हरिहर काका के प्रति लेखक की आसक्ति का क्या कारण है? - harihar kaaka ke prati lekhak kee aasakti ka kya kaaran hai?

प्रश्न. 1.  कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध हैं और इसके क्या कारण हैं ?
उत्तर: 
कथावाचक और हरिहर काका के बीच बहुत गहरा आत्मीयतापूर्ण संबंध है। हरिहर काका के प्रति कथावाचक की आसक्ति के अनेक व्यावहारिक और वैचारिक कारण हैं, उनमें प्रमुख कारण हैं–
(1)  एक तो यह कि हरिहर काका कथावाचक के पड़ोस में रहते हैं।
(2) दूसरा कारण कथावाचक की माँ बताती हैं, हरिहर काका बचपन में उसे बहुत दुलार करते थे। वे स्नेहवश उन्हें कंधे पर बैठाकर घुमाया करते थे। वे उसे पिता की तरह प्यार करते थे।
(3) उसकी पहली दोस्ती हरिहर काका से ही हुई। वह उससे कुछ भी नहीं छिपाते थे। उन दोनों के मध्य मित्रवत् सम्बंध थे।

प्रश्न. 2. ‘ठाकुरबारी’ की स्थापना के बारे में गाँव में क्या कहानी प्रचलित थी ?
उत्तरः ‘ठाकुरबारी’ के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा भाव है। जब लेखक का गाँव बसा भी नहीं था तभी यहाँ एक संत आकर बस गए थे। वह संत अपनी झोपड़ी में रहकर दिन-रात ठाकुर जी की पूजा-अर्चना करते थे। बाद में गाँव के लोगों ने चन्दा उगाह कर उनकी कुटिया के स्थान पर एक छोटा-सा मन्दिर बना दिया था। ज्यों-ज्यों गाँव की आबादी बढ़ी, मन्दिर का भी विस्तार होता गया। बहुत अधिक संख्या में लोग मनौती माँगते, पुत्र प्राप्ति, मुकदमों में विजय पाने, लड़की की शादी, लड़के की नौकरी की कामना से वहाँ आने लगे। सफलता मिलने पर ठाकुर जी पर रुपये, अनाज चढ़ाते थे। अधिक खुशी मिलने पर ठाकुर जी के नाम खेत-जमीन कर देते थे। इस तरह गाँव वालों की ठाकुर जी के प्रति अन्ध श्रद्धा थी। धीरे-धीरे इस धार्मिक समिति में ऐसे लोग भी सम्मिलित हो गए जो स्वार्थवश धर्म की आड़ में हिंसक हो उठते थे। इस तरह इस कहानी में स्वार्थ लिप्सा और धर्म की आड़ में ग्रामीणों की हिंसात्मक मनोवृत्ति उजागर होती है।

प्रश्न. 3. ‘ठाकुरबारी’ का लोगों के प्रति क्या दायित्व था ?
उत्तरः गाँव के लोगों ने चन्दा इकट्ठा करके ‘ठाकुरबारी’ का बड़ा मन्दिर बनवा दिया। गाँव के स्त्री-पुरुष सुबह-शाम मन्दिर में पूजा करते तथा चढ़ावा भी चढ़ाते थे। उनके मन में ‘ठाकुरबारी’ के प्रति अपार श्रद्धा थी। सुबह-शाम भजन-कीर्तन करते थे। गाँव में किसी भी पर्व की शुरुआत ‘ठाकुरबारी’ से ही करते थे। होली पर गुलाल सबसे पहले ठाकुरजी को ही लगाते थे। दीवाली का पहला दीया ‘ठाकुरबारी’ में ही जलाते थे। जन्म, शादी तथा जनेऊ के अवसर पर अन्न-वस्त्र की सबसे पहली भेंट ठाकुरजी के नाम की जाती थी। लोग खेती-बाड़ी से अपना बचा हुआ समय ‘ठाकुरबारी’ में ही बिताते थे। साधु-संतों के प्रवचन सुनकर ठाकुरजी का दर्शन कर अपना जीवन सार्थक मानते थे। उनका विश्वास था कि ठाकुरजी के दर्शन से पिछले सारे पाप धुल जाएँगे। इस प्रकार ‘ठाकुरबारी’ का काम लोगों के भीतर ठाकुरजी के प्रति भक्ति-भावना पैदा करना और धर्म से विमुख हो रहे लोगों को सही रास्ते पर लाना था।

प्रश्न. 4. गाँव में ‘ठाकुरबारी’ से ही पर्व-त्यौहार की शुरुआत क्यों होती थी ?
उत्तरः गाँव में किसी भी पर्व की शुरुआत ‘ठाकुरबारी’ से ही होती है होली पर सबसे पहले गुलाल ठाकुर जी को ही चढ़ाया जाता था। दीवाली का पहला दीया ‘ठाकुरबारी’ में ही जलता है। जन्म, शादी तथा जनेऊ के अवसर पर अन्न, वस्त्र की सबसे पहली भेंट ठाकुरजी के नाम की जाती है। ‘ठाकुरबारी’ के साधु-संत व्रत-कथाओं के दिन घर-घर घूमकर कथा वाचन करते हैं। जब लोगों के खलिहान में फसल की दवनी होकर अन्न की ‘ढेरी’ तैयार हो जाती है, तब ठाकुरजी के नाम ‘अगडम’ निकालने के बाद ही लोग अनाज अपने घर ले जाते हैं। क्योंकि ठाकुरजी के मन्दिर के प्रति लोगों की विशेष श्रद्धा और विश्वास है।

