गाते समय बालगोबिन भगत अक्सर क्या बजाते थे *? - gaate samay baalagobin bhagat aksar kya bajaate the *?

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Question 1.
भगत जी का बेटा कैसा था?
(a) समझदार
(b) सुस्त और बोदा
(c) चालाक
(d) बुद्धिमान

Answer

Answer: (b) सुस्त और बोदा


Question 2.
बालगोबिन किसके पद गाया करते थे?
(a) रहीम के
(b) सूरदास के
(c) कबीर के
(d) तुलसीदास के

Answer

Answer: (c) कबीर के


Question 3.
भगत जी बेटे के मरने के बाद अपनी बहू की दूसरी शादी क्यों करवाना चाहते थे?
(a) उसके सुखद भविष्य के लिए
(b) छुटकारा पाने के लिए
(c) सबकी नजर में अच्छा बनने के लिए
(d) इनमें से कोई नहीं

Answer

Answer: (a) उसके सुखद भविष्य के लिए


Question 4.
भगत जी के बेटे का क्रिया-कर्म किसने किया?
(a) बहू ने
(b) लेखक ने
(c) भगत जी ने
(d) पड़ोसी ने

Answer

Answer: (a) बहू ने


Question 5.
लेखक बालगोबिन भगत के किस गुण पर मुग्ध थे?
(a) सरलता
(b) सहनशीलता
(c) मधुर संगीत-गायन
(d) इनमें से कोई नहीं

Answer

Answer: (c) मधुर संगीत-गायन


Question 6.
बेटे के मरने पर भगत जी क्या कर रहे थे?
(a) रो रहे थे
(b) हँस रहे थे
(c) गा रहे थे
(d) इनमें से कोई नहीं

Answer

Answer: (c) गा रहे थे


Question 7.
सुबह-सुबह बालगोबिन भगत क्या गाते थे?
(a) भजन
(b) गाना
(c) लोरी
(d) कव्वाली

Answer

Answer: (a) भजन


Question 8.
बालगोबिन के गीतों में कैसा भाव व्यक्त होता था?
(a) प्रभु-मिलन का
(b) देशभक्ति का
(c) वियोग का
(d) इनमें से कोई नहीं

Answer

Answer: (a) प्रभु-मिलन का


Question 9.
बालगोबिन के गीतों को सुनकर वहाँ उपस्थित सभी लोग क्या करते थे?
(a) उठकर चले जाते थे
(b) झूम उठते थे
(c) साथ में गाने लगते थे
(d) इनमें से कोई नहीं

Answer

Answer: (b) झूम उठते थे


Question 10.
भगत जी की बहू उन्हें छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहती थी?
(a) सामाजिक मर्यादा के कारण
(b) संपत्ति के लोभ में
(c) पति से प्यार होने के कारण
(d) ससुर की चिंता के कारण

Answer

Answer: (d) ससुर की चिंता के कारण


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विषयसूची Show

  • भगत जी की बहू उन्हें छोड़ कर क्यों नहीं जाना चाहती थी?
  • Bhagat की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
  • बाल गोबिन भगत के कंठ से क्या निकल रहा है?
  • गाते समय बालगोबिन भगत अक्सर क्या बजाते थे *?

Students can also read NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 Questions and Answers at LearnInsta. Here all questions are solved with a detailed explanation, It will help to score more marks in your examinations.

Question 1.
बालगोबिन के गीतों में कैसा भाव व्यक्त होता था?
(a) प्रभु-मिलन का
(b) देशभक्ति का
(c) वियोग का
(d) इनमें से कोई नहीं

Answer

Answer: (a) प्रभु-मिलन का


Question 2.
बालगोबिन के गीतों को सुनकर वहाँ उपस्थित सभी लोग क्या करते थे?
(a) उठकर चले जाते थे
(b) झूम उठते थे
(c) साथ में गाने लगते थे
(d) इनमें से कोई नहीं

Answer

Answer: (b) झूम उठते थे


Question 3.
भगत जी की बहू उन्हें छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहती थी?
(a) सामाजिक मर्यादा के कारण
(b) संपत्ति के लोभ में
(c) पति से प्यार होने के कारण
(d) ससुर की चिंता के कारण

