वर्तनी व उच्चारण की शुद्धता का क्या महत्व है? - vartanee va uchchaaran kee shuddhata ka kya mahatv hai?

भाषा में शुद्ध उच्चारण के साथ शुद्ध वर्तनी का भी महत्त्व होता है। अशुद्ध वर्तनी से भाषा का सौन्दर्य तो नष्ट होता ही है, कहीं कहीं तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है। वर्तनी अशुद्धि के कई कारण हो सकते हैं यथा –

  1. स्वरागम के कारण: निम्न शब्दों में किसी वर्ण के साथ अनावश्यक स्वर प्रयुक्त हो जाने से वर्तनी अशुद्ध हो जाती है अतः उसे हटा कर वर्तनी शुद्ध की जा सकती है।
अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीअत्याधिकअत्यधिकआधीनअधीनअभ्यार्थीअभ्यर्थीअनाधिकारअनधिकारअहिल्याअहल्यादुरावस्थादुरवस्थाशमशानश्मशानगत्यावरोध गत्यवरोधप्रदर्शिनीप्रदर्शनीद्वारिकाद्वारकावापिसवापसघुटुनाघुटनाव्यौपारीव्यापारीभागीरथभगीरथ

 

  1. स्वरलोप के कारण: उचित स्वर के अभाव के कारण
अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीआखरीआखिरीआप्लवितआप्लावितकुटुम्बकुटम्बदुगनीदुगुनीजलूसजुलूसबदामबादाममैथलीमैथिलीविपन्नवस्थाविपन्नावस्थाअगामीआगामीसतरंगनीसतरंगिनीगोरवगौरवयुधिष्ठरयुधिष्ठिरमहात्म्यमाहात्म्यअन्त्यक्षरीअन्त्याक्षरीआजीवकाआजीविकाफिटकरीफिटकिरीकुमुदिनीकुमुदनीविरहणीविरहिणीस्वस्थ्यस्वास्थ्यवाहनीवाहिनीवयवृद्धवयोवृद्धपारितोषकपारितोषिकमुकटमुकुटभगीरथीभागीरथीअजानुआजानुअष्टवक्रअष्टावक्रउन्नतशीलउन्नतिशीलजमाताजामाताअतिश्योक्तिअतिशयोक्तिनृत्यंगनानृत्यांगनामुकन्दमुकुन्दलोकिकलौकिक

 

  1. व्यंजनागम के कारण : शब्द में अनावश्यक व्यंजन के प्रयुक्त हो जाने से भी वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीअवन्नतिअवनतिप्रज्ज्वलितप्रज्वलितबुद्धवारबुधवारअन्तध्र्यानअन्तर्धानसदृश्यसदृशपूज्यनीयपूजनीयनिश्च्छलनिश्छलश्रापशापसमुन्द्रसमुद्रनिन्द्रितनिद्रितकेन्द्रीयकरणकेन्द्रीकरणकुत्तियाकुतियाशुभेच्छुकशुभेच्छुगोवर्द्धनगोवर्धनकृत्य-कृत्यकृत-कृत्यषष्ठम्षष्ठ

 

  1. व्यंजन लोप के कारण: किसी वर्तनी में व्यंजन के न लिखने पर वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीअध्यनअध्ययनईर्षाईर्ष्याउमीदवारउम्मीदवारतदन्तरतदनन्तरव्यंगव्यंग्यसामर्थसामर्थ्यउद्देशउद्देश्यउछृंखलउच्छृंखलद्वन्दद्वन्द्वउत्पनउत्पन्नमहत्वमहत्त्वसमुनयनसमुन्नयनसमुचयसमुच्चयमिष्टानमिष्टान्नइन्द्राइन्दिराउलंघनउल्लंघनउपलक्षउपलक्ष्यचार दीवारीचहार दीवारीतरुछायातरुच्छायास्तनपानस्तन्य पानआर्दआर्द्रतत्वाधानतत्त्वावधाननिरलम्बनिरवलम्बश्रेयकरश्रेयस्करराजाभिषेकराज्याभिषेकस्वालम्बनस्वावलम्बनस्वातन्त्रस्वातन्त्रययोधायोद्धाद्विधाद्विविधा

 

