बार-बार छींक आना कौन सी बीमारी है - baar-baar chheenk aana kaun see beemaaree hai

छींक आना आपके शरीर की एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसके द्वारा शरीर नाक व गले के अंदर से उत्तेजक पदार्थों को बाहर निकाल देता है। छींक आने के दौरान मुंह से तेजी से हवा निकलती है, जो पूरी तरह से अनैच्छिक होती है। छींक बिना किसी प्रकार की चेतावनी दिए अचानक से आती है। छींक आना जुकाम या नाक संबंधी किसी ऐसी एलर्जी का शुरूआती संकेत भी हो सकती है, जो नाक में सूजन व लालिमा पैदा कर देती है। छींक कुछ अन्य लक्षणों के साथ भी आ सकती हैं, जैसे नाक बहना, खांसी, बुखार, गले में दर्द और थकान आदि।

छींक की रोकथाम करने के लिए उस स्थिति को कंट्रोल करना जरूरी होता है, जिसके कारण छींक आ रही हैं। सामान्य स्वच्छता बनाए रखना, एलर्जिक व उत्तेजक पदार्थों से दूर रहना और बीमार लोगों से दूर रहना आदि छींक आने से बचाव करने के कुछ सामान्य उपाय हैं। छींक आने के इलाज में एलर्जी की रोकथाम करने वाली दवाएं, भाप लेना और कुछ प्रकार के नाक के स्प्रे आदि का इस्तेमाल किया जाता है। 

जिन लोगों को अधिक छींक आने की समस्या हो रही है, उन्हें अपने शरीर को पर्याप्त आराम देना चाहिए और खूब मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। छींक आने से कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे ऊपरी श्वसन तंत्र में संक्रमण, नाक के अंदर सूजन व जलन और नाक के वायुमार्गों में रुकावट आदि।

छींक आना एक नॉर्मल प्रक्रिया है. छींक (Sneezing) दिन में कभी भी आ सकती है. छींक आने को अच्छा संकेत भी है, क्योंकि यह शरीर की रक्षात्मक प्रतिक्रिया की तरह काम करता है. छींक द्वारा नाक व गले के अन्दर से दूषित पदार्थ बाहर निकलता है. यह शरीर को एलर्जी से बचाने की स्वभाविक प्रक्रिया है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति को बहुत जल्दी-जल्दी छींक आती है तो यह व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी को दर्शाता है. ऐसा नहीं है कि केवल सर्दी-जुकाम होने पर ही छींक (Sneezing) आती हो, बल्कि छींक आने के कई कारण हो सकते हैं. आमतौर पर छींक आना स्वस्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन कई बार ज्यादा छींक आना भी समस्या का कारण बन जाता है. सर्दी-जुकाम के दौरान छींक आना एक आम बात है और सामान्‍य सर्दी-जुकाम समय के साथ ठीक भी हो जाता है, लेकिन कई बार ज्यादा छींक आना परेशानी का कारण भी बन जाता है. बार-बार छींक आने के पीछे कोई गंभीर समस्‍या भी हो सकती है, जो आपको लंबे समय तक प्रभावित कर सकती है. आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे बताएंगे, जिनसे आपको इस समस्या से राहत मिलेगी.

छींक आने के कारण (Sneezing Causes)

  • प्रदूषण युक्त वातावरण में रहने से.
  • AC के कारण.
  • सर्दी या जुकाम होने पर छींक आती है, क्योंकि सर्दी-जुकाम होने पर नाक के अन्दर की म्यूकस झिल्ली में सूजन आ जाती है.
  • मौसमी एलर्जी.
  • किसी दवा के रिएक्शन के कारण छींक की समस्या हो सकती है.
  • एलर्जी से ग्रस्त रोगियों में पराग कणों के सम्पर्क में आने की वजह से.
  • साइनस के कारण.
  • धूल, धुंआ एवं तेज गंध के सम्पर्क में आने से नाक के भीतर की म्यूकस झिल्ली उत्तेजित हो जाती है, इससे छींक आती है.

