हीरा और मोती की मित्रता आपको किस प्रकार की सीख देती है ? - heera aur motee kee mitrata aapako kis prakaar kee seekh detee hai ?

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One Line Answer

हीरा-मोती एक-दूसरे के प्रति प्रेम और मित्रता कैसे प्रकट करते थे?

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Solution

हीरा और मोती एक-दूसरे को चाट-चूटकर और सँघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। वे अपनी दोस्ती प्रकट करने के लिए कभी-कभी सींग भी मिला लेते थे। उनके ऐसा करने में विग्रह का भाव नहीं बल्कि मनोविनोद और आत्मीयता का भाव रहता था।

Concept: गद्य (Prose) (Class 9 A)

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Chapter 1: दो बैलों की कथा - अतिरिक्त प्रश्न

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NCERT Class 9 Hindi - Kshitij Part 1

Chapter 1 दो बैलों की कथा
अतिरिक्त प्रश्न | Q 6

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These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा.

प्रश्न-अभ्यास

( पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी?
उत्तर:
कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती होगी, क्योंकि

  1. पशुओं की संख्या का ठीक-ठीक पता चल सके।
  2.  कोई पशु बीमार तो नहीं है, इसका पता लगाया जा सके।
  3. समूह में उत्पात मचाने वाले पशुओं की अलग व्यवस्था की जा सके।
  4.  पशुओं की संख्या नीलामी के योग्य है या नहीं आदि जानकारी के लिए पशुओं की हाजिरी ली जाती होगी।

प्रश्न 2.
छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?
उत्तर:
छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। वह माँ के बिछुड़ने की दर्द जानती थी। इसलिए जब उसने हीरा-मोती की व्यथा देखी तो उसके मन में उनके प्रति प्रेम उमड़ आया। उसे लगा कि वे भी उसी की तरह अभागे हैं और अपने मालिक से दूर हैं।

प्रश्न 3.
कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं?
उत्तर:
कहानी में बैलों के माध्यम से अनेक नीति-विषयक मूल्य उभरकर आए हैं। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं|

  1. सच्ची मित्रता-मुसीबत के समय हीरा-मोती एक-दूसरे का साथ देकर सच्ची मित्रता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। एक के मुसीबत में होने पर दूसरा साथ नहीं छोड़ता है।
  2.  मिल-जुलकर रहने की भावना-हीरा-मोती बलशाली साँड़ को हराकर ‘एकता में शक्ति’ की कहावत चरितार्थ करते हैं।
  3. निःस्वार्थ परोपकार की भावना-हीरा और मोती कांजीहौस की दीवार गिराकर अधमरे जानवरों को भगाकर निःस्वार्थ परोपकार करते हैं। ऐसा करते हुए वे स्वयं बंधन में पड़े रह जाते हैं।
  4.  नारी जाति को सम्मान-हीरा और मोती नारी का सम्मान करते हैं। वे छोटी बच्ची को सताने वाली उसकी सौतेली माँ के साथ बुरा व्यवहार नहीं करते हैं।
  5. स्वतंत्र-प्रियता-हीरा और मोती गया के घर, कांजीहौस तथा बधिक के हाथों में रहते हुए अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते हैं और वे इसमें अंततः सफल होते हैं।
  6.  धर्म-परायणता-हीरा-मोती गया द्वारा पीटे जाने पर उसकी जान नहीं लेते। हीरा से मोती कहता है कि मुझे मारेगी तो मैं भी एक-दो को गिरा दूंगा। तब हीरा कहता है, ‘नहीं, हमारी जाति का यह धर्म नहीं है।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ ‘मूर्ख’ का प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है?
उत्तर:
गधे के स्वभाव की दो विशेषताएँ प्रसिद्ध हैं

  1. मूर्खता।
  2. सरलता और सहनशीलता। इस कहानी में लेखक ने गधे की सरलता और सहनशीलता की ओर हमारा ध्यान खींचा है। प्रेमचंद ने स्वयं कहा है-‘सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा। कदाचित सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है।’ कहानी में भी उन्होंने सीधेपन की दुर्दशा दिखलाई है, मूर्खता की नहीं। अत: लेखक ने सरलता और सीधेपन पर प्रकाश डाला है।

