नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी कौन सी है? - narmada nadee kee sabase lambee sahaayak nadee kaun see hai?

नर्मदा नदी
रेवा
River

नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी कौन सी है? - narmada nadee kee sabase lambee sahaayak nadee kaun see hai?

नर्मदा नदी संगमरमर की चट्टानों के बीच, भेड़ाघाट जबलपुर

देश
नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी कौन सी है? - narmada nadee kee sabase lambee sahaayak nadee kaun see hai?
 
भारत
राज्य मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात
उपनदियाँ
 - बाएँ बरनार, बंजर, शेर, शक्कर, दूधी, तवा, गंजाल, छोटी तवा, कुन्दी, देव, गोई
 - दाएँ हिरन, तिन्दोली, बरना, चोरल, कानर, मान, ऊटी, हथनी
शहर अमरकंटक, डिण्डौरी, मंडला, होशंगाबाद, बड़वाह, rupa bardi, बड़वानी, महेश्वर, ओंकारेश्वार खंडवा , बड़ोदरा, राजपीपला, धर्मपुरी, भरुच
स्रोत नर्मदा कुंड अमरकंटक
 - स्थान अनूपपुर जिला मध्यप्रदेश, भारत
 - ऊँचाई 1,048 मी. (3,438 फीट)
 - निर्देशांक 22°40′0″N 81°45′0″E / 22.66667°N 81.75000°E
मुहाना खम्भात की खाड़ी (अरब सागर)
 - स्थान भरूच जिला गुजरात, भारत
 - ऊँचाई 0 मी. (0 फीट)
 - निर्देशांक 21°39′3.77″N 72°48′42.8″E / 21.6510472°N 72.811889°E
लंबाई 1,312 कि.मी. (815 मील)
जलसम्भर 93,180 कि.मी.² (35,977 वर्ग मील)

नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी कौन सी है? - narmada nadee kee sabase lambee sahaayak nadee kaun see hai?

नर्मदा और भारत की अन्य नदियाँ

नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी कौन सी है? - narmada nadee kee sabase lambee sahaayak nadee kaun see hai?

नर्मदा नदी का प्रवाह क्षेत्र

नर्मदा, जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है। यह अपने उद्गम से पश्चिम की ओर 1,312 किमी चल कर खंभात की खाड़ी, अरब सागर में जा मिलती है। रुपाबैड़ी नाम के गांव के पास मां नर्मदा और चोरल नदी का संगम स्थित है।

नर्मदा, मध्य भारत के मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। मैकल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है। इसकी लम्बाई प्रायः 1312 किलोमीटर है। यह नदी पश्चिम की तरफ जाकर खम्बात की खाड़ी में गिरती है।

उद्गम एवं मार्ग[संपादित करें]

नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी कौन सी है? - narmada nadee kee sabase lambee sahaayak nadee kaun see hai?

नदी का उद्गम स्थल, नर्मदा कुंड, अमरकंटक

नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी कौन सी है? - narmada nadee kee sabase lambee sahaayak nadee kaun see hai?

नर्मदा नदी के साथ संगमरमर की चट्टाने

नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी कौन सी है? - narmada nadee kee sabase lambee sahaayak nadee kaun see hai?

महेश्वर के किनारे नर्मदा का दृश्य

नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी कौन सी है? - narmada nadee kee sabase lambee sahaayak nadee kaun see hai?

नर्मदा नदी भेड़ाघाट में संगमरमर की चट्टानों के एक कण्ठ के माध्यम से बहती हुई

नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी कौन सी है? - narmada nadee kee sabase lambee sahaayak nadee kaun see hai?