छींक की समस्या के लक्षण (Sneezing Symptoms)

  • आंखों का लाल होना.
  • नाक से लगातार पानी बहना.
  • नाक में खुजली होना.
  • सिर में दर्द एवं भारीपन.
  • चिड़चिड़ापन.
  • सूंघने की शक्ति का कम हो जाना.

छींक की परेशानी के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies for Sneezing in Hindi)

  • लगातार छींक आने पर आप अजवाइन के सेवन से राहत पा सकते हैं. इसके लिए आप एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन डालकर उबालें. गुनगुना होने पर छान लें. इसमें शहद मिलाकर पिएं. 10 ग्राम अजवाइन और 40 ग्राम पुराने गुड़ को 450 मि.ली. पानी में उबालें. जब आधा पानी रह जाए, तो पानी को ठण्डा होने पर पी लें. इसके बाद हवा रहित स्थान पर आराम करें.
  • एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर आंवला इम्यूनिटी के लिए बेहतर होता है. दो या तीन आंवला प्रतिदिन खाने से छींकने की समस्या से निजात पाया जा सकता है.
  • वहीं, पुदीने के तेल को गर्म पानी में डालकर भाप लेने से छींक बंद हो जाती हैं. इसके अलावा पानी में विक्स डालकर भाप लेने से भी छींक में कमी आती है.
  • तुलसी, अदरक, लौंग, कालीमिर्च की चाय पिएं. ये आपकी परेशानी का जल्द ही समाधान कर सकती है.
  • मुलेठी के चूर्ण को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें. इसकी भाप लें. बता दें कि मुलेठी का प्रयोग छींक की परेशानी में लाभदायक साबित होती है.
  • इसके अलावा आप लहसुन की 3-4 कली को पीसकर एक गिलास पानी में उबालें. इस पानी को छानकर गुनगुना करके दिन में दो बार पिएं. इससे आपको जल्द आराम मिलेगा.

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ज्यादा छींक आने का क्या कारण हो सकता है?

यदि किसी व्यक्ति को बार-बार छींक आता है तो यह व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी को दर्शाता है। नाक में म्यूकस झिल्ली होती है, जिसके उत्तक और कोशिकाएं बहुत ही संवेदनशील होती हैं, इसलिए किसी भी प्रकार की बाहरी उत्तेजक वस्तु या तेज गंध के संपर्क में आने से छींक आती है।

बहुत अधिक छींक आने पर क्या करें?

जब आपको लगता है कि छींक आ रही है, तो अपनी नाक को चुटकी काटें. इससे आपकी छींक रुक जाएगी. इसके अलावा आप नाक को भौंहों की तरफ उठाने की कोशिश करें, तो भी छींक आना बंद हो जाएगी. छींक को रोकने के लिए आप अपनी जीभ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

बार बार छींक आने पर कौन सी टेबलेट ले?

न्यूलिफाई टैबलेट एक कॉम्बिनेशन दवा है जिसका इस्तेमाल एलर्जी के लक्षणों जैसे नाक बहना, बंद नाक, छींक आना, खुजली होना, सूजन आना, आंखों से पानी आना और सांस लेने में परेशानी आना या तकलीफ़ होना आदि के इलाज में किया जाता है. यह श्वासमार्ग में सूजन को कम करता है जिससे सांस लेना आसान हो जाता है.

एलर्जी वाला जुकाम कैसे ठीक करें?

इसके लिए आपको दिन में कम से कम 2 बार एक चम्मच शहद गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से नाक की एलर्जी से आराम मिलता है. नीम में एंटी-एलर्जी गुण पाए जाते हैं. नाक की एलर्जी बढ़ने पर आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए नीम की पत्तियों को पीसकर छोटी सी गोली तैयार कर लें.