NCERT Solutions for Class 12 Sahityik Hindi Chapter 1 Notes in Hindi एनसीईआरटी सॉल्यूशंस कक्षा 12 साहित्यिक हिंदी गद्य गरिमा अध्याय 1 के नोट्स हिंदी मेंकक्षा 12 साहित्यिक हिंदी गद्य गरिमा अध्याय 1 वासुदेव शरण अग्रवाल राष्ट्र का स्वरूप हिंदी मेंupboardmaster.com for गद्य गरिमा अध्याय 1 वासुदेव शरण अग्रवाल राष्ट्र का स्वरूप हिंदी में एनसीईआरटी समाधान में विस्तृत विवरण के साथ सभी महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं जिसका उद्देश्य छात्रों को अवधारणाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करना है। जो छात्र अपनी कक्षा 12 की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें upboardmaster.com for कक्षा 12 साहित्यिक हिंदी गद्य गरिमा अध्याय 1 वासुदेव शरण अग्रवाल राष्ट्र का स्वरूप हिंदी में NCERT सॉल्यूशंस से गुजरना होगा। इस पृष्ठ पर दिए गए समाधानों के माध्यम से जाने से आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि समस्याओं का दृष्टिकोण और समाधान कैसे किया जाए। Show
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उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (i) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है तथा इसके लेखक कौन हैं? (ii) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने किस बात पर बल दिया है? (iii) लेखक ने हमारे कर्त्तव्य के प्रति क्या विचार प्रस्तुत किए हैं? (iv) राष्ट्रीयता की भावना कब निर्मूल मानी जाती है? (v) ‘निर्मूल’ और ‘पल्लवित’ शब्दों में क्रमशः उपसर्ग और प्रत्यय अँटकर लिखिए।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (i) प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से लेखक क्या सन्देश देना चाहता है? (ii) गद्यांश में वसुन्धरा किसे और क्यों कहा गया है? (iii) पृथ्वी की देह सजाने से लेखक का क्या आशय है? (iv) छोटे-छोटे पत्थर प्रसाधन एवं सौन्दर्य हेतु किस प्रकार उपयोगी होते उत्तर पहाड़ों से टूटे हुए छोटे पत्थर नदियों के प्रवाह के साथ बहते हुए किनारे पर लग जाते हैं, जो सूर्य की किरणों से चमकते रहते हैं। इन्हीं पत्थरों पर कुशल कारीगर द्वारा कारीगरी करते हुए उसके स्वरूप को परिवर्तित किया जाता है और इनका प्रयोग प्रसाधन एवं सौन्दर्य हेतु किया जाता है। (v) ‘दिन-रात’ का समास विग्रह करते हुए उसका भेद लिखिए।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (i) राष्ट्रीय चेतना में भौतिक ज्ञान-विज्ञान के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। (ii) लेखक ने राष्ट्र की सुप्त अवस्था कब तक स्वीकार की है? (iii) विज्ञान और श्रम के संयोग से राष्ट्र प्रगति के पथ पर कैसे अग्रसर हो सकता है? उत्तर लेखक के अनुसार, विज्ञान और परिश्रम दोनों को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए, तभी किसी सष्ट्र का भौतिक स्वरूप उन्नत बन सकता है अर्थात् विज्ञान का विकास इस प्रकार हो कि उससे श्रमिकों को हानि न पहुँचे और उनके कार्य और कुशलता में वृद्धि हो। यह कार्य बिना किसी दबाव के हो तथा सर्वसम्मति में हो। इस प्रकार कोई भी राष्ट्र प्रगति कर सकता है। . (iv) लेखक के अनुसार, राष्ट्र समृद्धि का उद्देश्य कब पूर्ण नहीं हो (v) “स्वागत’ का सन्धि विच्छेद करते हुए उसका भेद बताइए।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (i) प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से लेखक ने क्या उददेश्य दिया है? (ii) ‘यह प्रणाम-भाव ही भूमि और जन का दृढ़-बन्धन है।’ इस पंक्ति से । लेखक का क्या आशय है? (iii) पृथ्वी के रत्नों को कौन प्राप्त कर सकता है? (iv) कैसे व्यक्ति राष्ट्र का उत्थान नहीं कर सकते? (v) ‘अधिकार’ और ‘अनुराग’ शब्दों में से उपसर्ग छाँटकर लिखिए।