भारत में ब्रिटिश शासन के अंतर्गत भू राजस्व व्यवस्था Show
इस्तमरारी या स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था 1784 के पिट्स इंडिया एक्ट में ब्रिटिश सरकार के द्वारा कंपनी के संचालको को यह स्पष्ट आदेश दिया गया कि वे भारत में वहां की न्याय व्यवस्था तथा संविधान के अनुरूप उचित भूमि व्यवस्था लागू करे । अस्थायी बंदोबस्त से सम्बन्धित मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-
स्थाई बंदोबस्त के प्रभाव
रैयतवाड़ी व्यवस्था रैयतवाड़ी व्यवस्था में प्रत्येक पंजीकृत भूमिदार भूमि का स्वामी बन गया और लगान जमा करने का दायित्व भी किसानों को ही दे दिया गया । क्योंकि यह व्यवस्था प्रत्यक्ष रूप से किसानों या आम जनता के साथ लागू की गयी अतः इसे रैयतवाड़ी कहा गया । इस व्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं-
मुंबई में रैयतवाड़ी बंदोबस्त
महालवाड़ी व्यवस्था
अंग्रेजों द्वारा अवध का अधिग्रहण कब किया गया?1856 में अवध का अधिग्रहण अंग्रेजों की साम्राज्य विस्तार की नीति का तार्किक परिणाम था। इसमें कुशासन के आरोप के आधार पर अवध के नवाब वाजिद अली शाह को गद्दी से उतार दिया गया तथा अवध को प्रत्यक्ष रुप से ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।
अंग्रेजों द्वारा अवध के अधिग्रहण का स्थानीय जनता पर क्या प्रभाव पड़ा?अवध के अधिग्रहण से सिर्फ़ नवाब की ही गद्दी नहीं छिनी थी । इसने इलाके के ताल्लुक़दारों को भी लाचार कर दिया था।
अवध को हड़पने का अंग्रेजों ने क्या कारण बताया?हैदराबाद के निज़ाम का कर्ज़ अदा करने में अपने को असमर्थ पाकर 1853 ई. में बरार का अंग्रेज़ी राज्य में विलय कर लिया गया। 1856 ई. में अवध पर कुशासन का आरोप लगाकर लखनऊ के रेजीडेन्ट आउट्रम ने अवध का विलय अंग्रेज़ी साम्राज्य में करवा दिया, उस समय अवध का नवाब 'वाजिद अली शाह' था।
अवध के संस्थापक कौन हैं?सादत खां बुरहान-उल-मुल्क (1722-1739 ई।):
इन्होने 1722 ई. में अवध की स्वायत्त राज्य के रूप में स्थापना की उसे मुग़ल बादशाह मुहम्मदशाह द्वारा गवर्नर नियुक्त किया गया था । उसने नादिरशाह के आक्रमण के समय साम्राज्य की गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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