लोक-कल्याणकारी राज्य Show लोक-कल्याणकारी राज्य के लक्षण या विशेषताएँ या उद्देश्य 2. राजनीतिक सुरक्षा की व्यवस्था – लोक-कल्याणकारी राज्य की दूसरी विशेषता राजनीतिक सुरक्षा की व्यवस्था कही जा सकती है। इस प्रकार की व्यवस्था की जानी चाहिए कि राजनीतिक शक्ति सभी व्यक्तियों में निहित हो और ये अपने विवेक के आधार पर इस राजनीतिक शक्ति का प्रयोग कर सकें। इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु निम्नलिखित बातें आवश्यक हैं- 3. सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था – सामाजिक सुरक्षा का तात्पर्य सामाजिक समानता से है। और इस सामाजिक समानता की स्थापना के लिए आवश्यक है कि धर्म, जाति, वंश, रंग और सम्पत्ति के आधार पर उत्पन्न भेदों का अन्त करके व्यक्ति को व्यक्ति के रूप में महत्त्व प्रदान किया जाए। डॉ० बेनी प्रसाद के शब्दों में, “सामाजिक समानता का सिद्धान्त इस मान्यता पर आधारित है कि प्रत्येक व्यक्ति के सुख का महत्त्व हो सकता है तथा किसी को भी अन्य किसी के सुख का साधनमात्र नहीं समझा जा सकता है। वस्तुत: लोक-कल्याणकारी राज्य में जीवन के सभी पक्षों में समानता के सिद्धान्त को प्रतिष्ठित किया जाना चाहिए। लोक कल्याणकारी राज्य से आप क्या समझते?“लोक-कल्याणकारी राज्य वह राज्य है जो अपने नागरिकों के लिए व्यापक सामाजिक सेवाओं की व्यवस्था करता है। इन समाजसेवाओं के अनेक रूप होते हैं। इनके अन्तर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार तथा विद्धावस्था में पेंशन आदि की व्यवस्था होती है। इनका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सभी प्रकार की सुरक्षा प्रदान करना होता है।" ..
लोक कल्याण से आप क्या समझते हैं?इस परिभाषा से यह स्पष्ट है कि लोक कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य जनता के संपूर्ण विकास तथा सामाजिक आर्थिक तथा राजनीतिक न्याय की स्थापना करते हुए अवसर तथा प्रतिष्ठा की समानता स्थापित करना है। यह व्यवस्था समाज आधारित व्यवस्था है जहां व्यक्ति नहीं बल्कि समाज लोकनीति के केंद्र में होता है।
क्या भारत एक लोक कल्याणकारी राज्य है?लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा राज्य के कार्य क्षेत्र का एक आधुनिक सिद्धान्त है। यह शब्द सामान्यतः उस राज्य के लिए अपनाया जाता है जो अपने नागरिकों के लिए केवल न्याय सुरक्षा तथा आन्तरिक व्यवस्था करके ही संतोष नहीं कर लेता, अपितु उनके कल्याण की अभिवृद्धि के लिए जीवन के समस्त आयामों के विकास पर बल देता है।
लोक कल्याणकारी राज्य की कौन सी विशेषता नहीं है?लोक कल्याणकारी राज्य आर्थिक शक्ति को एक वर्ग के हाथों मे केन्द्रीत होने के पक्ष मे नही है क्योंकि आर्थिक शक्ति के केन्द्रीत होने से आम जनता का शोषण और उत्पीड़न प्रारंभ हो जाता है। लोक कल्याणकारी राज्य राजनीतिक शक्ति को भी जनसाधारण के हित मे प्रयुक्त करने का समर्थक है।
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