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (i) प्रस्तुत गद्यांश में माता और पृथ्वी की समानता किस आधार पर की गई है? (ii) “प्रगति और उन्नति करने का सबको एक जैसा अधिकार है”-से लेखक का क्या आशय है? . उत्तर प्रस्तुत पंक्ति से लेखक का आशय यह है कि व्यक्ति अमीर हो या गरीब, प्रगतिशील हो या पिछड़ा, सभी में मातृभूमि के लिए समान प्रेम-भाव होता है। संसार के समस्त प्राणियों को प्रगति व उन्नति करने के लिए मातृभूमि समान अवसर प्रदान करती है तथा इनकी समन्वय की भावना ही राष्ट्र की उन्नति व प्रगति का आधार होती है। (iii) गद्यांश में मातृभूमि की सीमाओं को अनन्त क्यों कहा गया है? (iv) प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से क्या सन्देश मिलता है? (v) ‘मातृभूमि’ शब्द का समास विग्रह करते हुए उसका भेद लिखें। उत्तर मातृभूमि – माता की भूमि (तत्पुरुष समास)।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (i) लेखक ने सम्पूर्ण राष्ट्र की प्रगति के लिए क्या आवश्यक माना है? (ii) एक राष्ट्र कब तक प्रगति एवं उन्नति के मार्ग में आगे नहीं बढ़ सकता? उत्तर एक राष्ट्र तक तब प्रगति एवं उन्नति के मार्ग में आगे नहीं बढ़ सकता. जब तक उसके प्रत्येक क्षेत्र, वर्ग, सम्प्रदाय, जाति के प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार प्राप्त नहीं होंगे तथा उनकी उन्नति का ध्यान नहीं रखा जाएगा। (iii) राष्ट्र का महत्त्वपूर्ण अंग क्या है? उत्तर राष्ट्र का महत्त्वपूर्ण अंग व्यक्ति होता है, क्योंकि इसके बिना किसी राष्ट की कल्पना भी नहीं की जा सकती। व्यक्ति निरन्तर अपने श्रम एवं कर्म के नाम पर राष्ट्र की उन्नति में अपना योगदान देता है। (iv) लेखक ने जन जीवन की तुलना नदी के प्रवाह से क्यों की है? (v) ‘अजर-अमर’ का समास विग्रह करते हुए उसका भेद लिखिए।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (i) लेखक के अनुसार राष्ट्र का तीसरा महत्त्वपूर्ण अंग क्या है? (ii) संस्कृति से क्या अभिप्राय है? । (iii) राष्ट्र की उन्नति में संस्कृति का महत्त्व स्पष्ट कीजिए। (iv) जीवन के विटप का पुष्प संस्कृति है’ से लेखक का क्या अभिप्राय है? (v) ‘विटप’ तथा ‘पुष्प’ शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
दिए गए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (i) लेखक के अनुसार किसी राष्ट्र का सुखद जीवन किस भावना पर निर्भर करता है? उत्तर लेखक के अनुसार किसी राष्ट्र का सुखद जीवन पारस्परिक सौहार्द्र एवं एकता की भावना पर निर्भर करता है। जिस प्रकार जंगल में अनेक लताएँ, पेड़-पौधे तथा वनस्पतियाँ सामूहिक रूप से रहते हैं, उसी प्रकार एक देश में अनेक संस्कृतियाँ हो सकती हैं, परन्तु उन सबका अस्तित्व परस्पर मेल-जोल एवं एकता की भावना में निहित होता है। (ii) राष्ट्र के अस्तित्व का आधार क्या है? (iii) संस्कृति किस प्रकार जीवन को आनन्द प्रदान करती है? (iv) विविध संस्कृतियों वाले राष्ट्र की एकसूत्रता के स्वरूप पर प्रकाश डालिए। उत्तर विविध संस्कृतियों वाले राष्ट्र की सभी संस्कृतियाँ बाहरी दृष्टि से देखने पर अलग अलग दिखाई देती हैं, किन्तु इनके अन्दर मूल रूप में एक ही सूत्र अर्थात् आत्मा होती है, जो सम्पूर्ण राष्ट्र की मिली-जुली संस्कृति को मुखरित करती है। इस प्रकार किसी राष्ट्र के सबल अस्तित्व के लिए इस प्रकार की एकसूत्रता आवश्यक है। (v) राष्ट्रीय, आनन्दित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय छाँटकर लिखिए।