प्रश्न. 5. हरिहर काका के ‘ठाकुरबारी’ में चले जाने पर उनके भाइयों ने क्या किया ?
उत्तरः शाम को हरिहर काका के भाई जब खेत खलिहान से लौटे तब उनको इस दुर्घटना का पता चला। पहले तो वे अपनी पत्नियों पर खूब बरसे, फिर एक जगह बैठकर सब चिंतामग्न हो गए। हालाँकि गाँव के किसी आदमी ने भी उनसे कुछ नहीं कहा था। मंहत जी ने हरिहर को क्या कुछ समझाया है, इसकी भी जानकारी उन्हें न थी। लेकिन इसके बावजूद उनका मन शंकालु और बड़ा बेचैन हो गया। दरअसल कई ऐसी बातें होती हैं, जिनकी जानकारी बिना दिए ही लोगों को मिल जाती है। शाम होते-होते हरिहर काका के तीनों भाई ‘ठाकुरबारी’ जा पहुँचे। उन्होंने हरिहर को वापिस घर चलने के लिए कहा। उनके भाई उन्हें घर ले जाने के लिए जिद करने लगे। इस पर ‘ठाकुरबारी’ के सब साधु-संत उन्हें समझाने लगे और अंततः भाइयों को निराश हो वहाँ से लौटना पड़ा।

प्रश्न. 6. हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे ? उन्होंने उनके साथ कैसा बर्ताव किया ?
उत्तरः 
हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले महंतजी के सहयोगी ‘ठाकुरबारी’ के साधु-संत थे। एक रात ‘ठाकुरबारी’ के साधु-संत भाला, गँडासा और बन्दूक से लैस एकाएक हरिहर काका के दालान पर आ धमके। आक्रमणकारी काका को पीठ पर लादकर चंपत हो गए। काका को ‘ठाकुरबारी’ के लोग पकड़े हुए थे। उन्होंने काका के हाथ और पाँव बाँध दिए थे, उनके मुँह में कपड़ा ठूँसकर कमरे में बन्द कर दिया था। वे जबरदस्ती सादे और लिखे कागजों पर अनपढ़ हरिहर काका के अँगूठे के निशान ले रहे थे।

प्रश्न. 7. ‘ठाकुरबारी’ में हरिहर काका की सेवा के लिए क्या-क्या व्यवस्था की गई ?
उत्तर: ‘ठाकुरबारी’ में हरिहर काका के लिए साफ-सुथरे कमरे में पलंग पर बिस्तर लगाकर आराम का प्रबन्ध किया। विशेष भोजन का प्रबन्ध किया गया, रात में हरिहर काका को खाने के लिए मिष्ठान और व्यंजन दिए गए। घी से टपकते मालपुए, लड्डू, रस बुनिया, छेने की हरकानी, दही, खीर, पुजारी ने खुद अपने हाथों से परोस कर खिलाया। धर्म चर्चा से मन को शान्ति पहुँचाई, एक ही रात में हरिहर काका ने ‘ठाकुरबारी’ में जो सुख-शान्ति और सन्तोष पाया ऐसा जीवन में कभी नहीं पाया था।

प्रश्न. 8. महंतजी ने हरिहर काका को एकान्त में बैठाकर क्या समझाया ?
अथवा
महंतजी के द्वारा हरिहर काका को क्या उपदेश (शिक्षा दी गई) दिए गए ?
उत्तर: महन्तजी हरिहर काका को एकान्त कमरे में बिठाकर समझाने लगे कि यहाँ कोई किसी का नहीं, सब माया का बन्धन है। तुम तो धार्मिक प्रवृत्ति के मनुष्य हो, ईश्वर भक्ति में मन लगाओ। इसके अतिरिक्त तुम्हारा अपना कोई नहीं है। तुम्हारे भाई-बन्धु तुम्हें इसलिए रखे हुए हैं, क्योंकि तुम्हारे पास पन्द्रह बीघे जमीन है। यदि तुम ये खेत इन्हें न देकर किसी दूसरे को दोगे तो ये रक्त सम्बन्ध भी खत्म हो जाएँगे। अतः तुम ये खेत ठाकुरजी के नाम लिख दो तो तुम्हें बैकुण्ठ मिलेगा। तीनों लोकों में तुम्हारी कीर्ति जगमगा उठेगी। जब तक सूरज-चाँद रहेंगे तुम्हारा नाम रहेगा सब तुम्हारा यशोगान करेंगे और तुम्हारा जीवन सार्थक हो जाएगा।

