बिहार के वर्तमान विकास दर क्या है? - bihaar ke vartamaan vikaas dar kya hai?

बिहार की आर्थिक विकास दर बीते सालों में लगातार बढ़ी है। यह बढ़ोतरी राष्ट्रीय आर्थिक विकास दर की तुलना में अधिक है। इसका अच्छा असर राज्य में प्रति व्यक्ति आय पर भी पड़ा है। यह वर्ष 2019-20 में प्रति...

बिहार के वर्तमान विकास दर क्या है? - bihaar ke vartamaan vikaas dar kya hai?

Shivendra Singh हिन्दुस्तान ब्यूरो, पटनाSat, 20 Feb 2021 06:00 AM

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बिहार की आर्थिक विकास दर बीते सालों में लगातार बढ़ी है। यह बढ़ोतरी राष्ट्रीय आर्थिक विकास दर की तुलना में अधिक है। इसका अच्छा असर राज्य में प्रति व्यक्ति आय पर भी पड़ा है। यह वर्ष 2019-20 में प्रति व्यक्ति 50,735 रुपए वर्तमान मूल्य पर हो गया। वहीं, वर्ष 2018-19 में 47,641 रुपए था। वहीं, स्थिर मूल्य पर वर्ष 2019-20 मे 34,413 दर्ज किया गया, जबकि वर्ष 2018-19 में यह 31,626 रुपए था।

शुक्रवार को राज्य सरकार द्वारा विधानमंडल में पेश 15वें आर्थिक सर्वेक्षण (2020-21) की रिपोर्ट के अनुसार स्थिर मूल्य पर राज्य की आर्थिक विकास दर 10.5 प्रतिशत और वर्तमान्य मूल्य पर 15.4 फीसदी है। यह वृद्धि की तुलना में अधिक है। राष्ट्रीय स्तर विधानसभा में यह रिपोर्ट उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री तारकिशोर प्रसाद और विधान परिषद में प्रभारी मंत्री शाहनवाज हुसैन ने सदन के पटल पर रखी।

प्रति व्यक्ति आमदनी में पटना शीर्ष तो शिवहर सबसे निचले पायदान पर
प्रति व्यक्ति आय के मामले में राज्य में पटना शीर्ष पर है, जबकि शिवहर सबसे निचले पायदान पर है। पटना और शिवहर में प्रति व्यक्ति सकल जिला घरेलू उत्पाद में छह गुना का अंतर है। पटना के बाद दूसरे नंबर पर बेगूसराय और तीसरे पर मुंगेर है। 15वीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में इस बार वर्ष 2011-12 के मूल्य पर जिलावार प्रति व्यक्ति सकल जिला घरेलू उत्पाद के वर्ष 2017-18 तक के आंकड़े दिए गए हैं।

वर्ष 2013-14 में पटना की प्रति व्यक्ति आय 91407 रुपए थी तो शिवहर की 15609 रुपए। प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से पटना, बेगूसराय और मुंगेर सर्वाधिक उन्नतिशील जिले हैं। हालांकि पटना और मुंगेर की प्रति व्यक्ति आय में भी करीब तीन गुना का अंतर है। पटना में वर्ष 2017-18 में प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा 1,12,604 रुपए, बेगूसराय में 45540 और मुंगेर में 37385 रुपए था। वहीं सबसे निचले पायदान पर स्थित शिवहर में प्रति व्यक्त आय 17569 रुपए है। 

पटना. बिहार में आधारभूत संरचना के विकास, कृषि उत्पादकता और प्रति व्यक्ति विकास व्यय में लगातार वृद्धि के कारण वर्ष 2009.10 से 2010.11 में राज्य की अर्थव्यवस्था की विकास दर 14.8 प्रतिशत तक पहुंच गई हैं। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2011.12 को पेश करने के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था वर्ष 2004.05 से 2010.11 के बीच 11.36 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ी। विकास की अवधि को स्थिर अर्थव्यवस्था का पुनरुत्थान कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009.10 से 2010.11 में राज्य की अर्थव्यवस्था की विकास दर 14.8 प्रतिशत थी। यह सार्वजनिक निवेश में काफी वृद्धि होने के कारण संभव हुआ है। मोदी ने कहा कि जब राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने सत्ता संभाली थी, तब यहां कर्मचारियों को वेतन और पेंशन देने तक के लिए कर्ज लेने की जरूरत होती थी, लेकिन आज स्थिति बदल गई है और अब राजस्व आय में राजस्व व्यय कम है और इसके कारण अब वेतन आदि भुगतान के लिए कर्ज की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2001.02 में प्रति व्यक्ति विकास व्यय 930 रुपए था जो 17.1 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ 2010.11 में 3467 रुपया हो गया है। इस अवधि में सम्पूर्ण देश का प्रति व्यक्ति विकास व्यय 13.6 प्रतिशत की अपेक्षाकृत कम वार्षिक दर से बढ़ा है।