  1. वर्णक्रम भंग के कारण – वर्तनी में किसी वर्ण का क्रम बदलने पर अर्थात् वर्ण का क्रम आगे पीछे होने पर वर्तनी अशुद्ध हो जायेगी। यथा –

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीअथितिअतिथिचिन्हचिह्नमध्यान्हमध्याह्नब्रम्हाब्रह्माआव्हानआह्वानजिव्हाजिह्वागव्हरगह्वरआन्नदआनन्दआल्हादआह्लादप्रसंशाप्रशंसाअलमअमलमतबलमतलब

 

  1. वर्णपरिवर्तन के कारण: किसी वर्तनी में किसी वर्ण के स्थान पर दूसरा वर्ण लिख देने पर वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीबतकबतखदस्तकतदस्तखतमेगनादमेघनादकुष्टकुष्ठऋनऋणजुखामजुकामऊँगनाऊँघनासंगटनसंघटनसंघठनसंगठनरिमजिमरिमझिमयथेष्ठयथेष्टसन्तुष्ठसन्तुष्टमिष्ठान्नमिष्टान्नपरिशिष्ठपरिशिष्टसंश्लिष्ठसंश्लिष्टबलिष्टबलिष्ठकनिष्टकनिष्ठकटहराकठहराबसिष्टवसिष्ठयुधिष्टिरयुधिष्ठिरसीड़ीसीढ़ीधनाड्यधनाढ्यरामायनरामायणपुन्यपुण्यसुश्रूषाशुश्रूषाअवकासअवकाशआशीशआशीषशोडशीषोडशीआमिशआमिषकैलाशकैलासविध्वंशविध्वंसपुरष्कारपुरस्कारनिसिद्धनिषिद्धविध्यालयविद्यालय

 

  1. पंचम् वर्ण/अनुस्वार एवं चन्द्रबिन्दु के कारण किसी वर्ग के अन्तिम नासिक्य वर्ण के स्थान पर अन्य नासिक्य वर्ण लगाने या सही स्थान पर अनुस्वार नहीं लगाने तथा उचित स्थान पर चन्द्रबिन्दु का उपयोग न करने से भी वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीवांगमयवाङ्मयचन्चलचंचलमन्डलमण्डलषन्मुखषण्मुखसन्यासीसंन्यासीएंकाकीएकांकीइन्होनेंइन्होंनेउन्नींसवीउन्नीसवींकरेगेंकरेंगेस्वयम्वरस्वयंवरसम्वर्धनसंवर्धनक्रांन्तिक्रान्तिआंखआँखहंसीहँसीऊंटऊँटआंधीआँधीपहुंचपहुँचसांझसाँझऊंचाईऊँचाईजाऊंगाजाऊँगाढूंढ़नाढूँढनादांतदाँतकुंआकुआँदिनाँकदिनांकदुनियाँदुनियापांचपाँच

 

  1. रेफ सम्बन्धी: र् रेफ के रूप में उचित वर्ण पर न लगाने से भी वर्तनी अशुद्ध हो जाती है। ‘र’ रेफ के रूप में उस वर्ण पर लगाना चाहिए, जिस वर्ण से पूर्व ‘र’ का उच्चारण होता है।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीआर्शीवादआशीर्वादउर्तीणउत्तीर्णआकषर्णआकर्षणप्रार्दुभावप्रादुर्भावदशनीयदर्शनीयगर्वनरगवर्नरअन्र्तभावअन्तर्भावअन्र्तगतअन्तर्गतमुर्हरममुहर्रमआर्युवेदआयुर्वेददुव्यर्सनदुर्व्यसनशार्गीदशागीर्दपुर्नजन्मपुनर्जन्मप्रर्वतकप्रवर्तक

 

 

  1. ऋ के स्थान पर र के प्रयोग के कारण

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीस्रष्टिसृष्टिद्रश्यदृश्यअनुग्रहीतअनुगृहीतपैत्रिकपैतृकद्रष्टिदृष्टिग्रहिणीगृहिणीप्रक्रतिप्रकृतिभ्रंगभृंगभ्रगुभृगुजाग्रतिजागृतिसंग्रहीतसंगृहीतश्रंगश्रृंगग्रहीतगृहीततिरस्क्रततिरस्कृतभ्रत्यभृत्यसम्रद्धसमृद्धव्रत्तान्तवृतांतह्रदयहृदयमृदंगमृदंग

 

