ऐसी नदियाँ जिनका उद्गम या विलीन अथवा दोनों राजस्थान में ही है वे नदियां इस तंत्र के अंतर्गत आती है। वे नदियां किसी और नदी की सहायक नदी भी नहीं है। Show
घग्घर नदीराजस्थान की आन्तरिक प्रवाह की सर्वाधिक लम्बी नदी घग्घर नदी उदगम हिमांचल प्रदेश में कालका के निकट शिवालिका की पहाडि़यों से होता है। यह नदी पंजाब व हरियाणा में बहकर हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी नामक स्थान पर प्रवेश करती है और भटनेर दुर्ग के पास जाकर समाप्त हो जाती है। बाढ़ की स्थिति में यह नदी गंगानगर जिले
में प्रवेश करती है और सुरतगढ़ अनुपगढ़ में बहती हुई पाकिस्तान के बहावलपुर जिले में प्रवेश करती है। और अन्त में फोर्ट अब्बास नामक स्थान पर समाप्त हो जाती है। थार के रेगिस्तान को पाकिस्तान में बोलिस्तान कहते है। इस नदी की कुल लम्बाई 465 कि.मी. है। यह नदी प्राचीन सरस्वती नदी की धारा है। वैदीक काल में इसे द्वषवती नदी कहते है। कालीबंगा सभ्यता का विकास5000 वर्ष पूर्व इस नदी
के तट पर कालिबंगा सभ्यता विकसित हुई। इस नदी के कारण हनुमानगढ़ राजस्थान का धान का कटोरा कहा जाता है। यह राजस्थान की एकमात्र अन्तर्राष्टीय नदी है। कांतली नदीशेखावाटी क्षेत्र की एकमात्र नदी कांतली नदी का उद्गम सीकर जिले में खण्डेला की पहाडि़यों से होता है। यह नदी झुनझुनू जिले को दो भागों में बांटती है। सीकर जिले को इस नदी का बहाव क्षेत्र तोरावाटी बेसिन कहलाता है। यह नदी 100 कि.मी. लम्बी है और झुनझुनू व चुरू जिले की सीमा पर समाप्त हो जाती है। गणेश्वर सभ्यता का विकासलगभग 5000 वर्ष पूर्व सीकर जिले मे इस नदी के तट पर गणेश्वर सभ्यता का विकास हुआ। जहां से मछ़ली पकडने के 400 कांटे प्राप्त हुए है। काकनेय नदीआन्तरिक प्रवाह की सबसे छोटी नदी काकनेय काकनी नदी का उद्गम जैसलमेर जिले में कोटड़ी गांव में होता है। यह नदी उत्तर-पश्चिम में बुझ झील में जाकर समापत हो जाती है। किंतु यह मौसमी नदी अत्यधिक वर्षा मे मीडा खाड़ी में अपना जल गिराती है। स्थानीय लोग इसे मसूरदी कहते है। इस नदी कुल लम्बाई 17 कि.मी है। साबी नदीसाबी नदी का उद्गम जयपुर जिले में सेवर की पहाडि़यों से होता है। यह नदी उतर-पूर्व की ओर बहकर अलवर जिले में बहती है और हरियाणा के गुड़गांव जिले नजफरगढ़ के समीप पटौती में जाकर समाप्त होती है। रूपारेल नदीयह नदी अलवर जिले के उदयनाथ पहाड़ी से निकलती है , कुसलपुर (भरतपुर) में समाप्त हो जाती है। रूपारेला नदी भरतपुर की जीवन रेखा है। मैन्था नदीयह नदी जयपुर के मनोहरथाना से निकलती है सांभर झील में विलन हो जाती है। रूपनगढ़ नदीयह सलेमाबाद(अजमेर) से निकलती है और सांभर के दक्षिण में विलन हो जाती है। इस नदी के किनारे निम्बार्क सम्प्रदाय की पीठ है। Rivers of Rajasthan , राजस्थान की नदियां, Rivers of Rajasthan Notes in Hindi PDF, Rajasthan ki Nadiya, राजस्थान का अपवाह तंत्र, Rajasthan ka Apavaah Tantr