प्रश्न. 9: ठाकुरजी के नाम जमीन वसीयत करने की बात कहने से महन्त जी ने हरिहर काका को क्या-क्या लालच दिया ?
उत्तर: 
हरिहर काका को एकान्त कमरे में बैठाकर महन्त बड़े प्रेम से समझाने लगा– यहाँ कोई किसी का नहीं है, यहाँ सब माया के भूखे हैं ‘ठाकुरबारी’ में रहकर ईश्वर भक्ति में मन लगाओ। बेटे, पत्नी, भाई-बंधु सब स्वार्थ के साथी हैं। अपने हिस्से का खेत ‘ठाकुरबारी’ के नाम वसीयत कर दो, सीधे बैकुण्ठ को प्राप्त करोगे, तीनों लोकों में कीर्ति जगमगा उठेगी और जब तक सूरज-चाँद रहेंगे, तब तक दुनियाँ तुम्हें याद करेगी, ठाकुरजी के नाम जमीन लिख देना तुम्हारे जीवन का महादान होगा, सब साधु संत तुम्हारे पाँव पखारेंगे सभी तुम्हारा यशोगान करेंगे, तुम्हारा जीवन सार्थक हो जाएगा, अपनी बाकी जिन्दगी ठाठ से यहाँ ‘ठाकुरबारी’ में गुजारना, तुम्हें किसी प्रकार की कमी नहीं होगी, एक मांगोगे चार हाजिर की जाएँगी। हम तुम्हें सिर-आँखों पर बिठाकर रखेंगे। ठाकुरजी के साथ तुम्हारी आरती की जाएगी। ईश्वर को एक भर दोगे तो दस भर पाओगे तुम्हारा यह लोक और परलोक दोनों बन जाएँगे।
प्रश्न. 10. महन्त ने हरिहर काका के साथ दो अलग-अलग प्रकार का व्यवहार किस प्रकार और क्यों किया ? उत्तर: ‘ठाकुरबारी’ के महंत भी हरिहर काका की जमीन पर नजर गढ़ाए हुए थे। जब उन्हें काका के गुस्से के बारे में पता चला तो वे उन्हें अपने साथ ‘ठाकुरबारी’ ले गए। महंत ने हरिहर काका को प्यार से समझाया कि वे क्यों सांसारिक मोह-माया के चक्कर में पड़ते हैं। अपना जीवन ‘ठाकुरबारी’ के नाम लिखकर यहीं रहें। ‘ठाकुरबारी’ में महंत द्वारा हरिहर काका की शाही खातिरदारी की गई। जब हरिहर काका ने अपनी जायदाद किसी को भी न देने का फैसला किया तो महंत ने उनका अपहरण कर लिया और जबरदस्ती काका के अँगूठे के निशान लगवा दिए। इस घटना के बाद काका को महंत और ‘ठाकुरबारी’ से नफरत हो गई। काका के भाइयों ने पुलिस की मदद से ‘ठाकुरबारी’ से काका को मुक्त कराया। मुक्त होने के बाद उन्होंने महंत और उनके साथियों का पर्दाफाश किया।
प्रश्न. 11. हरिहर काका के साथ महंत का व्यवहार कैसा था ?
उत्तर: हरिहर काका के साथ उनके भाइयों द्वारा दुव्र्यवहार करने पर महंत ने उनकी जायदाद के लालच में काका की बहुत आव- भगत की। उन्हें अपने साथ ठाकुरबाड़ी ले आया और उन्हें तरह-तरह से बहला-फुसलाकर जायदाद को ठाकुर जी के नाम करने के लिए समझाने लगा व किसी भी तरह से उनकी जायदाद को अपने नाम लिखवाना चाहता था किन्तु हरिहर काका ने ऐसा करने से साफ इन्कार कर दिया तो उन्हें अपने पुजारियों से पिटवाया और कोरे कागजों पर उनके अँगूठे के निशान ले लिए यहाँ तक कि उन्हें जान से मरवाने का भी प्रयास किया।

प्रश्न. 12. हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगने लगे ?
उत्तर: हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के इसलिए लगते हैं, क्योंकि दोनों को हरिहर काका की सम्पत्ति पन्द्रह बीघे खेत के प्रति लगाव है। वे दोनों उनकी सम्पत्ति प्राप्त करने के लिए काका की आवभगत, जी हजूरी और सेवा करते हैं, येन-केन-प्रकारेण वे उनकी जायदाद अपने नाम लिखवाना चाहते हैं।

प्रश्न. 13. हरिहर काका के साथ उनके सगे भाइयों का व्यवहार क्यों बदल गया ?
अथवा
हरिहर काका के प्रति उनके भाइयों के व्यवहार के समय-समय पर क्या-क्या परिवर्तन आए और क्यों ?
उत्तर: 
हरिहर काका एक वृद्ध और निःसंतान व्यक्ति हैं। प्रारम्भ में उनके भाई अचानक उनको आदर-सम्मान और सुरक्षा प्रदान करने लगे, इसकी वजह उनकी गाँव में जमीन जायदाद थी। जायदाद हीन गाँव के ग्रामीण, विधवा के उदाहरण काका के सामने थे, उन्होंने निश्चय कर लिया कि वे अपनी जायदाद, भाइयों को भी नहीं लिखेंगे और ना ही महंत के नाम। भाइयों द्वारा बार-बार समझाए जाने पर जब हरिहर काका ने कहा, ”मेरे बाद तो मेरी जायदाद इस परिवार को स्वतः मिल जाएगी, इसलिए लिखने का कोई अर्थ नहीं। महंत ने अँगूठे के जो जबरन निशान लिए हैं, उसके खिलाफ मुकदमा हमने किया ही है. . .।'' काका की बातें सुनकर उनके सगे भाइयों का व्यवहार हरिहर काका के साथ बदल गया।