ओंकारेश्वार में नर्मदा नदी

नर्मदा नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वतश्रेणियों के पूर्वी संधिस्थल पर स्थित अमरकंटक में नर्मदा कुंड से हुआ है। नदी पश्चिम की ओर सोनमुद से बहती हुई, एक चट्टान से नीचे गिरती हुई कपिलधारा नाम की एक जलप्रपात बनाती है। घुमावदार मार्ग और प्रबल वेग के साथ घने जंगलो और चट्टानों को पार करते हुए रामनगर के जर्जर महल तक पहुँचती हैं। आगे दक्षिण-पूर्व की ओर, रामनगर और मंडला (25 किमी (15.5 मील)) के बीच, यहाँ जलमार्ग अपेक्षाकृत चट्टानी बाधाओं से रहित सीधे एवं गहरे पानी के साथ है। बंजर नदी बाईं ओर से जुड़ जाता है। नदी आगे एक संकीर्ण लूप में उत्तर-पश्चिम में जबलपुर पहुँचती है। शहर के करीब, नदी भेड़ाघाट के पास करीब 9 मीटर का जल-प्रपात बनाती हैं जो की धुआँधार के नाम से प्रसिद्ध हैं, आगे यह लगभग 3 किमी तक एक गहरी संकीर्ण चैनल में मैग्नीशियम चूनापत्थर और बेसाल्ट चट्टानों जिसे संगमरमर चट्टान भी कहते हैं के माध्यम से बहती है, यहाँ पर नदी 80 मीटर के अपने पाट से संकुचित होकर मात्र 18 मीटर की चौड़ाई के साथ बहती हैं। आगे इस क्षेत्र से अरब सागर में अपनी मिलान तक, नर्मदा उत्तर में विंध्य पट्टियों और दक्षिण में सतपुड़ा रेंज के बीच तीन संकीर्ण घाटियों में प्रवेश करती है। घाटी का दक्षिणी विस्तार अधिकतर स्थानों पर फैला हुआ है।

संगमरमर चट्टानों से निकलते हुए नदी अपनी पहली जलोढ़ मिट्टी के उपजाऊ मैदान में प्रवेश करती है, जिसे "नर्मदाघाटी" कहते हैं। जो लगभग 320 किमी (198.8 मील) तक फैली हुई है, यहाँ दक्षिण में नदी की औसत चौड़ाई 35 किमी (21.7 मील) हो जाती है। वही उत्तर में, बर्ना-बरेली घाटी पर सीमित होती जाती है जो की होशंगाबाद के बरखरा पहाड़ियों के बाद समाप्त होती है। हालांकि, कन्नोद मैदानों से यह फिर पहाड़ियों में आ जाती हैं। यह नर्मदा की पहली घाटी में है, जहां दक्षिण की ओर से कई महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ आकर इसमें शामिल होती हैं और सतपुड़ा पहाड़ियों के उत्तरी ढलानों से पानी लाती हैं। जिनमे: शेर, शक्कर, दुधी, तवा (सबसे बड़ी सहायक नदी) और गंजल साहिल हैं। हिरन, बारना, चोरल , करम और लोहर, जैसी महत्वपूर्ण सहायक नदियां उत्तर से आकर जुड़ती हैं।

हंडिया और नेमावर से नीचे हिरन जल-प्रपात तक, नदी दोनों ओर से पहाड़ियों से घिरी हुई है। इस भाग पर नदी का चरित्र भिन्न दिखाई देता है। ओंकारेश्वर द्वीप, जोकि भगवान शिव को समर्पित हैं, मध्य प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण नदी द्वीप है। सिकता और कावेरी, खण्डवा मैदान के नीचे आकर नदी से मिलते हैं। दो स्थानों पर, नेमावर से करीब 40 किमी पर मंधार पर और पंसासा के करीब 40 किमी पर ददराई में, नदी लगभग 12 मीटर (39.4 फीट) की ऊंचाई से गिरती है।

बड़वाह मे आगरा-मुंबई रोड घाट, राष्ट्रीय राजमार्ग 3, से नीचे नर्मदा बड़वाह मैदान में प्रवेश करती है, जो कि 180 किमी (111.8 मील) लंबा है। बेसिन की उत्तरी पट्टी केवल 25 किमी (15.5 मील) है। यह घाटी साहेश्वर धारा जल-प्रपात पर जा कर ख़त्म होती है।

मकरई के नीचे, नदी बड़ोदरा जिले और नर्मदा जिला के बीच बहती है और फिर गुजरात राज्य के भरूच जिला के समृद्ध मैदान के माध्यम से बहती है। यहाँ नदी के किनारे, सालो से बाह कर आये जलोढ़ मिट्टी, गांठदार चूना पत्थर और रेत की बजरी से पटे हुए हैं। नदी की चौड़ाई मकराई पर लगभग 1.5 किमी (0.9 मील), भरूच के पास और 3 किमी तथा कैम्बे की खाड़ी के मुहाने में 21 किमी (13.0 मील) तक फैली हुई बेसीन बनाती हुई अरब सागर में विलिन हो जाती है।

हिन्दू धर्म में महत्व[संपादित करें]

नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी कौन सी है? - narmada nadee kee sabase lambee sahaayak nadee kaun see hai?

