प्रभावी विज्ञापन की प्रमुख विशेषताएं क्या है? - prabhaavee vigyaapan kee pramukh visheshataen kya hai?

“विज्ञापन क्या है?” विज्ञापन (Advertising) एक ऐसा माध्यम है। जिसके द्वारा हम किसी वास्तु विशेष के प्रति उपभोक्ता को आकषिर्त करने का प्रयास करते हैं। जब आप सुबह-सुबह चाये की चुस्की लेते हैं। तभी आप समाचार-पत्र (Newspaper), टेलीविजन (Television) खोलते हैं। तभी ढेर सारी वस्तुओं, सेवाओं और विचारों का विज्ञापन (Advertising) दिखाना शुरू हो जाता हैं।

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‘विज्ञापन क्या है?‘ जब आप घर से जैसे ही पैर बहार के लिए निकलते हैं। वैसे ही आप विज्ञापन (Advertising) की दुनिया में प्रवेश हो जाते हैं। जैसे की- बड़ी इमारत पर लगी बड़ी सी पोस्टर जो विज्ञापन से भरा हुआ रहता हैं। जैसे – Vivo Y53, Nokia 6.1 आदि। चाये वाले की दुकान, कपडे की दुकान, रिक्क्सा वाला हर तरफ आपको विज्ञापन (Advertising) ही विज्ञापन नजर आते है।

विज्ञापन का अर्थ (Meaning of Advertising in Hindi)

अंग्रेजी में विज्ञापन के लिए ‘Advertising’ शब्द प्रयोग किया जाता है। Advertising लैटिन शब्द ‘Advertere’ से बना है। जिसका अर्थ ’मस्तिष्क का केन्द्रीभूत होना’ है। दूसरे शब्दों में कहे तो “मस्तिष्क को प्रभावित करना या किसी विशेष वस्तु व व्यक्ति विशेष के प्रति उपभोक्ता के मस्तिष्क को आकर्षित करने का प्रयास करना ही विज्ञापन है।” ‘वि’और ‘ज्ञापन’ इन दो शब्दों से मिलकर विज्ञापन बना है। ‘वि’ से तात्पर्य ‘विशेष’’ से तथा ‘ज्ञापन’ से आशय ‘ज्ञान कराना’ अथवा सूचना देना है। इस प्रकार ‘विज्ञापन’ शब्द का मूल अर्थ है “किसी तथ्य या बात की विशेष जानकारी अथवा सूचना देना।”

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विज्ञापन का परिभाषा (Definition of Advertising in Hindi)

1. स्टीफन ली काक के अनुसार

विज्ञापन बाजी एक ऐसा विज्ञान हैं। जिसके द्वारा उपभोक्ता के दिमाग पर तब तक जकड़ा रहता हैं। जब तक की उसकी जेब से पैसे न निकल जाएँ।

2. डॉ अर्जुन तिवारी के अनुसार

विज्ञापन मनमोहनी विक्रय कला हैं। जो विलासिता की वस्तु को आवश्यक बनती हैं।

3. रामचंद वर्मा के अनुसार

जिसके द्वारा कई लोगो तक महत्वपूर्ण बातों को पहुंचाया जाये जैसे- सूचना पत्र, पैम्पलेट, बिक्री आदि के माध्यम से जो सूचना लोगो  तक पहुंचाया जायेविज्ञापन कहलाता हैं।

4. डॉ. एम. बाउस के अनुसार

एक सीधी कार्यवाही को उकसाने के उद्देश्य से किसी संचार माध्यम में समय या स्थान की खरीद का नाम विज्ञापन हैं

5. रोजर रीवज के अनुसार

विज्ञापन एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति के दिमाग में एक विचार को स्थानांतरित करने की कला हैं

6. जेम्स – ए – लिटिलफिल्ड

विज्ञापन सूचना का जन-संचार हैं। जिसका उद्देश्य ग्राहकों को समझाना व जितना होता हैं। ताकि विज्ञापनकर्ता को अधिक से अधिक लाभ मिले।

7. वृहत्त हिन्दी कोष के अनुसार

विज्ञापन का अर्थ है-“समझना, सूचना देना, इश्तहार, निवेदन या प्रार्थना।”

8. फ्रैंक जेफकिन्स के अनुसार

क्रय और विक्रय योग्य वस्तुओं को जनता तक पहुंचाने के माध्यम को विज्ञापन माना है

9. इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार

किसी वस्तु के विक्रय अथवा किसी सेवा के प्रसार हेतु मूल्य चुका कर की गयी घोषणा ही विज्ञापन है।

विज्ञापन के प्रकार (Types of Advertisements in Hindi)

