हमें पहाड़ों में ऊपर चढ़ने से थकान क्यों महसूस होती है? - hamen pahaadon mein oopar chadhane se thakaan kyon mahasoos hotee hai?

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हम सभी के साथ ऐसा कभी ना कभी जरूर होता है, जब दूसरे फ्लोर तक सीढ़ियों से जाने के बाद ही हमारे दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं और हमारी सांस फूलने लगती है। इस तरह की समस्या से आमतौर पर महिला और पुरुष दोनों ही गुजरते हैं लेकिन महिलाओं में यह समस्या अपेक्षाकृत अधिक देखी जाती है...

सीढ़ियां चढ़ने पर क्यों हांफने लगते हैं?
-सीढ़ियां चढ़ते समय थकान होना बहुत सामान्य घटना है अगर आपको तीसरे या चौथे फ्लोर पर जाने के बाद इस तरह की समस्या का अनुभव हो। लेकिन यह भी बहुत ही सीमित मात्रा में होना चाहिए। क्योंकि चौथे फ्लोर तक जाना या पांचवे फ्लोर तक जाना और बहुत अधिक थकान का अनुभव ना करना, एक स्वस्थ शरीर की निशानी है।

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हमें पहाड़ों में ऊपर चढ़ने से थकान क्यों महसूस होती है? - hamen pahaadon mein oopar chadhane se thakaan kyon mahasoos hotee hai?

सीढ़ियां चढ़ते हुए घबराहत होना


-फिटनेस की बात करें तब भी सीढ़ियां चढ़ने और उतरने से हमारे शरीर की कैलरी खर्च होती हैं और फैट पिघलता है। इस कारण हमें अधिक ऊर्जा लगानी होती है और हमें थकान का अनुभव होता है। लेकिन अगर दो फ्लोर चढ़कर ही आपको थकान होने लगती है तो यह अच्छे संकेत नहीं हैं। यह आपके शरीर में छिपी कमजोरी को दिखाती है।

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सांस लेने में दिक्कत होना
-कोई बहुत मेहनत का काम करने के बाद सांस फूलना एक सामान्य घटना है लेकिन अगर दो फ्लोर चढ़कर ही आपको सांस लेने में दिक्कत होने लगती है तो इसका अर्थ है कि आपका हृदय पूरी तरह स्वस्थ नहीं है। इसलिए अपने कमजोर होते हृदय को बीमार होने से बचाने के लिए अपनी सेहत का ध्यान रखें।

-क्योंकि यह स्थिति शरीर में चुपके से पनप रही बीमारियों का प्रारंभिक संकेत हो सकती है। कई बार यह समस्या इसीलिए भी होती है कि हम बहुत अधिक आलस्य युक्त जीवन (लेजी लाइफस्टाइल) जी रहे हैं। इस कारण भी दो सीढ़ियां चढ़ते ही सांस फूलने की दिक्कत होती है।

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हमें पहाड़ों में ऊपर चढ़ने से थकान क्यों महसूस होती है? - hamen pahaadon mein oopar chadhane se thakaan kyon mahasoos hotee hai?

सीढ़ियां चढ़ते हुए सांस लेने में दिक्कत होना


आपको जो करना है...
-कुछ लोगों को सीढ़ियां चढ़ने के बाद सिर भारी होना, सिर घूमना या आंखों के आगे धुंध आना जैसी समस्याएं होती हैं। अगर आपके साथ भी इस तरह की समस्या हो रही है तो आपको डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि यह स्थिति शरीर में किसी गंभीर बीमारी का संकेत है।

-साथ ही अपनी डायट का पूरा ध्यान रखें। इस बात का पता लगाएं कि क्या आपके भोजन से आपको पूरा पोषण मिल रहा है? क्योंकि जब शरीर को पूरा पोषण नहीं मिलता है तब शरीर में कमजोरी रहती है और कई रोग पनपने लगते हैं, जिनके कारण सांस फूलना और थकान जैसी समस्या होती है।

-आपको इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि लॉकडाउन या कोरोना के कारण आपकी शारीरिक गतिविधियां कम ना हों। आप घर की इन सीढ़ियों पर हर दिन चक्कर लगाकर भी खुद को ऐक्टिव रख सकते हैं। योग कर सकते हैं, घर के आंगन या छत पर वॉक कर सकते हैं।

