृदय में है। अतः यदि मनुष्य स्वयं को जान लेगा तो वह ईश्वर को पा लेगा।
  1. कवयित्री ने ईश्वर को सर्वव्यापी बताते हुए उसे हर जगह पर व्याप्त रहने वाला कहा है। वास्तव में ईश्वर का वास हर प्राणी के अंदर है परंतु मत-मतांतरों के चक्कर में पड़कर अज्ञानता के कारण मनुष्य अपने अंदर बसे प्रभु को नहीं पहचान पाता है। इस प्रकार कवयित्री का प्रभु सर्वव्यापी है।
  2. कवयित्री परमात्मा को साहब मानती है, जो भवसागर से पार करने में समर्थ हैं। वह साहब को पहचानने का यह उपाय बताती है कि मनुष्य को आत्मज्ञानी होना चाहिए। वह अपने विषय में जानकर ही साहब को पहचान सकता है।
  3. वाख में ‘रस्सी’ शब्द मनुष्य की साँसों के लिए प्रयुक्त हुआ है। इसके सहारे वह शरीर-रूपी नाव को इस संसार रुपी सागर में खींच रहा है। यह रस्सी अत्यंत कमज़ोर है। यह कब टूट जाए इसका कुछ निश्चित पता नहीं है। अर्थात् मनुष्य की साँसे कब रुक जाए , इसका कुछ पता नहीं है।
  4. भाव – कवयित्री ने अपना सारा जीवन सांसारिक वासनाओं में फंसकर व्यर्थ गँवा दिया। जीवन के अंतिम समय में जब उन्होंने पीछे देखा तो ईश्वर को देने के लिए उनके पास कोई सद्कर्म ही नहीं थे।

Class 9 Hindi – A Chapter Wise Important Question

Kritika

  1. Do Bailon Ki Katha (Premchand)
  2. Lhasa ki or (Rahul Sankrityayan)
  3. Upbhoktavad ki Sanskriti (Deleted)
  4. Sawle sapno ki yaad (Jabir Husain)
  5. Nana Saheb ki Putri (Chapla Devi)
  6. Premchand ke Phate Joote (Harishankar Parsai )
  7. Mere Bachpan ke Din (Mahadevi Varma )
  8. Ek kutta or ak Mena (Deleted)
  9. Sakhiya aav Shabad (kabir)
  10. Vaakh (LalGhad)
  11. Savaiye (Raskhan)
  12. kaidi aur kokila (Makhanlal Chaturvedi)
  13. Gram shri (Deleted)
  14. Chandra Gehna se Lautti Ber (Kedarnath Agarwal)
  15. Megh Aaye (Sarveshwar Dayal Saxena)
  16. Yamraj ki Disha (Chandrakant Devtale)
  17. Bache kam par ja rahe hain (Rajesh Joshi)

Kritika

  1. Is Jal Pralay Mein (Deleted)
  2. Mere sang ki Auratein
  3. Reedh ki haddi
  4. Mati wali
  5. Kis tarah aakhirkar main Hindi Mein Aaya (Deleted)


वाख कविता के माध्यम से कवयित्री मनुष्य को क्या प्ररेणा देना चाहती? - vaakh kavita ke maadhyam se kavayitree manushy ko kya prarena dena chaahatee?


वाख कविता के माध्यम से कवयित्री मनुष्य को क्या प्रेरणा देना चाहती है?

उत्तर कवयित्री का 'घर जाने की चाह' से तात्पर्य है - ईश्वर या परमात्मा से मिलन। इसका अर्थ यह है कि कवयित्री इस सांसारिक माया जाल से मुक्ति चाहती है अर्थात् परमात्मा से मिलन और मोक्ष की प्राप्ति चाहती है। 4 भाव स्पष्ट कीजिए (क) जेब टटोली कौड़ी न पाई । (ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी ।

कवयित्री क्या प्रेरणा देना चाहती है?

कवयित्री इन सभी से बस्तियों की रक्षा करना चाहती हैं।

वाख कविता में कवयित्री कौन है?

इस पोस्ट के माध्यम से हम क्षितिज भाग 1 कक्षा-9 पाठ-10 (NCERT Solution for class 9 kshitij bhag-1 Chapter-10) वाख (Vaakh) कविता के व्याख्या के बारे में जाने, जो कि ललद्यद (Laldyad) जी द्वारा लिखित हैं ।

वाख का क्या अर्थ होता है?

उन्होंने धार्मिक आडंबरों का विरोध किया और प्रेम को सबसे बड़ा मूल्य बताया। । रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव । जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।।