प्रश्न 5.
किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी?
उत्तर:
दो बैलों की कथा नामक पाठ में एक नहीं अनेक घटनाएँ हैं, जिनसे पता चलता है। कि हीरा-मोती में गहरी मित्रता थी; जैसे

  1.  हीरा और मोती एक-दूसरे को चाटकर और सँघकर एक-दूसरे के प्रति अपना प्रेम प्रकट करते थे।
  2. हल में जोते जाते समय दोनों की यही कोशिश रहती थी कि ज्यादा-से-ज्यादा भार उसकी ओर ही रहे।
  3. गया दृद्वारा हीरो की पिटाई से दुखी मोती हल लेकर भागा जिससे हल, जोत, जुआ सब टूट गए।
  4. साँड़ द्वारा एक पर आक्रमण करते ही दूसरा साँड़ के पेट में सींग घुसेड़ देता था, इस प्रकार दोनों की जान बची तथा साँड़ को भी भागना पड़ा।
  5. मटर खाते समय मोती के पकड़े जाने पर हीरा भी वापस आ गया और दोनों ही कांजीहौस में बंदी बनाए गए।
  6.  कांजीहौस की दीवार गिराते समय हीरा को मोटी रस्सियों में बाँध दिया गया। मोती चाहता तो अन्य पशुओं के साथ वह भी भाग जाता पर वह हीरा का साथ देने के लिए वहीं रुक गया।

प्रश्न 6.
“लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो। हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हीरा के इस कथन से यह ज्ञात होता है कि समाज में स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। उन्हें शारीरिक यातनाएँ दी जाती थीं। इसलिए समाज में ये नियम बनाए जाते थे कि उन्हें पुरुष समाज शारीरिक दंड न दे। हीरा और मोती भले इनसानों के प्रतीक हैं। इसलिए उनके कथन सभ्य समाज पर लागू होते हैं। असभ्य समाज में स्त्रियों की प्रताड़ना होती रहती थी।

प्रश्न 7.
किसान-जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंध को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?
उत्तर:
पशु आदिकाल से ही मनुष्यों के साथी रहे हैं। मनुष्य ने कभी उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए पाला तो कभी आर्थिक लाभ के लिए। किसान-जीवन में किसान हल चलाने, बोझा दोने, पानी खींचने तथा सवारी करने के लिए पशुओं का प्रयोग करते हैं। पशु भी अपने चारे के लिए मानव-जाति पर निर्भर रहते हैं। कहानी में झूरी अपने बैलों से प्यार करता है तथा उनके खाने-पीने का ध्यान रखता है, तभी वे हर मुसीबत पर विजय पाते हुए प्रेम न करने वाले गया के घर से भाग जाते हैं और लौटकर झूरी के पास आ जाते हैं।

प्रश्न 8.
‘इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे’ -मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
मोती स्वभाव से उग्र किंतु दयालु बैल है। वह किसी पर भी अत्याचार होते देखकर उग्र हो उठता है। वह अत्याचारी से भिड़ जाता है। काँजीहौस में भी उसने कैद पशुओं पर दया करके बाड़े की दीवार तोड़ डाली और उन्हें आज़ाद कर दिया। इस पर हीरा ने उसे चेताया कि अब उस पर मुसीबतें आएँगी। उसे भी रस्सियों से बाँध दिया जाएगा। तब मोती ने गर्व से कहा-ऐसा बंधन मुझे स्वीकार है। कम-से-कम मेरे बँधने से यह तो हुआ कि नौ-दस जानवरों की जानें बच गईं। अब वे सारे मुझे आशीर्वाद देंगे।
इस कथन से मोती की दयालुता, उग्रता तथा बलिदान-भावना का ज्ञान होता है।

