रुद्राक्ष के फल से रुद्राक्ष कैसे निकाले? - rudraaksh ke phal se rudraaksh kaise nikaale?

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दअसल रूद्राक्ष एक फल का बीज होता है. जो पक जाने के बाद नीले रंग का दिखाई देता है. इसलिए इसे ब्लूबेरी बीड्स भी कहते हैं. यह बीज कई पेड़ों की प्रजातियों से मिलकर तैयार होते हैं.

हम अक्सर लोगों को साधु संत और लोगों के गले में रूद्राक्ष की माला देखते हैं. लोग इसे लेकर जप करते हैं. पर क्या आप जानते हैं कि रूद्राक्ष कहां से आता है और इसका महत्व क्या है. रूद्राक्ष के बारे में बहुत कुछ बेहद कम ही लोग जानते होंगे. इस खबर में पढ़ियें रूद्राक्ष से जुड़ी हर जानकारी जिसे आप जानना चाहते हैं.

क्या है रूद्राक्ष

हिंदू परंपराओं में रूद्राक्ष को काफी पवित्र माना जाता है. हिंदू धर्म में इसे शिव के रुप में देखा जाता है. इसे मनका भी कहा जाता है. रुद्राक्ष  एक संस्कृत शब्द है, जो ‘रुद्र’ और ‘अक्ष’ से मिलकर बनता है. बता दें कि भगवान शिव का नाम ‘रुद्र’ है और ‘अक्ष’ का अर्थ आंसू होता है.

इस तरह बनता है रूद्राक्ष

दअसल रूद्राक्ष एक फल का बीज होता है. जो पक जाने के बाद नीले रंग का दिखाई देता है. इसलिए इसे ब्लूबेरी बीड्स भी कहते हैं. यह बीज कई पेड़ों की प्रजातियों से मिलकर तैयार होते हैं. इन प्रजातियों में बड़े सदाबहार और ब्रॉड लवेड पेड़ शामिल होते हैं.

कैसा दिखता है रुद्राक्ष का पेड़?

रूद्राक्ष को पेड़ को इलियोकार्पस गेनिट्रस भी कहा जाता है.  इन पेड़ों की ऊंचाई पेड़ 50 फीट से लेकर 200 फीट तक होती है. यह प्रमुख तौर पर नेपाल, दक्षिण पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, हिमालय और गंगा के मैदानों में पाए जाते हैं. सबरे खास बात यह है कि हमारे देश में रुद्राक्ष की लगभग 300 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है. उससे भी ज्यादा खास बात यह है कि यह एक सदाबहार पेड़ है, जो जल्दी से बढ़ता है. इस पेड़ में फल आने में 3 से 4 साल का समय लगता है.

रूद्राक्ष के प्रकार

मान्यता  है कि प्राचीन काल में रूद्राक्ष 108 मुखी होते थे, लेकिन अब इसकी माला में लगभग 1 से 21 रेखाएं  होती हैं. इसका आकार मिलीमीटर में मापा जाता है. बता दें कि नेपाल में 20 से 35 मिमी (0.79 और 1.38 इंच) और इंडोनेशिया में 5 और 25 मिमी (0.20 और 0.98) के बीच के आकार का रुद्राक्ष (Rudraksha) पाया जाता है. यह लाल, सफेद, भूरा, पीला और काले रंग में भी  होता है.

कैसे लगाये रूद्राक्ष का पेड़

रुद्राक्ष  का पेड़ एयर लेयरिंग विधि से लगाया जा सकता है. इसके लिए इसमें 3 से 4 साल के पौधे की शाखा में पेपपिन से रिंग काटकर उसके ऊपर मौस लगाई जाती है. इसके बाद  250 माइक्रोन की पॉलीथिन से ढक दिया जाता है. इसके साथ ही दोनों तरफ रस्सी बांध दी जाती है फिर लगभग 45 दिनों में जड़ें आ जाती हैं. इसके बाद उसे काटकर नए बैग में लगाया जाता है. इस तरह 15 से 20 दिन बाद पौधा उगने लगता हैं. इसके अलावा, नर्सरी से भी रुद्राक्ष का पेड़ खरीदा जा सकता है.

रुद्राक्ष के औषधीय गुण

रूद्राक्ष में औषधिय गुण भी होते हैं. इसकी माला गले में पहनने से बल्ड प्रेशर नियंत्रण में रहता है. साथ ही इसके तेल से एग्जिमा, दाद और मुहांसों से राहत मिलती है. रूद्राक्ष से ब्रोंकल अस्थमा में भी राहत मिलती है. इसके अलावा इसे पहनने से उम्र का प्रभाव कम होता है. रुद्राक्ष धारण करने से दिल की बीमारी व घबराहट आदि से मुक्ति मिलती है.

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रुद्राक्ष तो आप ने देखा ही होगा. इसका इस्तेमाल मंत्र उच्चारण के लिए और बहुत से लोग इसे धारण भी करते है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि ये आता कहां से है?

अक्सर आपने लोगों को रुद्राक्ष पहने देखा होगा या इसकी माला के साथ लोगों को मंत्र उच्चारण करते देखा होगा. हिन्दुओं में रुद्राक्ष का काफी महत्व रखता है. भगवान शिव का भी एक रूप रुद्र कहलाता है. मंदिरों और घरों में कई बार किस तरह का रुद्राक्ष पहनना चाहिए इसको लेकर भी चर्चा सुनी होगी. लेकिन क्या कभी ये सोचा है कि रुद्राक्ष है क्या, कैसे बनता और कहां से आता है?

