गणेश जी की कितनी शादी हुई? - ganesh jee kee kitanee shaadee huee?

भगवान गणेश देवो के देव भगवान शिव और माता पार्वती के सबसे छोटे पुत्र हैं। भगवान गणेश की पत्नी का नाम रिद्धि और सिद्धि है। रिद्धि और सिद्धि भगवान विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं।

गणेश
नई शुरुआत, समृद्धि, बुद्धि और सफलता के देवता और जीवन से बाधाओं को दूर करने वाले भगवान
गणेश जी की कितनी शादी हुई? - ganesh jee kee kitanee shaadee huee?
अन्य नाम गणपति, विनायक, गजानन, गणेश्वर, गौरीनंदन, गौरीपुत्र, श्री गणेश, गणधिपति, सिद्धिविनायक, अष्टविनायक, बुद्धिपति, शुभकर्ता, सुखकर्ता, विघ्नहर्ता,‌‌महागणपति। abodes=गणेश लोक और कैलाश पर्वत
मंत्र

ॐ वक्रतुंडाय विद्महे एकदंताय धिमहि तन्नो द

दंती प्रचोद्यात । , वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः निर्विघ्नं कुरु में देव सर्वे कार्येषुसर्वदा:
अस्त्र त्रिशूल, तलवार, अंकुश, पाश, मोदक और परसु
प्रतीक स्वास्तिक और मोदक
दिवस बुधवार
जीवनसाथी रिद्धि,सिद्धि और बुद्धि
माता-पिता

  • भगवान शिव (पिता)
  • देवी पार्वती (माता)

भाई-बहन भगवान कार्तिकेय ( बड़े भाई ) , भगवान अय्यपा ( बड़े भाई ) , देवी अशोकसुन्दरी ( बड़ी बहन ) , देवी ज्योति ( बड़ी बहन ) और मनसा देवी ( बड़ी बहन )
संतान शुभ (बड़ा बेटा "शुभता का प्रतीक"), लाभ (छोटा बेटा "लाभ का प्रतीक"), और मां संतोषी (बेटी "संतुष्टि की देवी")
सवारी मूषक (चूहा)
शास्त्र गणेश पुराण, शिव महापुराण और मुदगल पुराण
त्यौहार गणेश चतुर्थी

शारीरिक संरचना[संपादित करें]

गणेश जी की कितनी शादी हुई? - ganesh jee kee kitanee shaadee huee?

गणेश जी की कितनी शादी हुई? - ganesh jee kee kitanee shaadee huee?

गणपति आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग अवतार लिया। उनकी शारीरिक संरचना में भी विशिष्ट व गहरा अर्थ निहित है। शिवमानस पूजा में श्री गणेश को प्रणव (ॐ) कहा गया है। इस एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूँड है।

चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता की प्रतीक उनकी चार भुजाएँ हैं। वे लंबोदर हैं क्योंकि समस्त चराचर सृष्टि उनके उदर में विचरती है। बड़े कान अधिक ग्राह्यशक्ति व छोटी-पैनी आँखें सूक्ष्म-तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं। उनकी लंबी नाक (सूंड) महाबुद्धित्व का प्रतीक है।

कथा[संपादित करें]

प्राचीन समय में सुमेरू पर्वत पर सौभरि ऋषि का अत्यंत मनोरम आश्रम था। उनकी अत्यंत रूपवती और पतिव्रता पत्नी का नाम मनोमयी था। एक दिन ऋषि लकड़ी लेने के लिए वन में गए और मनोमयी गृह-कार्य में लग गई। उसी समय एक दुष्ट कौंच नामक गंधर्व वहाँ आया और उसने अनुपम लावण्यवती मनोमयी को देखा तो व्याकुल हो गया।

कौंच ने ऋषि-पत्नी का हाथ पकड़ लिया। रोती और काँपती हुई ऋषि पत्नी उससे दया की भीख माँगने लगी। उसी समय सौभरि ऋषि आ गए। उन्होंने गंधर्व को श्राप देते हुए कहा 'तूने चोर की तरह मेरी सहधर्मिणी का हाथ पकड़ा है, इस कारण तू मूषक होकर धरती के नीचे और चोरी करके अपना पेट भरेगा।[1]