Answer

Answer: (d) ससुर की चिंता के कारण


Question 4.
बालगोबिन का व्यवसाय क्या था?
(a) खेती
(b) दुकानदारी
(c) पुस्तक-विक्रेता
(d) इनमें से कोई नहीं

Answer

Answer: (a) खेती


Question 5.
भगत जी भजन गाते समय क्या बजाया करते थे?
(a) ढोल
(b) ढपली
(c) गिटार
(d) खंजड़ी

Answer

Answer: (d) खंजड़ी


Question 6.
भादो की रात कैसी होती है?
(a) चाँदनी
(b) अँधेरी
(c) सुस्त
(d) उजली

Answer

Answer: (b) अँधेरी


Question 7.
भगत जी अपने बेटे का खास ख्याल रखा करते थे, क्योंकि वह
(a) चालाक था
(b) ईमानदार था
(c) प्रतिभावान था
(d) सुस्त और बोदा था

Answer

Answer: (d) सुस्त और बोदा था


Question 8.
भगत जी का बेटा कैसा था?
(a) समझदार
(b) सुस्त और बोदा
(c) चालाक
(d) बुद्धिमान

Answer

Answer: (b) सुस्त और बोदा


Question 9.
बालगोबिन किसके पद गाया करते थे?
(a) रहीम के
(b) सूरदास के
(c) कबीर के
(d) तुलसीदास के

Answer

Answer: (c) कबीर के


Question 10.
भगत जी बेटे के मरने के बाद अपनी बहू की दूसरी शादी क्यों करवाना चाहते थे?
(a) उसके सुखद भविष्य के लिए
(b) छुटकारा पाने के लिए
(c) सबकी नजर में अच्छा बनने के लिए
(d) इनमें से कोई नहीं

Answer

Answer: (a) उसके सुखद भविष्य के लिए


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भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?


भगत के परिवार में पुत्र और पुत्रवधू के अतिरिक्त कोई नहीं था। पुत्र की मृत्यु के बाद उन्होंने पुत्रवधू को उसके पर भेजने का निर्णय लिया परंतु पुत्रवधू उन्हें अकेला छोड़कर जाना नहीं चाहती थी। वह उन्हें बढ़ती उम्र में अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। वह उनकी सेवा करना अपना फर्ज समझती थी। उसके अनुसार बीमार पड़ने पर उन्हें पानी देने वाला और उनके लिए भोजन बनाने वाला घर में कोई नहीं था। इसलिए भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेला छोडना नहीं चाहती थी।

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“ऊपर की तस्वीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।” क्या साधु की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति ‘साधु’ है?


‘साधु’ की पहचान उसके पहनावे से नहीं उसके व्यवहार से करनी चाहिए। हर भगवे कपड़े पहनने वाला व्यक्ति साधु नहीं होता अपितु परिवार में रहने वाला व्यक्ति भी साधु हो सकता है। साधु व्यक्ति की पहचान निम्न आधारों पर की जा सकती है:
(i) दृढ़ निश्चयी - साधु का स्वभाव दृढ़ निश्चयी होंना चाहिए। उसे अपनी कथनी और करनी में अंतर नहीं करना चाहिए। वह अपने लिए जो नियम बनाए उसका दृढ़ता से पालन करना चाहिए तभी दूसरे व्यक्ति भी उन नियमों का पालन करेंगे।
(ii) सीमित आवश्यकताएं- व्यक्ति की निजी आवश्यकताएं सीमित होनी चाहिएं। साधु बने व्यक्ति को माया जाल में नहीं फंसना चाहिए।
(iii) सरल स्वभाव- साधु व्यक्ति का स्वभाव सरल होना चाहिए। उसके मन में किसी के प्रति भेद-भाव नहीं होना चाहिए।
(iv) मधुर वाणी- साधु व्यक्ति की वाणी मधुर होनी चाहिए। उसे सुनने वाले व्यक्ति उसकी वाणी सुनकर प्रभावित हुए बिना न रह सकें।
(v) सामाजिक कुरीतियों से दूर - साधु व्यक्ति को समाज में फैली कुरीतियों से दूर रहना चाहिए और उसके संपर्क में आने वाले लोगों को उन कुरीतियों के अवगुणों से अवगत कराना चाहिए।
जिस व्यक्ति में उपरोक्त विशेषताएं हों वह गृहस्थी होते हुए भी साधु है लेकिन भगवे कपड़े पहनकर, पूजा-पाठ का दिखावा करने वाला व्यक्ति साधु होते हुए भी साधु नहीं है।

