गुरु केतु चांडाल योग के लक्षण - guru ketu chaandaal yog ke lakshan

स्टोरी हाइलाइट्स

  • कुंडली में यह योग हमेशा नुकसान ही करता है
  • व्यक्ति पर किसी सद्गुरु की कृपा हो तो ये योग काम नहीं करता

ज्योतिष में नकारात्मक योग भी होते हैं और शुभ योग भी. सबसे बड़े नकारात्मक योगों में से एक योग 'गुरु-चांडाल' योग है. अगर कुंडली में राहु बृहस्पति एक साथ हों तो यह योग बन जाता है. दृष्टि से यह योग बिल्कुल नहीं बनता है. कुंडली में कहीं भी यह योग बनता हो हमेशा नुकसान ही करता है. अगर यह लग्न, पंचम या नवम भाव में हो तो विशेष नकारात्मक होता है. गुरु-चांडाल योग का अगर समय पर उपाय न किया जाए तो कुंडली के तमाम शुभ योग भंग हो जाते हैं.

 गुरु चांडाल योग का प्रभाव क्या है?
यह व्यक्ति के शुभ गुणों को घटा देता है और नकारात्मक गुण बढ़ा देता है. अक्सर यह योग होने से व्यक्ति का चरित्र कमजोर होता है. इस योग के होने से व्यक्ति को पाचन तंत्र, लिवर की समस्या और गंभीर रोग होने की सम्भावना बनती है. कभी-कभी यह कैंसर का कारण भी बन जाता है. साथ ही व्यक्ति धर्मभ्रष्ट हो जाता है. अपयश का सामना करना पड़ता है. अगर किसी महिला की कुंडली में यह योग हो तो वैवाहिक जीवन नरक बन जाता है.

गुरु चांडाल योग कब काम नहीं करता?
अगर व्यक्ति का बृहस्पति उच्च राशि में हो तो गुरु चांडाल योग काम नहीं करता है. इसके अलावा अगर राहु गुरु के साथ कोई और ग्रह भी हो, बृहस्पति अस्त हो या वक्री हो, किसी सद्गुरु की कृपा हो तो ये योग काम नहीं करता है.

गुरु चांडाल योग के प्रभाव को समाप्त करने के उपाय
हमेशा बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें. नियमित रूप से किसी भी धर्म स्थान या मंदिर में जाते रहें. नित्य प्रातः गायत्री मंत्र का हल्दी की माला से 108 बार जाप करें. गले में सोने या पीतल का चौकोर टुकड़ा धारण करें. पार्क, मन्दिर और सड़कों पर पीपल के पौधे लगवाएं. मांसाहारी भोजन से परहेज करें.

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Updated: | Fri, 07 Jan 2022 10:14 AM (IST)

Guru Chandal Yoga: जन्म कुंडली में बहुत सारे भयानक ग्रह विकार (ग्रह दोष) होते हैं। गुरु चांडाल योग उनमें से एक है। बृहस्पति (गुरु) और राहु ग्रह की युति गुरु चांडाल दोष कहलाती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, बृहस्पति को संस्कृत गुरु कहा जाता है और कांड (मलेच्छ) का अर्थ है खलनायक या दानव। इसलिए उन्हें गुरु चांडाल दोष कहा जाता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में Guru Chandal Yoga होने के पीछे बृहस्पति की अहम भूमिका होती है। जब किसी घर में राहु और केतु ग्रह बृहस्पति (गुरु) ग्रह के साथ विलीन हो जाते हैं, तो गुरु चांडाल योग गुरु चांडाल योग कहलाता है।

Guru Chandal Yoga: जानिए होता है फायदा या नुकसान

कुछ मामलों में गुरु और केतु का संयोजन लाभाकारी भी होता है, जिसे गणेश योग के रूप में जाना जाता है। जवाहरलाल नेहरू का नक्षत्र गणेश योग का एक अच्छा उदाहरण है। गुरु और राहु ग्रहों की युति आमतौर पर हानिकारक होती है। हालांकि, गुरु चांडाल योग का सकारात्मक या नकारात्मक परिणाम पूरी तरह से बृहस्पति की स्थिति और ताकत पर निर्भर करता है। गुरु चांडाल दोष हमेशा प्रतिकूल होता है, लेकिन अन्य ग्रह भी इस दोष को सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।

Guru Chandal Yoga: बुरे प्रभावों से बचने के लिए करें ये उपाय

वैदिक शास्त्रों के अनुसार, इस स्थिति से बचने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। पंडित जी से चांडाल योग निवारण पूजा करवाई जा सकती है। भगवान विष्णु की पूजा करने से गुरु चांडाल योग के नकारात्मक प्रभाव कमजोर हो सकते हैं। दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करके राहु, केतु और गुरु की नकारात्मकता को बेअसर कर सकते हैं। गुरु चांडाल दोष के बुरे प्रभाव को बेअसर करने के लिए नियमित रूप से भगवान गणेश की पूजा की जा सकती है। जातक सोने के साथ पीला नीलम धारण कर सकते हैं। हालांकि, पीला नीलम धारण करने से पहले आपको किसी ज्योतिषी से सलाह लेनी चाहिए। अपने माता-पिता, सास, बुजुर्गों, शिक्षकों, संतों और गुरु का सम्मान करें। गुरु, राहु और केतु के नकारात्मक प्रभावों को बेअसर करने के लिए शिक्षक, पीला ब्राह्मण, शहद, हल्दी और वस्त्र प्रदान करें। मूल निवासी नियमित रूप से देवी बगलामुखी की पूजा कर सकते हैं।