समाचारपत्रों में प्रकाशित होने वाले विविध विज्ञापनों को निम्नलिखित चार भागों में बता गया हैं। जो इस प्रकार हैं।

1. स्थानीय विज्ञापन

जहाँ पत्र का प्रकाशन होता हैं। उस जगह के आस-पास के नागरिकों को स्थानीय विज्ञापन द्वारा संदेश पहुचाया जाता हैं। जैसे – सिनेमा, होटल, नाटक, मनोरंजन, रेस्तरां और स्टोर्स सम्बन्धित विज्ञापन दिया जाता हैं।

2. राष्ट्रीय विज्ञापन

ऐसा विज्ञापन जो पुरे राष्ट्र के बाजार को ध्यान में रख कर विज्ञापन दिए जाते हो। जैसे – चाये, साबुन, बिमा, बैंको की सेवा, सिगरेट और सायकल का विज्ञापन।

3. वर्गीकृत विज्ञापन

टेंडर, नोटिस, कंपनी की सूचनाएं, विद्यालयों के प्रवेश सम्बन्धी और नौकरी-पेशे की सूचनाएँ वर्गीकृत विज्ञापन कहलाता हैं।

4. प्रदर्शन विज्ञापन

किसी सिद्धांत, निति, कार्यक्रम, संस्था एवं संगठन के प्रचार के संदेश ऐसे विज्ञापनों द्वारा प्रसारित होते हैं। जैसे – राष्ट्र की भावनात्मक एकता, अल्प बचत, परिवार नियोजन, स्वच्छता अभियान, पौधारोपण आदि।

प्रभावकता की दृष्टि से विज्ञापन के निम्नलिखित दो प्रकार हैं-

  1. विधेयात्मक या सकारात्मक विज्ञापन (Positive Advertisement)– उदहारण द्वारा समझे – पौ फटी, सुबह हुई बन्दर छाप काला दन्त मंजन, विक्स की गोली लो, खिचखिच दूर करो। आदि विधेयात्म विज्ञापन हैं।
  2. निषेधात्मक विज्ञापन (Prohibitive Advertisement)– उदाहरण – “फेराडोल” न लेंगे तो शरीर कमजोर होगा

विधि की दृष्टि से विज्ञापन के दो प्रकार हैं-

  1. तर्कयुक्त विज्ञापन (Logical Advertisement)– वस्तु को अपनाने, खरीदने के पक्ष में तर्क दिया जाता हैं। जैसे- दामों में हैं किफायती, पानी में रह कर भी ये कम गले और ढेरों कपड़ा धोए और जयादा चले।
  2. निर्देशयुक्त विज्ञापन (Directed Advertisement)– बौधिक पक्ष के आधार पर दिल को प्रभावित किया जाता हैं। उपयोग सम्बन्धी वस्तुएँ ‘लक्स’, ‘पॉन्ड्स’ में प्रसारित होते हैं।

विज्ञापन के प्रमुख कार्य (Function of Advertising in Hindi)

विज्ञापन के प्रमुख कार्य निम्न प्रकार हैं-

  • उपभोक्ता को नयी वस्तुओं और सेवाओं की सुचना देना
  • ग्राहक मे वस्तुओं के संबधं में व्याप्त भ्रातियों का निवारण करना।
  • वस्तुओ की मांग को बनाए रखना।
  • वर्तमान तथा भावी ग्राहकों को वस्तुओ तथा उनके निर्माताओं के संबंध में जानकारी देना।
  • उपभोक्ताओ में वास्तु के प्रति रूचि व विश्वास उत्पन्न करना।
  • नवीन वस्तु को बाजार में प्रविष्ट करना, उसमें जनता की रूचि जाग्रत करना तथा उसकी मॉंग में वृद्धि करना।
  • वस्तुओं के उयोग के बारे में ग्राहकों को जानकारी देना।
  • नकली वस्तुओं के प्रचलन के संबंध में ग्राहकों को सूचित करना।
  • खरीदने और अपनाने की प्रेरणा।

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विज्ञापन के उद्देश्य क्या है? (Advertising Objectives in Hindi)

विज्ञापन हमेश ही “लाभ” के उद्देश्य को लेकर ही चलते हैं। यूँ तो ज्यादातर यह लाभ प्रस्तुतकर्ता को वस्तु के बेचने से होने वाला मुनाफा ही होता हैं। पर कभी-कभी जन-जागरण, माहौल, सेवा के बारे में विचारधारा, सामाजिक बदलाव, वैचारिक उत्थान, सरकारी रीती-निति का प्रचार, राजनितिक लाभ आदि वृहद् उद्देश्यों के आधार पर भी विज्ञापन जारी किये जाते है। विज्ञापन का उद्देश्य इस प्रकार हैं।