  1. ‘र’ के स्थान पर ‘ऋ’ के प्रयोग के कारण

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीबृजब्रजजागृतजाग्रतदृष्टाद्रष्टाबृटिशब्रिटिशअनुगृहअनुग्रहदृष्टव्यद्रष्टव्य

 

 

  1. के स्थान पर ‘त्र’ के प्रयोग के कारण

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीसहस्त्रसहस्रस्त्रोतस्रोतअजस्त्रअजस्रस्त्रावस्राव

 

  1. संयुक्ताक्षर सम्बन्धी सही संयुक्ताक्षर का प्रयोग न करने से वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीकब्बड़ीकबड्डीप्रसिद्वप्रसिद्धविध्यालयविद्यालयगद्धागद्दामहत्वमहत्त्वज्योत्सनाज्योत्स्नापध्यपद्यदफतरदफ्तरद्वन्द्धद्वन्द्व

 

  1. सन्धि सम्बन्धी: सही सन्धि न होने पर वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीउपरोक्तउपर्युक्तउज्जवलउज्ज्वलअत्योक्तिअत्युक्तिनिरोगनीरोगपुनरोक्तिपुनरुक्तितदोपरान्ततदुपरान्तषड्यन्त्रषड्यन्त्रदुपहरदोपहरसदोपदेशसदुपदेशशरदोत्सवशरदुत्सवलघुत्तरलघूत्तरमहेश्वर्यमहैश्वर्यमनहरमनोहरअनुसंगअनुषंगमरुद्यानमरूद्यानअन्तर्चेतनाअन्तश्चेतनायावत्जीवनयावज्जीवनपयोपानपयःपानउत्शिष्टउच्छिष्टषट्मुखषण्मुखविसादविषादरविन्द्ररवीन्द्रअन्तसाक्ष्यअन्तः साक्ष्यनिरावलम्बनिरवलम्ब

 

  1. समास सम्बन्धी: सामासिक प्रक्रिया में पदों के मेल पर उनके रूप में परिवर्तन भी होता है। अतः सही समास न होने से वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीमन्त्री परिषद्मन्त्रिपरिषद्नवरात्रिनवरात्रयोगीराजयोगिराजपिता-भक्तिपितृ-भक्तिअहो–रात्रिअहोरात्रमाताहीनमातृहीननिशिशेषनिशाशेषपक्षीराजपक्षिराजप्राणी-विज्ञानप्राणि-विज्ञानदुरात्मागणदुरात्मगणचक्रपाणीचक्रपाणिमुनीजनमुनिजनराजागणराजगण

 

  1. प्रत्यय सम्बन्धी: प्रत्यय का सही प्रयोग न होने पर।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीव्यवहारिकव्यावहारिकअनुपातिकआनुपातिकप्रमाणिकप्रामाणिकइतिहासिकऐतिहासिकसेनिकसैनिकवेदिकवैदिकपुराणिकपौराणिकभूगोलिकभौगोलिकयोगिकयौगिकसौन्दर्यतासौन्दर्यमाधुर्यतामाधुर्यऔदार्यताऔदार्यकौशलताकौशलप्रधान्यताप्राधान्यबाहुल्यताबाहुल्यलावण्यतालावण्यनिरपराधीनिरपराधनीरोगीनीरोगनिर्दयीनिर्दयदरिद्रीदरिद्रनिर्दोषीनिर्दोषनिर्धनीनिर्धनयौवनावस्थायौवनमान्यनीयमाननीयआवश्यकीयआवश्यकएकत्रितएकत्रकृतघ्नीकृतघ्नअभिशापितअभिशप्तक्रोधितक्रुद्धअनुवादितअनूदितलब्ध प्रतिष्ठितलब्ध–प्रतिष्ठ

 

  1. लिंग सम्बन्धी: अशुद्ध लिंग रूप भी वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धि बन जाता है।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीकवियित्रीकवयित्रीहथनीहथिनीगृहणीगृहिणीकर्मीकर्तीसुलोचनीसुलोचनाश्रीमतिश्रीमतीविदुषिविदुषीसाम्राज्ञीसम्राज्ञीहंसनीहंसिनीचमारनचमारिनठाकुराइनठकुराइनप्रियदर्शनीप्रियदर्शिनीकमलनीकमलिनीसरोजनीसरोजिनीबुद्धिमतिबुद्धिमतीकामनीकामिनीकृशांगिनीकृशांगीतपस्वनीतपस्विनी