Posted By: Arvind Dubey

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सार

Astrology: ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के शुभ और अशुभ योगों का वर्णन है, उन्हीं में से एक योग है गुरु चांडाल योग।  गुरु चांडाल योग गुरु, राहु और केतु के मिलने से बनता है। आइए जानते हैं गुरु चांडाल योग के क्या दुष्प्रभाव हैं और इसके दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए क्या उपाय करने चाहिए। 

विस्तार

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी किसी कुंडली का निर्माण किया जाता है तो उसमें योग बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुभ योग बहुत से काम में तरक्की दिलाते हैं और वहीं अशुभ योग बने बनाए काम बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं। व्यक्ति की कुंडली में कई शुभ और अशुभ योग ग्रहों के संयोग से बनते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के शुभ और अशुभ योगों का वर्णन है, उन्हीं में से एक योग है गुरु चांडाल योग।  गुरु चांडाल योग गुरु, राहु और केतु के मिलने से बनता है। आइए जानते हैं गुरु चांडाल योग के क्या दुष्प्रभाव हैं और इसके दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए क्या उपाय करने चाहिए।

गुरु चांडाल योग का प्रभाव
जब व्यक्ति की कुंडली में गुरु चंडाल का योग का निर्माण होता है तो व्यक्ति सफलताओं के लिए संघर्ष करता है। धन की कमी उत्पन्न हो जाती है। व्यक्ति निराशा और नकारात्मकता से घिर जाता है। ज्योतिष शास्त्र में  ‘गुरु चांडाल’ योग को अत्यंत अशुभ योग मना गया है। जिस व्यक्ति की कुंडली में ‘गुरु चांडाल’ योग होता है, उसे शिक्षा, जॉब, बिजनेस, शादी विवाह आदि में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस अशुभ योग का उपाय जरुरी हो जाता है।

गुरु चांडाल योग का उपाय 

  • ज्योतिष शास्त्र में गुरु चांडाल योग से बचाव के उपाय भी बताए गए हैं जिन्हें अपनाकर  इस अशुभ योग के दुष्प्रभाव दूर किए जा सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है वो उपाय- 
  •  ‘गुरु चांडाल’ योग के प्रभाव को कम करने के लिए माथे पर रोजाना केसर, हल्दी का तिलक लगाना चाहिए। 
  • गुरुवार को पीले वस्त्र पहनकर पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए। 
  • गुरुजनों का आर्शीवाद प्राप्त कर उनका आदर करना चाहिए। 
  • इसके अलावा राहु के मंत्रों का जाप करें। 
  • साथ ही बृहस्पतिवार को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। 
  • संभव हो तो केले का पौधा लगाएं और उसकी नित्य पूजा करें।

गुरु और केतु एक साथ हो तो क्या होता है?

अगर केतु गुरु ग्रह के साथ युति बनाता है तो व्यक्ति की कुंडली में इसके प्रभाव से राजयोग का निर्माण होता है। 4. अगर जातक की कुंडली में केतु बली हो तो यह जातक के पैरों को मजबूत बनाता है। जातक को पैरों से संबंधित कोई रोग नहीं होता है।

चांडाल योग की शांति कैसे करें?

गुरु चांडाल योग कुंडली में, आजमाएं ये उपाय.
माथे पर नित्य केसर, हल्दी का तिलक लगाएं।.
गुरुवार को पीले वस्त्र पहनकर पीली वस्तुओं का दान करें।.
माता- पिता और गुरुजनों का सम्मान करें।.
प्रत्येक मंगलवार को हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ कीजिए।.
राहु ग्रह के मंत्र 'ओम रां राहवे नमः' का जप करें।.

गुरु चांडाल योग कब तक रहता है?

गुरु चांडाल योग कब काम नहीं करता? अगर व्यक्ति का बृहस्पति उच्च राशि में हो तो गुरु चांडाल योग काम नहीं करता है. इसके अलावा अगर राहु गुरु के साथ कोई और ग्रह भी हो, बृहस्पति अस्त हो या वक्री हो, किसी सद्गुरु की कृपा हो तो ये योग काम नहीं करता है. हमेशा बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें.

गुरु और केतु की युति से कौन सा योग बनता है?

ज्योतिष के अनुसार गुरु के साथ जब भी केतु या राहु की युति शुभ नहीं मानी जाती। केतु या राहु के साथ गुरु की युति चांडाल योग बनाती है। जो कि अच्छा नहीं माना जाता है। चांडाल योग में शुभ कार्यों के फल में कमी आती है।