  1. वस्तुुओं के बारे में जानकारी देना– विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य निर्मित वस्तुओं के संबंध में अधिक लोगों तक जानकारी पहुचना हैं। जब तक जनता यानि उपभोक्ता वस्तुओं के बारे में जानेगी नहीं तब तक वस्तुओं को बेचना मुश्किल है।
  2. मांग उत्पन्न करना– दूसरा उद्देश्य बाजार में वस्तु की मांग बढ़ाना है। बाजार में वस्तु की मांग तभी पैदा होगी। जब उपभोक्ताओं के सामने वस्तु का बार-बार विज्ञापन एवं प्रचार किया जाता है।जिससे जनता में उसे खरीदने की इच्छा जागृत होती है। सम्भवतः उसकी मांग बढ़ने लगती हैं।
  3. मांग में वृद्धि करना– वस्तु की मांग को बढ़ाने के लिए नए-नए ग्राहको को खोजकर वस्तु की मांग में वृद्धि करना भी है यह कार्य विज्ञापन के विविध साधनो के प्रयोगो द्वारा किया जा सकता है।
  4. ख्याति में वृद्धि करना– विज्ञापन के द्वारा वस्तु के साथ-साथ व्यवसाय में भी वृद्धि होती है। निरन्तर विज्ञापन करने से उत्पादन करने वाली संस्था का यस यानि प्रसिद्धी होती हैं और साथ ही जनता में उस संस्था के प्रति विश्वाश होने लगती हैं।
  5. मांग को स्थिर बनाए रखना– विज्ञापन निर्माता के द्वारा वस्तुओं की मांग को स्थिर बना रखने का उद्देश्य हैं।
  6. नवीन उत्पादन के लिये मांग का आधार तैयार करना– जब किसी नई वस्तु का उत्पादन या निर्माण किया जाता है। तो उसे बाजार मे प्रचलित करने के लिए विज्ञापन किया जाता है।
  7. विक्रेता 5की सहायता करना– विज्ञापन के द्वारा विक्रेता (बेचनेवाला) के विक्रय कार्य में सहायता मिलती है।
  8. क्रय की विवेकशीलता विकसित करना– विज्ञापन का उद्देश्य क्रेता (खरीदने वाला) को विवेकशील बनाना है।
  9. नए प्रयोगो की जानकारी देना- विज्ञापन का उद्देश्य उपभोक्ता को वस्तुओं के नए-नए प्रयोग की विधियों की पूरी जानकारी देना भी है। ताकि क्रेता (खरीदनेवाला) पूरा-पूरा लाभ उठा सके।
  10. परिवर्तर्नों के बारे में जानकारी देना– विज्ञापन का महत्वपूर्ण उद्देश्य संस्था की नीतियॉं, वस्तुओं की किस्म, बनावट, मूल्य आदि मे परिवर्तन की सूचना देना भी होता हैं।

विज्ञापन के माध्यम कितने हैं? (Medium of Advertising in Hindi)

हमारे जीवन का हर क्षेत्र चाहे वह आतंरिक हो या बाहरी हर कहीं विज्ञापन से जुड़ा हैं। ऐसे में यह आवश्यक हैं कि विज्ञापन अपने स्वरूप के अनुरूप ग्राहक से जुड़ा हो। इसके लिए उसे किसी ना किसी माध्यम की आवश्यकता पड़ती हैं। ये विज्ञापन के माध्यम निम्नलिखित हैं:

  1. समाचार-पत्र (News Paper)– भारत में साक्षरता की बढती दर, शहरीकरण की बढती प्रवृति और आय में निरंतर वृद्धि के कारण समाचार पत्र के पाठकों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही हैं और यह विज्ञापन का एक सशक्त माध्यम हैं।
  2. पत्रिकाएँ (Magazines)– मुद्रण-तकनीक के विकास के साथ आज देश में विभिन्न विषयों व मुद्दों को लेकर अनेक पत्रिकाओं का प्रकाशन किया जा रहा हैं। ये पत्रिकाएं अनेक अवधियों वाली हैं, ये साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, इन सब में विज्ञापन छपता हैं।
  3. रेडियो (Radio)– देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में तक रेडियो की पैठ हैं। जिसकी वजह से किसी संस्था का विज्ञापन कर के लोगों में जागरूकता फैलाई जाती हैं।
  4. टेलीविजन (Televison)- टेलीविजन के द्वारा विज्ञापन हर मिनट बदलते रहता हैं और जनता तक अलग-अलग तरह का विज्ञापन कर के जागरूकता फैलता हैं।
  5. इंटरनेट (Internet)– वर्तमान समय में इंटरनेट विज्ञापन का एक सशक्त माध्यम बन गया हैं। जहा लोग रेडियो और समाचारपत्र, पत्रिकाएं और टेलीविजन का उपयोग कम कर दिए हैं वही इंटरनेट पर हर समय लोग अपने पसंद का विज्ञापन देखते हैं।
  6. सोसल मिडिया (Social Media)– सबसे जयादा तो लोग सोसल मिडिया पर दिखते हैं। हर समय हर बात की जानकारी सोसल मीडिया से प्राप्त करते हैं।
  7. वीडियो या सिनेमा (Video/Cinema)– सिनेमा हॉल में ढेर सारे विज्ञापन दिखाए जाते हैं और रोड के किनारे प्रोजेक्टर पर हर कंपनी अपना वीडियो  द्वारा विज्ञापन दिखा रहे हैं।
  8. दीवारों पर विज्ञापन लेखन (Wall Writting)– हर दीवार पर चित्र द्वारा या लिख कर विज्ञापन किया जाता हैं।
  9. पोस्टर एवं होर्डिग (Poster & Hording)– दीवारों पर पोस्टर या होर्डिंग द्वारा विज्ञापन किया जाता हैं।

विज्ञापन के गुण (Qualities of Advertisement in Hindi)

  1. विज्ञापन में ध्यान आकर्षित करने की क्षमता हो।
  2. विज्ञापन में मौलिक साज-सज्जा हों।
  3. विज्ञापन वस्तु की मूल विशेषता पर बल दे।
  4. हर उपभोक्ता के लिए विज्ञापन सुबोध हो।
  5. तथ्यों की तर्कपूर्ण प्रस्तुती हो।
  6. विज्ञापन में गतिशीलता हो।
  7. चित्र, लिखित तथ्य ट्रेडमार्क और शीर्षक आदि सभी हो।
  8. विज्ञापन रूचिकर हो, मनोरम हो, बार-बार ध्यान को प्रभावित करने वाला हो, जो उपभोक्ता को समान खरीदने पर विवश कर दे।

विज्ञापन का महत्व क्या है? (Importance of Advertising in Hindi)

आज के युग में विज्ञापन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विज्ञापन एक ऐसी चीज है जो आज के दैनिक जीवन में हर किसी के लिए एक आवश्यकता बन गई है, चाहे वह निर्माता, व्यापारी या ग्राहक हो। विज्ञापन हमारे जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

विज्ञापन ग्राहकों के लिए महत्वपूर्ण है।

विज्ञापन ग्राहकों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ग्राहक वे होते हैं, जो बाजार में उपलब्ध उत्पादों की जानकारी होने के बाद ही उत्पाद खरीदते हैं। यदि उत्पाद का विज्ञापन नहीं किया जाता है, तो किसी भी ग्राहक को यह पता नहीं चलता है की कौन सा उत्पाद बाजार में उपलब्ध है। विज्ञापन लोगों को अपने लिए, अपने बच्चों के लिए और अपने परिवार के लिए सर्वोत्तम उत्पाद खोजने में मदद करता है। जब उन्हें उत्पादों की श्रेणी के बारे में पता चलता है, तो वे उत्पादों की तुलना करने और खरीदने में सक्षम होते हैं।

विक्रेता और उत्पादों का निर्माण करने वाली कंपनियों के लिए विज्ञापन महत्वपूर्ण है।

विज्ञापन उत्पादकों और उत्पादों के विक्रेताओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि

  • विज्ञापन बिक्री बढ़ाने में मदद करता है।
  • विज्ञापन से निर्माता या कंपनियों को अपने प्रतिस्पर्धियों को जानने और प्रतिस्पर्धा के स्तर को पूरा करने के लिए योजना बनाने में मदद मिलती है।
  • यदि कोई कंपनी किसी नए उत्पाद को बाजार में पेश करना या लॉन्च करना चाहती है, तो विज्ञापन उत्पाद के लिए एक आधार बना देगा। विज्ञापन लोगों को नए उत्पाद के बारे में जागरूक करने में मदद करता है।
  • विज्ञापन कंपनी के लिए सद्भाव बनाने में मदद करता है और परिपक्व( Mature) उम्र तक पहुंचने के बाद ग्राहक की वफादारी मिलता है।
  • विज्ञापन और मांग और आपूर्ति की मदद से उत्पाद की मांग बनी रहती है और आपूर्ति कभी खत्म नहीं होती है।