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धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह चमत्कृत कर देती थी? उस माहौल का शब्द चित्र प्रस्तुत करें।


आषाढ़ की फुहार पड़ते ही सारा गाँव खेतों में दिखाई देने लगता था। वह मौसम धान की रोपाई का होता है। खेतों में कहीं हल चल रहे हैं और कहीं धान के पौधों की रोपाई हो रही है। घर की औरतें आदमियों के लिए भोजन लेकर खेतों की मंडेर पर बैठी होती हैं। बच्चे पास में खेल रहे होते हैं। खेतों में ठंडी-ठंडी हवा चलती है। उसी समय सबके कानों में ठंडी-की हवा के साथ मधुर स्वर लहरियाँ पड़ने लगती है। यह स्वर बालगोबिन भगत का होता है। वे भी अपने खेत में धान की रोपाई कर रहे होते हैं। उनका सारा शरीर खेत की गीली मिट्‌टी से लथ-पथ है। जिस प्रकार उनकी अँगुलिया धान के पौधों को एक-एक करके पंक्तिबद्‌ध रूप दे रही थीं उसी प्रकार उनका कंठ उनकी संगीत शब्दावली को स्वरों के ताल से ऊपर-नीचे कर रहा था। ऐसे लग रहा था जैसे कि संगीत के कुछ स्वर ऊपर स्वर्ग की ओर जा रहे हैं और कुछ स्वर धरती पर खेतों में काम करने वाले लोगों के कानों में जा रहे हैं। उनका संगीत सुनकर खेतों में काम करने वाले लोगों के तन में लय पैदा कर देता है जिससे वहाँ का सारा वातावरण संगीतमय हो जाता है।

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पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?


लेखक के अनुसार बालगोबिन भगत कबीर के भगत थे। वे कत्पीर को ‘साहब’ कहते थे। वे कबीर के बताए नियमों का दृढ़ता से पालन करते थे। उनके अनुसार उनकी सब चीजें ‘साहब’ की देन हैं। उनके खेत में जो भी पैदावार होती थी, उसे सिर पर लादकर ‘साहब’ के दरबार में पहुँचाते थे। वह सब कुछ भेंट स्वरूप दरबार में रख देते थे। वापसी में जो कुछ भी ‘प्रसाद’ के रूप में मिलता उससे अपना निर्वाह करते थे।
बालगोबिन भगत कबीर की तरह ही भगवान के निराकार रूप को मानते थे। वे मृत्यु को दुःख का नहीं आनंद मनाने का अवसर मानते थे। कबीर जी ने आत्मा को परमात्मा की प्रेमिका बताया है जो मृत्यु उपरांत अपने प्रियतम से जा मिलती है। बालगोबिन भगत ने कबीर की वाणी का पालन करते हुए अपने पुत्र के मृत शरीर को फूलों से सजाया और पास में दीपक जलाया। वे स्वयं भी पुत्र के मृत शरीर के पास बैठकर पिया मिलन के गीत गाने लगे। उन्होंने अपनी पुत्रवधू को भी रोने के लिए मना कर दिया था। इससे पता चलता है कि बालगोबिन भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा थी। वे कबीर के पद इस ढंग से गाते थे जैसे सभी जीवित हो जाएंगे।

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भगत के व्यक्तित्व और उनकी बेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।