प्रश्न. 14. अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ कैसे रखते हैं ? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ इस प्रकार रखते हैं, आरम्भ में वे महंतजी की बातों और प्रलोभनों से प्रभावित हुए, शीघ्र ही उन्हें इस बात का आभास हो गया कि महंत की अपेक्षा उनके भाई-भतीजे बेहतर हैं। उनका महंत के प्रति विश्वास कम होने लगा। वे समझ गए कि दोनों ही उनकी आवभगत, जमीन अपने नाम कराने के लिए कर रहे हैं। वे जमीन-जायदाद के मुद्दे पर जागरूक हो गए थे। वे सीधे-सादे और भोले किसान की अपेक्षा चतुर और ज्ञानी की तरह दुनिया को समझ गए थे।

प्रश्न. 15. समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है ? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर: समाज में रिश्तों की यह अहमियत है कि आधुनिक परिवर्तित समाज तथा रिश्तों में बदलाव आ रहा है। परिवार और रिश्ते दोनों ही अपनी भूमिका छोड़ रहे हैं। उनमें स्वार्थ लोलुपता आती जा रही है। कथावस्तु के आधार पर हरिहर काका एक वृद्ध निःसंतान व्यक्ति हैं, वैसे उनका भरा-पूरा संयुक्त परिवार है। परिवार को हरिहर काका की चिन्ता नहीं है। परिवार के सदस्यों को जब लगता है काका कहीं अपनी जमीन महंत के नाम न कर दें तब वे उनकी सेवा करने लगते हैं परन्तु बाद में अपनी स्वार्थ सिद्धि पूर्ण न होती देखकर वे काका के साथ क्रूरतापूर्ण अमानवीय व्यवहार करते है। परन्तु महन्त के सहयोग से पुलिस वहाँ आकर काका की रक्षा करती है। पारिवारिक सम्बन्धों में भ्रातृभाव को बेदखल कर पाँव पसारती जा रही स्वार्थ लिप्सा, हिंसावृत्ति का रूप ले रही है जिससे समाज में रिश्तों में दूरियाँ और विघटन उत्पन्न हो रहा है।

प्रश्न. 16. कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, ''अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।''
उत्तर: ''हरिहर काका'' कहानी की कथावस्तु के आधार को स्पष्ट करते हुए हम कह सकते है, जब हरिहर काका के सम्मुख महंत की सच्चाई सामने आ गई और वे भाइयों की हकीकत, इरादों से परिचित हो गए। तब लेखक ने यह वाक्य कहा, ''अज्ञानता की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरता है। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।'' लेखक ने यह वाक्य इसलिए कहा जब काका के भाइयों ने महंत की तरह अँगूठे के जबरन निशान लेने का प्रयास किया। उस समय उन्हें मृत्यु से भय नहीं रहा। वे अज्ञान की स्थिति में मृत्यु से डरते थे अब उन्हें मृत्यु का वरण करने में कोई भय नहीं था। उस समय काका ने सोच लिया कि ये सब एक ही बार उन्हें मार दें, वह ठीक होगा, लेकिन अपनी जमीन लिखकर वे शेष जिदंगी घुट-घुट कर नहीं जीना चाहेंगे।

प्रश्न. 17. ''भाई का परिवार तो अपना ही होता है। उनको न देकर ठाकुरबारी को अपनी जायदाद देना उनके साथ धोखा और विश्वासघात होगा।'' कथन में निहित हरिहर काका के चरित्र की विशेषता से आप क्या शिक्षा ग्रहण करते हैं ? लिखिए।
उत्तर: 

  • परिवार के प्रति विश्वास
    • भाइयों तथा बच्चों को अपना समझने की भावना
    • समाज में आदर्श स्थिति बनाये रखने का प्रयास। शेष छात्र का अपना मंतव्य।

व्याख्यात्मक हल:
हरिहर काका के इस कथन से परिवार के प्रति उनके विश्वास, प्रेम और अपनेपन की भावना परिलक्षित होती है। भाइयों और उनके बच्चों के प्रति लगाव और उनका अपना समझने की भावना स्पष्ट झलकती है। हरिहर काका अपने भाइयों द्वारा उन्हें दिए गए कष्टों को भुलाकर अपनी जायदाद उनके नाम करने के बारे में सोचते हैं जब महंत उनसे अपनी जायदाद ठाकुबारी के नाम करने की सलाह देता है तो वे सोचते हुए इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि भाइयों को जायदाद न देकर ठाकुरबारी के नाम कर देना उनके साथ धोखा करना होगा। ऐसा करके वह समाज में आदर्श कायम करना चाहते थे।

प्रश्न. 18. परिवार की स्वार्थपरता तथा हरिहर काका की उपेक्षा एवं उचित देखरेख न किए जाने के वर्णन को पढ़कर आपके मन पर क्या और कैसा प्रभाव पड़ता है ? अपने घर में आप ऐसी स्थिति को कैसे सँभालते ?
उत्तर: 

  • धैर्य रखना
    • निर्णय लेने में सावधानी बरतना
    • अतिशय उद्वेग को नियंत्रित रखना।