प्रश्न 9.
आशय स्पष्ट कीजिए
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने
वाला मनुष्य वंचित है।
(ख) उसे एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
उत्तर:
(क) हीरा और मोती गहरे मित्र थे। वे एक-दूसरे से बिना कुछ कहे एक-दूसरे के भावों को समझ जाते थे। उनके पास अवश्य कोई ऐसी शक्ति थी, जिससे ऐसा होता था। मनुष्य स्वयं को प्राणियों में श्रेष्ठ मानता है पर उसके पास यह शक्ति नहीं है कि वह दूसरों के मनोभावों को समझ सके।
(ख) गया के घर हीरा-मोती को काम तो बहुत करना पड़ता था पर उन्हें खाने में सूखा भूसा ही दिया जाता था। बैलों पर यह अत्याचार देख उसी घर की छोटी-सी लड़की रात में उनको एक-एक रोटी दे जाती थी। यद्यपि इससे हीरा-मोती की भूख कम नहीं होती थी, तथापि उस बच्ची का प्रेम और त्याग उनमें एक उत्साह तथा शक्ति का संचार कर देता था। उसी से उनका पेट भर
जाता था।

प्रश्न 10.
गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
(घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी नहीं थी।
(सही उत्तर के आगे का निशान लगाइए।)
उत्तर:
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दु:खी था।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 11.
हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर:
हीरा और मीता को गया के घर से लेकर कांजीहौस तक शोषण का शिकार होना पड़ता है। वे शोषण का अपने तरीके से विरोध करते हैं। इसके परिणामस्वरूप वे दोनों पीटे जाते हैं तथा अंततः कांजीहौस में बंद कर दिए जाते हैं। इस पर मेरा विचार है कि शोषण का विरोध करके उन्होंने बिल्कुल ठीक किया। शोषण का विरोध करते हुए इतना दुख तो उठाना पड़ता ही है। शोषित रहकर घुट-घुटकर जीने तथा हर सॉस के लिए दूसरे पर आश्रित रहने से अच्छा उनका विरोध है। इससे शोषक अपनी मनमर्जी नहीं कर पाता है।

प्रश्न 12.
क्या आपको लगता है कि यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है?
उत्तर:
‘दो बैलों की कथा’ कहानी अप्रत्यक्ष रूप से आज़ादी के आंदोलन से जुड़ी है। प्रकट रूप में यह कहानी दो बैलों से संबंधित है। लेकिन प्रतीक रूप में यह आज़ादी के आंदोलन की कहानी है। दोनों बैल संवेदनशील और क्रांतिकारी भारतीय हैं। ये अपने देश (झूरी के घर) से बहुत प्रेम करते हैं। उन्हें अपने देश की तुलना में अन्य कोई देश पसंद नहीं है। दूसरे देश में रहना उन्हें बंधन जैसा जान पड़ता है। इसलिए वे स्वदेश के लिए हर संघर्ष करते हैं। संघर्ष करते-करते उन्हें अनेक मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। वे हर मुसीबत में संगठित होकर लड़ते हैं। इसलिए हर बाधा पर विजय पा लेते हैं। अंत में वे काल-कोठरी में कैद कर दिए जाते हैं। उन्हें भूखा-प्यासा रखा जाता है ताकि उनकी क्रांतिकारी भावना नष्ट हो जाए। परंतु वहाँ भी वे अन्य कैदियों के कल्याण के लिए संघर्ष करते हैं। अंत में उन्हें सूली पर चढ़ाने का आदेश आता है। संयोग से उन्हें अपना देश पुनः प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार यह कहानी संकेत-संकेत में स्वतंत्रता संग्राम की कथा कहती है।

प्रश्न 13.
बस इतना ही काफी है।
फिर मैं भी जोर लगाता हूँ।
‘ही’, ‘भी’ वाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं। कहानी में से पाँच ऐसे वाक्य छाँटिए जिनमें निपात का प्रयोग हुआ
उत्तर:
निपात युक्त पाँच वाक्य

