विश्वकर्मा भगवान की पूजा कैसे की जाती है? - vishvakarma bhagavaan kee pooja kaise kee jaatee hai?

Vishwakarma Puja 2022: आज इस शुभ मुहूर्त में करें विश्वकर्मा पूजा, जान लें क्या है सही विधि?

Vishwakarma Puja 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन विश्वकर्मा पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि जब सृष्टि की रचना हुई थी उस समय इसे (Vishwakarma Puja 2022 Date) सजाने-सवांरने का काम भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था. (Vishwakarma Puja 2022 Pujan Vidhi) भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियम कहा जाता है. हर साल उनकी जयंती को विश्वकर्मा पूजा के तौर पर मनाया जाता है. देशभर में आज यानि 17 सितंबर के दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जा रही है.Also Read - Bhai Dooj 2022: आज है भाई दूज का त्योहार, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन ​विधि

विश्वकर्मा पूजा 2022 शुभ मुहूर्त

हर साल कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की जाती है और इस साल यह पूजा 17 सितंबर 2022, शनिवार के दिन है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगा और रात 9 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर 12 बजकर 40 मिनट तक अभिजित मुहूर्त रहेगा. Also Read - Bhai Dooj Katha: भाई दूज के दिन तिलक करने से पहले जरूर पढ़ें ये कथा, दूर होंगी सब बलाएं

विश्वकर्मा पूजन विधि

विश्वकर्मा पूजा के दिन कारखानों में मशीनों और औजारों की पूजा की जाती है. साथ ही आज के दिन अस्त्र-शस्त्र का भी पूजन होता है. मान्यता है कि ऐसा करने से मशीनें, औजार और अस्त्र-शस्त्र कभी धोखा नहीं देते और लंबे समय तक आपका साथ निभाते हैं. Also Read - Chhath Puja 2022: आखिर क्यों मनाया जाता है छठ पर्व? जानिए इससे जुड़ी कुछ प्रचलित लोककथाएं

इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और अपने कारखाने, फैक्ट्री या दुकान पर जाकर वहां चैकी बिछाएं. फिर उस पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और गंगाजल का छिड़काव कर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को रोली और अक्षत लगाएं. फिर उन्हें फल व मिठाई्र का भोग लगाएं. साथ ही फूल, फूल माला, दही, सुपारी, कलाई नारियल आदि अर्पित करें. इसके बाद अस्त्र-शस्त्र, मशीनों व औजारों की पूजा करनी चाहिए.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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Published Date: September 17, 2022 7:00 AM IST

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Updated Date: September 17, 2022 10:09 AM IST

विश्वकर्मा पूजा के संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि पूजा के दिन सुबह-सुबह पूजा करनी चाहिए। इसके लिए पूजा के दिन फैक्ट्री, वर्कशॉप, दुकान आदि के स्वामी को प्रात:काल स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके पूजा के शुभ मुहूर्त के दौरान पूजा स्थल पर बैठ जाना चाहिए।

विश्वकर्मा के जन्मदिवस के रूप में विश्वकर्मा पूजा की जाती है। ऋग्वेद के अनुसार विश्वकर्मा भगवान यांत्रिकी और वास्तुकला ज्ञाता माने जाते हैं। कुछ किंवदंती की मानें, उन्होंने भगवान कृष्ण के पवित्र शहर द्वारिका का निर्माण किया था। आज हम इस लेख में भगवान विश्वकर्मा की पूजा कब और कैसे की जाती है, इस संबंध में विस्तार से जानेंगे। साथ ही उनके कुछ रोचक विवरण का भी यहां उल्लेख किया गया है।

पूजा का शुभ मुहूर्त

- इस वर्ष 17 सितंबर शनिवार को चंद्रमा वृषभ राशि में होगा। जबकि शुभ रोहिणी नक्षत्र दोपहर के 12:21 तक रहेगा।

- संक्रांति का 1 : 46 तक रहेगा और राहुकाल 17 सितंबर को 9 से 10 : 30 मिनट तक रहेगा।

- विश्वकर्मा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त चौघड़िया प्रात:काल 7 : 38 से 9 : 11 तक होगा।

- विश्वकर्मा पूजा चौघड़िया दोपहर 12 : 15 से 1: 47 तक होगा और लाभ चौघड़िया दोपहर 1 : 47 से लेकर 3 : 20 तक होगा।

- ऊपरोक्त सभी समय और तिथि जानने के बाद आप घर में सुबह 7 : 38 से 9 बजे तक विश्वकर्मा की पूजा कर सकते हैं।

- जो लोग वाहनों का कारोबार करते हैं, उन्हें इस दिन 12 : 15 से 1 : 46 तक विश्वकर्मा पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त है।