क्या होता है रुद्राक्ष

रुद्राक्ष एक फल का बीज है या फिर कहिए की मनका है, जिसका इस्तेमाल हिन्दूओं में प्रार्थना के लिए किया जाता है. रुद्राक्ष के बीज जब पकते है तो ये नीले रंग में फल की तरह दिखाई देते हैं.

कभी-कभी इन्हें ब्लूबेरी (blueberry beads) भी कहते हैं. ये बीज कई पेड़ों की प्रजातियों में बनकर तैयार होते हैं. जैसे बड़े, सदाबहार और ब्रॉड लवेड पेड़. हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव से जोड़ा जाता है. इस बीज को सुरक्षा के लिए और ओम नमः शिवाय जैसे मंत्रों के जाप के लिए पहने जाते हैं.

रुद्राक्ष का नाम

रुद्राक्ष एक संस्कृत शब्द है जो Rudra (Sanskrit: रुद्र) and akṣa (Sanskrit: अक्ष) से बनता है. भगवान शिव को रुद्र भी कहा जाता है. अक्ष मतलब आंसू होता है और इसलिए रुद्राक्ष को भगवान रुद्र के आंसू के रूप में परिभाषित किया जाता है.

संस्कृति में अक्ष शब्द का आंख भी होता है. इसलिए कुछ लोग से इसे “Eye of Lord Shiva” के रूप में भी जानते हैं. अक्ष शब्द “आत्मा” और “धार्मिक ज्ञान” जैसी परिभाषाएं भी देता है. इसके अलावा rakṣā (Sanskrit: रक्षा) rakṣ से आता है इसलिए इसे “रक्षा करने के लिए” भी जाना जाता है.

रुद्राक्ष के पेड़

एलाओकार्पस गनिट्रस ( Elaeocarpus ganitrus trees) के पेड़ 60-80 फीट (18–24 मीटर) तक बढ़ते हैं और ये पेड़ नेपाल, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया में हिमालय के फूटहिल्स और गुआम और हावई में गंगा के मैदान में पाए जाते हैं जबकी इसकी 300 प्रजातियां भारत में पाई जाती है. ये एक सदाबहार पेड़ है जो जल्दी से बढ़ता है. रुद्राक्ष के पेड़ में फल आने में तीन से चार साल का समय लगता है.

रुद्राक्ष के प्रकार

रुद्राक्ष की माला में लगभग 1 से 21 रेखाएं (मुखी) होती हैं. प्राचीन समय में तो 108 मुखी होते थे. वर्तमान में 30 मुखी मिलना भी संभव है. बता दें कि 80 प्रतिशत रुद्राक्ष में 4, 5 या 6 रेखाएं (मुखी) होती हैं.

1 लाइन वाले रुद्राक्ष कम मिलते हैं. रुद्राक्ष का आकार हमेशा मिलीमीटर में मापा जाता है. नेपाल में रुद्राक्ष 20 से 35 मिमी (0.79 और 1.38 इंच) और इंडोनेशिया में 5 और 25 मिमी (0.20 और 0.98) के बीच के आकार के होते हैं. सफेद, लाल और भूरे रंग काफी आसानी से पाए जाते हैं. जिसमें पीले और काले रंग में भी रुद्राक्ष होते हैं.

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रुद्राक्ष का फल कब पकता है?

रुद्राक्ष के पेड़ में फल आने में तीन से चार साल का समय लगता है.

रुद्राक्ष कैसे ढूंढे ओरिजिनल है या नहीं?

- असली रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डुबाने से वह रंग नहीं छोड़ता है जबकि नकली रुद्राक्ष रंग छोड़ देता है। - असली रुद्राक्ष पानी में डुबाने पर वह डूब जाता है , जबकि नकली रुद्राक्ष तैरता रहता है। -असली रुद्राक्ष को पहचाने के लिए उसे किसी नुकिली चीज से कुरेदने पर अगर उसमें से रेशा निकलता हो तो वह असली रुद्राक्ष होता है।

रुद्राक्ष कैसे तैयार करें?

रुद्राक्ष का पेड़ एयर लेयरिंग विधि से लगाया जा सकता है. इसके लिए इसमें 3 से 4 साल के पौधे की शाखा में पेपपिन से रिंग काटकर उसके ऊपर मौस लगाई जाती है. इसके बाद 250 माइक्रोन की पॉलीथिन से ढक दिया जाता है. इसके साथ ही दोनों तरफ रस्सी बांध दी जाती है फिर लगभग 45 दिनों में जड़ें आ जाती हैं.

असली रुद्राक्ष कहाँ मिलेगा?

रुद्राक्ष भारत, के हिमालय के प्रदेशों में पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त असम, मध्य प्रदेश, उत्‍त्‍राखंड, अरुणांचल प्रदेश, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल और देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में यह रुद्राक्ष पाए जाते हैं। इसके अलावा दक्षिण भारत में नीलगिरि और मैसूर में तथा कर्नाटक में भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखे जा सकते हैं।