व्याख्यात्मक हल:
हरिहर काका की उपेक्षा एवं उचित देखरेख न किए जाने तथा परिवार की स्वार्थपरता के वर्णन को पढ़कर हमारा मन व्यथित हो गया। इससे लगता है कि समाज में रिश्तों की अब अहमियत समाप्त होती जा रही है। परिवार और रिश्ते दोनों ही अपनी भूमिका छोड़ रहे हैं। उनमें स्वार्थ लोलुपता आती जा रही है। पारिवारिक सम्बन्धों से भाईचारा समाप्त होकर स्वार्थ लिप्सा हिंसावृत्ति का रूप ले रही है जिससे सामाजिक रिश्तों में दूरियाँ आ रही हैं। हम अपने घर में ऐसी स्थिति को संभालने के लिए पहले से ही धैर्य रखते हुए कानूनी तौर पर वसीयत बनवाते जिसमें स्पष्ट रूप से यह लिखवा देते कि खेतों से आने वाली आय उसको मिलेगी जो उनकी सेवा करेगा। इतना ही नहीं अतिशय उद्वेग को नियंत्रित रखते हुए निर्णय लेने में सावधानी रखते।

प्रश्न. 19. अकेले होने के कारण हरिहर काका को किन-किन कठिनाइयों से गुजरना पड़ा? इन कठिनाइयों के सामने समर्पण करने के बजाय हरिहर काका को साहस से किस प्रकार इसका सामना करना चाहिए था ?
उत्तर: अकेलेपन के कारण भाइयों के परिवार का आश्रय लिया जिसके कारण-
उपेक्षा, अपमान, हिंसा, यंत्रणा व भूख जैसी कठिनाई का सामना करना पड़ा। परन्तु फिर भी उन्हें हिम्मत से सामना करना चाहिए था। आत्म सम्मान से जीना चाहिए था।
व्याख्यात्मक हल:
हरिहर काका एक वृद्ध और निःसंतान व्यक्ति हैं। अकेलेपन के कारण उन्होंने भाइयों के परिवार का आश्रय लिया। हरिहर काका के हिस्से में 15 बीघा जमीन थी जिस पर भाइयों के अलावा ठाकुरबारी के महंत की दृष्टि थी। हरिहर काका ने जब निश्चय किया कि वे अपनी जायदाद भाइयों तथा महंत किसी के नाम नहीं लिखेंगे तब महंत ने अपने आदमियों से उन्हें उठवाकर जबरदस्ती कागजों पर अँगूठे के निशान लगवा लिए। पता लगने पर उनके भाई पुलिस की सहायता से बुरी हालत में उनकी जान बचाकर घर ले आये। ठाकुरबारी से वापस लौटकर काका ने महंत के ऊपर जबरदस्ती अंगूठे का निशान लगा लेने का मुकदमा दायर कर दिया। भाइयों ने भी काका की जमीन हड़पने के लिए महंत से भी विकराल रूप धारण कर यातनाएँ देना शुरू कर दिया।

उन्हें भूखे रखकर शारीरिक यंत्रणाएँ दी गयीं। उनकी पीठ माथे और पाँवों पर जख्मों के निशान उभर आए थे। इन कठिनाइयों के सामने समर्पण करने के बजाय हरिहर काका को साहस और हिम्मत से सामना करते हुए अपनी जायदाद की कानूनी तौर पर वसीयत बना लेनी चाहिए थी। उस वसीयत में स्पष्ट रूप से लिखवा देना था कि जो उनकी सेवा करेगा वही उनने खेतों से आने वाली आय अपने पास रखेगा और मृत्यु के पश्चात् उनकी जायदाद का मालिक होगा। इस प्रकार से उन्हें आत्मसम्मान से जीना चाहिए।

प्रश्न. 20. ‘हरिहर काका’ कहानी के मुख्य पात्र हरिहर सब कुछ होते हुए भी एक यंत्रणापूर्ण जीवन जी रहे थे, मान लीजिए आप भी उसी गाँव के निवासी होते तो उनको न्याय दिलाने के लिए आप क्या उपाय करते?

उत्तर: हहिहर काका के पास 15 बीघे जमीन थी। उससे होने वाली आय से एक भरे-पूरे परिवार का गुजारा आराम से हो सकता था। परन्तु अकेले होने के कारण वह दूसरों पर निर्भर हो गए। भाई उनकी जमीन की उपज का लाभ तो लेते थे, परन्तु उनकी पत्नियाँ उनकी जरूरतों का ध्यान नहीं रखती थीं जिसने कारण उनका जीवन अत्यंत यंत्रणापूर्ण था। उनकी इस यंत्रणा से उन्हें मुक्ति दिलाने के लिए मैं उनसे कहता कि वह अपनी जमीन बटाई पर दे दें तथा स्वयं उसकी आय से शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करें।
व्याख्यात्मक हल:
‘हरिहर काका’ कहानी के मुख्य पात्र हरिहर सब कुछ होते हुए भी एक यंत्रणापूर्ण जीवन जी रहे थे। उनके पास 15 बीघे जमीन थी। उससे होने वाली आय से एक भरे-पूरे परिवार का गुजारा आराम से हो सकता था परन्तु उत्तराधिकारी के न होने और  अकेले होने के कारण उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ रहा था। उनके भाई, महंत, नेता आदि उन पर अपनी जमीन उनके नाम करने के लिए तरह-तरह की प्रताड़नाएँ देने लगे। भाई उनकी जमीन की उपज का लाभ तो लेते थे परन्तु उनकी पत्नियाँ उनकी आवश्यकताओं का ध्यान नहीं रखती थी। अतः उनका जीवन यंत्रणापूर्ण हो गया था। यदि मैं उस गाँव का निवासी होता तो उनको यंत्रणा से मुक्ति और न्याय दिलाने के लिए उन्हें कानूनी तौर पर ऐसी वसीयत बनाने की सलाह देता जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा होता कि जो उनकी सेवा करेगा वही उनके खेतों से आने वाली आय को रखेगा। इसके अलावा उन्हें अपनी जमीन बटाई पर देकर उसकी आय से स्वयं शान्तिपूर्ण जीवन व्यतीत करने की सलाह देता।