राजस्थान में तीन प्रकार का नदी तंत्र है (A) आंतरिक प्रवाह तंत्र (A) आंतरिक प्रवाह तंत्र● वे नदियां जिनका उद्गम स्थल निश्चित होता है परंतु समाप्ति स्थल निश्चित नहीं होता है Must Read These Article
1. घग्घर नदीअन्य नाम – दृषवती नदी, मृत नदी, प्राचीन सरस्वती नदी 2. कांतली नदीउद्गम स्थल – खंडेला की पहाड़ियां 3. काकनेय नदीअन्य नाम – मसुरदी नदी 4. साबी नदीउद्गम – सेवर की पहाड़ियां (जयपुर) 5. रूपारेल नदीउपनाम – वराह नदी, लसावरी नदी, रूपनारायण नदी 6. रूपनगढ़ नदीउद्गम – सलेमाबाद (अजमेर) 7. मंथा नदीअन्य नाम – मेढा नदी, मंदा नदी, मढ़ाई नदी घग्घर दो आब प्रदेश – गंगानगर तथा हनुमानगढ़ में घग्घर एवं सतलज नदियों के मध्य स्थित उपजाऊ क्षेत्र जहां रेवेरिना मृदा का विस्तार है तथा गेहूं उत्पादक क्षेत्र है (B) अरब सागर नदी तंत्र◆ वे नदियां जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपना जल अरब सागर में ले जाती हैं अरब सागरीय नदी तंत्र कहलाता है अरब सागरीय नदी तंत्र की नदियां 1. माही नदीअन्य नाम – आदिवासियों की गंगा, कांठल की गंगा, दक्षिणी राजस्थान की गंगा सहायक नदियां(i) एराव नदीउद्गम स्थल – विंध्याचल पर्वत (मध्यप्रदेश) (ii) अनास नदीउद्गम
स्थल – आम्बोर ग्राम की पहाड़ियां (मध्य प्रदेश) (iii) जाखम नदीउद्गम
स्थल – भंवरमाता की पहाड़ियां, जाखमिया गांव (प्रतापगढ़) (iv) सोम नदीउदगम स्थल – बीछा मेड़ा की पहाड़ियां, उदयपुर परियोजना (A) सोमकागदर परियोजना – सोम नदी – उदयपुर ● माही में मिलने वाली नदियों का सही क्रम :- एराव > लाखन > चाप > सोम > जाखम > मोरेन > अनास 2. लूनी नदीअन्य नाम – लवणवति, सागरमती (प्रारम्भिक नाम), अन्तः सलिला (कालिदास), मरुदव्रथा (वैदिक साहित्य), आधी खारी – आधी मीठी नदी। विशेषता :- सहायक नदियां(i) लीलणी
नदी :- लूनी नदी में सबसे पहले मिलने वाली सहायक नदी। (vii) जवाई नदी :- लूनी की सबसे लंबी सहायक नदी। 3. पश्चिमी बनास नदीउदगम स्थल – नया सनवाड़ (सिरोही) 4. साबरमती नदीउदगम स्थल – अरावली की पहाड़ियां परियोजना – ● देवास जल सुरंग – उदयपुर (राजस्थान की सबसे लंबी जल सुरंग – 11.2 KM) (C) बंगाल की खाड़ी नदी तंत्र● वे नदियाँ जो अपना जल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बंगाल की खाड़ी में ले जाती है। 1. बाण गंगा नदीअन्य नाम – अर्जुन की गंगा, रुण्डित नदी 2. बनास नदीअन्य नाम – वन की आशा परियोजना 1.नन्द
समन्द परियोजना – बनास नदी – राजसमन्द (i). बेड़च नदीअन्य