काँपते हुए गंधर्व ने मुनि से प्रार्थना की-'दयालु मुनि, अविवेक के कारण मैंने आपकी पत्नी के हाथ का स्पर्श किया था। मुझे क्षमा कर दें। ऋषि ने कहा मेरा श्राप व्यर्थ नहीं होगा, तथापि द्वापर में महर्षि पराशर के यहाँ गणपति देव गजमुख पुत्र रूप में प्रकट होंगे (हर युग में गणेशजी ने अलग-अलग अवतार लिए) तब तू उनका डिंक नामक वाहन बन जाएगा, जिससे देवगण भी तुम्हारा सम्मान करने लगेंगे। सारे विश्व तब तुझें श्रीडिंकजी कहकर वंदन करेंगे।

गणेश को जन्म न देते हुए माता पार्वती ने उनके शरीर की रचना की। उस समय उनका मुख सामान्य था। माता पार्वती के स्नानागार में गणेश की रचना के बाद माता ने उनको घर की पहरेदारी करने का आदेश दिया। माता ने कहा कि जब तक वह स्नान कर रही हैं तब तक के लिये गणेश किसी को भी घर में प्रवेश न करने दे। तभी द्वार पर भगवान शंकर आए और बोले "पुत्र यह मेरा घर है मुझे प्रवेश करने दो।" गणेश के रोकने पर प्रभु ने गणेश का सर धड़ से अलग कर दिया। गणेश को भूमि में निर्जीव पड़ा देख माता पार्वती व्याकुल हो उठीं। तब शिव को उनकी त्रुटि का बोध हुआ और उन्होंने गणेश के धड़ पर गज का सर लगा दिया। उनको प्रथम पूज्य का वरदान मिला इसीलिए सर्वप्रथम गणेश की पूजा होती है। गणेशजी को सिन्दूर और दूब चढ़ाने से विशेष फल मिलता है। इसके अतिरिक्त उन्हें गुड़ के मोदक और बूंदी के लड्डू , शामी वृक्ष के पत्ते तथा सुपारी भी प्रिय है। गणेश जी को लाल धोती तथा हरा वस्त्र चढ़ाने का भी विधान है।

विवाह[संपादित करें]

शास्त्रों के अनुसार गणेश जी का विवाह भी हुआ था इनकी दो पत्नियां हैं[2] जिनका नाम रिद्धि और सिद्धि है तथा इनसे गणेश जी को दो पुत्र और एक पुत्री हैं जिनका नाम शुभ और लाभ नाम बताया जाता है,[2] यही कारण है कि शुभ और लाभ ये दो शब्द आपको अक्सर उनकी मूर्ति के साथ दिखाई देते हैं तथा ये सभी जन्म और मृत्यु में आते है, गणेश जी की पूजा करने से केवल सिद्धियाँ प्राप्त होती है लेकिन इनकी भक्ति से पूर्ण मोक्ष संभव नहीं है।[3] गणेश जी के इन दो पुत्रों के अलावा एक पुत्री भी हैं वे संतोषी माता के नाम से विख्यात हैं।

बारह नाम[संपादित करें]

गणेश जी की कितनी शादी हुई? - ganesh jee kee kitanee shaadee huee?

गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं- सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन। उपरोक्त द्वादश नाम नारद पुराण में पहली बार गणेश के द्वादश नामवलि में आया है।[4] विद्यारम्भ तथा विवाह के पूजन के प्रथम में इन नामो से गणपति की अराधना का विधान है।

  • पिता- भगवान शंकर
  • माता- भगवती पार्वती
  • भाई- श्री कार्तिकेय, अय्यप्पा (बड़े भाई)
  • बहन- अशोकसुन्दरी , मनसा देवी , देवी ज्योति ( बड़ी बहन )
  • पत्नी- दो (१) ऋद्धि (२) सिद्धि (दक्षिण भारतीय संस्कृति में गणेशजी ब्रह्मचारी रूप में दर्शाये गये हैं)
  • पुत्र- दो 1. शुभ 2. लाभ
  • पुत्री - संतोषी माता
  • प्रिय भोग (मिष्ठान्न)- मोदक, लड्डू
  • प्रिय पुष्प- लाल रंग के
  • प्रिय वस्तु- दुर्वा (दूब), शमी-पत्र
  • अधिपति- जल तत्व के
  • मुख्य अस्त्र - परशु , रस्सी
  • वाहन - मूषक
  • प्रिय वस्त्र - हरा और लाल