प्रश्न. 21. ‘हरिहर काका’ के प्रति लेखक की चिंता के क्या कारण थे ? एक शिक्षित व जागरूक नागरिक के रूप में उसे हरिहर काका की सहायता किस प्रकार करनी चाहिए थी?
उत्तर: लेखक को बचपन में प्यार-दुलार दिया, उन्हें मित्रवत प्यार दिया। परन्तु उसने सक्रिय होकर कुछ नहीं किया। उसे यत्नपूर्वक हरिहर काका को इस अवसाद की स्थिति से निकालने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए था।
व्याख्यात्मक हल:
हरिहर काका के प्रति लेखक मिथिलेश्वर की चिंता का कारण जायदाद के लालच में उनके भाइयों तथा महंत जैसे लोगों द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार करना था। हरिहर काका एक निःसंतान वृद्ध व्यक्ति हैं, वैसे उनका भरा-पूरा संयुक्त परिवार है। परिवार के सदस्यों को लगता है कि ये अपनी जमीन महंत के नाम न कर दें इसलिए वे उनकी सेवा करने लगते हैं परन्तु जमीन किसी के नाम न करने की उनकी घोषणा को सुनकर वे उनके साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने लगते हैं और महंत जबरन अंगूठे का निशान लगा लेता है परन्तु वे उसके खिलाफ मुकदमा कर देते हैं। इस परिस्थिति में लेखक ने सक्रिय होकर उनके लिए कुछ नहीं किया जबकि हरिहर काका ने लेखक को बचपन में प्यार-दुलार दिया था और लेखक ने भी उन्हें मित्रवत् प्यार दिया था। हरिहर काका को इस स्थिति से उबारने के लिए लेखक को हर संभव प्रयास करते हुए उन्हें अवसाद की स्थिति से निकालना चाहिए।

प्रश्न. 22. यदि आपके आस-पास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो आप उसकी किस तरह मदद करेंगे ?
उत्तर:
यदि हमारे आस-पास हरिहर काका जैसी हालत में कोई व्यक्ति हो तो हम उसकी मदद इस प्रकार करेंगे- हम उसके परिवारीजनों को सर्वप्रथम समझाने का प्रयास करेंगे। यदि वे नहीं मानते है तब हम कानूनी दृष्टि से उस व्यक्ति की मदद करेंगे। हम उसके आवास, भोजन की व्यवस्था करेंगे। हम उसकी सुरक्षा हेतु प्रशासन से सहायता प्राप्त करेंगे। कानूनी दृष्टि से उसकी सहायता करेंगे।

प्रश्न. 23. हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे ? 
उत्तर: हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की यह राय तीन रूपों में बँटी हुई थी कि पहला वर्ग यह चाहता था कि हरिहर काका अपनी जमीन महंत के नाम कर दें, दूसरा वर्ग उनके भाई के नाम करना चाहिए जबकि तीसरे वर्ग के लोग चाहते थे कि काका अपनी जमीन बेचकर धन को सामाजिक कार्यों में लगा दें।

प्रश्न. 24. हरिहर काका को किन यातनाओं का सामना करना पड़ रहा था ?
उत्तर:
हरिहर काका को मानसिक एवं शारीरिक यातनाओं का सामना करना पड़ रहा था-
(i) ‘ठाकुरबारी’ के महंत जी हरिहर काका को अपनी जमीन मंदिर के नाम कराने के लिए दबाव बना रहे थे अपनी सिद्धि पूर्ण न होते देखकर उन्होंने काका को अपने आदमियांे की मदद से उठवा लिया था और उन्हें शारीरिक यातनाएँ दीं। यदि काका के भाई नहीं होते तो हरिहर काका का जीवित बचना सम्भव नहीं था।
(ii) काका के भाइयों ने आरम्भ में काका की सेवा, बहुत आवभगत की, बाद में वे भी जमीन अपने नाम करवाने के लिए मानसिक दबाव डालने लगे। काका के इन्कार करने पर उन्होंने उनके साथ मारपीट की। वे यातनाएँ देकर, भूमि अपने नाम करवाने का प्रयास करने लगे। पुलिस के हस्तक्षेप करने पर काका बच सके।
(iii) उन्हें शारीरिक यातनाएँ दी गईं। काका की पीठ, माथे और पाँवों पर कई जगह जख्मों के निशान उभर आए थे। वह बहुत घबराए हुए से काँप रहे थे। अचानक बेहोश हो गए। मुँह पर पानी के छीटें डालकर होश में लाया गया। 