विज्ञापन समाज के लिए महत्वपूर्ण है।

  • विज्ञापन लोगों को शिक्षित करने में मदद करता है।
  • कुछ सामाजिक मुद्दे भी हैं।
  • जैसे बाल श्रम, शराब, भ्रूण हत्या, धूम्रपान, परिवार नियोजन शिक्षा, आदि जैसे विज्ञापनों से संबंधित हैं।
  • इस प्रकार विज्ञापन समाज में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विज्ञापन के महत्त्व को इस प्रकार भी समझ सकते है।


उत्पादित वस्तु की जानकारी

  • विज्ञापन के माध्यम से उपभोक्ता में उत्पादित नयी वस्तु के प्रति रुचि पैदा की जाती है।
  • विज्ञापन के द्वारा उत्पादनकर्ता, वस्तु की उपयोगिता तथा उसके गुणों की जानकारी देता है।

विक्रेता को लाभ (Profit to Seller)

विज्ञापन के माध्यम से विक्रेता का काम इतना आसान हो जाता है कि उसे नयी वस्तु के बारे में उपभोक्ताओं को बार-बार बताना नहीं पड़ता है। विज्ञापन के द्वारा वस्तु कहाँ पर मिलेगा, इसकी जानकारी भी देता है। विज्ञापन से उपभोक्ता तथा विक्रेता दोनों को लाभ मिलता है।

बाजार का निर्माण (Build Market)

विज्ञापन के माध्यम से नयी उत्पाद तथा उसकी उपयोगिता की जानकारी दी जाती है जिससे ग्राहकों का ध्यान उस वस्तु के उपयोग की ओर केन्द्रित होता है। इस प्रकार विज्ञापन बाजार का निर्माण करता है।

राष्ट्रहित (National Interest)

विज्ञापन राष्ट्रसेवा में भी पीछे नहीं रहा है। विज्ञापन देश की अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों, अन्तरराट्रीय समझौतों, आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक मुद्दों पर विज्ञापन दे कर जागरूकता फैला रहा है।

जीवन स्तर को ऊंचा करने में सहायक (Helpful in Raising the Standard of Living)

विज्ञापन के द्वारा जनता में विवेकशीलता उत्पन्न करना, उनको जीवनस्तर को ऊँचा करना, बौद्धिक तथा अध्यात्मिक विकास करने में सहायता किया हैं।

प्रभावी विज्ञापन की विशेषता क्या है?

विज्ञापन की विशेषताएं विज्ञापन द्वारा एक ही सन्देश को विभिन्न प्रकार के रंगों, चित्रों, शब्दों, वाक्यों तथा लाइट से सुसज्जित कर सन्दीेश जनता तक पहुंचाये जाते है, जो ग्राहक को स्पष्ट एवं विस्तृत जानकारी देता है। विज्ञापन सदैव अव्यक्तिगत होता है। कभी कोई व्यक्ति आमने-सामने विज्ञापन नहीं करता।

प्रभावी विज्ञापन क्या है?

यह ब्रांड की जागरूकता और उत्पाद के गुणों के निर्माण में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। यह अंत-उपभोक्ता को उत्पाद या सेवा के बारे में विस्तृत जानकारी देता है जो किसी संगठन द्वारा प्रदान की जाती है। विज्ञापन ग्राहक को प्रासंगिक जानकारी प्रदान करते हैं जो उपभोक्ताओं को खरीदारी करने के लिए प्रेरित करती है।

विज्ञापन से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताएं एवं प्रकार बताइए?

विज्ञापन माध्यम से जनता अथवा उपभोक्ता तक पहुंचने उन्हे अपनी ओर आकर्षित करने, रिझाने, उत्पाद की प्रतिष्ठा तथा उसके मूल्य को स्थापित किया जाता है। इस प्रकार के विज्ञापन निर्माता तब प्रसारित करता है, जब उसका उद्देश्य ग्राहकों के मन में अपनी वस्तु का नाम स्थापित करना होता है और यह आशा की जाती है कि ग्राहक उसे खरीदेगा।

विज्ञापन कितने प्रकार के होते हैं?

विज्ञापन कितने प्रकार के होते हैं? विज्ञापन वैसे तो कईं प्रकार के होते हैं परन्तु इसके मुख्य प्रकार 8 हैं जो निम्नलिखित रूप से विभाजित है :-.
वर्गीकृत विज्ञापन ... .
सजावटी विज्ञापन ... .
वर्गीकृत सजावटी विज्ञापन ... .
समाचार सूचना विज्ञापन ... .
उपभोक्ता विज्ञापन ... .
औद्योगिक विज्ञापन ... .
वित्तीय विज्ञापन.