‘कल्पना चावला’ महज एक नाम नहीं है। देश की लाखों महिलाओं के लिए वो प्रेरणा का स्रोत हैं। आइए जानें उनके बारे में। Show
अंतरिक्ष में उड़ान भरने का सपना देखने वाली कल्पना चावला जब पहली बार अंतरिक्ष पर पहुंची तब हर देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। सालों बाद भी कल्पना देश की करोड़ों महिलाओं के लिए मिसाल हैं। उन्हें भारतीय मूल की पहली अंतरिक्ष यात्री के तौर पर जाना जाता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं बारे में बताएंगे, कि आखिर कैसे भारत में जन्मी कल्पना Nasa की प्रसिद्ध साइंटिस्ट के रूप में जानी गईं। कल्पना चावला का बचपनभारतीय मूल की अंतरिक्ष वैज्ञानिक कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 में हुआ था। कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला थीं। उनके पिता का नाम बनारसी लाल और मां का नाम संज्योती चावला था। कल्पना घर में सबसे छोटी और बेहद कम उम्र से ही अंतरिक्ष और फ्लाइट के सपने देखने लगीं थी। कल्पना की शुरुआती शिक्षा करनाल के टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की। बचपन से ही विज्ञान में रुचि होने के कारण, उन्होंने फ्लाइट इंजीनियर करने के लिए पंजाब के एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। उच्च शिक्षा के लिए कल्पना टेक्सास विश्वविद्यालय चली गईं, जहां उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विषय से एम ए किया। NASA में मिला कामसाल 1988 में कल्पना चावला को NASA के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करने को मिल गया। सालों मेहनत के बाद आखिरकार साल 1995 में उन्हें अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुना गया। इसी दौरान उन्होंने फ्रांस के रहने वाले जीन पियर से शादी की। इसे भी पढ़ें- अरुंधति रॉय: भारत की वो पहली महिला जिसने जीता बुकर पुरस्कार अवॉर्ड 2 बार अंतरिक्ष यात्रा पर जाने वाली पहली भारतीय महिलाकल्पना चावला ने एक बार नहीं , बल्कि 2 बार अंतरिक्ष की यात्रा की। जहां उनकी पहली यात्रा 19 नवंबर साल 1997 से लेकर 5 दिसंबर तक 1997 तक चली। यात्रा पूरी करने के साथ ही कल्पना ने देश के नाम इतिहास रच दिया। इसे भी पढ़ें- भारत ही नहीं एशिया की पहली महिला ट्रेन पायलट हैं सुरेखा यादव, जानें इनकी इंस्पायरिंग कहानी कल्पना की दूसरी और आखिरी अंतरिक्ष यात्राइसके बाद साल 16 जनवरी 2003 को कल्पना ने अपनी दूसरी और आखिरी अंतरिक्ष यात्रा शुरू की। यह किल 16 दिन का मिशन था। मिशन के दौरान उन्होंने अपने सहयोगियों संग कई परीक्षण किए। हालांकि 1 फरवरी को यात्रा के दौरान वापसी करते हुए उनका शटल दुर्घटना ग्रस्त हो गया, जिसे कल्पना चावला समेत 6 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई। मौत के इतने समय बाद भी कल्पना आज तक लोगों के दिलों में जिंदा हैं। आज भी कई लड़कियों के लिए कल्पना आदर्श हैं। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ। Image Credit- wikipedia क्या आपको ये आर्टिकल पसंद आया ?बेहतर अनुभव करने के लिए HerZindagi मोबाइल ऐप डाउनलोड करें Disclaimer आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, पर हमसे संपर्क करें। सिरिशा बांदला (Sirisha Bandla) ने कहा कि जब मैंने पहली बार सुना कि मुझे यह अवसर मिल रहा है तो मैं निशब्द (Speechless) रह गई. वो भारत में जन्मी दूसरी महिला होंगी जो स्पेस में कदम रखेंगी.Sirisha Bandla रखेंगी स्पेस में कदम (फोटो साभार : ट्विटर) भारत की एक और महिला अंतरिक्ष (Space) में कदम रखने जा रही है. आंध्र प्रदेश में जन्मी 34 साल की एयरोनॉटिकल इंजीनियर सिरिशा बंदला (Sirisha Bandla) रविवार को वर्जिन गैलेक्टिक के VSS यूनिटी पर चालक दल के पांच सदस्यों के साथ अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरेंगी. सिरिशा ने ह्यूस्टन (Houston) में शिक्षा हासिल की है और उन्हें पूरा विश्वास था कि वो एक दिन अंतरिक्ष में जाएंगी. 