उपरोक्त यातनाओं का सामना काका को करना पड़ा।

प्रश्न. 25. हरिहर काका के न रहने पर उनकी जमीन पर किसके अधिकार की संभावना है ? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कहानी के आधार पर हरिहर काका की जमीन पारिवारिक जमीन है। निःसंतान होने के कारण इनकी जमीन पर महंत, नेता तथा भाइयों की बुरी दृष्टि है। वैसे उनकी जमीन कानूनन उनके भाई एवं भतीजे के अधिकार में जाने की संभावना है क्योंकि हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार निःसंतान व्यक्ति की बिना वसीयत की गयी सम्पत्ति पर परिवार के अन्य सदस्य भाई एवं भतीजे का होता है। आरम्भ में महंत ने हरिहर काका से जमीन के कागजातों पर जबरन अँगूठे के निशान ले लिए थे परन्तु हरिहर काका ने महंत पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर दिया था। उस स्थिति में हरिहर काका के न रहने पर जमीन पर भाई एवं भतीजे के अधिकार की संभावना है।

प्रश्न 26. हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो काका की स्थिति महत्त्वपूर्ण पात्र की होती। वे समाचार पत्र की सुर्खियों में होते और दूरदर्शन के माध्यम से वे ख्याति अर्जित कर लेते उनकी सहायता करने के लिए समाजसेवी संस्थाएँ, राजनैतिक पार्टियाँ आगे आ जातीं। देश-प्रदेश में हरिहर काका से सम्बन्धित समाचार सुनाई देते। उनके साथ क्रूरतापूर्ण अमानवीय व्यवहार करने वाले महंत एवं परिवारीजन कानूनी दृष्टि से अपराधी के रूप में जेल में होते। हर समाचार एजेन्सी काका से मिलने और उनका साक्षात्कार छापने के लिए गाँव में घूम रही होती।

प्रश्न. 27.‘हरिहर काका’ कहानी पढ़ने के बाद महंतों और नेताओं के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है। हरिहर काका को छुड़ाया न गया होता तो क्या होता ?
उत्तर: ‘हरिहर काका’ कहानी पढ़ने के बाद महन्तों और नेताओं के बारे में यह धारणा बनती है कि आज के नेता और महंत दोनों ही स्वार्थी हैं। वे कार्य के पूरा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। साथ ही साथ वे कई षड्यंत्र रचते हैं। वे लोगों को अपनी बात मनवाने के लिए बहलाते-फुसलाते हैं, उनके साथ जबर्दस्ती करते हैं। वे धोखेबाज व षड्यंत्रकारी हो जाते हैं यदि हरिहर काका को नहीं छुड़ाया जाता तो वे अपने जीवन से हाथ धो लेते और इन महन्तों के स्वार्थ की भेंट चढ़ जाते। शायद इस बात का किसी को पता भी नहीं चल पाता।

प्रश्न. 28. हरिहर काका को अपनी जायदाद के विषय में क्या निर्णय लेना चाहिए था ?
उत्तर: हरिहर काका के पास 15 बीघे खेत था जो उनके उत्तराधिकारी के अभाव में उनके लिए जी का जंजाल बन गया। उनके भाई, महंत, नेता आदि सभी उन पर अपनी जायदाद उनके नाम करने के लिए तरह-तरह के दबाव बनाने लगे। वे उन्हें तरह-तरह से प्रताड़नाएँ देने लगे यहाँ तक कि इस जायदाद के कारण उनकी जान पर भी आ बनी। अनपढ़ होने के बावजूद हरिहर काका को इतनी समझ थी कि यदि वह अपने जीते जी अपनी जायदाद यदि किसी के नाम लिख देंगे तो उनकी हालत भी गाँव के उन लोगों के समान हो जाएगी जिनका जीवन इसी गलती के कारण नरकमय हो गया था। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए हरिहर काका को पहले से ही कानूनी तौर पर अपनी वसीयत बना लेनी चाहिए थी जिसमें उन्हें स्पष्ट रूप से यह लिखवा देना चाहिए था कि जो उनकी सेवा और सुश्रुषा करेगा वही उनके खेतों से आने वाली आय को अपने पास रखेगा और जो किसी भी भाँति उन्हें प्रताड़ित करने का प्रयास करेगा उसका इस पर कोई हक न होगा और साथ ही खेतों को अपने जीवनकाल तक अपने नाम पर ही लिखे रह देना चाहिए था। साथ ही अपनी वसीयत में यह स्पष्ट कर देना
चाहिए कि उनकी मृत्यु के पश्चात् उनकी जायदाद को उनके भाई-भतीजों में बराबर बाँट दिया जाएगा किन्तु ऐसा तभी सम्भव होगा जब वे उनकी सेवा करेंगे। अन्यथा उनकी समस्त जायदाद सरकारी खजाने में जमा हो जाएगी। इसके परिणामस्वरूप ही हरिहर काका एक सुखी और शांत जीवन व्यतीत कर पाते।