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इसे सुनेंरोकेंजैसे-जैसे हम ऊंचाई पर जाते हैं दाब (Pressure) कम होता जाता है, जबकि हमारे शरीर का दाब वही रहता है। इस कारण कई बार नाक से खून भी बाहर आने लगता है। ऊंचाई पर जाने पर ऑक्सीजन की मात्रा में भी कमी हो जाती है, जिसे Hypoxia कहा जाता है जिसके कारण हमें अवायुवीय श्वसन (Anerobic respiration) करना पड़ता है।

जब हम पहाड़ पर ऊपर चढ़ते हैं तो क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंजब आप ऊंचाई बढ़ाते हैं, तो आपके ऊपर हवा कम होती है, जिससे दबाव कम हो जाता है। जैसे ही दबाव कम होता है, वायु के अणु आगे फैल जाते हैं (अर्थात वायु फैलती है) और तापमान कम हो जाता है।

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हमें पहाड़ों में ऊपर चढ़ने से थकान क्यों महसूस होती है?

इसे सुनेंरोकेंपहाड़ पर वायु का दाब कम हो जाता है तथा आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन की पूर्ति नहीं हो पति है। अतः सॉस लेने में कठिनाई होती है। सर दर्द, चक्कर आना, मितली आना, मानसिक तथा त्वचा व नाख़ून नील पड़ जाना आदि लक्षण दर्शित होते है।

पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर जाने पर सांस लेना कठिन होता है क्यों?

इसे सुनेंरोकेंपृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर जाने पर सांस लेना कठिन इसलिए होता है क्योंकि वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जाती है। पृथ्वी की सतह से केवल कई 100 मीटर ऊपर तक ही वायु पाई जाती है। यही हमारा वायुमंडल कहलाता है। ऑक्सीजन की सही पर्याप्त मात्रा इसी वायुमंडल में होती है।

पर्वतारोही ऊंचे पर्वत पर चढ़ते समय अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर क्यों ले जाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंऊंचे पर्वतों पर वायु में ऑक्सीजन की कमी होती है और पर्वतारोहियों को ऊंचे पर्वतों पर सांस लेने में कठिनाई होती है। इसलिए पर्वतारोही ऊंचे पर्वतों पर चढ़ते समय ऑक्सीजन के सिलिंडर अपने साथ लेकर जाते हैं।

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सांस फूलने की कौन सी बीमारी होती है?

इसे सुनेंरोकेंदरअसल सांस फूलना कोई बीमारी नहीं हैं, हालांकि यह किसी बड़ी बीमारी का लक्षण जरूर हो सकता है। यह फेफड़ों से जुड़ी एक आम बीमारी है, जिसमें ब्रोंकाइटिस में सांस की नली में सूजन और एंफिसेमा में फेफड़ों में मौजूद छोटी हवाओं की थैली नष्ट हो जाने जैसी समस्या उत्पन्न होती है।

पहाड़ पर चढ़ने वाले व्यक्ति की श्वसन प्रक्रिया पर क्या प्रभाव पड़ता है?`?

इसे सुनेंरोकेंअधिक ऊँचाई पर वायु में ऑक्सीजन की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है; अत: वायु से अधिक O2 प्राप्त करने के लिए श्वासोच्छ्वास क्रिया तीव्र हो जाती है। कुछ दिनों तक ऊँचाई पर रहने से रुधिर में लाल रुधिराणुओं की संख्या बढ़ जाती है और श्वास क्रिया सामान्य हो जाती है।

पहाड़ पर चढ़ने पर सांस क्यों फूलती है?

Solution : ऊँचे पहाड़ों पर वायमण्डलीय दाम में कमी आती है जिससे वायु विरल हो जाती है जिसके कारण वायुमण्डल में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है । इसलिये मीचलाना व साँस लेने में परेसानी का अनुभव होता है ।

पहाड़ पर चढ़ने से क्या होता है?

UPLOAD PHOTO AND GET THE ANSWER NOW! Solution : पहाड़ पर वायु का दाब कम हो जाता है तथा आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन की पूर्ति नहीं हो पति है। अतः सॉस लेने में कठिनाई होती है। सर दर्द, चक्कर आना, मितली आना, मानसिक तथा त्वचा व नाख़ून नील पड़ जाना आदि लक्षण दर्शित होते है।