बालगोबिन भगत मँझोलेकद के गोरे-चिट्‌टे व्यक्ति थे जिनकी आयु साठ वर्ष से अधिक थी। उनके बाल सफेद थे। वे दाढ़ी तो नहीं रखते थे पर उनके चेहरे पर सफेद बाल जगमगाते ही रहते थे। वे कपड़े बिलकुल कम पहनते थे। कमर में एक लंगोटी और सिर पर कबीर पंथियों जैसी कनफटी टोपी पहनते थे। जब सरदियां आतीं तो एक काली कमली ऊपर से ओढ़ लेते थे। माथे पर सदा चमकता रामानंदी चंदन, जो नाक के एक छोर से ही, औरतों के टीके की तरह शुरू होता था। अपने गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बाँधे रहते थे। उनमें साधुओं वाली सारी बातें थीं। वे कबीर को ‘साहब’ मानते थे, उन्हीं के गीत गाते रहते थे और उन्हीं के आदेशों पर चलते थे। कभी झूठ नहीं बोलते थे और सदा खरा न्यवहार करते थे। हर बात साफ-साफ करते थे और किसी से व्यर्थ झगड़ा नहीं करते थे। किसी की चीज को तो कभी छूते नहीं थे। वह दूसरों के खेत में शौच तक के लिए नहीं बैठते थे। उनके खेत में जो कुछ पैदा होता उसे सिर पर रख कर चार कोस दूर कबीर पंथी मठ में ले जाते थे और प्रमाद रूप में कुछ वापिस ले आते थे।

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कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिये


बालगोबिन भगत समाज में प्रचलित मान्यताओं को नहीं मानते थे। वे जाति-पाति में विश्वास नहीं रखते थे। सब लोगों को एक समझते थे। वे भी भगवान के निराकार रूप को मानते थे। भगत मृत्यु को भी आनंद मनाने का अवसर मानते हैं। जब उनके इकलौते बेटे की मृत्यु होती है तो वे अपने बेटे के मृत शरीर को फूलों से सजाते हैं और गीत गाते हैं। उनके अनुसार आज आत्मा रूपी प्रेमिका परमात्मा रूपी प्रेमी से मिल गई हैं उसके मिलन पर आनंद मनाना चाहिए अफसोस नहीं। भगत ने अपने बेटे का क्रिया-कर्म अपनी पुत्रवधू से कराया। उनकी पुत्रवधू ने ही अपने पति की चिता को अग्नि दी थी। उनकी जाति में विधवा के पुनर्विवाह को अनुचित नहीं मानते थे परंतु उनकी पुत्रवधू इसके लिए तैयार नहीं थी। वह उन्हीं के पास रहकर उनकी सेवा करना चाहती थी लेकिन उन्होंने उसे यौवन की ऊँच-नीच का ज्ञान करवाया और पुनर्विवाह के लिए तैयार किया। इससे हम कह सकते हैं कि बालगोबिन पुरानी सामाजिक मान्यताओं के समर्थक नहीं थे। वे अपने स्वार्थ की अपेक्षा दूसरों के हित का ध्यान रखते थे।

बालगोबिन गाते समय क्या बजाते थे?

बालगोबिन भगत भजन गाते समय खंजड़ी बजाया करते थे। वह गाँव से दो मील नदी पर स्नान करने के लिए जाते थे

भगत जी जब गाते थे तब क्या बजाते थे?

जब वे धान की रोपनी के समय गाते थे इससे समूचा माहौल प्रभावित हो जाता था।

सुबह सुबह बालगोबबन भगत क्या गाते थे?

Expert-Verified Answer. Answer: सुबह सुबह बाल गोविंद भगत भजन गाते थे

बालगोबिन भगत कैसे गाते थे?

किंतु, खेतीबारी करते, परिवार रखते भी, बालगोबिन भगत साधु थे - साधु की सब परिभाषाओं में खरे उतरनेवाले । कबीर को 'साहब' मानते थे, उन्हीं के गीतों को गाते, उन्हीं के आदेशों पर चलते। कभी झूठ नहीं बोलते, खरा व्यवहार रखते। किसी से भी दो-टूक बात करने में संकोच नहीं करते, न किसी से खामखाह झगड़ा मोल लेते।