धर्म के व्यवस्थापकों तथा आचार्यों के निवास के लिऐ मठों का निर्माण किये जाने की परम्परा प्राचीन है। इस प्रकार के मठ जन-कोलाहल से दूर निर्जन तथा एकान्त स्थानों पर बनाये जाते थे। सम्भवत: मठों की कल्पना बौद्ध धर्म की देन है। बौद्ध भिक्षुओं के भिक्षाटन को रोकने के लिऐ बौद्ध मठों व विहारों का निर्माण किया गया और इन संस्थाओं को दान देने की परम्परा प्रारम्भ की गयी। यह परम्परा ही कालान्तर में मठ के रूप में विकसित हुई प्रतीत होती है। समय के साथ-साथ बौद्ध मत में महासुख की कल्पना का प्रवेश हुआ। यह कल्पना शक्ति मत से बहुत अधिक साम्य रखती है। कालान्तर में शाक्त तथा बौद्ध मतों में भेद समाप्त होता गया तथा शिव-शक्ति के मिलन की कल्पना व्यापकता पा गयी। भिक्षुगण आध्यात्मिक तथा शैक्षिण विषयों को छोडक़र तंत्र तथा महासुख की कल्पना में लीन हो गये। Show प्रमुख भिक्षुगण दान दी गई सम्पत्ति को अपने अधिकार में लेने का हरसम्भव प्रयास करने लगे। कालान्तर में व्यक्तिगत पद का लाभ उठाकर ये भिक्षुगण समस्त सम्पत्ति को अपने आधिपत्य में कर उस संस्था (मठ) के स्वामी बन बैठे। प्रधान अधिकारी मठाधीश के रूप में कार्य करने लगे। बौद्ध, शैव तथा शाक्त मत इस प्रकार मिश्रित धर्म बन गये थे और उनमें स्थूल विभेद करना ही कठिन हो गया था। शैव साधु तथा मंत्रयानी भिक्षुओं में कोई अन्तर नहीं रहा। बौद्ध परम्परा में शनै:शनै: प्रवेश हुई बुराईयाँ कुछ समय पश्चात् जीवित रही। ऐसा लगता है कि उसका अस्तित्व शैवमत में विलीन हो गया। वर्तमान समय में मठाधीश शैव मतानुयायी माने जाते हैं।
Continue ReadingPrevious कश्मीरी आतंकवाद : अध्याय 10 (2) आतंकी शासन की फिर हुई स्थापना Next इस तरह आजादी के 28 साल बाद सिक्कम बना देश का हिस्सा मठ का सही अर्थ क्या है?मठ का अर्थ ऐसे संस्थानो से है जहां इसके गुरू अपने शिष्यों को शिक्षा, उपदेश इत्यादि प्रदान करता है। ये गुरू प्रायः धर्म गुरु होते है इनके द्वारा दी गई शिक्षा मुख्यतः आध्यात्मिक होती है पर ऐसा हमेशा नही होता। एक मठ में इन कार्यो के अतिरिक्त सामाजिक सेवा, साहित्य इत्यादि से सम्बन्धित कार्य भी होते हैं।
भारत में मठ कितने हैं?माना जाता है कि देश में चार मठों के चार शंकराचार्य होते हैं. इस पद की शुरुआत आदि शंकराचार्य से मानी जाती है. आदि शंकराचार्य एक हिंदू दार्शनिक और धर्मगुरु थे, जिन्हें हिंदुत्व के सबसे महान प्रतिनिधियों में एक के तौर पर जाना जाता है.
चार मठ कौन कौन से हैं?आइए जानते हैं आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित इन मठों के बारे में.... श्रृंगेरी मठ: श्रृंगेरी शारदा पीठ भारत के दक्षिण में रामेश्वरम् में स्थित है. ... . गोवर्धन मठ: गोवर्धन मठ उड़ीसा के पुरी में है. ... . शारदा मठ: द्वारका मठ को शारदा मठ के नाम से भी जाना जाता है. ... . ज्योतिर्मठ: ज्योतिर्मठ उत्तराखण्ड के बद्रिकाश्रम में है.. आदि शंकराचार्य ने कितने मठ स्थापित किए?आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म की प्रतिष्ठा के लिए भारत के चार क्षेत्रों में चार मठ स्थापित किये. चारों मठों में प्रमुख को शंकराचार्य कहा गया. इन मठों की स्थापना करके आदि शंकराचार्य ने उन पर अपने चार प्रमुख शिष्यों को आसीन किया.
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