‘ही निपात

  1. एक ही विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया।
  2.  अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित था।
  3. आहत-सम्मान की व्यथा तो थी ही, उस पर मिला सूखा भूसा।
  4.  हाँ, साँड़ ही है।
  5. अभी दो ही चार ग्रास खाए थे कि दो आदमी लाठियाँ लिए दौड़ पड़े और दोनों
    मित्रों को घेर लिया।

भी’ निपात

  1. अगर वे भी ईंट का जवाब पत्थर से देना सीख जाते तो शायद सभ्य कहलाने लगते।
  2. एक मुँह हटा लेता, तो दूसरा भी हटा लेता।
  3. झूरी इन्हें फूल की छड़ी से भी न छूता था।
  4.  मुझे मारेगा, तो मैं भी एक-दो को गिरा दूंगा।
  5.  यहाँ भी किसी सज्जन का वास है।

प्रश्न 14.
रचना के आधार पर वाक्य-भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए
(क) दीवार का गिरना था कि अधमरे-से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
(ख) सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया।
(ग) हीरा ने कहा-गया के घर से नाहक भागे।
(घ) मैं बेचूंगा, तो बिकेंगे।
(ङ) अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
उत्तर:
(क) मिश्र वाक्य

  • मुख्य उपवाक्य-अधमरे से पड़े हुए जानवर सभी चेत उठे।
  • गौण उपवाक्य-दीवार का गिरना था।

(ख) मिश्र वाक्य

  • मुख्य उपवाक्य-सहसा एक दढ़ियल आदमी आया।
  • गौण उपवाक्य-जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर।

(ग) मिश्र वाक्य

  • मुख्य उपवाक्य-हीरा ने कहा।
  • गौण उपवाक्य-गया के घर से नाहक भागे।

(घ) मिश्र वाक्य

  • मुख्य उपवाक्य-तो बिकेंगे।
  • गौण उपवाक्य-मैं बेचूंगा।

(ङ) मिश्र वाक्य

  • मुख्य उपवाक्य-मैं बे-मारे न छोड़ता।
  • गौण उपवाक्य-अगर वह मुझे पकड़ता।

प्रश्न 15.
कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

हीरा और मोती की मित्रता आपको किस प्रकार की सीख देती है ? - heera aur motee kee mitrata aapako kis prakaar kee seekh detee hai ?

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हीरा और मोती अपनी मित्रता कैसे प्रकट करते थे?

प्रश्न: हीरा-मोती एक-दूसरे के प्रति प्रेम और मित्रता कैसे प्रकट करते थे? उत्तर: हीरा और मोती एक-दूसरे को चाट-चूटकर और सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। वे अपनी दोस्ती प्रकट करने के लिए कभी-कभी सींग भी मिला लेते थे। उनके ऐसा करने में विग्रह का भाव नहीं बल्कि मनोविनोद और आत्मीयता का भाव रहता था।

हीरा और मोती के स्वभाव में क्या अंतर है?

मोती के स्वभाव में उग्रता अधिक थी। वह तो घर की मालकिन को भी सींग मारने की बात करता है जबकि हीरा में अधिक सहनशीलता थी। कई ऐसे अवसर आए जब उसने धैर्य का परिचय दिया। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हीरा में अधिक धैर्य था

हीरा और मोती दोनों कौन थे?

झूरी क पास दो बैल थे- हीरा और मोती. देखने में सुंदर, काम में चौकस, डील में ऊंचे. बहुत दिनों साथ रहते-रहते दोनों में भाईचारा हो गया था. दोनों आमने-सामने या आस-पास बैठे हुए एक-दूसरे से मूक भाषा में विचार-विनिमय किया करते थे.

हीरा और मोती एक दूसरे के मन की बात कैसे समझ जाते थे?

हीरा और मोती गहरे मित्र थे। वे एक-दूसरे से बिना कुछ कहे एक-दूसरे के भावों को समझ जाते थे। उनके पास अवश्य कोई ऐसी शक्ति थी, जिससे ऐसा होता था। मनुष्य स्वयं को प्राणियों में श्रेष्ठ मानता है पर उसके पास यह शक्ति नहीं है कि वह दूसरों के मनोभावों को समझ सके।