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (i) संस्कृति के वाहक एवं संरक्षक के रूप में लेखक ने किसे प्रस्तुत किया है? (ii) लेखक के अनुसार राष्ट्र की धरोहर क्या है? (iii) एक राष्ट्र की उन्नति कब सम्भव हो सकती है? (iv) हम किस भावना के माध्यम से अपने भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं? (v) संवर्धन’ शब्द का सन्धि विच्छेद करते हुए इसमें प्रयुक्त सन्धि का नाम भी लिखिए। हमारा सुझाव है कि आप upboardmaster.com for कक्षा 12 गद्य गरिमा अध्याय 1 वासुदेव शरण अग्रवाल राष्ट्र का स्वरूप महत्वपूर्ण प्रश्न हिंदी में, एनसीईआरटी बुक से गुजरें और विशिष्ट अध्ययन सामग्री प्राप्त करें। इन अध्ययन सामग्रियों का अभ्यास करने से आपको अपने स्कूल परीक्षा और बोर्ड परीक्षा में बहुत मदद मिलेगी। यहां दिए गए upboardmaster.com for कक्षा 12 गद्य गरिमा अध्याय 1 वासुदेव शरण अग्रवाल राष्ट्र का स्वरूप महत्वपूर्ण प्रश्न हिंदी में, एनसीईआरटी अध्याय नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार हैं हमें उम्मीद है कि कक्षा 12 के के गद्य गरिमा अध्याय 1 वासुदेव शरण अग्रवाल राष्ट्र का स्वरूप नोट्स हिंदी में आपकी मदद करेंगे। यदि आपके पास कक्षा 12 के गद्य गरिमा अध्याय 1 वासुदेव शरण अग्रवाल राष्ट्र का स्वरूप नोट्स हिंदी में के लिए के बारे में कोई प्रश्न है, तो नीचे एक टिप्पणी छोड़ दें और हम जल्द से जल्द आपके पास वापस आ जाएंगे। We suggest you go through the NCERT Books and get exclusive study material, at upboardmaster.com for Class 12 NCERT Solutions for Class 12 Sahityik Hindi Chapter 1 Important Questions in Hindi. Practicing these study materials will help you a lot in your school exams and board exams. Given here are upboardmaster.com for Class 12 NCERT Solutions for Class 12 Sahityik Hindi Chapter 1 Important Questions in Hindi, NCERT chapter wise latest syllabus We hope that NCERT Solutions for Class 12 Sahityik Hindi Chapter 1 notes in hindi will help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 12 Sahityik Hindi Chapter 1 Notes in Hindi, leave a comment below and we will get back to you as soon as possible. वासुदेव शरण अग्रवाल का निबंध कौनसा है?निबंध संग्रह :- उत्तम-ज्योति, पृथ्वीपुत्र, कल्पलता, कल्पवृक्ष, वेद-विद्या, कला और संस्कृति, मातृभूमि, वाग्धरा इत्यादि इनके निबंध संग्रह है। शोध ग्रंथ :- 'पाणिनिकालीन भारत' इनका शोध ग्रंथ है। संपादन :- इन्होंने पद्मावत का संपादन किया। इसके अलावा इन्होंने पाली, संस्कृत और प्राकृत के भी कई ग्रंथ संपादित किए।
वासुदेव शरण का जीवन परिचय कैसे लिखें?वासुदेवशरण अग्रवाल का 'जीवन परिचय'
वासुदेवशरण अग्रवाल जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद में स्थित खेडा नामक ग्राम में 6 अगस्त सन् 1904 ई. को हुआ था। माता-पिता का निवास लखनऊ में होने के कारण इनका बचपन यहीं व्यतीत हुआ। अपनी शिक्षा भी आपने यहीं माता-पिता की छत्र-छाया में रहकर प्राप्त की।
पृथ्वी पुत्र निबंध के लेखक कौन हैं?'पृथिवी-पुत्र' डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा समय-समय पर लिखे गए उन लेखों और पत्रों का संग्रह है, जिनमें जनपदीय दृष्टिकोण से साहित्य और जीवन के सम्बन्ध में कुछ विचार प्रकट किए गए थे। इस दृष्टिकोण की मूल प्रेरणा पृथिवी या मातृभूमि के साथ जीवन के सभी सूत्रों को मिला देने से उत्पन्न होती है।
वासुदेव शरण अग्रवाल जी के माता का क्या नाम था?उत्तर -- वासुदेव शरण अग्रवाल के माता-पिता का नाम कही पर भी जिक्र नही किया गया है। लेकिन फिर भी माना जाता है की, इनके पिता का नाम विष्णु अग्रवाल तथा माता का नाम सीता देवी अग्रवाल था।
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