आमतौर पर गर्भावस्था की पहली तिमाही में दो अल्ट्रासाउंड स्कैन किए जाते हैं: Show
यदि आप माहवारी चूकने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं तो आपका पहला अल्ट्रासाउंड स्कैन छह हफ्ते की गर्भावस्था में होने की संभावना रहती है। यदि आप डॉक्टर को थोड़ा बाद में दिखाएं तो आपका पहला स्कैन करीब आठ या नौ हफ्ते की गर्भावस्था के दौरान हो सकता है। बहरहाल,निम्न स्थितियों में आप तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं (चार हफ्तों के बाद से):
इन स्थितियों में डॉक्टर आपको जल्दी से
जल्दी अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाने की सलाह दे सकती
हैं। यदि आपका बीटा एचसीजी स्तर (गर्भावस्था की पुष्टि करने वाली खून की जांच) कम हो या फिर यह 48 घंटों के अंदर दोगुना नहीं हुआ है, तो भी आपको तुरंत स्कैन करवाना पड़ सकता है। पहला स्कैन निम्न जानकारी पाने में मदद करता है:
छह सप्ताह पर शुरुआती स्कैन आमतौर पर योनि के जरिये ट्रांसवैजाइनल स्कैन (टीवीएस) होता है। इस चरण पर आपका शिशु बहुत छोटा और पेट में बहुत नीचे की तरफ होता है, जो पेट पर से स्कैन करने पर स्पष्ट दिखाई नहीं देता। ट्रांसवैजाइनल स्कैन से अल्ट्रासाउंड डॉक्टर प्रोब को आपके शिशु के काफी नजदीक ले जाते हैं ताकि शिशु की साफ तस्वीर मिल सके। टीवीएस आमतौर पर छह से नौ हफ्ते की गर्भावस्था के बीच कराया जाता है। अल्ट्रासाउंड डॉक्टर पतली सी ट्रांसप्रोब यानि ट्रांसड्यूसर को हल्के से योनि के भीतर डालते हैं। इसमें आपको असहजता नहीं होनी चाहिए। ट्रांसवेजाइनल स्कैन में डॉक्टर आपकी योनि के भीतर नए और कीटाणुमुक्त (स्टेराइल) आवरण (शीथ) से ढका हुआ संकरा सा प्रोब डालेंगी। यह आवरण कोंडोम जैसा दिखता है। इस पर जैल भी लगाया जाता है ताकि यह योनि में आसानी से प्रवेश कर सके। टीवीएस के बारे में सोचकर ही आप शायद असहज महसूस करें मगर आप जितना ज्यादा रिलैक्स करेंगी, डॉक्टर के लिए प्रोब अंदर डालना उतना ही आसान होगा। यदि आपकी मांसपेशियां तनी रहेंगी, तो इस प्रक्रिया में आपको काफी असहजता हो सकती है। यह प्रक्रिया आपके शिशु के लिए एकदम सुरक्षित है। यदि आप शुरुआती स्कैन न करा पाएं, तो आपका पहला स्कैन शायद न्यूकल ट्रांसलुसेंसी (एनटी) होगा, जो 11 से 13 हफ्ते की गर्भावस्था के बीच होगा। एनटी स्कैन में शिशु को डाउंस सिंड्रोम होने की संभावना का अनुमान लगाया जाता है। यह आमतौर पर पेट पर से (एब्डोमिनल स्कैन) किया जाता है, और इसके लिए आपका मूत्राशय भरा हुआ होना चाहिए। हालांकि, कई बार केवल योनि के जरिये स्कैन करने पर ही शिशु की बेहतर तस्वीर मिल पाती है। यदि आपका वजन सामान्य से ज्यादा हो, गैस की वजह से आपका पेट फूला हुआ हो या फिर गर्भस्थ शिशु पेट में स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा, तो ऐसी स्थितियों में वेजाइनल अल्ट्रासाउंड स्कैन की संभावना ज्यादा रहती है। इस चरण पर आपका शिशु स्क्रीन पर पूरा अच्छी तरह दिख जाता है, और आप उसका सिर, रीढ़, अंग, हाथ और पैर देख सकेंगी। आप शायद उसे हिलते-डुलते हुए भी देख सकें। गर्भावस्था में सभी महिलाओं का अल्ट्रासाउंड करवाया जाता है। हालांकि, कितने स्कैन होंगे और कब होंगे यह समयावधि आपकी स्वास्थ्य स्थिति और अलग-अलग शहरों और कस्बों के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। प्रसवपूर्व पहले चेकअप के दौरान डॉक्टर आपकी जांच करेंगी और आपको बताएंगी कि स्कैन कब करवाने हैं। यदि आप प्रजनन उपचारों के जरिये गर्भवती हुई हैं या आपके गर्भ में एक से ज्यादा शिशु पल रहे हैं या फिर आपके साथ कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो आपको सामान्य से अलग समयावधि पर स्कैन करवाने पड़ सकते हैं। अंग्रेजी के इस लेख से अनुवादित: When will I have my first scan? हमारे लेख पढ़ें:
Neha translates BabyCenter India's English
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अलग-अलग उम्र वर्ग से संबंधित कुछ बच्चों पर यह जानने के लिए शोध किया गया कि क्या अल्ट्रासाउंड तकनीक सुरक्षित है? क्या इसका बच्चों के विकास पर कुछ प्रभाव पड़ा है? शोध में मौजूद ऐसे बच्चे भी थे, जिनका पांच बार अल्ट्रासाउंड किया गया था। विशेषज्ञों ने पाया कि अल्ट्रासाउंड का बच्चों के विकास, बातचीत का ढंग, व्यवहार आदि पर किसी तरह का असर नहीं पड़ता है। हांलाकि, भ्रूण पर इसका असर जरूर पड़ता है। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं गर्भावस्था के पहले 18 सप्ताह में यदि बार-बार अल्ट्रासाउंड किया जाए, तो भ्रूण पर इसका बहुत मामूली सा असर पड़ता है। हालांकि शोध के दौरान बच्चों के विकास पर इसका कोई असर नजर नहीं आया। यह भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी में मां स्ट्रेस ले तो होने वाले बच्चे के हार्ट पर पड़ता है बुरा असर कितनी बार अल्ट्रासाउंड करवा सकते हैं?हर गर्भवती महिला के लिए अल्ट्रासाउंड करवाना जरूरी है। अल्ट्रासाउंड की मदद से डाॅक्टर महिला और उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर पैनी नजर रख सकते हैं। सामान्य प्रेग्नेंसी में दो अल्ट्रासाउंड करने का सुझाव दिया जाता है। पहला अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था की पहली तिमाही में किया जाता है जबकि दूसरा अल्ट्रासाउंड दूसरी तिमाही के आखिरी चरण में होता है। यह भी पढ़ें : गर्भावस्था में गैस क्यों बनती है? क्या कई बार अल्ट्रासाउंड करवा सकती हैं?गर्भवती महिला का शारीरिक स्वास्थ्य यह तय करता है कि उसे कितने अल्ट्रासाउंड की जरूरत है। अधिकतम तीन से चार अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है, बशर्ते महिला की स्थिति बिल्कुल सही नहीं है। एक्सपर्ट भी ज्यादा अल्ट्रासाउंड का सुझाव नहीं देते हैं। भ्रूण की स्थिति ज्यादा खराब होने पर अल्ट्रासाउंड के लिए कहा जा सकता है। गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड करवाने का नुकसानअलग-अलग शोधों से यह बात साबित हो चुकी है कि अल्ट्रासाउंड की वजह से भ्रूण के विकास पर किसी तरह का असर नहीं पड़ता है। यहां तक कि जन्म के बाद भी बच्चे का विकास, सोचने-समझने की क्षमता, आध्यात्मिक समझ, बातचीत के तौर तरीके आदि में किसी तरह का कोई प्रभाव नजर नहीं आता है। इतना ही नहीं अल्ट्रासाउंड की वजह से बच्चे में किसी तरह की गंभीर बीमारी जैसे कैंसर नहीं होती है। अल्ट्रासाउंड तकनीक गर्भवती महिला के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित है। यह भी पढ़ें : लापरवाही न करें, Pregnancy के दौरान हो सकती हैं ये बीमारियां अल्ट्रासाउंड करवाने के फायदे
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प्रेगनेंसी में पहला अल्ट्रासाउंड कब करना चाहिए?1-प्रेगनेंसी का पहला अल्ट्रासाउंड वायबेलिटी स्कैन के रूप में जाना जाता है, जिसे गर्भधारण के 6 से 9 सप्ताह में करवाने की सलाह दी जाती है।
प्रेगनेंसी में कितने महीने में अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए?आमतौर पर अल्ट्रासाउंड 6वें महीने में किया जाता है, ताकि बच्चे के समुचित विकास को समझा जा सके। कुछ विशेष स्थितियों जैसे माता का किसी बीमारी से पीड़ित होने पर या भ्रूण में किसी प्रकार की समस्या होने पर एक से ज़्यादा बार भी अल्ट्रासाउंड कराना पड़ सकता है।
प्रेगनेंसी में कितने दिन बाद डॉक्टर को दिखाना चाहिए?डॉक्टर के साथ आपकी पहली मुलाकात गर्भावस्था के 10 सप्ताह पूरे करने से पहले हो, तो और भी अच्छा है। 10 सप्ताह की गर्भावस्था तक डॉक्टर शिशु के दिल की धड़कन का पता लगा सकेंगी और बता सकेंगी कि आपके गर्भ में कितने भ्रूण पल रहे हैं।
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