राज्य ब्यूरो, पटनाः बिहार ने पिछले चार वर्षों के दौरान अर्थव्यवस्था में तेजी से तरक्की की है। यह राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है। कोरोना ने सेवा क्षेत्र को नुकसान जरूर पहुंचाया है, परंतु कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था होने के चलते बिहार के विकास पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ा। इसकी चर्चा राज्य सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में की गई है। स्थिर मूल्य पर बिहार की विकास दर 10.5 फीसद है, जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। वर्तमान मूल्य पर यह दर 15.4 फीसद है। शुक्रवार को विधानसभा में उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने रिपोर्ट पेश की। आर्थिक सर्वेक्षण में कुल 13 अध्याय हैं। खासियत यह है कि कोरोना के दौरान सरकार द्वारा की गई पहल को एक अलग अध्याय के रूप में शामिल किया गया है। 

प्रेस कॉन्फ्रेंस में उप मुख्यमंत्री तारकिशोर ने दी जानकारी

तारकिशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि बिहार का सकल घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर छह लाख 11 हजार 804 करोड़ रुपये और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर चार लाख 14 हजार 977 करोड़ रुपये रहा। प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर 50 हजार 735 रुपये और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 34 हजार 413 रुपये रहा। पिछले छह वर्षों के दौरान पथ परिवहन की विकास दर 4.4 फीसद से बढ़कर 5.9 फीसद और अन्य सेवाओं की विकास दर 10.5 फीसद से बढ़कर 13.8 फीसद हो गई है। 

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राजस्व के रूप में सरकार क मिले इतने रुपये

इस दौरान सरकार की कुल प्राप्ति एक लाख 53 हजार 408 करोड़ रुपये थी, जो 2018-19 में एक लाख 52 हजार 287 करोड़ रुपये थी। राजस्व के रूप में सरकार को एक लाख 23 हजार 533 करोड़ रुपये मिले, जबकि पूंजीगत व्यय 20 हजार 80 करोड़ रुपये था।

बिहार का वर्तमान विकास दर क्या है?

पटना, 25 फरवरी (भाषा) बिहार की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 2020-21 में 2.5 प्रतिशत रही। यह राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। विधानसभा में शुक्रवार को पेश 2021-22 के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह कहा गया है।

बिहार का आर्थिक विकास दर क्या है?

बिहार में विकास दर राष्ट्रीय औसत से बेहतर वहीं, बिहार में अर्थव्यवस्था की विकास दर 2.5 फीसदी रही। अन्य राज्यों की तुलना में भी बिहार की अर्थव्यवस्था विकासोन्मुखी रही। कोविड 19 महामारी के कारण 2020-21 कठिनाइयों वाला वर्ष था।

बिहार का कुल बजट कितना है 2022

आर्थिक विकास के लिए पूंजीगत व्यय को वित्तीय वर्ष 2022-23 में वित्तीय वर्ष 2020-21 की तुलना में 74.54 प्रतिशत बढ़ाया गया है। इसके उद्देश्य की प्राप्ति के लिए 45735 करोड़ रूपये का प्रावधान है। साथ ही आर्थिक क्षेत्र में 60,591 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है।

बिहार की कुल अर्थव्यवस्था कितनी है?

2021-22 के लिए बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) (मौजूदा मूल्यों पर) 7,57,026 करोड़ रुपए अनुमानित है। इसमें 2019-20 की तुलना में 11% की वार्षिक वृद्धि है।