नर्मदा, समूचे विश्व में दिव्य व रहस्यमयी नदी है,इसकी महिमा का वर्णन चारों वेदों की व्याख्या में श्री विष्णु के अवतार वेदव्यास जी ने स्कन्द पुराण के रेवाखंड़ में किया है। इस नदी का प्राकट्य ही, विष्णु द्वारा अवतारों में किए राक्षस-वध के प्रायश्चित के लिए ही प्रभु शिव द्वारा अमरकण्टक (जिला शहडोल, मध्यप्रदेश जबलपुर-विलासपुर रेल लाईन-उडिसा मध्यप्रदेश ककी सीमा पर) के मैकल पर्वत पर कृपा सागर भगवान शंकर द्वारा १२ वर्ष की दिव्य कन्या के रूप में किया गया। महारूपवती होने के कारण विष्णु आदि देवताओं ने इस कन्या का नामकरण नर्मदा किया। इस दिव्य कन्या नर्मदा ने उत्तर वाहिनी गंगा के तट पर काशी के पंचक्रोशी क्षेत्र में १०,००० दिव्य वर्षों तक तपस्या करके प्रभु शिव से निम्न ऐसे वरदान प्राप्त किये जो कि अन्य किसी नदी और तीर्थ के पास नहीं है :'

प्रलय में भी मेरा नाश न हो। मैं विश्व में एकमात्र पाप-नाशिनी प्रसिद्ध होऊँ, यह अवधि अब समाप्त हो चुकी है। मेरा हर पाषाण (नर्मदेश्वर) शिवलिंग के रूप में बिना प्राण-प्रतिष्ठा के पूजित हो। विश्व में हर शिव-मंदिर में इसी दिव्य नदी के नर्मदेश्वर शिवलिंग विराजमान है। कई लोग जो इस रहस्य को नहीं जानते वे दूसरे पाषाण से निर्मित शिवलिंग स्थापित करते हैं ऐसे शिवलिंग भी स्थापित किये जा सकते हैं परन्तु उनकी प्राण-प्रतिष्ठा अनिवार्य है। जबकि श्री नर्मदेश्वर शिवलिंग बिना प्राण के पूजित है। मेरे (नर्मदा) के तट पर शिव-पार्वती सहित सभी देवता निवास करें।

सभी देवता, ऋषि मुनि, गणेश, कार्तिकेय, राम, लक्ष्मण, हनुमान आदि ने नर्मदा तट पर ही तपस्या करके सिद्धियाँ प्राप्त की। दिव्य नदी नर्मदा के दक्षिण तट पर सूर्य द्वारा तपस्या करके आदित्येश्वर तीर्थ स्थापित है। इस तीर्थ पर (अकाल पड़ने पर) ऋषियों द्वारा तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर दिव्य नदी नर्मदा १२ वर्ष की कन्या के रूप में प्रकट हो गई तब ऋषियों ने नर्मदा की स्तुति की। तब नर्मदा ऋषियों से बोली कि मेरे (नर्मदा के) तट पर देहधारी सद्गुरू से दीक्षा लेकर तपस्या करने पर ही प्रभु शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। इस आदित्येश्वर तीर्थ पर हमारा आश्रम अपने भक्तों के अनुष्ठान करता है।

किंवदंती (लोक कथायें)[संपादित करें]

नर्मदा नदी को लेकर कई लोक कथायें प्रचलित हैं एक कहानी के अनुसार नर्मदा जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है और राजा मैखल की पुत्री है। उन्होंने नर्मदा से शादी के लिए घोषणा की कि जो राजकुमार गुलबकावली के फूल उनकी बेटी के लिए लाएगा, उसके साथ नर्मदा का विवाह होगा। सोनभद्र यह फूल ले आए और उनका विवाह तय हो गया। दोनों की शादी में कुछ दिनों का समय था। नर्मदा सोनभद्र से कभी मिली नहीं थीं। उन्होंने अपनी दासी जुहिला के हाथों सोनभद्र के लिए एक संदेश भेजा। जुहिला ने नर्मदा से राजकुमारी के वस्त्र और आभूषण मांगे और उसे पहनकर वह सोनभद्र से मिलने चली गईं। सोनभद्र ने जुहिला को ही राजकुमारी समझ लिया। जुहिला की नियत भी डगमगा गई और वह सोनभद्र का प्रणय निवेदन ठुकरा नहीं पाई। काफी समय बीता, जुहिला नहीं आई, तो नर्मदा का सब्र का बांध टूट गया। वह खुद सोनभद्र से मिलने चल पड़ीं। वहां जाकर देखा तो जुहिला और सोनभद्र को एक साथ पाया। इससे नाराज होकर वह उल्टी दिशा में चल पड़ीं। उसके बाद से नर्मदा बंगाल सागर की बजाय अरब सागर में जाकर मिल गईं।