 

  1. वचन सम्बन्धी: बहुवचन बनाने के नियमों की उपेक्षा करने पर भी वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीदवाईयाँदवाइयाँइकाईयाँइकाइयाँपरीक्षार्थीयोंपरीक्षार्थियोंहिन्दूओंहिन्दुओंसंन्यासी वर्गसंन्यासिवर्गखेतीहरखेतिहरप्राणीवृन्दप्राणिवृन्दविद्यार्थीगणविद्यार्थिगण

 

  1. विसर्ग सम्बन्धी: वर्तनी में सही विसर्ग का प्रयोग न करने या विसर्ग सन्धि की अशुद्धि पर वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीप्रातकालप्रातः कालअधोपतनअधः पतनदुखदुःखनिकंटकनिष्कंटक/निःकंटकप्रायप्रायःनिश्वासनिःश्वासअन्तकरणअन्तः करणनिसन्देहनिःसन्देह/निस्सन्देहअतः एवअतएव

 

  1. हलन्त का प्रयोग न करने पर

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीपरिषदपरिषद्षडयन्त्रषड्यन्त्रउदघाटनउद्घाटनषटरसषट् रसउदगारउद्गारगदगदगद्गद्विद्युतविद्युत्तडिततड़ित्पृथकपृथक्भाषाविदभाषाविद्

 

  1. उपसर्ग सम्बन्धी: सही उपसर्ग का प्रयोग न होने या अनावश्यक उपसर्ग लगा देने से भी वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।

 

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनीउदण्डउद्दण्डबेफजूलफजूलदरअसल मेंदरअसलसविनयपूर्वकसविनय

 

  1. मात्रा सम्बन्धी: स्वर की उचित मात्रा के प्रयोग न करने से सर्वाधिक वर्तनी सम्बन्धं ती अशुद्धियाँ होती हैं।

    वर्तनी उच्चारण की शुद्धता का क्या महत्व है?

    शुद्ध उच्चारण ही भाषा-विशेष के ज्ञान का प्रथम चरण होता है। हिन्दी भाषा उन्नति के पथ पर अग्रसर हो रही है तथा इसके राष्ट्रभाषा के पद पर आसीन होने के बाद इसका महत्व और भी बढ़ गया है। अतएव इसे शुद्ध, समृद्ध, सर्वप्रिय एवं सर्वग्राह्य बनाने हेतु उच्चारण की शुद्धता की तरफ ध्यान देना परमावश्यक है।

    वर्तनी की शुद्धता क्यों आवश्यक है?

    वर्तनी की शुद्धता भाषा का अनिवार्य अंग है । अभिव्यक्ति के विचारों की क्रमिकता एवं सुसम्बधता कितनी ही सुव्यवस्थित क्यों न हो परन्तु यदि विचारों को व्यक्त करने वाली भाषा शुद्ध नहीं तो उसका प्रभाव नगण्य बनकर रह जायेगा । भाषा की शुद्धता मुख्यतः शुद्ध वर्तनी पर निर्भर करती है।

    उच्चारण और वर्तनी से आप क्या समझते हैं?

    आसान भाषा में कहे तो जो भाषा उच्चारण किये गए शब्दों को सही ढंग से लिखने जितनी अधिक सहज होगी उस भाषा की वर्तनी उतनी ही अधिक सक्षम होती है। यदि हम वर्तनी के कार्य की बात करे तो वर्तनी उच्चारण को दर्शाने का कार्य करती है। यदि हम वर्तनी का उपयोग नहीं करते हैं तो आप उच्चारण की गई बात को सही तरीके से नही लिख पाएंगे।

    वर्तनी का क्या महत्व है?

    वर्तनी को अक्षर या स्पेलिंग भी कहते हैं. किसी भी भाषा की समस्या ध्वनियों को सही ढंग से उच्चारित करने के लिए ही वर्तनी की एकरूपता स्थिर की जाती है. जिस भाषा की वर्तनी (Vartani) में अपनी भाषा के साथ अन्य भाषाओं की ध्वनियों को ग्रहण करने की जितनी अधिक शक्ति होगी, उस भाषा की वर्तनी (Vartani) उतनी ही समर्थ समझी जायेगी.