प्रश्न. 29. ‘हरिहर काका’ पाठ की कथा को संक्षेप में लिखकर बताइए कि हमारे देश के सच्चे भ्रातृ-प्रेम जैसे आदर्श को किस कारण क्षति पहुँच रही है ? आप इसे कहाँ तक समाज के लिए अहितकर मानते हैं? लिखिए। 

उत्तर: घर में चार भाई हैं। आपस में बहुत ही प्यार है। परन्तु घर की नारियों पर बहुत ही नियन्त्रण तथा देख-रेख है, घर में दूरदर्शिता का अभाव अधिक है जिसके कारण घर में विग्रह की स्थिति आ गयी है। धन के लालची होने के कारण रिश्तों को भी भूल गये हैं तथा घर की प्रतिष्ठा भी चैपट होती जा रही है। चारों तरफ उनकी निंदा हो रही है। किसी को भी धन के लालच के सिवा कोई अन्य काम नहीं है। सभी हाथ-पर हाथ रखे बैठे रहते हैं। सभी का हृदय भी दुःखी रहता है और सभी तरह घर-बाहर लोक व समाज की हानि होती है। अतः हमारा प्रेम से ही तथा समझदारी से कार्य करना श्रेयस्कर है।

प्रश्न. 30. अंत में हरिहर काका द्वारा जमीन के सन्दर्भ में लिया जाने वाला निर्णय क्या था और वह परिवार के मूल्यों को किस परिस्थिति में प्रभावित करता है और कैसे? यह स्थिति हर व्यक्ति को क्या संदेश प्रदान करती है? 

उत्तर:

  • जीते जी जमीन किसी को न देने का निर्णय।
  • विद्यार्थियों के तर्क के आधार पर मूल्यांकन।

व्याख्यात्मक हल:
अंत में हरिहर काका ने अपने जीते जी अपनी जमीन किसी को भी न देने का निर्णय लिया। यह सुनकर उनके भाइयों का व्यवहार  उनके प्रति पूरी तरह बदल गया। उन्होंने हरिहर काका को महंत से भी अधिक यातनाएँ दीं यहाँ तक कहने लगे कि जमीन नाम कर दो नहीं तो मार कर घर में गाड़ देंगे। उनका निर्णय रिश्तों में छिपी स्वार्थ और धनलोलुपता की भावना को दर्शाता है। हमारे अपने भी स्वार्थ और लोभ-लालच में आकर अपने ही भाई-बन्धु की जान के पीछे पड़ जाते हैं। उसके अपने ही परिवार के सदस्य उसकी मृत्यु की प्रतीक्षा करने लगते हैं। हरिहर काका की यह स्थिति समाज के हर बुर्जुग को यह संदेश देती है कि कभी भी अपने जीते जी अपनी सम्पत्ति किसी को नहीं सौंपनी चाहिए अन्यथा उनका जीवन जीते जी नरक के समान हो जाएगा और यदि फिर भी परिवार के सदस्य बुरा व्यवहार करें तो कानून की मदद लेनी चाहिए।

लेखक की हरिहर काका के प्रति आसक्ति के क्या कारण थे?

लेखक का हरिहर काका के प्रति जो प्यार था उसके दो कारण थे। उनमें से पहला कारण था कि हरिहर काका लेखक के पड़ोसी थे और दूसरा कारण लेखक को उनकी माँ ने बताया था कि हरिहर काका लेखक को बचपन से ही बहुत ज्यादा प्यार करते थे। वे लेखक को अपने कंधे पर बैठा कर घुमाया करते थे

हरिहर काका और लेखक के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण है?

Solution : कथावाचक और हरिहर काका के बीच गहरा प्रेम और स्नेह का सबंध था। हरिहर काका कथावाचक के पड़ोसी थे, उन्होंने कथावाचक को पिता की तरह प्यार दिया था और बचपन में अपने कंधे पर बैठाकर गाँव में घुमाया करते थे। लेखक हरिहर काका से कुछ नहीं छिपाते थे। यही कारण है कि दोनों में उमर का अंतर होते हुए भी मित्रता हो गई थी।

हरिहर काका की कहानी का उद्देश्य क्या है?

हरिहर काका की कहानी के उद्देश्य है: समाज की बिगड़ती दशा तथा परिवार और धर्म में बढ़ रहे लालच के प्रति लोगों को सचेत करना। समाज में बढ़ रहा लालच आज सबको खोखला बना रहा है। किसी को रिश्तों की परवाह नहीं है। अतः लेखक लोगों को सचेत करना करना चाहता है ताकि कोई फायदा न उठा पाए।

हरिहर काका के जीवन में आई कठिनाइयों का मूल कारण क्या था ऐसी सामाजिक समस्या के समाधान के क्या उपाय हो सकते हैं?

Solution : हरिहर काका के जीवन में कठिनाइयों का मूल कारण 15 बीघा जमीन थी। समाज में रिश्तों की बहुत अहमियत होती है। आज के समय में स्वार्थ और लालच बढ़ता जा रहा है। चूँकि काका को औलाद नहीं थी इसलिए समाज व उनके भाई उनके हिस्से की ज़मीन हड़पने की कोशिश करते थे।