एक अन्य कहानी के अनुसार सोनभद्र नदी को नद (नदी का पुरुष रूप) कहा जाता है। दोनों के घर पास थे। अमरकंटक की पहाडिय़ों में दोनों का बचपन बीता। दोनों किशोर हुए तो लगाव और बढ़ा। दोनों ने साथ जीने की कसमें खाई, लेकिन अचानक दोनों के जीवन में जुहिला आ गई। जुहिला नर्मदा की सखी थी। सोनभद्र जुहिला के प्रेम में पड़ गया। नर्मदा को यह पता चला तो उन्होंने सोनभद्र को समझाने की कोशिश की, लेकिन सोनभद्र नहीं माना। इससे नाराज होकर नर्मदा दूसरी दिशा में चल पड़ी और हमेशा कुंवारी रहने की कसम खाई। कहा जाता है कि इसीलिए सभी प्रमुख नदियां बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं,लेकिन नर्मदा अरब सागर में मिलती है।

ग्रंथों में उल्लेख[संपादित करें]

रामायण तथा महाभारत और परवर्ती ग्रंथों में इस नदी के विषय में अनेक उल्लेख हैं। पौराणिक अनुश्रुति के अनुसार नर्मदा की एक नहर किसी सोमवंशी राजा ने निकाली थी जिससे उसका नाम सोमोद्भवा भी पड़ गया था। गुप्तकालीन अमरकोशमें भी नर्मदा को 'सोमोद्भवा' कहा है। कालिदास ने भी नर्मदा को सोमप्रभवा कहा है। रघुवंश में नर्मदा का उल्लेख है। मेघदूत में रेवा या नर्मदा का सुन्दर वर्णन है। विश्व में नर्मदा ही एक ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है और पुराणों के अनुसार जहाँ गंगा में स्नान से जो फल मिलता है नर्मदा के दर्शन मात्र से ही उस फल की प्राप्ति होती है। नर्मदा नदी पुरे भारत की प्रमुख नदियों में से एक ही है जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

नर्मदा घाटी की सभ्यता एशिया महाद्वीप की प्राचीनतम सभ्यताओ में से एक और भारतीय उपमहाद्वीप की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यता का केंद्र रही हैं। यह नदी समुद्र में मिलने से पूर्व 1312 किलोमीटर लंबे रास्ते में मध्यप्रदेश , गुजराती एवं महाराष्ट्र के क्षेत्र से 95726 वर्ग किलोमीटर का पानी बहा ले जाती हैं। इसकी सहायक नदी की संख्या 41 है। 22 बाए किनारे पर और 19 दाए किनारे पर मिलती हैं।

नर्मदा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी कौन सी है?

सही उत्तर तवा है। तवा नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है। यह मध्य भारत की प्रमुख नदी है। यह बांद्राभान गाँव में नर्मदा नदी में मिलती है।

नर्मदा नदी की सहायक नदी कौन सी है?

नर्मदा नदी की मुख्य सहायक नदियाँ, हालन नदी, बंजार नदी, बरना नदी और तवा नदी मध्य भारत में जल, सिंचाई और अन्य संसाधन आधारित गतिविधियों का मुख्य स्रोत हैं। तवा नदी नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है। यह मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बांद्राभान में नर्मदा नदी में मिलती है।

नर्मदा की कुल सहायक नदियां कितनी है?

नर्मदा की सहायक नदियां.

नर्मदा नदी की जुड़वाँ नदी कौन सी है?

सही उत्‍तर ताप्ती है। ताप्ती नदी को तापी नदी के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रायद्वीपीय भारत की पश्चिम की ओर बहने वाली दूसरी सबसे बड़ी नदी है। इसे नर्मदा की 'जुड़वा' या 'दासी' के रूप में जाना जाता है