नाम – आहड़ नदी, आयड़ नदी (ii). मेनाल नदीउदगम स्थल – बेंगू (भीलवाड़ा) (iii). कोठारी नदीउदगम स्थल – दिवेर की पहाड़ियां (राजसमन्द) (iv). खारी नदीउदगम स्थल – विजराल ग्राम की पहाड़ियां (राजसमन्द) 3. चम्बल नदीअन्य नाम – चर्मवती, राजस्थान की कामधेनु विशेषता – ★ चम्बल की सहायक नदियों का सही क्रम :- शिप्रा नदी > बामनी नदी > कुराल नदी > काली सिंध नदी > सीप /बनास नदी > पार्वती नदी ★ पूर्व से पश्चिम चम्बल में मिलने वाली सहायक नदियों का सही क्रम :- पार्वती नदी > काली सिंध नदी > शिप्रा नदी > बामनी नदी > कुराल नदी > बनास नदी ★ चम्बल नदी में दांयी ओर से मिलने वाली सहायक नदियां :- (i) पार्वती नदीउदगम – सेहोर क्षेत्र, मध्यप्रदेश (ii) काली सिंध नदीउदगम – बागली ग्राम की पहाड़ियां (मध्यप्रदेश) परियोजना – (iii) परवन नदीउदगम स्थल – मालवा का पठार, मध्यप्रदेश परियोजना – (iv) आहू नदीउदगम स्थल – सूसनेर, मध्यप्रदेश (v) बामनी नदीउदगम स्थल – हरिपुरा की पहाड़ियां, चितौड़गढ़ ★ सतही जल की दृष्टि से राजस्थान की नदियों (Rivers of Rajasthan) का सही क्रम :- चम्बल > बनास > माही > लूनी > साबरमती ★ जल की उपलब्धता की दृष्टि से नदियों का सही कर्म :- चम्बल > बनास > माही > लूनी > साबरमती ★ जल की उपयोगिता की दृष्टि से नदियों का सही क्रम :- चम्बल > बनास > माही > साबरमती > लूनी ★ राजस्थान में जल ग्रहण की दृष्टि से नदियों का सही क्रम :- बनास > लूनी > चम्बल > माही राजस्थान में जल प्रपात(i) चूलिया जलप्रपात – चम्बल नदी – चितौड़गढ़ राजस्थान में त्रिवेणी संगम● सोम – माही – जाखम – डूंगरपुर राजस्थान में जल दुर्ग● गागरोन दुर्ग – कालीसिंध-आहू नदी – झालावाड़ कौनसी नदी का अपना सम्पूर्ण प्रवाह राजस्थान में ही सीमित है?⇨ कांतली नदी का उद्गम सीकर जिले में स्थित खण्डेला की पहाड़ियों से होता है । कांतली नदी की कुल लम्बाई 100 किलोमीटर है। ⇨ पूर्णतः बहाव की दृष्टि से कांतली नदी राजस्थान में बहने वाली आन्तरिक प्रवाह प्रणाली वाली सबसे लम्बी नदी है । नोट :- इस नदी का प्रवाह क्षेत्र “तोरावाटी' कहलाता है ।
राजस्थान के आंतरिक प्रवाह क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी कौन सी है?कुल ल. : 465 कि. मी. राजस्थान की आन्तरिक प्रवाह की सर्वाधिक लम्बी नदी घग्घर नदी उद्गम हिमांचल प्रदेश में कालका के निकट शिवालिका की पहाडि़यों से होता है। यह नदी पंजाब व हरियाणा में बहकर हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी नामक स्थान पर प्रवेश करती है और भटनेर दुर्ग के पास जाकर समाप्त हो जाती है।
राजस्थान की मुख्य नदी कौन है?आंतरिक प्रवाह की नदियाँ - घग्घर, कांतली, काकनी, साबी, मेंथा, रूपनगढ़, रूपारेल, सागरमती आदि । अरब सागर की नदियाँ - लूणी, माही, सोम, जाखम, साबरमती, पश्चिमी बनास, सूकडी, जवाई, जोजडी, मीठडी आदि ।
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