ज्योतिष के अनुसार[संपादित करें]

ज्योतिष्शास्त्र के अनुसार गणेशजी को केतु के रूप में जाना जाता है। केतु एक छाया ग्रह है, जो राहु नामक छाया ग्रह से हमेशा विरोध में रहता है, बिना विरोध के ज्ञान नहीं आता है और बिना ज्ञान के मुक्ति नहीं है। गणेशजी को मानने वालों का मुख्य प्रयोजन उनको सर्वत्र देखना है, गणेश अगर साधन है तो संसार के प्रत्येक कण में वह विद्यमान है। उदाहरण के लिये तो जो साधन है वही गणेश है, जीवन को चलाने के लिये अनाज की आवश्यकता होती है, जीवन को चलाने का साधन अनाज है, तो अनाज गणेश है। अनाज को पैदा करने के लिये किसान की आवश्यकता होती है, तो किसान गणेश है। किसान को अनाज बोने और निकालने के लिये बैलों की आवश्यक्ता होती है तो बैल भी गणेश है। अनाज बोने के लिये खेत की आवश्यक्ता होती है, तो खेत गणेश है। अनाज को रखने के लिये भण्डारण स्थान की आवश्यक्ता होती है तो भण्डारण का स्थान भी गणेश है। अनाज के घर में आने के बाद उसे पीस कर चक्की की आवश्यक्ता होती है तो चक्की भी गणेश है। चक्की से निकालकर रोटी बनाने के लिये तवे, चीमटे और रोटी बनाने वाले की आवश्यक्ता होती है, तो यह सभी गणेश है। खाने के लिये हाथों की आवश्यक्ता होती है, तो हाथ भी गणेश है। मुँह में खाने के लिये दाँतों की आवश्यक्ता होती है, तो दाँत भी गणेश है। कहने के लिये जो भी साधन जीवन में प्रयोग किये जाते वे सभी गणेश है, अकेले शंकर पार्वते के पुत्र और देवता ही नही।

दीर्घा[संपादित करें]

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इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • गणेश चतुर्थी

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "गणेश चतुर्थी व्रत की कथा जुड़ी है चंद्रदेव से, इस दिन चंद्र दर्शन करने की है परंपरा". Dainik Bhaskar. 2020-03-11. अभिगमन तिथि 2020-08-02.
  2. ↑ अ आ नवभारतटाइम्स.कॉम (2019-08-29). "जानिए क्‍यों हुए थे गणेशजी के दो विवाह और रिद्धि सिद्धि कैसे बनीं उनकी पत्‍नी". नवभारत टाइम्स. अभिगमन तिथि 2020-08-04.
  3. "Lord Ganesha: Birth Story, Wife, True Mantra, Aadi Ganesha | Jagat Guru Rampal Ji". www.jagatgururampalji.org. अभिगमन तिथि 2020-08-03.
  4. श्री गणेश द्वादश नाम स्तोत्र Archived 2019-10-24 at the Wayback Machine हिंदी लेख

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

गणेश जी की कितनी शादी हुई है?

1. गणेशजी की ऋद्धि और सिद्धि नामक दो पत्नियां हैं, जो प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं।

गणपति की पत्नी कौन थी?

गजानन की दो पत्नियां हैं- रिद्धि और सिद्धि। गणेश जी को रिद्धि से क्षेम और सिद्धि से लाभ नाम के दो पुत्र हैं। जब कार्तिकेय दक्षिण में असुरों से संग्राम के लिए गए थे और उन्होंने युद्ध में असुरों को पराजित कर दिया था, तब भगवान शिव ने गणेश जी के पुत्र का नाम क्षेम रखा। माता पार्वती उनको प्रेम से लाभ नाम से पुकारती थीं।

गणेश जी की दो पत्नियां क्यों थी?

गणेशजी ने दिया तुलसी को शाप विवाह प्रस्ताव ठुकाराने की वजह से नाराज तुलसीजी शाप दिया कि उनके ए‍क नहीं बल्कि दो-दो विवाह होंगे। इस पर श्री गणेश ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा। इसलिए भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता है।

गणेश जी पूर्व जन्म में कौन थे?

उनका वाहन मूषक था, जो कि अपने पूर्व जन्म में एक गंधर्व था।