11 जुलाई यानी रविवार को सिरिशा स्पेस के लिए रवाना होंगी. सिरिशा के साथ वर्जिन गैलेक्टिक के VSS यूनिटी पर वर्जिन के संस्थापक रिचर्ड ब्रेनसन और चार अन्य लोग स्पेस में जाएंगे. स्पेस की ओर ये उड़ान ध्वनि की गति से साढ़े तीन गुना तेज होंगी. टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए सिरिशा ने कहा कि मुझे लगता है कि मैं पूरे भारत को अपने साथ लेकर स्पेस में जा रही हूं. सिरिशा कल्पना चावला के बाद भारत में जन्मी दूसरी महिला होंगी जो स्पेस में कदम रखेंगी. राकेश शर्मा से प्रभावित सिरिशा बांदलासिरिशा बांदला का जन्म आंध्र प्रदेश के चिराला में हुआ है. 4 साल की उम्र में वो माता-पिता के साथ अमेरिका चली गई थीं. ह्यूस्टन में रहने के दौरान सिरिशा की स्पेस में दिलचस्पी पैदा हुई. उन्होंने देखा कि कैसे लोग अंतरिक्ष यात्री बनते हैं, जिसके बाद उन्होंने इस दिशा में अपना करियर बनाने की ठान ली. रिपोर्ट के मुताबिक सिरिशा अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से प्रभावित हैं. स्पेस में जानी वाली भारतीय मूल की तीसरी महिलासिरिशा स्पेस में जाने वाली तीसरी भारतीय मूल की महिला होंगी. इससे पहले कल्पना चावला और सुनिता विलियम्स अंतरिक्ष में जा चुकी हैं. बंदला ने जनवरी 2021 में वर्जिन गैलेक्टिक में सरकारी मामलों और अनुसंधान संचालन के उपाध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका शुरू की. ट्वीट करते हुए सिरिशा ने लिखा, ‘मैं #Unity22 के दल का और एक ऐसी कंपनी का हिस्सा बनने के लिए बेहद सम्मानित महसूस कर रही हूं जिसका मिशन स्पेस को सभी के लिए उपलब्ध कराना है.’
यह भी पढ़ें : US: जो बाइडेन ने पुतिन से की फोन पर बात, ‘साइबर सुरक्षा’ पर किया आगाह, कहा- रूस को भुगतने होंगे रैंसमवेयर हमलों के नतीजे यह भी पढ़ें : यूरोप का चीन को बड़ा झटका, बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्कार करेंगे यूरोपीय देश, संसद में पारित हुआ प्रस्ताव भारतीय मूल की दूसरी महिला अंतरिक्ष यात्री कौन है?वह अंतरिक्ष में जाने वाली अमेरिकी मूल की दूसरी भारतीय थीं, पहली सुनीता विलियम्स थीं। कल्पना चावला का जन्म भारत में हुआ था और वह जन्म से अमेरिकी नहीं थीं। वह वर्जिन गेलेक्टिक की पहली पूर्ण चालक दल वाली सफल उपनेत्रख परीक्षण उड़ान में ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन के साथ अमेरिकी राज्य न्यू मैक्सिको से शामिल हुईं।
अब तक कितनी महिलाएं अंतरिक्ष में जा चुकी हैं?इतिहास दिसंबर 2019 तक, 565 कुल अंतरिक्ष यात्रियों में से 65 महिलाएं हैं.
चाँद पर जाने वाली भारतीय महिला कौन थी?कल्पना चावला का बचपन
भारतीय मूल की अंतरिक्ष वैज्ञानिक कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 में हुआ था। कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला थीं।
विश्व की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री का नाम क्या है?वैलेंटिना टेरेश्कोवा विश्व की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं। 16 जून 1963 को, सोवियत अंतरिक्ष यात्री वैलेंटिना टेरेश्कोवा वो पहली महिला बनीं, जिन्होंने वोस्टॉक 6 मिशन के दौरान अंतरिक्ष में जाने के लिए उड़ान भरी।
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