- कल-कारखाने में भी विश्वकर्मा पूजा का समय दोपहर 12 से लेकर 1 : 46 तक काफी शुभ रहेगा।

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पूजा का विधि-विधान

विश्वकर्मा पूजा के संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि पूजा के दिन सुबह-सुबह पूजा करनी चाहिए। इसके लिए पूजा के दिन फैक्ट्री, वर्कशॉप, दुकान आदि के स्वामी को प्रात:काल स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके पूजा के शुभ मुहूर्त के दौरान पूजा स्थल पर बैठ जाना चाहिए। पूजा के दौरान भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को अपने सामने रखें। इसके लिए बेहतर रहेगा कि जातक पूजा चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद अपने सामने पूजा की सभी सामग्री रखें। इसमें हल्दी अक्षत और रोली भी शामिल करें। इसके साथ ही भगवान विश्वकर्मा को अक्षत, फूल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, दही, रोली, सुपारी, रक्षा सूत्र, मिठाई, फल आदि अर्पित करें और भगवान केसामने धूप-दीप जलाएं और इससे आरती करें। आपको भगवान के सामने वे सभी यंत्र या लौहे के सामान भी रखने के चाहिए जो आपके कामकाजी जीवन के लिए उपयोग में आते हैं। इसके बाद कलश को हल्दी और चावल के साथ रक्षासूत्र चढ़ाते हुए ‘ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम’, ‘ॐ अनन्तम नम:’, ‘पृथिव्यै नम:’ मंत्र का जप करें। मंत्र जाप करने के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें। अंत में विश्वकर्मा भगवन की आरती करें और पंडित को दान-दक्षिणा दें। इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि पूजा के समय आपका मन बिल्कुल साफ होना चाहिए। शुद्ध मन से की गई पूजा ही सफल होती है।

कहां मनाई जाती विश्वकर्मा जयंती

विश्वकर्मा पूजा के दिन सूर्य सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करता है। इस दिन का औद्योगिक क्षेत्र, भारतीय कला, मजदूर, अभियंत्रिकी आदि का विशेष महत्व होता है। विश्वकर्मा जयंती को भारत के जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, त्रिपुरा, बिहार और झारखंड जैसे कई राज्यों में मनाया जाता है। नेपाल में भी विश्वकर्मा पूजा को बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

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ये हैं कुछ रोचक विवरण

पौराणिक कथाओं में विश्वकर्मा द्वारा कई उत्कृष्ट नगरियों के निर्माण के रोचक विवरण मिलते हैं जैसे स्वर्गलोक की इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, रावण की स्वर्ण नगरी लंका, भगवान श्रीकृष्ण की समुद्र नगरी द्वारिका। इन सब अद्भुत कीर्तियों के निर्माण का श्रेय विश्वकर्मा भगवान को ही जाता है। यही नहीं उन्होंने पांडवों की राजधानी हस्तिनापुर का भी निर्माण किया है। पौराणिक कथाओं में इन मिलते हैं। इसके अलावा उड़ीसा का जगन्नाथ मंदिर भी विश्वकर्मा के कौशल का ही अप्रतिम उदाहरण है।

- मिताली जैन

विश्वकर्मा पूजा कैसे कराई जाती है?

चावल से भरा पात्र समर्पित कर ऊपर विश्वकर्मा बाबा की मूर्ति स्थापित करें और वरुण देव का आह्वान करें। पुष्प चढ़ाकर कहना चाहिए- हे विश्वकर्मा जी, इस मूर्ति में विराजिए और मेरी पूजा स्वीकार कीजिए। इस प्रकार पूजन के बाद विविध प्रकार के औजारों और यंत्रों आदि की पूजा कर हवन यज्ञ करें।

विश्वकर्मा पूजा में क्या क्या चढ़ाया जाता है?

विश्वकर्मा पूजा सामग्री (Vishwakarma Puja Samagri).
सुपारी, रोली, पीला अष्टगंध चंदन, हल्दी, लौंग, मौली, लकड़ी की चौकी.
पीला कपड़ा, मिट्‌टी का कलश, नवग्रह समिधा, जनेऊ, इलायची.
इत्र, सूखा गोला, जटा वाला नारियल, धूपबत्ती, अक्षत, धूप, फल, मिठाई.
बत्ती, कपूर, देसी घी, हवन कुण्ड, आम की लकड़ी, दही, फूल.

विश्वकर्मा भगवान को कौन सा फूल चढ़ता है?

मान्यता है की इनको 108 लाल गुड़हल के फूल अर्पित करने से मनोकामना पूर्ण होती है।